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Unique tradition observed in Ujjain People walked on embers after their wish fulfilled Muslim community also a wish
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भारत वर्ष मे होलिका का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. होली पर उज्जैन के पास एक गांव मे अनोखी परम्परा निभाई गई. जिसमे सैकड़ो श्रद्धांलू मन्नत पूरी करने के लिए अंगारो पर चले.
मुस्लिम के साथ बच्चों ने लिए हिस्सा
हाइलाइट्स
- उज्जैन के गांव में होली पर अनोखी परंपरा निभाई गई.
- श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों पर चलते हैं.
- हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग इस परंपरा में शामिल होते हैं.
उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी मे हर पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भारत में चमत्कार और विश्वास का अजीब मिश्रण है. ये आस्था कल परसों से नहीं बल्कि सदियों से लोगों के जहन में रची बसी है. होली में भी एक ऐसी ही आस्था और विश्वास का नजारा मध्य प्रदेश के उज्जैन के घट्टिया तहसील के गोयला बुजुर्ग गांव स्थित में देखने को मिला. जहां गोपेश्वर महादेव के मंदिर में लोग मन्नत मांगते हैं. जब भक्तों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वे इस मंदिर में आते हैं. फिर यहां की परंपरानुसार दहकते अंगारों पर चलकर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन करते हैं. और उन्हें धन्यवाद देते है. इस बार एक मुस्लिम समुदाय के श्रद्धांलु ने भी मन्नत मांगी.
धधकते अंगारो पर चले लोग
धधकते अंगारों में नंगे पांव चलना तो आसान काम नहीं होता. यह तो बिल्कुल लोगों की सोच से बाहर की बात है, लेकिन उज्जैन के घट्टिया तहसील के गोयला बुजुर्ग गांव में आस्था के नाम पर हिन्दू – मुस्लिम समुदाय के लोग 11 फीट के चूल पर धधकते अंगारों में नंगे पांव चले. सरपंच हरिनारायण शर्मा एवं स्थानीय लोगों का मानना है कि अंगारों में नंगे पांव चलने से किसी का पैर नहीं जलता. जिनकी मन्नत पूरी होती है वे अंगारे पर चलते है ऐसे गांव में चूल बोला जाता है.
सदियों से चली आई है परम्परा
दरअसल उज्जैन जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम गोयला बुजुर्ग में मन्नत पूरी होने पर नंगे पांव धधकते अंगारों में चलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. आस्था और परंपरा है कि धड़कते अंगारों में नंगे पांव चलने वाले लोगों के जीवन की दुख और तकलीफ का नाश होता है. सालों से चली आ रही इस परंपरा को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
पैरों पर नहीं होता एक भी निशान
लोगों का मानना है कि इस परंपरा में न तो अंगारों में चलने वाले व्यक्ति का पैर न जलता है और ना ही कभी कोई दुर्घटना हुई है. स्थानीय लोग बताते है कि पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा चली आ रही है और आज भी गोयला बुजुर्ग गांव के लोग इस परंपरा को निभाते आ रहे है. बहरहाल इस तरह की परंपरा देश में बहुत कम ही देखने को मिलती है.
पूरे गांव से किया जाता घी एकत्रित
मान्यता है कि चूल पर आग पर डालने के लिए पूरे गांव से एकत्रित किया जाता है. जिससे कि आग हल्की होने पर नीम के पत्तो से आग को तेज करने के लिए उस पर घी डाला जाता है. जिसके बाद मन्नतधारी धधकते अंगारों पर से होकर निकलता है. गोपेश्वर महादेव के दर्शन करता है.
दो मुस्लिम युवक ने भी मांगी मन्नत
गांव का युवक शाहरुख शादी न होने पर मन्नत मांगी थी. शादी होने के बाद परम्परा में शामिल हुआ व सादिक के यह संतान न होने पर मन्नत मांगी थी. मन्नत पूरी होने पर वह भी धधकते अंगारे पर चला.इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांव के ग्रामीण भी शामिल होते है. जिनकी पेयजल ,टेंट ,साउंड व प्रसादी का इंतजाम ग्राम पंचायत गोयला के सरपँच हरिनारायण शर्मा द्वारा की गई.
Ujjain,Madhya Pradesh
March 15, 2025, 10:53 IST
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