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महमूद खलील की गिरफ्तारी: अमेरिका में विवाद और कानूनी लड़ाई.

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Mahmood Khalil News: महमूद खलील फिलिस्तीनी मूल के अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक हैं. उन्हें ट्रंप प्रशासन ने गिरफ्तार किया है. उनकी गिरफ्तारी पर अमेरिका में बवाल मचा है. खलील की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे…और पढ़ें

महमूद खलील की गिरफ्तारी ने अमेरिका में भूचाल ला दिया है.
हाइलाइट्स
- महमूद खलील की गिरफ्तारी पर अमेरिका में बवाल मचा है.
- खलील की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं.
- ट्रंप प्रशासन ने खलील की गिरफ्तारी को मंजूरी दी.
महमूद खलील फिलिस्तीनी मूल के नागरिक हैं. हाल ही में वह अमेरिका में चर्चा का विषय बन गए हैं. वे कोलंबिया विश्वविद्यालय के पूर्व स्नातक छात्र और एक सक्रिय फिलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता हैं. उन्हें 8 मार्च 2025 को अमेरिकी इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) अधिकारियों ने न्यूयॉर्क में उनके यूनिवर्सिटी के अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था. महमूद खलील के पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड था. यह उन्हें स्थायी निवासी का दर्जा देता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी को मंजूरी दी और उनके ग्रीन कार्ड को रद्द करने का प्रयास किया. महमूद खलील की उम्र 29 साल है. उन्हें लेकर अब अमेरिका में बवाल मचा हुआ है. महमूद खलील की रिहाई की मांग को लेकर मंगलवार को मैनहट्टन में प्रदर्शनकारियों और अधिकारियों के बीच झड़प हो गई. चलिए जानते हैं कि क्या विवाद है और वह कौन हैं?
जानिए कौन हैं और क्या है ममामला
महमूद खलील का जन्म 1995 में सीरिया में एक फिलिस्तीनी परिवार में हुआ था. वे अल्जीरियाई नागरिक हैं. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स से दिसंबर 2024 में मास्टर डिग्री हासिल की. इससे पहले उन्होंने लेबनानी अमेरिकी विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी. खलील 2024 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में गाजा एकजुटता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जहां उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी अपार्थाइड डिवेस्ट (CUAD) समूह के साथ मिलकर विश्वविद्यालय से इजरायल से वित्तीय संबंध तोड़ने और गाजा में युद्धविराम की मांग की थी. यह आंदोलन 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसके बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन फैल गए.
गिरफ्तारी और विवाद
खलील की गिरफ्तारी ट्रंप प्रशासन के उस अभियान का हिस्सा है, जो फिलिस्तीन समर्थक छात्र आंदोलनों को दबाने और कथित ‘यहूदी-विरोधी’ गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए चलाया जा रहा है. ICE एजेंट्स ने शुरू में उनकी गिरफ्तारी को उनके छात्र वीजा को रद्द करने के आधार पर शुरू किया था, लेकिन जब पता चला कि उनके पास ग्रीन कार्ड है, तो उसे भी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की गई. अधिकारियों ने दावा किया कि खलील ने हमास का समर्थन किया था. हालांकि कोई आपराधिक आरोप औपचारिक रूप से दर्ज नहीं किया गया. इसके बाद उन्हें लुइसियाना के जेना में लासाल डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया. हमास को अमेरिका में आतंकवादी संगठन मानता है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनकी गिरफ्तारी का स्वागत करते हुए इसे ‘कई और गिरफ्तारियों की शुरुआत’ बताया. ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन आतंकवाद समर्थक और यहूदी-विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा. दूसरी ओर, खलील के समर्थकों और नागरिक अधिकार समूहों, जैसे न्यूयॉर्क सिविल लिबर्टीज यूनियन (NYCLU), ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया. उनकी पत्नी, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं और आठ महीने की गर्भवती हैं, ने भी उनकी रिहाई की मांग की है.
कानूनी लड़ाई और विरोध
10 मार्च 2025 को न्यूयॉर्क में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने खलील की रिहाई के लिए मार्च किया. उसी दिन, एक संघीय न्यायाधीश जेसी एम. फुरमैन ने उनकी निर्वासन प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी, ताकि उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो सके. खलील के वकील, एमी ग्रीर, ने कहा कि यह मामला अमेरिकी सरकार द्वारा छात्र सक्रियता और राजनीतिक अभिव्यक्ति को दबाने का प्रयास है. 14 अमेरिकी सांसदों ने भी एक पत्र पर हस्ताक्षर कर ICE से खलील को रिहा करने की मांग की है.
क्या है आगे?
यह मामला अमेरिका में आप्रवासियों के अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विश्वविद्यालय परिसरों में राजनीतिक सक्रियता को लेकर बड़े सवाल उठा रहा है. खलील का भविष्य अब अदालत के फैसले पर निर्भर करता है, जो आने वाले दिनों में होने वाली सुनवाई में तय होगा. इस बीच, यह घटना अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर रही है और ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर बहस को तेज कर रही है. (इनपुट एआई से)
Delhi,Delhi,Delhi
March 13, 2025, 07:09 IST
कौन हैं महमूद खलील, जो अमेरिका में छा गए, क्यों गिरफ्तारी से आया भूचाल?
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Trump Zelenskyy Rift: जेलेंस्की की समझो हो गई छुट्टी, यूक्रेन में तख्तापलट का स्क्रिप्ट तैयार, डोनाल्ड ट्रंप ने बिछा दिए पत्ते

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Trump Zelenskyy Rift: क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी में जुट गए हैं. दरअसल एक खबर ने इन अटकलों को हवा दे दी. इसमें बताया गया कि ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने जेलें…और पढ़ें

ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुलाकात की खबर ने हलचल मचा दी. (AP फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने जेलेंस्की के प्रतिद्वंद्वियों से गुप्त बातचीत की.
- इस मुलाकात से यूक्रेन में तख्तापलट की अटकलें तेज.
- अमेरिका और रूस दोनों जेलेंस्की को सत्ता से हटाने की कोशिश में.
क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुटे गए हैं? अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट से ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं. पिछले दिनों ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक तो पूरी दुनिया ने देखी, वहीं अब पॉलिटिको ने खबर दी है कि ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बातचीत की है. यह वार्ता बेहद गुप्त रखी गई थी, लेकिन इस खबर के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और रूस दोनों ही किसी भी तरह जेलेंस्की को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में जुटे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने यूक्रेन की विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पूर्व राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की. ये बातचीत कथित तौर पर यूक्रेन में जल्द से जल्द राष्ट्रपति चुनाव कराने की संभावनाओं पर केंद्रित रही, जो वर्तमान में मार्शल लॉ के कारण स्थगित हैं. आलोचकों का मानना है कि युद्धग्रस्त देश में इस तरह के चुनाव अराजकता फैला सकते हैं और रूस को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि लाखों संभावित मतदाता या तो मोर्चे पर हैं या शरणार्थी के रूप में विदेश में रह रहे हैं.
क्या ट्रंप की रणनीति काम करेगी?
ट्रंप के सहयोगियों को भरोसा है कि ज़ेलेंस्की युद्ध की थकान और देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जनता की नाराज़गी के कारण किसी भी चुनाव में हार जाएंगे. हालांकि, हाल ही में हुए वाइट हाउस विवाद के बाद जेलेंस्की की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक, अब भी 44% लोग जेलेंस्की का समर्थन कर रहे हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी वलेरी ज़ालुज़नी उनसे 20 अंकों से पीछे हैं.
मुंह में राम, बगल में छूरी!
ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि वे यूक्रेन की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लुटनिक ने इस हफ्ते दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल ‘शांति के लिए एक सहयोगी’ चाहते हैं. लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.
ट्रंप खुद ज़ेलेंस्की को ‘बिना चुनाव वाला तानाशाह’ कह चुके हैं, जबकि अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गैबार्ड ने यूक्रेन सरकार पर चुनाव रद्द करने का झूठा आरोप लगाया है. हालांकि, हकीकत यह है कि तिमोशेंको और पोरोशेंको जैसे विपक्षी नेता भी युद्ध समाप्त होने से पहले चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं.
सीक्रेट मीटिंग में रूस का भी रोल?
सूत्रों के मुताबिक, इन गुप्त बैठकों में सबसे अहम मुद्दा यही रहा कि राष्ट्रपति चुनाव अस्थायी संघर्षविराम के बाद और पूर्ण शांति वार्ता शुरू होने से पहले आयोजित किए जाएं. यह वही रणनीति है, जिसे रूस भी लंबे समय से समर्थन देता आ रहा है. यूक्रेन की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे तिमोशेंको और पोरोशेंको ने सार्वजनिक रूप से चुनाव कराने का विरोध किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता ट्रंप खेमे से गुप्त संपर्क में हैं और खुद को अमेरिका के लिए “बेहतर विकल्प” के रूप में पेश कर रहे हैं.
पॉलिटिको के मुताबिक, जब तिमोशेंको की प्रवक्ता नताल्या लिसोवा से पूछा गया कि क्या वह वाकई ट्रंप प्रशासन के संपर्क में हैं, तो उन्होंने केवल इतना कहा, ‘हम इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.’
यह घटनाक्रम साफ इशारा करता है कि अमेरिका, रूस और यूक्रेन के भीतर सत्ता संघर्ष तेज़ हो रहा है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ज़ेलेंस्की इस चुनौती का सामना कर पाएंगे, या फिर वॉशिंगटन और मॉस्को की राजनीतिक चालें उन्हें सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होंगी.
जेलेंस्की के कुर्सी छोड़ने पर जोर
डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट अधिकारियों ने बीते कुछ दिनों से लगातार यह संकेत दिया है कि अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अमेरिका की युद्ध समाप्ति योजना का पूरी तरह समर्थन नहीं करते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. यह योजना यूक्रेन के लिए बड़े समझौतों के साथ तेजी से युद्ध समाप्त करने पर आधारित है.
व्हाइट हाउस में बीते शुक्रवार हुए जोरदार टकराव के बाद से ट्रंप प्रशासन का यह रुख और भी कड़ा हो गया है. वहीं, यूक्रेन में ज़ेलेंस्की के राजनीतिक विरोधी अब सार्वजनिक रूप से यह संकेत देने लगे हैं कि अमेरिका के साथ यूक्रेन के रिश्ते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें बहाल किया जाना चाहिए. कीव में इसे ज़ेलेंस्की के प्रति अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। ज़ेलेंस्की ने भी अब पिछले सप्ताह की गर्मागर्म बहस पर खेद जताया है और कहा है कि वह ट्रंप के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं.
सांसदों को तोड़ने की तैयारी
वाइट हाउस विवाद के झटके यूक्रेनी संसद में भी महसूस किए जा रहे हैं. पॉलीटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको अब अन्य पार्टियों के सांसदों से संपर्क कर रही हैं और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए मना रही हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि तिमोशेंको का मानना है कि ज़ेलेंस्की के पास जल्द चुनाव करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिससे संसदीय बहुमत को फिर से आकार देने का सुनहरा मौका मिलेगा.
यूक्रेन में जनता की राय कैसे बदल रही है?
हालांकि, जेलेंस्की ने अपने पद से हटने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है. लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने मज़ाक में कहा, ‘अगर इस साल चुनाव हुए, तो भी मैं जीत सकता हूं.’ उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिलती है, तो वह पद छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं.
अब जनता का एक बड़ा तबका युद्ध समाप्त करने को प्राथमिकता देने लगा है. लगभग 25% जनता, जिसमें मुख्य रूप से सैन्य परिवार शामिल हैं, युद्ध जारी रखने के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि रूस को यूक्रेन के हर हिस्से से बाहर निकाला जाए. लेकिन दो-तिहाई लोग अब शांति वार्ता चाहते हैं. इनमें से आधे लोग यूक्रेन द्वारा बड़े समझौते करने के लिए तैयार हैं, जबकि अन्य आधे तत्काल युद्धविराम चाहते हैं.
New Delhi,Delhi
March 06, 2025, 12:56 IST
जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी शुरू! ट्रंप ने यूक्रेन में बिछा दिए पत्ते
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Tahawwur Rana Extradition India Mumbai Attack Accused Seeks Emergency Stay | ‘भारत में मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले गीली होने लगी तहव्वुर राणा की पैंट, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

Last Updated:
Tahawwur Rana Extradition to India: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. वह चाहता है कि उसे भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया जाए.

अमेरिका ने कर दिया है तहव्वुर राणा को भारत भेजने का ऐलान.
हाइलाइट्स
- तहव्वुर राणा ने अमेरिका में भारत प्रत्यर्पण रोकने की अपील की.
- राणा ने भारत में टॉर्चर और भेदभाव का हवाला दिया.
- राणा 26/11 मुंबई हमले का आरोपी है.
वाशिंगटन: तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि उसे भारत प्रत्यर्पित न किया जाए. राणा ने “इमरजेंसी स्टे” की मांग की है. राणा ने अपने आवेदन में कहा है कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” किया जा सकता है. वह मुस्लिम है और पाकिस्तानी मूल का है, इसलिए उसे ज्यादा खतरा है. लेकिन, अमेरिकी कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है. इससे अब राणा को प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच की 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है. उसने कहा कि भारत सरकार “ऑटोक्रेटिक” हो गई है और वहां उन्हें यातना दिए जाने की पूरी आशंका है. उसकी सेहत भी खराब है. वह 3.5 सेमी के एब्डॉमिनल एन्यूरिज्म, पार्किंसंस और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित है. अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील को खारिज कर देता है, तो उन्हें भारत भेजा जाएगा.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है. उस पर 26/11 मुंबई हमले में भूमिका निभाने का आरोप है. अमेरिका में उसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को समर्थन देने का दोषी पाया गया था. भारत काफी समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले महीने वाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा. उन्होंने कहा था, “राणा भारत जाकर न्याय का सामना करेगा.”
पीएम मोदी ने भी अमेरिका को धन्यवाद दिया. ट्रंप ने आगे कहा, “हमने मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी का प्रत्यर्पण मंजूर कर लिया है. यह दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक है.”
राणा के लिए तैयार हैं भारत की जेलें
भारत सरकार राणा को जल्दी से जल्दी भारत लाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हमारी जेलें राणा के लिए तैयार हैं. हमने अजमल कसाब को भी रखा था, ऐसे में सुरक्षा कोई समस्या नहीं है.” राणा के भारत आते ही उसे NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा. उसके बाद NIA उसकी कस्टडी मांगेगी ताकि पूछताछ हो सके.
डेविड हेडली ने भी किया था खुलासा
राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था. डेविड हेडली ने कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही दी थी. अमेरिका में उन्हें डेनमार्क में हमले की साजिश के लिए दोषी पाया गया था लेकिन भारत में आतंकी गतिविधियों के आरोप से बरी कर दिया गया था. बाद में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी.
March 06, 2025, 16:10 IST
‘मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले सूखने लगा तहव्वुर राणा का गला
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ट्रंप का गोल्डन डोम: अमेरिका का नया एयर डिफेंस सिस्टम.

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Air defence shield: मौजूदा समय की जंग ने पारंपरिक जंग के तरीके को ही बदल दिया है. लॉंग रेंज मिसाइल, ड्रोन जंग के प्रमुख हथियार बन गए हैं. और इन से बचवा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम भी हाई टेक चाहिए. इजराइल को तो उ…और पढ़ें

गोल्डन डोम के जरिए अमेरिका की सुरक्षा की तैयारी
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने गोल्डन डोम एयर डिफेंस शील्ड का एलान किया.
- भारत ने स्वदेशी उपकरणों से रक्षा कवच तैयार किया.
- गोल्डन डोम अमेरिकी एरियल अटैक से रक्षा करेगा.
Golden dome AD System: इजराइल की जंग ने एयर डिफेंस की जरूरत को पूरी दुनिया को समझा दिया है. हमास-हिजबुल्लाह और ईरान के हमलों से इजराइल को आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम ने ही बचाया. एरियल अटैक का खतरा अब अमेरिका को भी सता रहा है. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस को समबोधित करते हुए गोल्डन डोम शील्ड का एलान किया. ट्रंप ने कहा कि इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम की तर्ज पर ही उनके भी पास भी एयर डिफेंस गोल्डन डोम होना चाहिए. ट्रंप ने अपने संबधन में पूर्व राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन का हवाला देते हुए कहा कि वह भी ऐसा चाहते थे. उस वक्त ऐसी तकनीक नहीं था. लेकिन अब ऐसी तकनीक है. अमेरिकी मेनलैंड को दुश्मन के एरियल अटैक से बचाने के लिए
क्या है गोल्डन डोम प्रोग्राम?
यह एक यह एक नेक्स्ट जेनेरेशिन एयर डिफेंस सिस्टम प्रोग्राम होगा. इसमें लॉंग रेंज रडार अमेरिका की तरफ आने वाले प्रोजेक्टाइल को पहचानेगा, उसकी ट्रेजेक्टरी को ट्रैक करेगा और फिर इंटरसेप्टर मिसाइल के जरिए उसे मिड एयर में ही एंगेज कर देगा. अमेरिका की रक्षा उत्पाद कंपनी लॉकहीड मार्टिंन का मानना है कि अलगे साल के अंत तक अमेरिका के लिए गोल्डन डोम देना एक चुनौती है और इसके लिए सभी कमर्शियल इंडस्ट्री को एक नेशनल टीम की तरह साथ आना होगा. लॉकहीड इस नेशनल टीम की अगुवाइ करने को तैयार है. अमेरिकी कंपनियों की मदद से पूरा करने की कोशिश की जाएगी. हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्पेस बेस्ड इंटरसेप्टर को विकसित करना होगा.
आयरन डोम कैसे काम करता है?
हमास ने आयरन डोम के रॉकेट के एंगेज करने की क्षमता से ज्यादा राकेट दागे. ज्यादातर को आयरन डोम ने मार गिराया. हमास ने ग्लाइडर के जरिए हमले के लिए भी वही समय चुना जब आयरन डोम के रडार मिसाइलों के ट्रेक कर रहे थे. आयरन डोम को इजात ही किया गया था हाई स्पीड रॉकेट और मिसाइल को रोकने के लिए. इसमें इस तरह का सिस्टम है वह हमले में रॉकेट की स्पीट को ट्रैक करता है. जो भी रॉकेट भीड़ वाले इलाके में गिरने वाला होता है सिर्फ उसे एंगेज करता है. हाई स्पीड मिसाइलों और लो फ्लाइंग स्लो ऑब्जेक्ट में से अगर पहली किसी को चुनना होता है तो यह मिसाइल को ही पहले चुनता है.
रक्षाकवच भारत का देसी आयरन डोम
देसी आयरन डोम डीआरडीओ के स्वदेशी उपकरणों को इंटीग्रेट कर के रक्षा कवच को विकसित किया है. इस रक्षा कवच में दो हिस्से है. पहला है निगरानी करना और दूसरा है अटैक करना. निगरानी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, सर्वेलांस ड्रोन और सैटेलाइट है. ग्राउंड में लॉंग रेंज रडार है जो दुशमन के किसी भी एरियल खतरे को ट्रैक करता है. दूसरा है उसे एंगेज करने के लिए हार्ड किल, सॉफ्ट किल, सर्फेस टू एयर मिलाइल, आर्टोलरी गन और लेजर बीम तकनीक है.
कैसे करेगा रक्षा कवच काम ये सिस्टम?
सबसे जरूरी है एरियल अटैक को पहचानना यानी दुश्मन कितनी दूर है. सर्वेलॉंस का सारा डॉटा कंट्रोंल सेंटर में जाएगा. वहा जानकारी प्रोसेस करने के बाद अटैक को न्यूट्रलाइज करना पड़ता है. हाई स्पीड ड्रोन अटैक से निपटने के लिए सॉफ्ट किल, हार्ड किल होता है. सॉफ्ट किल में हाई पावर माइक्रोवेव उस दिशा में छोड़ते हैं जिस दिशा से अटाक आ रहा है. इससे सिस्टम का इलेकट्रोनिक कमजोर हो जाता है. स्पीड धीरे हो जाती है. उसके बाद भी वह अटैक करने के लिए आता है तो क्विक रिसेपॉंस सर्फोस टू एयर मिसाइल सिस्टम है इससे उसे एंगेज किया जाता सकता है. इसी तहर से ATAGS है उसेसे भी अटैक को एंगेज किया जा सकता है. इसके अलावा लेजर बीम तकनीक से टार्गेट को नष्ट किया जा सकता है. सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक हमलों को भी तभी नष्ट किया जा सकता है जब उसका डिटेक्शन पहले ही हो जाए. पहले ही डिटेक्शन हो गया तो एयर डिफेंस मिसाइल को टाइम मिल जाएगा उसे एंगेज करने के लिए. फिलहाल सभी सिस्टम तैयार हो चुके हैं, सॉफ्टवेर पर काम चल रहा है .जल्द ही DRDO इसे शोकेस करेगी.
March 06, 2025, 19:04 IST
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