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जापान का शाही परिवार: राजकुमारियों को क्यों नहीं मिलता सिंहासन?
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Japan Royal Family: जापान का शाही परिवार का वजूद संकट में है क्योंकि केवल पुरुषों को ही सिंहासन का उत्तराधिकारी बनने की अनुमति है. राजकुमार हिसाहितो इकलौते युवा उत्तराधिकारी हैं. महिलाओं को आम व्यक्ति से विवाह …और पढ़ें

जापानी शाही परिवार में केवल पुरुषों को ही सिंहासन का उत्तराधिकारी बनने की अनुमति है.
हाइलाइट्स
- जापान के शाही परिवार में केवल पुरुषों को ही सिंहासन मिलता है
- राजकुमारियों को आम व्यक्ति से विवाह के बाद शाही दर्जा छोड़ना पड़ता है
- शाही परिवार में उत्तराधिकारियों की संख्या घट रही है, जिससे बढ़ रही चिंता
Japan Royal Family: जापान का शाही परिवार दुनिया के सबसे पुराने राजघरानों में से एक है. लेकिन सदियों पुराने एक नियम ने इस परिवार के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. यह नियम है, केवल पुरुषों को ही राजसिंहासन का उत्तराधिकारी बनने की अनुमति देना. दरअसल, जापानी शाही परिवार में उत्तराधिकार का नियम सदियों पुराना है, जिसके अनुसार केवल पुरुष ही सिंहासन पर बैठ सकते हैं. इस नियम के चलते शाही परिवार में लड़कियों के जन्म लेने पर उन्हें उत्तराधिकार से वंचित रखा जाता है. यही कारण है कि शाही परिवार में उत्तराधिकारियों की संख्या लगातार घट रही है.
वर्तमान में, जापान के सम्राट नारुहितो के उत्तराधिकारी उनके भतीजे, राजकुमार हिसाहितो हैं, वह शाही परिवार की अगली पीढ़ी में एकमात्र पुरुष सदस्य हैं. यदि हिसाहितो के कोई पुत्र नहीं होता है, तो शाही परिवार के उत्तराधिकार की श्रृंखला समाप्त हो जाएगी. इस नियम के कारण, शाही परिवार की महिलाएं भी कई तरह की पाबंदियों का सामना करती हैं. उन्हें एक आम नागरिक से शादी करने पर अपना शाही दर्जा छोड़ना पड़ता है. इस नियम ने शाही परिवार में महिलाओं की भूमिका को सीमित कर दिया है और उनकी स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर दिया है.
प्रिंस हिसाहितो राजा बनने की कतार में हैं,
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1947 में लाया गया था एक कानून
इस नियम को बदलने के लिए जापान में कई बार बहस हुई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. कुछ लोग मानते हैं कि यह नियम लैंगिक समानता के खिलाफ है, जबकि अन्य लोग इसे शाही परंपरा का हिस्सा मानते हैं. इस परंपरा की जड़ में जापान का समाज भी रहा है, जो आम तौर पर पुरुषवादी है. राजसिंहासन पर पुरुषों के एकछत्र वर्चस्व के लिए साल 1947 में एक कानून भी लाया गया. जिसका नाम है इंपीरियल हाउस लॉ. इस नाते प्रिंस हिसाहितो (18) इस वक्त अपने पिता आकिशिनो के अलावा गद्दी के इकलौते दावेदार हैं. जापान के शाही नियमों के अनुसार राजवंश से बाहर शादी करने वाली शाही महिलाओं के पुत्रों को गद्दी का उत्तराधिकारी नहीं माना जाता. इस कानून के मुताबिक प्रिंस हिसाहितो भले ही मौजूदा राजा के सीधे वारिस न हों, लेकिन वह राजगद्दी पर बैठने की कतार में है. किंग नारुहितो की अपनी बेटी भी है, लेकिन इंपीरियल लॉ के मुताबिक उसे गद्दी नहीं मिलेगी.
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लड़कियों की छीन जाती है शाही पदवी
दरअसल शाही परिवार में उत्तराधिकार का संकट पैदा होने की एक वजह राजकुमारियों के बाहरी लोगों से शादी करना भी है चार साल पहले राजकुमारी माको के साथ भी यही हुआ. राजकुमारी माको किंग नारुहितो के भाई प्रिंस आकिशिनो की बेटी हैं. प्रिंस हिसाहितो, माको के छोटे भाई हैं. राजकुमारी माको ने अपने प्रेमी केई कोमुरो से शादी कर ली है, जो उनके लॉन्गटाइम बॉयफ्रेंड थे. उनके बॉयफ्रेंड केई कोमुरो जापानी राजवंश से बाहर के एक सामान्य नागरिक हैं. शादी के बाद जापानी राजवंश की परंपरा के मुताबिक, राजकुमारी माको की शाही पदवी भी खत्म हो गई.
शादी के बाद जापानी राजवंश की परंपरा के मुताबिक राजकुमारी माको की शाही पदवी भी खत्म हो गई.
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माको ने नहीं लिया करोड़ों का हर्जाना
दरअसल, जापानी राजवंश की परंपरा के अनुसार राजवंश से बाहर विवाह करने पर राजकुमारी या राजकुमार को लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये का हर्जाना भी दिया जाता है, लेकिन माको ने इस हर्जाने को लेने से भी इनकार कर दिया है. माको ने बेहद साधारण तरीके से शादी करने का फैसला किया. राजकुमारी माको लगभग चार साल तक अपने प्रेमी से शादी करने के लिए परिवार को मनाती रहीं. इस दौरान उन्होंने कई विवाद झेले. शादी से पहले दो साल तक वह डिप्रेशन का भी शिकार रहीं. माको का कहना है कि उन्होंने ये सब अपने प्यार के कारण किया. वे जीवन में खुशियां चाहती हैं.
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नोरिको ने भी किया था आम आदमी से विवाह
ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. ये एक ही दशक से कुछ अधिक समय के भीतर जापान के राजपरिवार को लगा दूसरा धक्का था. बता दें कि राजकुमारी मोको से पहले उनकी बड़ी बहन राजकुमारी नोरिको ने भी साल 2014 में शाही परिवार से बाहर शादी की थी. माको भी साल 2017 में अपनी शादी का लगभग ऐलान कर चुकी थीं, लेकिन राजपरिवार के दबाव में उन्हें पीछे हटना पड़ा था. इसके बाद माना गया था कि साल 2020 में वह फैसला लेंगी, हालांकि तब भी उन्होंने शादी से इनकार कर दिया था.
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जापान का शाही परिवार.
प्रिंस के लिए हैं अलग नियम
दूसरी तरफ जापान के राजकुमार के लिए ये नियम लागू नहीं होता. वे किसी भी लड़की से शादी कर सकते हैं और महल में आने वाली लड़की भी शाही परिवार का हिस्सा हो जाती है. इस शादी से हुई पुरुष संतान को वारिस माना जाता है. जबकि लड़की संतान को सारी शानोशौकत तो मिलती है, लेकिन परिवार के उत्तराधिकारी का दर्जा नहीं. इसका नतीजा ये हुआ कि साल 1965 से 2006 तक जापान के राज परिवार में एक भी लड़के का जन्म नहीं हुआ. यानी पूरे 41 साल ढेर सारी राजकुमारियां तो थीं, लेकिन राजकुमार एक भी नहीं. साल 2006 में राजकुमार हिसाहितो का जन्म हुआ. इसके साथ ही राज परिवार को तसल्ली हुई कि उनका वारिस आ गया है.
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शाही परिवार को लेकर बढ़ रही हैं चिंताएं
वर्तमान में, जापानी शाही परिवार में 17 सदस्य हैं. जिनमें सिर्फ चार पुरुष सदस्य हैं और हिसाहितो पूरे परिवार में सबसे युवा है. इस युवा प्रिंस से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन चिंता यही है कि परिवार में और पुरुष सदस्य न होने से शाही वंशावली पर खतरा हो सकता है. 17 सदस्यों मे से छह राजकुमारियों ने शाही परिवार के भीतर कोई वर न मिलने के कारण शादी नहीं की है. हो सकता है कि जल्द ही ये भी किसी आम जापानी नागरिक से शादी कर लें. ऐसे में जापान के राजपरिवार में केवल 11 सदस्य बाकी रहेंगे. हालांकि अब लगातार बात हो रही है कि क्या जापान के शाही खानदान को नियमों को बदलने की जरूरत है. शाही परिवार के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. अगर यह नियम नहीं बदला जाता है, तो जापान का शाही परिवार इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा.
New Delhi,Delhi
February 26, 2025, 17:30 IST
वो कानून जिसकी वजह से संकट में है जापानी शाही परिवार का वजूद