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अमेरिका पर ड्रैगन हमला करेगा तो क्या होगी प्लानिंग? जिनपिंग को सब हो गई खबर, लेकिन कैसे?

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Chinese Spy in US Army: अमेरिकी सेना में चीन के जासूस पकड़े गए हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने अपनी ही सेना के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. चीन अमेरिका हमले के समय अमेरिका की क्या होगी तैयारी समेत कई महत्…और पढ़ें

अमेरिका पर ड्रैगन हमला करेगा तो क्या होगी प्लानिंग? जिनपिंग को सब हो गई खबर

FBI ने अमेरिकी सेना के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. (फोटो AP)

हाइलाइट्स

  • अमेरिकी सेना में तीन चीनी जासूस गिरफ्तार किए गए.
  • गिरफ्तार सैनिकों ने संवेदनशील जानकारी चीन को दी.
  • जासूसों ने अमेरिकी सैन्य प्लानिंग भी चुराई.

Chinese Spy in US Army: अमेरिका खुफिया एजेंसी FBI और अमेरिकी सैन्य मिलिट्री इंटेलिजेंस संयुक्त ऑपरेशन के दौरान अमेरिकी सेना के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि इन सैन्यकर्मियों ने 28 नवंबर 2021 से लेकर 19 दिसंबर 2024 तक अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां चीनी जासूसों तक पहुंचाई. बदले में लाखों डॉलर की रकम प्राप्त की.

गिरफ्तार किए गए सैनिक के नाम डुआन, जियान झाओ और ली तियान बताए गए हैं. आरोप है कि इन लोगों ने चीनी जासूसों के संपर्क में आकर संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना की परिचालन क्षमताओं से संबंधित संवेदनशील सैन्य जानकारी इकट्ठा करने की साजिश रची. इस जानकारी में तकनीकी मैन्युअल और अन्य संवेदनशील जानकारी शामिल है.

पढ़ें- सुनीता विलियम्स के बाल तो… अंतरिक्ष यात्री को लेकर क्या कह गए डोनाल्ड ट्रंप, वापसी को लेकर कही ऐसी बात

चीन तक पहुंचाई खुफिया जानकारी
अमेरिकी जांच दस्तावेजों के मुताबिक इन लोगों ने जो जानकारियां चीनी जासूसों तक पहुंचाई. उनमें अमेरिकी सेना के लड़ाकू और स्ट्राइकर सैन्य हथियार प्रणालियों से संबंधित जानकारी शामिल है. इन लोगों ने सी कंप्यूटर में मौजूद अनेक महत्वपूर्ण हार्ड ड्राइव की फोटो कॉपी कर चीन तक पहुंचाई.

सभी पर आरोप है कि इन लोगों ने एक एन्क्रिप्शन सक्षम कंप्यूटर को बेचने की साजिश रची जिसे अमेरिकी सरकार से चुराया गया था. साथ ही संवेदनशील अमेरिकी सैन्य दस्तावेज और जानकारी, जिसमें हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) से संबंधित जानकारी शामिल थी वह भी चीनी जासूस तक पहुंचाई.

चीन पर अमेरिका की प्लानिंग भी चुराया
इन तीनों सैनिक कर्मियों की पहुंच खुफिया प्लानिंग दस्तावेज तक भी थी. जिसमें यदि चीनी सेना और अमेरिका सेना के बीच कोई झड़प शुरू होती है तो अमेरिका की क्या तैयारी होगी. उस बाबत अनेकों महत्वपूर्ण प्लानिंग की जानकारियां थी. इन सीक्रेट हार्ड ड्राइव के बदले इन लोगों को चीन से अनेकों बार हजारों हजारों डॉलर की रकम प्राप्त हुई. जांच के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इन लोगों को मिले पैसे की बाबत भी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की है. इन तीनों को गिरफ्तार करने के बाद इनके ऊपर अनेक गंभीर अपराधों के तहत मुकदमा दर्ज कर कोर्ट के सामने पेश किया गया है.

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यूक्रेन-रूस युद्ध: नाटो से अमेरिका के अलग होने पर जेलेंस्की की रणनीति संकट में

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यूक्रेन पर रूस के हमले की एक वजह वोलोदिमीर जेलेंस्की की नाटो में शामिल होने चाहत भी थी. वह लगातार ही इस सैन्य गठबंधन में होने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि अब डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुए विवाद के बाद एलन मस्क…और पढ़ें

जिसकी चाह में जेलेंस्की ने रूस से लिया पंगा, अब उसी पर खतरा, मस्क की बात समझिए

ट्रंप से नोकझोंक के बाद अब मस्क का नाटो पर किया पोस्ट जेलेंस्की के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.

हाइलाइट्स

  • जेलेंस्की की NATO में शामिल होने की चाहत से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ.
  • एलन मस्क ने NATO से अमेरिका के अलग होने का समर्थन किया.
  • अमेरिका के हटने से NATO कमजोर होगा, रूस-चीन का प्रभाव बढ़ेगा.

यूक्रेन और रूस के बीच जंग को तीन साल से ज्यादा वक्त हो गया है. इस जंग की एक वजह तो वोलोदिमीर जेलेंस्की की एक चाहत थी… चाहत उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो (NATO) में शामिल होने की… जेलेंस्की चाहते थे कि यूक्रेन भी इन सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने, जबकि व्लादिमीर पुतिन बिल्कुल नहीं चाहते थे कि नाटो रूस के इतने करीब तक पहुंचे. पुतिन ने पहले तो जेलेंस्की को चेताया और नहीं मानने पर यूक्रेन पर धावा बोल दिया. 24 फरवरी 2022 को शुरू हुए इस युद्ध के खत्म होने की फिलहाल तो उम्मीद कम ही दिख रही है. वहीं दूसरी तरफ से जेलेंस्की ने जिस नाटो की चाहत में पुतिन से पंगा मोल ले लिया, अब उसी सैन्य संगठन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी एलन मस्क का बयान…

मस्क ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और नाटो से अमेरिका के अलग होने के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए कहा कि अमेरिका को इन संगठनों से बाहर निकल जाना चाहिए. इससे न केवल नाटो के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि यूक्रेन के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है, जो इस गठबंधन में शामिल होने की लगातार कोशिश कर रहा है.

एलन मस्क ने क्या कहा?
एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा ‘I agree’ यानी मैं सहमत हूं. यह प्रतिक्रिया सीनेटर माइक ली की तरफ से पेश किए गए एक विधेयक पर थी, जिसमें अमेरिका के यूएन और नाटो से पूरी तरह अलग होने का प्रस्ताव है.

क्या अमेरिका सच में NATO से हट सकता है?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार नाटो की फंडिंग को लेकर सवाल उठा चुके हैं. ट्रंप का कहना था कि नाटो में शामिल यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठाना चाहिए.

दरअसल अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा फंडिंग पार्टनर है. यह पूरा सैन्य गठबंधन एक तरह से अमेरिका की सैन्य शक्ति पर ही टिका है. ऐसे में अगर अमेरिका नाटो से हट जाता है, तो इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा.

यूक्रेन और जेलेंस्की के लिए यह क्यों बड़ा झटका?
रूस के खिलाफ जंग लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की सबसे बड़ी रणनीतिक प्राथमिकता नाटो की सदस्यता थी. उनका मानना था कि नाटो में शामिल होकर यूक्रेन को सैन्य सुरक्षा मिलेगी और रूस का प्रभाव कम होगा.

लेकिन अगर अमेरिका NATO से हटता है, तो नाटो की सैन्य ताकत कमजोर हो जाएगी. यूरोपीय देशों को खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी, जिससे वे यूक्रेन को उतनी मदद नहीं कर पाएंगे. रूस के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और सामरिक अवसर बनेगा.

रूस के लिए क्या मायने रखता है यह घटनाक्रम?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुरू से ही नाटो के विस्तार का विरोध करते आए हैं. उनका मानना है कि नाटो का पूर्वी यूरोप में बढ़ता प्रभाव रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है.

  • अगर अमेरिका NATO छोड़ता है, तो इसका सीधा फायदा रूस को मिलेगा.
  • NATO कमजोर होगा, जिससे रूस-चीन का प्रभाव बढ़ेगा.
  • यूरोपीय देशों के पास यूक्रेन को मदद देने के लिए सीमित संसाधन होंगे.

क्या अमेरिका वाकई NATO से अलग होगा?
इस सवाल का जवाब भविष्य की राजनीति और अमेरिकी नीतियों पर निर्भर करेगा. हालांकि पहले डोनाल्ड ट्रंप और अब उनके खासमखान एलन मस्क इसके साफ संकेत दे रहे हैं.

एलन मस्क का यह बयान सिर्फ एक पोस्ट नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत है. अगर अमेरिका नाटो से अलग होता है, तो यह विश्व शक्ति संतुलन को पूरी तरह से बदल सकता है. ऐसे में रूस, चीन और यूरोप का भविष्य भी नए मोड़ पर जा सकता है.

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जीरो ग्रेविटी में जीरो पॉलिटिक्स! अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स के लिए मदद लेकर पहुंचा रूसी स्पेसक्राफ्ट

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Sunita Williams News: रूसी अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos का स्पेसक्राफ्ट शनिवार को खाना और अन्य सप्लाई लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचा. यह सप्लाई सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर समेत ISS पर मौजूद सभी एस्ट्रो…और पढ़ें

जीरो ग्रेविटी, जीरो पॉलिटिक्स! स्पेस में सुनीता के लिए खाना ले गया रूस का यान

रूस का स्पेसक्राफ्ट Sunita Williams समेत फंसे NASA एस्ट्रोनॉट्स के लिए मदद लेकर पहुंचा.

हाइलाइट्स

  • रूसी स्पेसक्राफ्ट ने ISS पर राशन पहुंचाया.
  • सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर आठ महीने से ISS पर फंसे हैं.
  • Crew 10 टीम 12 मार्च को ISS पर पहुंचेगी.

Science News: दुनिया की राजनीति अंतरिक्ष में नहीं चलती! जहां गुरुत्वाकर्षण शून्य होता है, वहां मानवता सबसे बड़ा धर्म बन जाती है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी ही एक जगह है. वहां कई महीनों से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के दो एस्ट्रोनॉट्स- सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर फंसे हुए हैं. उनके और ISS पर मौजूद अन्य एस्ट्रोनॉट्स के लिए राशन व अन्य सप्लाई भेजने का जिम्मा इस बार रूस का था. रूसी स्पेस एजेंसी Roscosmos का Progress 91 शनिवार को सफलतापूर्वक ISS पर डॉक हुआ. यह यान तीन टन खाना, ईंधन और अन्य जरूरी सामान लेकर पहुंचा. Roscosmos का Progress 91 स्पेसक्राफ्ट अगले छह महीने तक ISS पर डॉक रहेगा. इसके बाद इसमें कचरा भरकर पृथ्वी पर लौटने की योजना है.

आठ महीने से फंसे हैं सुनीता और बुच

NASA के एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर पिछले आठ महीने से ISS पर फंसे हुए हैं. वे 5 जून 2024 को Boeing के Starliner से अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण वापसी संभव नहीं हो सकी. हीलियम लीक और थ्रस्टर मालफंक्शन जैसी समस्याओं ने Starliner को अनसेफ बना दिया. अब, NASA ने कहा है कि दोनों एस्ट्रोनॉट्स की वापसी मार्च के अंत तक हो सकती है. लेकिन यह भी मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा.

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रोजमेरी चिकन, क्रीम बूली… व्हाइट हाउस का वो लजीज लंच जो जेलेंस्की को नसीब नहीं हुआ

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इस बीच, यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक कमरे में इंतजार कर रहा था, जो विदेशी नेताओं के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है. हालांकि, स्थिति ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया. कोलिन्स ने अपनी पोस्ट में आगे बताया, “आमतौर पर वे दोपहर के भोजन के लिए फिर से मिलते हैं. लेकिन यूक्रेनियन व्हाइट हाउस में भोजन नहीं करेंगे. जैसे ही तैयार भोजन पास के एक गलियारे में ट्रॉलियों पर रखा हुआ था, यूक्रेनियन को वहां से जाने का निर्देश दिया गया.”

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