Internattional
US VP JD Vance और National Intelligence Director Tulsi Gabbard की India Visit, Raisina Dialogue में होगा बड़ा Address

Last Updated:
US News: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड जल्द ही भारत यात्रा पर आएंगे. वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी, जिसमें उनकी पत्नी भी साथ होंगी. गबार्ड रायसीना डायलॉग में शाम…और पढ़ें

तुलसी गबार्ड और जेडी वेंस भारत की यात्रा करेंगे.
हाइलाइट्स
- जेडी वेंस और तुलसी गबार्ड भारत यात्रा पर आएंगे
- वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी, पत्नी भी साथ होंगी
- तुलसी गबार्ड रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेंगी
वॉशिंगटन: अमेरिका के नए प्रशासन के दो बड़े अधिकारियों की ओर से जल्द ही भारत यात्रा की जानी है. अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड अगले सप्ताह भारत आएंगी. उनके अलावा अमेरिका में ट्रंप के नंबर दो यानी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी इसी महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे. अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी. पोलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक जेडी वेंस के साथ उनकी पत्नी उषा वेंस भी होंगी. वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी.
अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान जर्मनी के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक उग्र भाषण दिया था, जहां उन्होंने अवैध प्रवासन से निपटने, धार्मिक स्वतंत्रता की अनदेखी करने और चुनावों को पलटने के लिए यूरोपीय सरकारों की आलोचना की. पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था. पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था.
तुलसी गबार्ड भी आएंगी भारत
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड एशिया की यात्रा पर जा रही हैं. अगले सप्ताह भारत में एक सुरक्षा सम्मेलन में वह शामिल होंगी. सोमवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में गबार्ड ने घोषणा की कि वह जापान, थाईलैंड और भारत की यात्रा कर रही हैं और वापस अमेरिका लौटते समय फ्रांस जाएंगी. ट्रंप प्रशासन में शामिल होने के बाद यह उनकी दूसरी यात्रा है. नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर बनने के बाद उन्होंने जर्मनी के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लिया था.
रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा
नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग में तुलसी का भाषण भी होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जोनाथन पॉवेल और कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा CSIS के डायरेक्टर डेनियल रॉर्स के भी सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने की उम्मीद है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने 2022 से भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर देश के प्रमुख सम्मेलन रायसीना डायलॉग के मौके पर सुरक्षा सम्मेलन की मेजबानी की है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 12, 2025, 08:45 IST
भारत आ रहे ट्रंप के ‘आंख-कान,’ पत्नी संग ‘ससुराल’ पहुंचेंगे जेडी वेंस
Internattional
Trump Zelenskyy Rift: जेलेंस्की की समझो हो गई छुट्टी, यूक्रेन में तख्तापलट का स्क्रिप्ट तैयार, डोनाल्ड ट्रंप ने बिछा दिए पत्ते

Last Updated:
Trump Zelenskyy Rift: क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी में जुट गए हैं. दरअसल एक खबर ने इन अटकलों को हवा दे दी. इसमें बताया गया कि ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने जेलें…और पढ़ें

ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुलाकात की खबर ने हलचल मचा दी. (AP फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने जेलेंस्की के प्रतिद्वंद्वियों से गुप्त बातचीत की.
- इस मुलाकात से यूक्रेन में तख्तापलट की अटकलें तेज.
- अमेरिका और रूस दोनों जेलेंस्की को सत्ता से हटाने की कोशिश में.
क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुटे गए हैं? अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट से ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं. पिछले दिनों ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक तो पूरी दुनिया ने देखी, वहीं अब पॉलिटिको ने खबर दी है कि ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बातचीत की है. यह वार्ता बेहद गुप्त रखी गई थी, लेकिन इस खबर के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और रूस दोनों ही किसी भी तरह जेलेंस्की को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में जुटे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने यूक्रेन की विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पूर्व राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की. ये बातचीत कथित तौर पर यूक्रेन में जल्द से जल्द राष्ट्रपति चुनाव कराने की संभावनाओं पर केंद्रित रही, जो वर्तमान में मार्शल लॉ के कारण स्थगित हैं. आलोचकों का मानना है कि युद्धग्रस्त देश में इस तरह के चुनाव अराजकता फैला सकते हैं और रूस को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि लाखों संभावित मतदाता या तो मोर्चे पर हैं या शरणार्थी के रूप में विदेश में रह रहे हैं.
क्या ट्रंप की रणनीति काम करेगी?
ट्रंप के सहयोगियों को भरोसा है कि ज़ेलेंस्की युद्ध की थकान और देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जनता की नाराज़गी के कारण किसी भी चुनाव में हार जाएंगे. हालांकि, हाल ही में हुए वाइट हाउस विवाद के बाद जेलेंस्की की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक, अब भी 44% लोग जेलेंस्की का समर्थन कर रहे हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी वलेरी ज़ालुज़नी उनसे 20 अंकों से पीछे हैं.
मुंह में राम, बगल में छूरी!
ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि वे यूक्रेन की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लुटनिक ने इस हफ्ते दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल ‘शांति के लिए एक सहयोगी’ चाहते हैं. लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.
ट्रंप खुद ज़ेलेंस्की को ‘बिना चुनाव वाला तानाशाह’ कह चुके हैं, जबकि अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गैबार्ड ने यूक्रेन सरकार पर चुनाव रद्द करने का झूठा आरोप लगाया है. हालांकि, हकीकत यह है कि तिमोशेंको और पोरोशेंको जैसे विपक्षी नेता भी युद्ध समाप्त होने से पहले चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं.
सीक्रेट मीटिंग में रूस का भी रोल?
सूत्रों के मुताबिक, इन गुप्त बैठकों में सबसे अहम मुद्दा यही रहा कि राष्ट्रपति चुनाव अस्थायी संघर्षविराम के बाद और पूर्ण शांति वार्ता शुरू होने से पहले आयोजित किए जाएं. यह वही रणनीति है, जिसे रूस भी लंबे समय से समर्थन देता आ रहा है. यूक्रेन की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे तिमोशेंको और पोरोशेंको ने सार्वजनिक रूप से चुनाव कराने का विरोध किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता ट्रंप खेमे से गुप्त संपर्क में हैं और खुद को अमेरिका के लिए “बेहतर विकल्प” के रूप में पेश कर रहे हैं.
पॉलिटिको के मुताबिक, जब तिमोशेंको की प्रवक्ता नताल्या लिसोवा से पूछा गया कि क्या वह वाकई ट्रंप प्रशासन के संपर्क में हैं, तो उन्होंने केवल इतना कहा, ‘हम इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.’
यह घटनाक्रम साफ इशारा करता है कि अमेरिका, रूस और यूक्रेन के भीतर सत्ता संघर्ष तेज़ हो रहा है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ज़ेलेंस्की इस चुनौती का सामना कर पाएंगे, या फिर वॉशिंगटन और मॉस्को की राजनीतिक चालें उन्हें सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होंगी.
जेलेंस्की के कुर्सी छोड़ने पर जोर
डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट अधिकारियों ने बीते कुछ दिनों से लगातार यह संकेत दिया है कि अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अमेरिका की युद्ध समाप्ति योजना का पूरी तरह समर्थन नहीं करते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. यह योजना यूक्रेन के लिए बड़े समझौतों के साथ तेजी से युद्ध समाप्त करने पर आधारित है.
व्हाइट हाउस में बीते शुक्रवार हुए जोरदार टकराव के बाद से ट्रंप प्रशासन का यह रुख और भी कड़ा हो गया है. वहीं, यूक्रेन में ज़ेलेंस्की के राजनीतिक विरोधी अब सार्वजनिक रूप से यह संकेत देने लगे हैं कि अमेरिका के साथ यूक्रेन के रिश्ते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें बहाल किया जाना चाहिए. कीव में इसे ज़ेलेंस्की के प्रति अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। ज़ेलेंस्की ने भी अब पिछले सप्ताह की गर्मागर्म बहस पर खेद जताया है और कहा है कि वह ट्रंप के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं.
सांसदों को तोड़ने की तैयारी
वाइट हाउस विवाद के झटके यूक्रेनी संसद में भी महसूस किए जा रहे हैं. पॉलीटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको अब अन्य पार्टियों के सांसदों से संपर्क कर रही हैं और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए मना रही हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि तिमोशेंको का मानना है कि ज़ेलेंस्की के पास जल्द चुनाव करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिससे संसदीय बहुमत को फिर से आकार देने का सुनहरा मौका मिलेगा.
यूक्रेन में जनता की राय कैसे बदल रही है?
हालांकि, जेलेंस्की ने अपने पद से हटने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है. लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने मज़ाक में कहा, ‘अगर इस साल चुनाव हुए, तो भी मैं जीत सकता हूं.’ उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिलती है, तो वह पद छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं.
अब जनता का एक बड़ा तबका युद्ध समाप्त करने को प्राथमिकता देने लगा है. लगभग 25% जनता, जिसमें मुख्य रूप से सैन्य परिवार शामिल हैं, युद्ध जारी रखने के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि रूस को यूक्रेन के हर हिस्से से बाहर निकाला जाए. लेकिन दो-तिहाई लोग अब शांति वार्ता चाहते हैं. इनमें से आधे लोग यूक्रेन द्वारा बड़े समझौते करने के लिए तैयार हैं, जबकि अन्य आधे तत्काल युद्धविराम चाहते हैं.
New Delhi,Delhi
March 06, 2025, 12:56 IST
जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी शुरू! ट्रंप ने यूक्रेन में बिछा दिए पत्ते
Internattional
Tahawwur Rana Extradition India Mumbai Attack Accused Seeks Emergency Stay | ‘भारत में मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले गीली होने लगी तहव्वुर राणा की पैंट, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

Last Updated:
Tahawwur Rana Extradition to India: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. वह चाहता है कि उसे भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया जाए.

अमेरिका ने कर दिया है तहव्वुर राणा को भारत भेजने का ऐलान.
हाइलाइट्स
- तहव्वुर राणा ने अमेरिका में भारत प्रत्यर्पण रोकने की अपील की.
- राणा ने भारत में टॉर्चर और भेदभाव का हवाला दिया.
- राणा 26/11 मुंबई हमले का आरोपी है.
वाशिंगटन: तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि उसे भारत प्रत्यर्पित न किया जाए. राणा ने “इमरजेंसी स्टे” की मांग की है. राणा ने अपने आवेदन में कहा है कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” किया जा सकता है. वह मुस्लिम है और पाकिस्तानी मूल का है, इसलिए उसे ज्यादा खतरा है. लेकिन, अमेरिकी कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है. इससे अब राणा को प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच की 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है. उसने कहा कि भारत सरकार “ऑटोक्रेटिक” हो गई है और वहां उन्हें यातना दिए जाने की पूरी आशंका है. उसकी सेहत भी खराब है. वह 3.5 सेमी के एब्डॉमिनल एन्यूरिज्म, पार्किंसंस और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित है. अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील को खारिज कर देता है, तो उन्हें भारत भेजा जाएगा.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है. उस पर 26/11 मुंबई हमले में भूमिका निभाने का आरोप है. अमेरिका में उसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को समर्थन देने का दोषी पाया गया था. भारत काफी समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले महीने वाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा. उन्होंने कहा था, “राणा भारत जाकर न्याय का सामना करेगा.”
पीएम मोदी ने भी अमेरिका को धन्यवाद दिया. ट्रंप ने आगे कहा, “हमने मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी का प्रत्यर्पण मंजूर कर लिया है. यह दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक है.”
राणा के लिए तैयार हैं भारत की जेलें
भारत सरकार राणा को जल्दी से जल्दी भारत लाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हमारी जेलें राणा के लिए तैयार हैं. हमने अजमल कसाब को भी रखा था, ऐसे में सुरक्षा कोई समस्या नहीं है.” राणा के भारत आते ही उसे NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा. उसके बाद NIA उसकी कस्टडी मांगेगी ताकि पूछताछ हो सके.
डेविड हेडली ने भी किया था खुलासा
राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था. डेविड हेडली ने कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही दी थी. अमेरिका में उन्हें डेनमार्क में हमले की साजिश के लिए दोषी पाया गया था लेकिन भारत में आतंकी गतिविधियों के आरोप से बरी कर दिया गया था. बाद में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी.
March 06, 2025, 16:10 IST
‘मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले सूखने लगा तहव्वुर राणा का गला
Internattional
ट्रंप का गोल्डन डोम: अमेरिका का नया एयर डिफेंस सिस्टम.

Last Updated:
Air defence shield: मौजूदा समय की जंग ने पारंपरिक जंग के तरीके को ही बदल दिया है. लॉंग रेंज मिसाइल, ड्रोन जंग के प्रमुख हथियार बन गए हैं. और इन से बचवा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम भी हाई टेक चाहिए. इजराइल को तो उ…और पढ़ें

गोल्डन डोम के जरिए अमेरिका की सुरक्षा की तैयारी
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने गोल्डन डोम एयर डिफेंस शील्ड का एलान किया.
- भारत ने स्वदेशी उपकरणों से रक्षा कवच तैयार किया.
- गोल्डन डोम अमेरिकी एरियल अटैक से रक्षा करेगा.
Golden dome AD System: इजराइल की जंग ने एयर डिफेंस की जरूरत को पूरी दुनिया को समझा दिया है. हमास-हिजबुल्लाह और ईरान के हमलों से इजराइल को आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम ने ही बचाया. एरियल अटैक का खतरा अब अमेरिका को भी सता रहा है. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस को समबोधित करते हुए गोल्डन डोम शील्ड का एलान किया. ट्रंप ने कहा कि इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम की तर्ज पर ही उनके भी पास भी एयर डिफेंस गोल्डन डोम होना चाहिए. ट्रंप ने अपने संबधन में पूर्व राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन का हवाला देते हुए कहा कि वह भी ऐसा चाहते थे. उस वक्त ऐसी तकनीक नहीं था. लेकिन अब ऐसी तकनीक है. अमेरिकी मेनलैंड को दुश्मन के एरियल अटैक से बचाने के लिए
क्या है गोल्डन डोम प्रोग्राम?
यह एक यह एक नेक्स्ट जेनेरेशिन एयर डिफेंस सिस्टम प्रोग्राम होगा. इसमें लॉंग रेंज रडार अमेरिका की तरफ आने वाले प्रोजेक्टाइल को पहचानेगा, उसकी ट्रेजेक्टरी को ट्रैक करेगा और फिर इंटरसेप्टर मिसाइल के जरिए उसे मिड एयर में ही एंगेज कर देगा. अमेरिका की रक्षा उत्पाद कंपनी लॉकहीड मार्टिंन का मानना है कि अलगे साल के अंत तक अमेरिका के लिए गोल्डन डोम देना एक चुनौती है और इसके लिए सभी कमर्शियल इंडस्ट्री को एक नेशनल टीम की तरह साथ आना होगा. लॉकहीड इस नेशनल टीम की अगुवाइ करने को तैयार है. अमेरिकी कंपनियों की मदद से पूरा करने की कोशिश की जाएगी. हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्पेस बेस्ड इंटरसेप्टर को विकसित करना होगा.
आयरन डोम कैसे काम करता है?
हमास ने आयरन डोम के रॉकेट के एंगेज करने की क्षमता से ज्यादा राकेट दागे. ज्यादातर को आयरन डोम ने मार गिराया. हमास ने ग्लाइडर के जरिए हमले के लिए भी वही समय चुना जब आयरन डोम के रडार मिसाइलों के ट्रेक कर रहे थे. आयरन डोम को इजात ही किया गया था हाई स्पीड रॉकेट और मिसाइल को रोकने के लिए. इसमें इस तरह का सिस्टम है वह हमले में रॉकेट की स्पीट को ट्रैक करता है. जो भी रॉकेट भीड़ वाले इलाके में गिरने वाला होता है सिर्फ उसे एंगेज करता है. हाई स्पीड मिसाइलों और लो फ्लाइंग स्लो ऑब्जेक्ट में से अगर पहली किसी को चुनना होता है तो यह मिसाइल को ही पहले चुनता है.
रक्षाकवच भारत का देसी आयरन डोम
देसी आयरन डोम डीआरडीओ के स्वदेशी उपकरणों को इंटीग्रेट कर के रक्षा कवच को विकसित किया है. इस रक्षा कवच में दो हिस्से है. पहला है निगरानी करना और दूसरा है अटैक करना. निगरानी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, सर्वेलांस ड्रोन और सैटेलाइट है. ग्राउंड में लॉंग रेंज रडार है जो दुशमन के किसी भी एरियल खतरे को ट्रैक करता है. दूसरा है उसे एंगेज करने के लिए हार्ड किल, सॉफ्ट किल, सर्फेस टू एयर मिलाइल, आर्टोलरी गन और लेजर बीम तकनीक है.
कैसे करेगा रक्षा कवच काम ये सिस्टम?
सबसे जरूरी है एरियल अटैक को पहचानना यानी दुश्मन कितनी दूर है. सर्वेलॉंस का सारा डॉटा कंट्रोंल सेंटर में जाएगा. वहा जानकारी प्रोसेस करने के बाद अटैक को न्यूट्रलाइज करना पड़ता है. हाई स्पीड ड्रोन अटैक से निपटने के लिए सॉफ्ट किल, हार्ड किल होता है. सॉफ्ट किल में हाई पावर माइक्रोवेव उस दिशा में छोड़ते हैं जिस दिशा से अटाक आ रहा है. इससे सिस्टम का इलेकट्रोनिक कमजोर हो जाता है. स्पीड धीरे हो जाती है. उसके बाद भी वह अटैक करने के लिए आता है तो क्विक रिसेपॉंस सर्फोस टू एयर मिसाइल सिस्टम है इससे उसे एंगेज किया जाता सकता है. इसी तहर से ATAGS है उसेसे भी अटैक को एंगेज किया जा सकता है. इसके अलावा लेजर बीम तकनीक से टार्गेट को नष्ट किया जा सकता है. सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक हमलों को भी तभी नष्ट किया जा सकता है जब उसका डिटेक्शन पहले ही हो जाए. पहले ही डिटेक्शन हो गया तो एयर डिफेंस मिसाइल को टाइम मिल जाएगा उसे एंगेज करने के लिए. फिलहाल सभी सिस्टम तैयार हो चुके हैं, सॉफ्टवेर पर काम चल रहा है .जल्द ही DRDO इसे शोकेस करेगी.
March 06, 2025, 19:04 IST
ट्रंप को सता रहा एरियल अटैक का डर, आयरन डोम की तर्ज पर बनेगा गोल्डन डोम
-
Fashion20 hours ago
These ’90s fashion trends are making a comeback in 2017
-
Entertainment20 hours ago
The final 6 ‘Game of Thrones’ episodes might feel like a full season
-
Fashion20 hours ago
According to Dior Couture, this taboo fashion accessory is back
-
Entertainment20 hours ago
The old and New Edition cast comes together to perform
-
Sports20 hours ago
Phillies’ Aaron Altherr makes mind-boggling barehanded play
-
Business20 hours ago
Uber and Lyft are finally available in all of New York State
-
Entertainment20 hours ago
Disney’s live-action Aladdin finally finds its stars
-
Sports20 hours ago
Steph Curry finally got the contract he deserves from the Warriors