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Trump on Washington Cleanup PM Modi को Tent और Graffiti नहीं दिखने चाहते थे ट्रंप

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन की सफाई का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वैश्विक नेता तंबू व भित्तिचित्र देखें. उन्होंने कहा कि राजधानी को सुंद…और पढ़ें

ट्रंप ने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी के काफिले का रास्ता बदलवा दिया था. (Reuters)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने वाशिंगटन की सफाई का आदेश दिया
- पीएम मोदी के काफिले का रास्ता बदला गया
- ट्रंप ने राजधानी को सुंदर बनाने पर जोर दिया
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनसे मिलने आए अन्य वैश्विक नेताओं को वाशिंगटन में संघीय भवनों के पास तंबू और भित्तिचित्र देखने को मिलें. ट्रंप ने अमेरिका की राजधानी की साफ-सफाई का आदेश दिया है. ट्रंप ने शुक्रवार को न्याय मंत्रालय में अपने वक्तव्य में कहा, ‘हम अपने शहर की सफाई कर रहे हैं. हम इस राजधानी की सफाई कर रहे हैं और हम अपराध नहीं होने देंगे, हम अपराध के पक्ष में खड़े नहीं होंगे, हम भित्तिचित्रों (दीवारों पर बने चित्र) को हटाने जा रहे हैं, हमने पहले ही तंबू हटाने शुरू कर दिए हैं और हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि अब तक वाशिंगटन के मेयर म्यूरियल बोसर ने राजधानी की सफाई की दिशा में अच्छा काम किया है. ट्रंप ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय के ठीक सामने बहुत सारे तंबू लगे हैं. उन्हें हटाना होगा. हम एक ऐसी राजधानी चाहते हैं जो दुनिया भर में चर्चा का विषय बन सके.’ उन्होंने कहा, ‘जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति ये सभी लोग… ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सभी पिछले डेढ़ सप्ताह में मुझसे मिलने आए थे और जब वे आए… तो मैंने मार्ग परिवर्तित कराया था. मैं नहीं चाहता था कि वे तंबू लगे देखें. मैं नहीं चाहता था कि वे भित्तिचित्र देखें. मैं नहीं चाहता था कि वे सड़कों पर टूटे हुए बैरियर और गड्ढे देखें. हमने इसे सुंदर बना दिया.’
पीएम मोदी पहुंचे थे वाइट हाउस
पीएम मोदी ने 13 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वाइट हाउस का दौरा किया था. जनवरी 2025 में ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी चौथे विदेशी नेता थे जो अमेरिका पहुंचे थे. ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ समय बाद ही इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू, जापानी पीएम शिगेरू इशिबा और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय की मेजबानी की थी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूके के पीएम कीर स्टार्मन उन अन्य विदेशी नेताओं में हैं, जो ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका पहुंचे.
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March 15, 2025, 12:37 IST
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार शुल्क के बीच अमेरिकी मंदी की संभावना को खारिज नहीं किया. उन्होंने कहा कि ‘मुझे भविष्यवाणी करना पसंद नहीं है.’ ट्रंप ने अपनी शुल्क नीति पर हालिया शेयर बाजार की अस्थ…और पढ़ें

टैरिफ वॉर के कारण अमेरिका में मंदी आ सकती है. (Image:AP)
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी की संभावना से इनकार नहीं किया.
- संभावना है कि टैरिफ वॉर से अमेरिका में महंगाई और बढ़ सकती है.
- ट्रंप ने भविष्यवाणी की कि उनके आर्थिक लक्ष्यों को पूरा होने में समय लगेगा.
वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संभावना को खारिज करने से इनकार कर दिया कि इस साल अमेरिकी इकोनॉमी मंदी की ओर बढ़ सकती है और महंगाई बढ़ सकती है. क्योंकि उनकी अव्यवस्थित व्यापार शुल्क नीति अनिश्चितता और बाजार में उथल-पुथल पैदा कर रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भविष्यवाणी की कि उनके आर्थिक लक्ष्यों को पूरा होने में समय लगेगा और एक संक्रमण काल की आवश्यकता होगी. लेकिन जब उनसे फॉक्स न्यूज शो संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स में पूछा गया कि ‘क्या आप इस साल मंदी की उम्मीद कर रहे हैं?’ तो उन्होंने टालमटोल किया.
ट्रंप ने कहा कि ‘मुझे ऐसी चीजों की भविष्यवाणी करना पसंद नहीं है. यह एक संक्रमण काल है, क्योंकि जो हम कर रहे हैं वह बहुत बड़ा है. हम अमेरिका में संपत्ति वापस ला रहे हैं. यह एक बड़ी बात है. और हमेशा ऐसे समय होते हैं, इसमें थोड़ा समय लगता है. इसमें थोड़ा समय लगता है, लेकिन मुझे लगता है कि यह हमारे लिए बहुत अच्छा होना चाहिए.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि उनके अमेरिकी आयात पर शुल्क महंगाई को बढ़ावा देंगे, तो उन्होंने कहा कि ‘आपको यह देखने को मिल सकता है.’
डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन से निर्यात पर अपनी शुल्क नीति पर टालमटोल के बाद शेयर बाजार की हालिया अस्थिरता को कम करके आंका. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अटलांटा फेडरल रिजर्व ने सुझाव दिया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले तिमाही में मंदी की ओर बढ़ रही है. जिससे डर पैदा हो गया कि अगर कमजोरी बनी रही तो दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में मंदी आ सकती है और शेयर बाजार में घबराहट बढ़ सकती है.
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इस बीच अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने इस चिंता को खारिज कर दिया कि ट्रंप के वैश्विक शुल्क की संभावना अमेरिका में मंदी का कारण बनेगी. उन्होंने कहा कि ‘बिल्कुल नहीं, अमेरिका में कोई मंदी नहीं होगी.’ लुटनिक ने कहा कि ‘जो कोई भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दांव लगाता है, यह उन लोगों की तरह है जिन्होंने सोचा था कि डोनाल्ड ट्रंप एक साल पहले नहीं जीतेंगे … आप अगले दो वर्षों में अमेरिका से सबसे बड़ी विकास दर देखेंगे … मैं कभी भी मंदी पर दांव नहीं लगाऊंगा, कोई मौका नहीं.’
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खत्म हो जाएगी दुनिया, कुछ भी नहीं बचेगा, डोनाल्ड ट्रंप ने कर दी बड़ी भविष्यवाणी, बाबा वेंगा की बात होगी सच?

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बाबा वेंगा और निकोलस औजुला की भविष्यवाणियों से अलग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अजीबोगरीब भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा, हमारे पास इतने परमाणु हथियार हैं, जिनसे कल भयानक तबाही मचाई जा सकती…और पढ़ें

डोनाल्ड ट्रंप ने धरती पर तबाही की भविष्यवाणी कर दी है.
हाइलाइट्स
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु हथियारों को विशालकाय राक्षस बताया.
- कहा-हमारे पास इतने हथियार कि धरती को 100 बार तबाह करने की क्षमता है.
- ट्रंप ने दी चेतावनी, जो हालात बन रहे हैं उससे परमाणु युद्ध कल भी संभव है.
दुनिया में तबाही की बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां आपने सुनी होंगी. वे कह चुके हैं कि 2025 तबाही का साल होगा. लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी भविष्यवाणी कर दी है, जो डराने वाली है. ट्रंप ने कहा कि परमाणु बम मानवता के लिए खतरा हैं. अगर इन राक्षसी हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो दुनिया का अंत हो जाएगा. इतना विनाशकारी होगा कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते.
फॉक्स न्यूज के संडे मॉर्निंग फीचर्स को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, हम परमाणु हथियारों पर बहुत पैसा खर्च करते हैं, लेकिन इनके विनाश का स्तर आपकी कल्पना से परे है. यह बुरी बात है कि आपको इस पर इतना पैसा खर्च करना पड़ता है. हम इन चीजों पर पैसे खर्च कर रहे हैं, जो शायद दुनिया का अंत कर सकते हैं. ट्रंप ने कहा, परमाणु हथियारों से इतनी तबाही मच सकती है जितनी जलवायु परिवर्तन से भी नहीं मच सकती.
ट्रंप ने बताया विशालकाय राक्षस
लेकिन सबसे बड़ी बात, ट्रंप ने इस बात की चेतावनी दी कि परमाणु हमला सिर्फ कल्पना नहीं है, यह कल भी हो सकता है. ट्रंप ने कहा, मैंने बाइडेन को सालों तक यह कहते सुना है कि अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन है, लेकिन मैं कहता हूं कि नहीं. सबसे बड़ा खतरा विभिन्न देशों में रखे ‘परमाणु हथियार’ हैं. ये ऐसे विशालकाय राक्षस हैं जो मीलों दूर से आपके शहर को तबाह कर सकते हैं’. ट्रंप ने ये भी संकेत दिए कि वे दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या कम करना चाहते हैं.
पूरी दुनिया को 100 बार तबाह करने की क्षमता
पिछले महीने ही ट्रंप ने कहा था कि वे परमाणु हथियारों को कम करने पर चीन और रूस के साथ बात करना चाहते हैं. व्हाइट हाउस में उन्होंने कहा था, हमारे पास पहले से ही इतने सारे हथियार हैं, हमें नए परमाणु हथियार बनाने की ज़रूरत नहीं है’. हमारे पास इतने परमाणु बम हैं कि हम दुनिया को 50 बार, 100 बार तबाह कर सकते हैं. इसके बावजूद हम और परमाणु हथियार बनाए जा रहे हैं. हम सब बहुत सारा पैसा खर्च कर रहे हैं, जिसे हम दूसरी चीज़ों पर खर्च कर सकते हैं.
किसके पास कितने हथियार
अमेरिका के पास इस समय 5,177 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,477 को नष्ट किया जाना है. आप जानकर हैरान होंगे कि 1960 के दशक के अंत में अमेरिका के पास सबसे ज़्यादा 31,255 परमाणु हथियार थे. रूस के पास लगभग 5,600 परमाणु हथियार हैं. तीसरे स्थान पर चीन है, जिसके पास लगभग 350 परमाणु हथियार हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में चीन ने घोषणा की कि वह अपने रक्षा बजट को 7.2% बढ़ाने जा रहा है. इसके बाद डर है कि चीन कहीं और परमाणु बम न बना रहा हो.
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March 10, 2025, 19:56 IST
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SIPRI रिपोर्ट: अमेरिका सबसे बड़ा हथियार निर्यातक, यूक्रेन सबसे बड़ा आयातक

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SIPRI REPORT: यूक्रेन पर नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति इस हथियारों की रेस पर फुलस्टॉप लगा सकती है. यूक्रेन 2020-2024 के बीच दुनिया के टॉप 10 हथियार आयातक देशों में इकलैता यूरोपीय देश था. रिपोर्ट मे…और पढ़ें

अमेरिका ने खूब बेचे हथियार
हाइलाइट्स
- यूक्रेन 2020-2024 में सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा.
- अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना.
- भारत ने आत्मनिर्भरता के चलते हथियार आयात में कटौती की.
SIPRI REPORT: पिछले 3 साल से ज्यादा से रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है. 2 फरवरी 2022 को शुरू हुई यह जंग इतनी लंबी खीचने की कूबत अकेले यूक्रेन की नहीं थी. अमेरिका और नॉटो देश लगातार हथियार देते रहे और जंग को आगे बढ़ती रही. जब जंग का मौहोल दुनिया भर में है तो वह देश भी अपने हथियारों के जखीरे को बढ़ाते रहे. खास तौर पर अमेरिका और इनके समर्थित देश. यूरोप के देश इसमें शामिल हैं. और जैसा सबसे सोचा था वही हुआ. अमेरिका की हथियार कंपनियों की चांदी हो गई. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का एक्पोर्टर बन गया. इन चार साल में यूक्रेन सबसे बड़ा खरीदार बन गया. यूक्रेन ने 2015 से लेकर 2019 तक जितना हथियार की खरीद की 2020 से 2024 तक इसकी खरीद 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई.
हथियार एक्सपोर्ट का लगभग 9 प्रतिशन यूक्रेन को गया है
दुनिया के 35 देशों ने यूक्रेन को हथियारों से उसकी मदद की. जिसमें सबसे आगे है अमेरिका. दुनिया के कुल आयात का 8.8 फीसदी यूक्रेन को मिली. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका की तरफ से 45 फीसदी, जर्मनी की तरफ से ने 12 फीसदी और पोलैंड ने 11 फीसदी हिस्सेदारी रही. यूक्रेन साल 2020-24 के दौरान दुनिया के 10 हथियार खरीदने वाले देशों में टॉप पर रहा.
यूरोपीय NATO सदस्य देशों ने जमकर खरीदे हथियार
साल 2015–2019 और 2020–2024 के बीच यूरोप के NATO सदस्य देशों के हथियारों के खरीद में 105 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई. इस खरीद का सबसे बडा हिस्सा अमेरिका से किया गया. अमेरिका ने इन हथियारों का कुल 64 फीसदी सप्लाई की. यह साल 2015–2019 के मुकाबले काफी ज्यादा था. यूरोप के देशों को हथियारों की बिक्री करने वाले बाकी देशों में 6.5-6.5 फीसदी हिस्सा फ्रांस और दक्षिण कोरिया, 4.7 प्रतिशत जर्मनी और 3.9 फीसदी इजराइल का रहा. इसके अलावा कई यूरोपीय देशों ने इस टाइम पीरियड में अपने हथियार खरीद में जबरदस्त बढ़ोतरी की. रूस यूक्रेन के बीच उसकी मदद कर रहे देशों पर भी जंग का खतरा कभी भी मंडरा सकता है. इसलिए उन देशों ने खुद को मजबूत किया.
भारत ने विदेशों से खरीद की कम
आत्मनिर्भर भारत मुहीम के चलते अब भारत अब धीरे धीरे हथियारों के खरीद में कटौती कर रहा है. भारत हथियारों के खरीद में कभी दूसरे नंबर पर हुआ करता था. SIPRI की रिपोर्ट के मुताबाक
इस खरीद की वजह चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती थी. पिछले 4 साल में दुनिया भर के कुल हथियारों के खरीद का 8.3 फासदी भारत का रहा. यह साल 2015 से 2019 में 9.1 प्रतिशत था. तकरीबन 9.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. यह एक अच्छा संकेत है भारत के आत्मनिर्भर मुहीम के लिए. साल 2020 से 2024 के बीच भारत के रक्षा खरीद का सबसे बड़ा 36 फीसदी हिस्सा रूस से हुआ. यह प्रतिशत साल 2015-19 के दौरान 55 प्रतिशत तो और साल 2010- 2014 के बीच 72 प्रतिशत रहा था. रूस के बाद 33 फीसदी खरीद फ्रांस और 13 प्रतिशत इजरायल से किया गया. पाकिस्तान में हथियारों के खरीद में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. चीन से पाकिस्तान ने 81 फीसदी अपनी हथियार खरीद की है. पाकिस्तान चीन का प्रमुख खरीदार बन गया. साल 2015 से 2019 के बीच यह खरीद 74 प्रतिशत था.
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