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Sunita Williams In Space Donald Trump: जल्द लौटेंगी NASA Astronauts, Elon Musk करेंगे Rescue

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Sunita Williams Hair: डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरिक्ष में फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को जल्द पृथ्वी पर लाने का वादा किया. डोनाल्ड ट्रंप ने सुनीता विलियम्स के बालों की की तारीफ क…और पढ़ें

डोनाल्ड ट्रंप ने सुनीता विलियम्स के बालों की तारीफ की.
हाइलाइट्स
- सुनीता विलियम्स की वापसी पर ट्रंप ने बड़ा बयान दिया
- ट्रंप ने कहा है कि सुनीता विलियम्स की जल्द वापसी होगी
- ट्रंप ने सुनीता विलियम्स के बालों की तारीफ की
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के घने बालों की सराहना की और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे दो अंतरिक्ष यात्रियों को संदेश दिया कि उन्हें जल्द धरती पर वापस लाया जाएगा. ट्रंप (78) ने अंतरिक्ष स्टेशन में फंसे बुच विल्मोर और विलियम्स को पृथ्वी पर वापस लाने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक बचाव दल को कक्षा में भेजने की संभावना का जिक्र किया और आठ दिन के मिशन के नौ महीने तक जारी रहने के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना की. ट्रंप ने ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से कहा, ‘बाइडन ने उन्हें वहीं फंसा छोड़ दिया.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे दो अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं. मैंने एलन मस्क से कहा, ‘मेरा एक काम करो. क्या तुम उन्हें बाहर निकाल कर ला सकते हो?’ उन्होंने कहा ‘हां’. वह वहां जाने की तैयारी कर रहे हैं, मुझे लगता है कि दो सप्ताह में.’ ट्रंप ने कहा कि मस्क अभी एक यान तैयार कर रहे हैं जो ऊपर जाएगा और उन्हें वहां से ले जाएगा. ट्रंप ने ओवल ऑफिस में विलियम्स पर कहा,‘उस महिला के बाल बेहद घने है, अच्छे हैं और मजबूत हैं. ये मजाक नहीं है.’ उन्होंने ये बात नौ महीनों से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे विलियम्स और विल्मोर के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कही.
बाइडन पर बोला हमला
ट्रंप ने बाइडन को ‘देश के इतिहास का सबसे अक्षम राष्ट्रपति’ करार दते हुए कहा ‘उन्होंने आपके साथ ऐसा होने दिया, लेकिन यह राष्ट्रपति ऐसा नहीं होने देगा.’ ट्रंप ने कहा, ‘उन्हें वहीं छोड़ दिया गया है. मुझे उम्मीद है कि वे एक-दूसरे को पसंद करते होंगे या शायद वे एक-दूसरे से प्यार करते होंगे, मुझे नहीं पता, लेकिन उन्हें वहीं छोड़ दिया गया है. इस बारे में सोचें. वहां भी खतरा है. वहां कुछ विफलताएं हो सकती हैं. यह बहुत बुरा होगा. उन्हें बाहर निकालना ही होगा.’
‘आठ महीने से फंसे’
वहीं मस्क ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ‘अंतरिक्ष यात्री वहां केवल आठ दिन के लिए गए थे लेकिन वे वहां आठ महीने से हैं.’ उन्होंने कहा, ‘स्पेसएक्स छह महीने पहले एक और यान भेजकर उन्हें वापस ला सकता था, लेकिन बाइडन व्हाइट हाउस ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया (नासा ने नहीं). राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें जल्द से जल्द वापस लाने के लिए कहा और हम ऐसा कर रहे हैं.’
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 07, 2025, 14:59 IST
सुनीता विलियम्स के बाल तो… अंतरिक्ष यात्री को लेकर क्या कह गए डोनाल्ड ट्रंप
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अमेरिका की मांद में घुसकर डरा रहा चीन, खौफ में आए यूएस जनरल ने फौजियों को किया अलर्ट

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Fear of Chinese Espionage: चीन के जासूसी के खौफ से अमेरिका में सनसनी मची हुई है. चीन अपने फौजियों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए नाटो के रिटायर लोगों को चोरी- छिपे भर्ती कर रहा है.

चीनी जासूसी के खौफ से थरथराया अमेरिका. (Image:News18)
हाइलाइट्स
- अमेरिकी जनरल ने चीनी कंपनियों से सावधान रहने की चेतावनी दी.
- चीनी कंपनियां नाटो के रिटायर सैनिकों को भर्ती कर रही हैं.
- अमेरिका ने चीनी कंपनियों से संपर्क की जानकारी देने की वेबसाइट बनाई.
वाशिंगटन. एक बड़े अमेरिकी जनरल ने बड़ी चेतावनी करते हुए अमेरिकी एयरफोर्स से रिटायर हुए जवानों और अधिकारियों को चीनी कंपनियो के काम करने से चेताया है. नाटो एलाइड एयर कमांड और यूएस एयरफोर्स एन यूरोप और एयरफोर्स अफ्रीका के कमांडर जनरल जेम्स बी हेकर ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि चीनी कंपनियो के लिए काम करने के बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. अमेरिका में सेवारत या रिटायर्ड फौजियो के लिए इस बारे में नियम सख्त हैं. अमेरिकी सैनिक चाहे वो नौकरी कर रहे हों या रिटायर हों, उनको किसी भी विदेशी सेना को अपनी सेवा देने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बनाए नियमों का पालन करना पडता है.
चीनी जासूसी खौफ के चलते कई देशों ने बनाए कानून
चीनी कंपनियो के लिए जासूसी करने का खौफ पूरी दुनिया में इस कदर छाया है कि जर्मनी, ब्रिटेन और बेल्जियम इस बारे में कड़े कानून बना चुके हैं. जिनमें इस बारे में उल्लंघन करने पर कड़ी सजा मिलने का प्रावधान किया गया है. जर्मनी ने जनवरी 2025 में एक बारे में एक कड़ा कानून बनाया है. जिसमें सैनिकों को विदेशी सेनाओं को किसी भी तरह की डिफेंस या मिलिट्री इंटेलीजेंस से जुड़ी जानकारी देने पर कड़ी सजा मिलेगी.
चीन की कारस्तानी की वजह
साल 2024 की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी एयरफोर्स और नेवी के पायलटों को ट्रेन करने के लिए वर्तमान में काम कर रहे और रिटायर हो चुके नाटो के फौजियों को फर्जी कपंनियों के सहारे भर्ती करने के खुफिया मिशन पर लगा हुआ है. अमेरिकी एयरफोर्स ने हाल दिनों में कई चीनी और दूसरों देशों की कंपनियो का पता लगाया है, जो एयरफोर्स के जवानों और अधिकारियों की भर्ती मामले में जुटी रही हैं. इसमें साउथ अफ्रीका की टेस्ट फ्लाइंग एकेडमी और बीजिंग चाइना एविएशन टेक्नालाजी कंपनी और स्ट्रटोस शामिल हैं.
होटल की वो कहानी, जिसकी वजह से कनाडा की ‘बर्बादी’ पर तुले ट्रंप, जस्टिन ट्रूडो के लिए आफत
अमेरिका के डर की वजह
अमेरिकी सेना के एक बड़े अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल एमी बूमगार्नर ने इस बाते में चेतावनी देते हुए कहा कि एयरफोर्स के अधिकारियों और जवानों के चीनी कंपनियों के लिए नौकरी करने से अमेरिका और उसके सहयोगी देशो में सुरक्षा से जुड़े मसले हो सकते हैं. इस बारे में बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका ने एक खास वेबसाइट बनाई है. जिसमें एयरफोर्स के जवानों और अधिकारियों से चीनी कंपनियो के संपर्क करने पर जानकारी देने की गुजारिश की गई है.
March 04, 2025, 21:02 IST
US की मांद में घुसकर डरा रहा चीन, खौफ में आए जनरल ने फौजियों को किया अलर्ट
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Donald Trump Zelensky Clasi Iran React: अमेरिका भरोसे के लायक नहीं… ट्रंप-जेलेंस्की की झड़प से गदगद हुए खामनेई, ईरान में लगे विवाद के पोस्टर

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US Ukraine Relations: डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की की तनातनी ने अमेरिका के सहयोगियों को चिंतित कर दिया है. ताइवान को डर है कि अमेरिका उसे भी छोड़ सकता है, जबकि ईरान इसे पश्चिमी देशों की कमजोरी मान रहा है.

जेलेंस्की और ट्रंप की झड़प से ईरान खुश हो गया है.
हाइलाइट्स
- ट्रंप-जेलेंस्की की झड़प से ताइवान चिंतित है
- ईरान ने कहा अमेरिका भरोसे के लायक नहीं
- अमेरिका का बदला रवैया ताइवान के लिए चिंता का विषय
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच तनातनी ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. ओवल ऑफिस में मीडिया के सामने हुए इस झगड़े से सबसे ज्यादा खुश अमेरिका के दुश्मन हैं. क्योंकि इस झगड़े ने दिखा दिया है कि अमेरिका अपने दोस्तों के लिए अचानक अपना रवैया बदल सकता है. 20 जनवरी से पहले जहां यूक्रेन के साथ अमेरिका खड़ा था, तो वहीं ट्रंप प्रशासन अब दूरी बनाने लगा है. अमेरिका का बदला-बदला रूप देखकर ताइवान परेशान है तो वहीं ईरान ने कहा है कि यह दिखाता है कि अमेरिका विश्वास करने लायक नहीं. विवाद के पोस्टर तेहरान में लगे हैं. ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया फिर से उपनिवेशवाद की ओर जा रही है, जहां चीजें ताकत और धमकी से होती थीं.
ट्रंप प्रशासन ने युद्ध के बीच में यूक्रेन को सैन्य सहायता रोक दी है, जो ताइवान के लिए चिंता की बात है. ताइवान इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं अमेरिका के बदलते मूड का अगला शिकार वह न हो जाए और अगर ऐसा हो तो बचने के लिए क्या किया जाए? एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान की राजधानी ताइपे में सूचो यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर चेन फैंग-यू ने कहा, ‘ट्रंप के लिए ऐसा लगता है, जैसे सहयोगियों की कोई अवधारणा नहीं है. सब कुछ बस डील है. हर चीज इस बात से निर्भर होती है कि अमेरिका को कितना फायदा होगा.’
जेलेंस्की का हाल देख ताइवान परेशान
ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और उसे हर हाल में अपने देश में मिलाने की धमकी देता रहता है. अमेरिका ताइवान को हथियार देता है. राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने कार्यकाल में कहा था कि अमेरिकी सेना युद्ध की स्थिति में ताइवान की मदद करेगी. चेन ने कहा कि जो कुछ हो रहा है वह ताइवान की जनता के लिए हजम करना मुश्किल है. उन्होंने कहा, ‘अगर हर चीज लेन-देन है, तो मजबूत रिश्ता खत्म हो जाएगा. हमें ट्रंप को एक प्रस्ताव देना होगा और इस बात की चिंता करनी होगी कि क्या वह इससे संतुष्ट होंगे. हमें इसकी आदत डालनी होगी, क्योंकि ट्रंप के काम का यही तरीका है.’ हालांकि सोमवार को ट्रंप ने कहा था कि किसी भी तरह से चीन का आक्रमण विनाशकारी होगा.
ईरान भी ले रहा मजे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में पिछले शुक्रवार को जुबानी जंग देखी गई थी. दोनों देशों में एक मिनरल डील होनी थी, जो इस कारण नहीं हो सकी. ईरानी विदेश मंत्री ने सोमवार को इसे उपनिवेशवाद की वापसी की शुरुआत बताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कहा, ‘कानूनी और कूटनीतिक दृष्टिकोण से यह चेतावनी की तरह है. सवाल है कि क्या हम 19वीं सदी में लौट रहे हैं, जहां शक्ति, धमकी और दबाव से देशों के बीच बातचीत होती थी.’ ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई ने ट्रंप जेलेंस्की की झड़प के बाद एक्स अकाउंट पर यूक्रेनी भाषा में पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि यूक्रेन की स्थिति उन सरकारों और देशों के लिए एक सबक है जो पश्चिमी देशों की कठपुतली हैं. सभी सरकारों को इसे समझना चाहिए. अमेरिका और यूरोप पर भरोसा करने वाली सरकारों को यूक्रेन की मौजूदा स्थिति देखनी चाहिए.
After the Oval Office clash & the reposting of Khamenei’s 2022 tweet warning #Ukraine that US support is “not real,” #Iran put up a banner of Zelensky meeting #Trump with the captions “Lesson of Ukraine” & “Relying on the wind.” This is for Khamenei’s opposition to nuclear talks. https://t.co/XBYaqe7DEL pic.twitter.com/yBKdRFxTbJ
— Hossein Ghazanfari (@TehranWatcher) March 2, 2025
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शी जिनपिंग की डोनाल्ड ट्रंप को जंग की सीधी धमकी, चीन बोला- टैरिफ वॉर हो या युद्ध, हम अंत तक लड़ने को तैयार – china president xi jinping direct warning to donald trump beijing ready for war till last breathe

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China-USA News: डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे अमेरिका की कमान संभाली है, तब से कई ऐसे फैसले चुके हैं, जिनका दुनियाभर में असर पड़ रहा है. ट्रंप की नीतियों के चलते अमेरिका और चीन अब आमने-सामने हैं.

चीन ने अमेरिका को युद्ध की धमकी दे डाली है.
हाइलाइट्स
- चीन की अमेरिका को किसी भी तरह के युद्ध की धमकी
- बीजिंग ने कहा- हम हर युद्ध को अंत तक लड़ने को तैयार
- ड्रैगन ने ट्रंप सरकार के कदम का दिया है मुंहतोड़ जवाब
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर छेड़ रखा है. ट्रंप सरकार ने कनाडा और मैक्सिको के साथ ही चीन पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. वॉशिंगटन के इस कदम से चीन आगबबूला हो गया है. अमेरिका ने चीन से इंपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट्स टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसके बाद अब बीजिंग की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई की गई है. चीन भी अब अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट पर 10 से 15 फीसद तक का टैरिफ लगाने जा रहा है. इससे अब दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच खुल्लम खुल्ला ट्रेड वॉर शुरू हो गया है. इसके साथ ही ड्रैगन ने ट्रंप सरकार को खुले तौर पर युद्ध की भी धमकी दे डाली है. चीन का कहना है कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है (चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या कोई और युद्ध) तो हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं. चीन के कदम के बाद अब हालात के और भी खराब होने के आसार हैं.
दरअसल, अमेरिका में ट्रंप सरकार बनने के बाद से ही चीन से इंपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट पर टैरिफ लगाने की बात कही जा रही थी. डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भी इसका उल्लेख कर चुके थे. सत्ता में आने के बाद चीन के खिलाफ कदम भी उठाया गया. इसके बाद चीन ने भी इसका जवाब दिया है. बीजिंग की तरफ से अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट पर 15 फीसद तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. चीन की ओर से आगे कहा गया कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है तो हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं. शी जिनपिंग की चीन की ओर से उठाए गए इस कदम का दुनिया के अन्य देशों पर भी असर पड़ने की आशंका है.
चीन का आक्रामक रुख
बीजिंग की ओर से अमेरिका के कदम का जवाब दिया गया है. चीन का कहना है कि फेंटानाइल मुद्दा चीनी आयात पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ाने का एक कमजोर बहाना है. हमारे अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हमारी जवाबी कार्रवाई पूरी तरह वैलिड और आवश्यक है. चीन ने कहा, ‘अमेरिका में फेंटानाइल के लिए कोई और नहीं, बल्कि खुद अमेरिका जिम्मेदार है. मानवीय भावना और अमेरिकी जनता के प्रति सद्भावना के तहत हमने इस मुद्दे से निपटने में अमेरिका की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन हमारे प्रयासों को स्वीकार करने के बजाय अमेरिका ने चीन को बदनाम करने और दोषारोपण करने की कोशिश की है.’ ड्रैगन का कहना है कि अब टैरिफ बढ़ाकर चीन पर दबाव डालने और ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही है. चीन ने कहा कि अमेरिका ने हमारी मदद के बदले हमें दंडित किया गया. यह अमेरिका की समस्या का समाधान नहीं करेगा, बल्कि ड्रग कंट्रोल के हमारे प्रयासों और सहयोग को कमजोर करेगा.
‘हम धमकियों से नहीं डरते’
चीन आगे कहा कि वह धमकियों से नहीं डरता है. शी जिनपिंग की सरकार ने कहा, ‘दबाव और धौंस हम पर काम नहीं करती है. चीन से निपटने का सही तरीका न तो दबाव है, न जबरदस्ती और न ही धमकी. जो कोई भी चीन पर अधिकतम दबाव डालने की कोशिश कर रहा है, वह गलत व्यक्ति को निशाना बना रहा है और भारी भूल कर रहा है. यदि अमेरिका वास्तव में फेंटानाइल समस्या को हल करना चाहता है, तो उसे चीन के साथ बराबरी के आधार पर बातचीत करनी चाहिए.’
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