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SIPRI रिपोर्ट: वैश्विक हथियार व्यापार में गिरावट, चीन-रूस की हिस्सेदारी कम.

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SIPRI REPORT: आत्मनिर्भर भारत मुहीम के चलते अब भारत अब धीरे धीरे हथियारों के आयात में कटौती कर रहा है. भारत हथियारों की खरीद में अब भी दूसरे नंबर पर है, SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक इस खरीद की वजह चीन और पाकिस्त…और पढ़ें

चोरी की तकनीक से चीन बढ़ा रहा अपनी ताकत, कम की खरीद, रूस ने भी बेचे कम हथियार

चीन और रूस के हथियारों की खरीद बिक्री में आई कमी

हाइलाइट्स

  • भारत ने हथियार आयात में 9.3% की कमी की.
  • चीन ने हथियार आयात में 64% की गिरावट दर्ज की.
  • रूस की हथियार बिक्री में 64% की गिरावट आई.

SIPRI REPORT: दुनिया में हथियारों की होड़ पिछले 4-5 सालों में बड़ी तेजी से बढ़ी है. इस दौर में एक बार नहीं बल्कि 2 बार दुनिया इस्टर्न ब्लॉक और वेस्टर्न ब्लॉक में बदली. ईस्टर्न ब्लॉक की अगुवाई रूस और उसके समर्थित देश कर रहे थे, तो वेस्ट की अमेरिका ओर नॉटो देश. इन दोनों ब्लॉक में सबसे ज्यादा हथियारों की खरीद बिक्री हुई तो वह है वेस्टर्न ब्लॉक. रूस यूक्रेन और इजरायल हमास हिजबुल्लाह की जंग के चलते यूरोप और अमेरिका की तरफ से हथियारो का जबरदस्त व्यापार हुआ. लेकिन एशिया का बाजार ठंडा रहा. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल आर्मस ट्रांसफर 41 फीसदी से घटकर 33 फीसदी रह गई. यह आंकड़ा साल 2015-2019 और 2020-2024 का है. इसके पीछे का करण है चीन की हथियारों की खरीद को विदेशो से कम करना.रिपोर्ट के मुताबिक चीन की हथियारों की खरीद में 64 फीसदी तक गिरावट आई. इसकी वजह है कि चीन अब अपने देश में भी बने हथियारों पर ज्यादा भरोसा कर रहा है.

जंग के चलते रूस ने बेचे कम हथियार
यूक्रेन पर हमले के बाद से ही अमेरिका लगातार रूस पर पाबंदियां लगा रहा है. इसमें हथियार और तेल के व्यापर शामिल है. इसका असर भी SIPRI की रिपोर्ट में सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-2019 में अमेरिका के बाद रूस सबसे बड़ा हथियारों का विक्रेता था. उस दौर में पूरे दुनिया के कुल हथियोरों की बिक्र का रूसी हिस्सा 21 फीसदा था. लेकिन 2020-24 में इसमें जबरदस्त 64 फीसदी गिरावट आई है. अब यह दुनिया का महज 7.8 प्रतिशत ही रह गया है .रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों में भारत और दूसरा देश चीन है. भारत ने 38 फीसदी खरीद की तो चीन ने 17 फीसदी. रूस की हथियारों की बिक्री में गिरावट के पीछे की वजह है कि उसने प्राथमिकता अपने को दी. उसे जंग लड़ने के लिए हथियार चाहिए थे.साथ ही भारत और चीन भी अपने स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री पर ज्यादा फोकस कर रही है  .हालांकि रूस ने दुनिया के 33 देशों के इस दैरान हथियारों की बिक्री की. जिसमें 74 फीसदी तो एशिया और आस पास के देशों को गया. जब्कि 12 फीसदी अफ्रीका 7.4 फीसदी यूरोप के बेलारूस, अर्मेनिया और सर्बिया को और 6.4 फीसदी मिडिल ईस्ट को रहा.

ड्रैगन का इंपोर्ट एक्सपोर्ट भी रहा कम
चीन ने अपनी हथियारों को बेचने के लिए छोटे छोटे जरूरतमंद देशों पर कर्ज का जाल बिछा कर शुरू किया. SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल आर्म एक्सपोर्ट में चीन की हिस्सादेरी महज 5.9 प्रतिशत ही रहा. हांल्कि चीन हथियार एक्सपोर्ट करने वाले देशों की लिस्ट में रूस के बाद चीन चौथे नंबर पर है. चीन ने दुनिया के 44 देशों को हथियार सप्लाई किए. 77 फीसदी चीनी हथियार एशिया और उसके आस पास के देशों ने लिए. चीनी हथियारों की बिक्री के कुल प्रतिशत का दो तिहाई हिस्सा यानी 63 फीसदी सिर्फ पाकिस्तान को किया है. एक्पोर्ट में कमी की वजह है कि आज भी चीन के हथियारों पर दुनिया भरोसा नहीं करती . इसके अलावा भी कई तरह के राजनैतिक मजबूरियां भी है. कई देशों की इसमें अमेरिका का दबाव भी शामल है. चीन ने तो अपने हथियारों को दुनिया भर में बेचने के लिए पाकिस्तान को एक मंडी की तरह इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान में हथियारों के खरीद में भी जबरदस्त बढ़ोतरी इसी लिए हुई है. चीन से पाकिस्तान ने 81 फीसदी अपनी हथियार खरीद किया. पाकिस्तान चीन का प्रमुख खरीदार बन गया. ,साल 2015 से 2019 के बीच यह खरीद 74 प्रतिशत था.

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चीन की वायुसेना में AI आधारित पायलट भर्ती प्रोग्राम 2025.

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CHINA AI air force : चीन 2030 तक AI का पावर हाउज बनना चाहता है. इसकी तैयारी साल 2017 से ही शुरू कर दी थी. इसी साल चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ने 2030 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक ब्लू प्रिंट जारी किया था. साल 2019 …और पढ़ें

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चीन ने लॉंच किया पहला AI पायलट रिक्रूटमेंट प्रोग्राम

हाइलाइट्स

  • चीन ने पायलट भर्ती में AI को शामिल किया.
  • AI से पायलट चयन में सटीकता बढ़ेगी.
  • चीन 2025 तक AI आधारित भर्ती करेगा.

PLA air force: तकनीक के मामले में चीन बड़ी तेजी से अपना विकास कर रहा है. हर चीज में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है. अब तो चीन ने अपनी वायुसेना में पायलटों की भर्ती के लिए AI को जरूरी कर दिया. पीएलए ने अपने 2025 के पायलट भर्ती प्रोग्राम में AI को शामिल किया है. इसका मकसद है कि उम्मीदवारों के चयन में सटीकता को बढ़ाया जा सके. यह पहल आधुनिक एयरक्राफ्ट और उपकरणों को ऑपरेट करने की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है. चीन को लगता है कि इससे सबसे बेहतर पायलटों की पहचान की जा सकेगी.

पायलट भर्ती AI भरोसे
ग्लोबल टाइम के मुताबिक चीन में पायलटों की भर्ती कार्यक्रम का अंतिम चरण में है. उसमें मेडिकल और साइकोलॉजी इवैल्यूशन शामिल हैं. इसमें 100 से ज्यादा मेडिकल टेस्ट होते हैं. यह उम्मीदवारों के लंबे समय तक स्वास्थ्य और ह्यूमन-मशीन इंटरएक्शन की संभावनाओं की जानकारी करने के लिए होते हैं. इस साल के प्रोग्राम में AI के कटिंग ऐज इनोवेशन जैसे कि कांटेक्ट फ्री 3D शारीरिक माप, डायनमिक ECG और AI-की मदद से इंटरव्यू डिसीजन मेकिंग को शामिल किया गया. AI को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि एक्सपर्ट जजमेंट के साथ मिलकर फिजिकल सिंगनल का विश्लेषण करती हैं. इंसान के मानसिक प्रोफाइल को समझती हैं और जोखिमों का अनुमान लगाती हैं. जानकारों का मानन है कि यह AI प्रणाली एक गेम-चेंजर है. यह बिग डेटा और ऑप्टिमाइज्ड एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके बेहतर एक्सपर्ट को सेलेक्ट करता है. जिसमें किसी भी तरह की कोइ कमी है उसे बाहर करता है. चीन को इस बात का यकीन है कि जो उम्मीदवार AI चुनेगा वह बेहतर पायलट बन सकता है

नए AI सेंटर खोले जाएंगे
PLA एयरफोर्स ने पायलटों की भर्ती के लिए बाकायदा ने बड़ा प्लान बनाया है. इस प्लान के तहत फरवरी से लेकर अप्रैल तक पूरे चीन के अलग अलग इलाकों में एवैल्यूशन सेंटर स्थापित कर रही है. हाई स्कूल के वह ग्रैजुएट जिनके पास प्रारंभिक स्क्रीनिंग में पास किए हैं उनके मूल्यांकन के लिए सेंटर बनाए जा रहे है. बहरहाल जानकारों की माने तो आर्टीफिशियल इंटेलिजेस भले रही इस वक्त सबसे ताकतवर हथियार है. लेकिन 100 फीसदी सटीकता इसमें भी नहीं मिलती. चीन हमेशा से ही अगले 50 साल का सोच कर अपनी गतिविधियों को बढ़ाता है. अब अपने AI से लेस पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट उड़ाने के लिए AI का ही इस्तेमाल कर रहा है. 10 पास छात्रों को भविष्य में बतौर फाइटर पाइलट इस्तेमाल किया जा सके उसके लिए AI के जरिए उसके बॉडिमेट्रिक जांच करने में जुटा है.

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Kailash Mansarovar Yatra: जाना चाहते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर तो अभी से शुरू कर दें तैयारी! यहां जान लें पूरा प्रॉसेस

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Kailash Mansarovar Yatra : कैलाश मानसरोवर यात्रा सनातनियों के लिए पवित्र धार्मिक यात्रा है, जिसमें कैलाश पर्वत की परिक्रमा और मानसरोवर झील में स्नान शामिल है. यात्रा के लिए शारीरिक तैयारी, आवश्यक परमिट और विभि…और पढ़ें

जाना चाहते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर तो अभी से शुरू कर दें तैयारी

यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखे जा सकते हैं.

हाइलाइट्स

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा और स्नान शामिल है.
  • यात्रा के लिए शारीरिक तैयारी और आवश्यक परमिट की जरूरत होती है.
  • यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखे जा सकते हैं.

Kailash Mansarovar Yatra  : कैलाश मानसरोवर यात्रा सनातनियों के लिए एक पवित्र धार्मिक यात्रा है. इस यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा की जाती है एवं मानसरोवर झील में स्नान किया जाता है. इस यात्रा में लगभग दो से तीन सप्ताह तक समय लगता है. इस यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा एवं मानसरोवर झील में स्नान किया जाता है.यात्रा के दौरान ध्यान सत्र आयोजित किये जाते हैं.यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखने को मिलते हैं.यात्रा के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जाती है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारी: ताकत और स्टेमिना बढ़ाने वाले व्यायाम करने चाहिए.योग मुद्राएं और स्ट्रेचिंग व्यायाम करने चाहिए.जिससे शरीर में स्फूर्ति रहे एवं ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहे. ट, लंज, प्लैंक, पुश-अप और वेट लिफ़्टिंग जैसे व्यायाम करने चाहिए.

Success Tips: किसी भी क्षेत्र में सफलता की गारंटी हैं ये उपाय, आजमाकर तो देखें, बेहतर रिजल्ट मिलेगा

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रास्ते : भारत सरकार ने इस यात्रा को आसान बनाने के लिए ‘लिपुलेख मार्ग’ बनाया था.इसके अलावा नेपाल की राजधानी काठमांडू के रास्ते भी कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा, उत्तराखंड, सिक्किम, और तिब्बत के रास्ते से की जा सकती है.

उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा : लिपुलेख दर्रे से शुरू होकर हेलीकॉप्टर से कैलाश पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं. पिथौरागढ़ से गुंजी तक हेलीकॉप्टर से जाया जा सकता है. गुंजी से वाहन से आगे बढ़कर कैलाश पर्वत के शानदार दृश्य देखे जा सकते हैं. उत्तराखंड के धारचूला में लिपुलेख चोटी पर एक जगह विकसित की गई है. जहां से कैलाश पर्वत साफ़ दिखाई देता है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये दस्तावेज : कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए यात्रा परमिट की आवश्यकता होती है. साथ ही चीनी वीजा और तिब्बत यात्रा परमिट, बल्कि अन्य यात्रा दस्तावेज, जैसे एलाइन की यात्रा परमिट, विदेशी मामलों का परमिट और सैन्य परमिट के अलावा सभी पहचान एवं नागरिकता सम्बन्धी कागजात आवश्यक हैं.

Maha Shivratri 2025: ब्रह्मा-विष्णु विवाद में हुआ काल भैरव का अवतार ! जानें कैसे काशी के अधिपति बने काल भैरव

कैलाश मानसरोवर की स्थिति: कैलाश पर्वत, चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में है. कैलाश पर्वत हिमालय श्रृंखला का हिस्सा है. कैलाश पर्वत की ऊंचाई करीब 6,638 मीटर है.मानसरोवर झील, तिब्बत के पठार पर है. मानसरोवर झील की परिधि 90 किलोमीटर है. मानसरोवर झील की गहराई 90 मीटर है. मानसरोवर झील का कुल क्षेत्रफल 320 वर्ग किलोमीटर है. कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत के चारों ओर पैदल करीब 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसके अलावा, मानसरोवर झील की परिक्रमा भी करनी पड़ती है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की जानकारी: भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल जून से सितंबर के बीच मानसरोवर यात्रा का आयोजन करता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है. कैलाश पर्वत पर अब तक कोई भी व्यक्ति नहीं चढ़ पाया है. माना जाता है कि 11वीं सदी में तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने ही कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी. वह ऐसा करने वाले दुनिया के एकमात्र व्यक्ति माने गए हैं.

कैलाश पर्वत पर चढ़ने में मुश्किलें: कैलाश मानसरोवर की ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से कम है, लेकिन इसके बाबजूद फिर भी यहां चढ़ाई करना बहुत जटिल है. कैलाश पर्वत के ऊपर हेलीकॉप्टर या विमान उड़ने की अनुमति नहीं है. यहां मौसम की वजह से भी चढ़ाई करना मुश्किल है. यहां मौसम का हाल सदैव ही ख़राब रहता है और इसका पूर्वनुमान भी मुश्किल है.यहां अक्सर दिशाभ्रम हो जाते है. जिसकी बजह से भी चढ़ाई करना मुश्किल है.मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है.

ये लोग ना करें कैलाश मानसरोवर यात्रा : जिन लोगों को किसी तरह की विशेष स्वास्थ्य समस्या जैसे हार्ट रोग, शुगर, गठिया, ऑक्सीजन लेवल डाउन, स्टेमिना में कमी के अलावा जल्दी थकान होने वाले लोगों एवं जिन्हें पैदल चलने एवं ट्रेकिंग में समस्या हो उन्हें मानसरोवर यात्रा नहीं करनी चाहिए.

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जाना चाहते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर तो अभी से शुरू कर दें तैयारी

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MP-CG Association celebrated Holi in Kenya | केन्या में MP-CG एसोसिएशन ने धूमधाम से मनाई होली: जमकर उड़ा अबीर-गुलाल, आपस में बांटी मिठाई; 1200 लोगों ने लिया हिस्सा

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नैरोबी3 मिनट पहले

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केन्या में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ एसोसिएशन आफ केन्या ने होली समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर लगभग 1200 लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों ने एक दूसरे को मिठाई बांटी और जमकर अबीर गुलाल उड़ाया।

गौरतलब है कि केन्या में मध्यप्रदेश के लगभग 200 लोग रहते हैं। इनमें से कुछ अप्रवासी है जबकि कुछ भारतीय मूल के हैं।

एसोसिएशन के ट्रस्टी अभिजित गुप्ता इंदौर (महू) मूल निवासी के हैं, वो जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वहीं जबलपुर के किन्शुक चौकसे इस संस्था के अध्यक्ष हैं। वो हर साल इस तरह के प्रोग्राम आयोजित करते हैं। विकास नामदेव इस संगठन सचिव हैं और एक प्रिंटिंग कंपनी के डायरेक्टर हैं।

यह प्रोग्राम केन्या के भारती सेंटर के सहयोग से आयोजित किया गया था।

तस्वीरों में देखिए होली की मस्ती…

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