Internattional
Phagwara Kerala Police Arrest Two Tanzanian Citizens News Update | केरल पुलिस ने फगवाड़ा में की बड़ी कार्रवाई: नशा तस्करी के आरोप में तंजानिया के दो नागरिक गिरफ्तार, 1.30 करोड़ की लेनदेन का खुलासा – Kapurthala News

केरल पुलिस ने पंजाब के कपूरथला जिले के फगवाड़ा में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने अंतरराज्यीय नशा तस्करी नेटवर्क से जुड़े दो तंजानियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में एक महिला भी शामिल है।
.
डीएसपी फगवाड़ा भारतभूषण ने इस कार्रवाई की पुष्टि की है। आरोपियों की पहचान डेविड एनटेमी (22) और अटका हारुना (21) के रूप में हुई है। दोनों लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र बताए जा रहे हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस के अनुसार बीते कुछ महीने में डेविड एनटेमी के खाते से लगभग 1 करोड़ रुपए विभिन्न अन्य खातों में स्थानांतरित किए गए थे। जबकि अटका हारुना के खाते से 30 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे।
दोनों यूनिवर्सिटी के नजदीक एक किराए के मकान में रह रहे थे। एक आरोपी ने दावा किया है कि वह तंजानिया के एक जज का बेटा है। यह कार्रवाई केरल के कुन्नमंगलम पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में पहले से गिरफ्तार दो आरोपियों की निशानदेही पर की गई।
इस केस का खुलासा 21 जनवरी को कासरगोड के इब्राहिम मुसमिल और कोझिकोड के अभिनव की गिरफ्तारी से हुआ था। 12 फरवरी को पुलिस ने तीसरे आरोपी मोहम्मद शमील को मैसूर के वृंदावन गार्डन के पास एक होटल से गिरफ्तार किया था।
Internattional
Donald Trump Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी में भी जयशंकर को दिखा ‘मौका’, आखिर क्या है भारत का ‘प्लान अमेरिका’?

Last Updated:
S Jaishankar on Donald Trump Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी 2 अप्रैल से टैरिफ लगाने की धमकी दी है. इस मुद्दे पर अब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी बयान आया है. जानें उन्होंने क्य…और पढ़ें

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है, जिस पर अब जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है.
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने भारत पर टैरिफ की धमकी दी.
- जयशंकर ने कहा, भारत और अमेरिका में खुली बातचीत हुई.
- भारत व्यापार वार्ता के लिए तैयार है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है. यह खबर कल देशभर में छाई रही और भी आज भी अखबारों के पहले पन्ने पर छपी है. अब इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत सरकार और अमेरिकी प्रशासन के बीच इस मुद्दे पर खुली बातचीत हुई है. जयशंकर ने कहा कि ट्रंप जो कर रहे हैं, वह अपेक्षित था, क्योंकि उन्होंने इस साल जनवरी में अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही ऐसा करने का वादा किया था.
लंदन में चैथम हाउस में एक चर्चा सत्र के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘यह दिलचस्प है… इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है. अगर आपने इसे ट्रैक किया हो, तो यह साफ था कि ऐसा होगा. आमतौर पर, राजनीतिक नेता वही करते हैं जो वे वादा करते हैं. जो हो रहा है, वह पहले से अपेक्षित था… मैं थोड़ा हैरान हूं कि लोग हैरान हो रहे हैं.’
‘अमेरिकन पॉलिसी भारत के लाभकारी’
जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिकी नीतियां भारत के लिए लाभकारी हैं, तो जयशंकर ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच कोई बड़ी राजनीतिक समस्या नहीं रही है.
उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री वाशिंगटन डीसी में थे. हम देखते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप बहुध्रुवीयता को समर्थन देते हैं. 1945 के बाद से, अगर हम अपने संबंधों को देखें, तो हाल के वर्षों में किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत को कोई समस्या नहीं हुई है. हमारे पास कोई पुराना राजनीतिक विवाद नहीं है.”
जयशंकर ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन क्वाड (QUAD) को मजबूत करने के पक्ष में है और अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और व्यापारिक दृष्टिकोण से कई अवसर उपलब्ध करा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘ट्रंप ने ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखा. वह टेक्नोलॉजी और विकास को प्राथमिकता देते हैं, जो भारत के लिए लाभकारी है. वह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी खुले हैं, जिसमें भारत की गहरी रुचि है. हां, उनके पास व्यापार को लेकर एक निश्चित दृष्टिकोण है. हमने इस पर खुली बातचीत की और नतीजा यह रहा कि हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए. हमारे व्यापार मंत्री इस पर अमेरिका में चर्चा कर रहे हैं.’
ट्रंप ने भारत पर टैरिफ की क्यों दी धमकी?
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भारत, चीन और अन्य देशों के खिलाफ पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि जो देश अपने उत्पाद अमेरिका में नहीं बनाते, उन्हें टैरिफ देना होगा. उन्होंने कहा, ‘जो भी हमें टैरिफ लगाएगा, हम भी उन पर वही टैरिफ लगाएंगे. जो भी हमें टैक्स लगाएगा, हम भी उन्हें उतना ही टैक्स लगाएंगे.’
ट्रंप ने कहा कि यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील और भारत अमेरिका पर अधिक टैरिफ लगाते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘भारत ऑटोमोबाइल पर 100% टैरिफ लगाता है, यह पूरी तरह से अनुचित है.’
इस नई नीति के चलते, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है. हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह व्यापार वार्ता के लिए तैयार है और पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान तलाशना चाहता है. अब देखना यह होगा कि अमेरिका की तरफ से लगाए जाने इस संभावित टैरिफ के जवाब में भारत क्या कदम उठाता है.
New Delhi,Delhi
March 06, 2025, 06:01 IST
ट्रंप की धमकी में भी जयशंकर को क्यों दिखा ‘मौका’, क्या है भारत का ‘US प्लान’?
Internattional
Trump Zelenskyy Rift: जेलेंस्की की समझो हो गई छुट्टी, यूक्रेन में तख्तापलट का स्क्रिप्ट तैयार, डोनाल्ड ट्रंप ने बिछा दिए पत्ते

Last Updated:
Trump Zelenskyy Rift: क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी में जुट गए हैं. दरअसल एक खबर ने इन अटकलों को हवा दे दी. इसमें बताया गया कि ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने जेलें…और पढ़ें

ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुलाकात की खबर ने हलचल मचा दी. (AP फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने जेलेंस्की के प्रतिद्वंद्वियों से गुप्त बातचीत की.
- इस मुलाकात से यूक्रेन में तख्तापलट की अटकलें तेज.
- अमेरिका और रूस दोनों जेलेंस्की को सत्ता से हटाने की कोशिश में.
क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुटे गए हैं? अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट से ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं. पिछले दिनों ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक तो पूरी दुनिया ने देखी, वहीं अब पॉलिटिको ने खबर दी है कि ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बातचीत की है. यह वार्ता बेहद गुप्त रखी गई थी, लेकिन इस खबर के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और रूस दोनों ही किसी भी तरह जेलेंस्की को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में जुटे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने यूक्रेन की विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पूर्व राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की. ये बातचीत कथित तौर पर यूक्रेन में जल्द से जल्द राष्ट्रपति चुनाव कराने की संभावनाओं पर केंद्रित रही, जो वर्तमान में मार्शल लॉ के कारण स्थगित हैं. आलोचकों का मानना है कि युद्धग्रस्त देश में इस तरह के चुनाव अराजकता फैला सकते हैं और रूस को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि लाखों संभावित मतदाता या तो मोर्चे पर हैं या शरणार्थी के रूप में विदेश में रह रहे हैं.
क्या ट्रंप की रणनीति काम करेगी?
ट्रंप के सहयोगियों को भरोसा है कि ज़ेलेंस्की युद्ध की थकान और देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जनता की नाराज़गी के कारण किसी भी चुनाव में हार जाएंगे. हालांकि, हाल ही में हुए वाइट हाउस विवाद के बाद जेलेंस्की की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक, अब भी 44% लोग जेलेंस्की का समर्थन कर रहे हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी वलेरी ज़ालुज़नी उनसे 20 अंकों से पीछे हैं.
मुंह में राम, बगल में छूरी!
ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि वे यूक्रेन की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लुटनिक ने इस हफ्ते दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल ‘शांति के लिए एक सहयोगी’ चाहते हैं. लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.
ट्रंप खुद ज़ेलेंस्की को ‘बिना चुनाव वाला तानाशाह’ कह चुके हैं, जबकि अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गैबार्ड ने यूक्रेन सरकार पर चुनाव रद्द करने का झूठा आरोप लगाया है. हालांकि, हकीकत यह है कि तिमोशेंको और पोरोशेंको जैसे विपक्षी नेता भी युद्ध समाप्त होने से पहले चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं.
सीक्रेट मीटिंग में रूस का भी रोल?
सूत्रों के मुताबिक, इन गुप्त बैठकों में सबसे अहम मुद्दा यही रहा कि राष्ट्रपति चुनाव अस्थायी संघर्षविराम के बाद और पूर्ण शांति वार्ता शुरू होने से पहले आयोजित किए जाएं. यह वही रणनीति है, जिसे रूस भी लंबे समय से समर्थन देता आ रहा है. यूक्रेन की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे तिमोशेंको और पोरोशेंको ने सार्वजनिक रूप से चुनाव कराने का विरोध किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता ट्रंप खेमे से गुप्त संपर्क में हैं और खुद को अमेरिका के लिए “बेहतर विकल्प” के रूप में पेश कर रहे हैं.
पॉलिटिको के मुताबिक, जब तिमोशेंको की प्रवक्ता नताल्या लिसोवा से पूछा गया कि क्या वह वाकई ट्रंप प्रशासन के संपर्क में हैं, तो उन्होंने केवल इतना कहा, ‘हम इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.’
यह घटनाक्रम साफ इशारा करता है कि अमेरिका, रूस और यूक्रेन के भीतर सत्ता संघर्ष तेज़ हो रहा है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ज़ेलेंस्की इस चुनौती का सामना कर पाएंगे, या फिर वॉशिंगटन और मॉस्को की राजनीतिक चालें उन्हें सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होंगी.
जेलेंस्की के कुर्सी छोड़ने पर जोर
डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट अधिकारियों ने बीते कुछ दिनों से लगातार यह संकेत दिया है कि अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अमेरिका की युद्ध समाप्ति योजना का पूरी तरह समर्थन नहीं करते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. यह योजना यूक्रेन के लिए बड़े समझौतों के साथ तेजी से युद्ध समाप्त करने पर आधारित है.
व्हाइट हाउस में बीते शुक्रवार हुए जोरदार टकराव के बाद से ट्रंप प्रशासन का यह रुख और भी कड़ा हो गया है. वहीं, यूक्रेन में ज़ेलेंस्की के राजनीतिक विरोधी अब सार्वजनिक रूप से यह संकेत देने लगे हैं कि अमेरिका के साथ यूक्रेन के रिश्ते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें बहाल किया जाना चाहिए. कीव में इसे ज़ेलेंस्की के प्रति अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। ज़ेलेंस्की ने भी अब पिछले सप्ताह की गर्मागर्म बहस पर खेद जताया है और कहा है कि वह ट्रंप के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं.
सांसदों को तोड़ने की तैयारी
वाइट हाउस विवाद के झटके यूक्रेनी संसद में भी महसूस किए जा रहे हैं. पॉलीटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको अब अन्य पार्टियों के सांसदों से संपर्क कर रही हैं और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए मना रही हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि तिमोशेंको का मानना है कि ज़ेलेंस्की के पास जल्द चुनाव करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिससे संसदीय बहुमत को फिर से आकार देने का सुनहरा मौका मिलेगा.
यूक्रेन में जनता की राय कैसे बदल रही है?
हालांकि, जेलेंस्की ने अपने पद से हटने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है. लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने मज़ाक में कहा, ‘अगर इस साल चुनाव हुए, तो भी मैं जीत सकता हूं.’ उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिलती है, तो वह पद छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं.
अब जनता का एक बड़ा तबका युद्ध समाप्त करने को प्राथमिकता देने लगा है. लगभग 25% जनता, जिसमें मुख्य रूप से सैन्य परिवार शामिल हैं, युद्ध जारी रखने के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि रूस को यूक्रेन के हर हिस्से से बाहर निकाला जाए. लेकिन दो-तिहाई लोग अब शांति वार्ता चाहते हैं. इनमें से आधे लोग यूक्रेन द्वारा बड़े समझौते करने के लिए तैयार हैं, जबकि अन्य आधे तत्काल युद्धविराम चाहते हैं.
New Delhi,Delhi
March 06, 2025, 12:56 IST
जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी शुरू! ट्रंप ने यूक्रेन में बिछा दिए पत्ते
Internattional
Tahawwur Rana Extradition India Mumbai Attack Accused Seeks Emergency Stay | ‘भारत में मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले गीली होने लगी तहव्वुर राणा की पैंट, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

Last Updated:
Tahawwur Rana Extradition to India: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. वह चाहता है कि उसे भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया जाए.

अमेरिका ने कर दिया है तहव्वुर राणा को भारत भेजने का ऐलान.
हाइलाइट्स
- तहव्वुर राणा ने अमेरिका में भारत प्रत्यर्पण रोकने की अपील की.
- राणा ने भारत में टॉर्चर और भेदभाव का हवाला दिया.
- राणा 26/11 मुंबई हमले का आरोपी है.
वाशिंगटन: तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि उसे भारत प्रत्यर्पित न किया जाए. राणा ने “इमरजेंसी स्टे” की मांग की है. राणा ने अपने आवेदन में कहा है कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” किया जा सकता है. वह मुस्लिम है और पाकिस्तानी मूल का है, इसलिए उसे ज्यादा खतरा है. लेकिन, अमेरिकी कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है. इससे अब राणा को प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच की 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है. उसने कहा कि भारत सरकार “ऑटोक्रेटिक” हो गई है और वहां उन्हें यातना दिए जाने की पूरी आशंका है. उसकी सेहत भी खराब है. वह 3.5 सेमी के एब्डॉमिनल एन्यूरिज्म, पार्किंसंस और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित है. अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील को खारिज कर देता है, तो उन्हें भारत भेजा जाएगा.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है. उस पर 26/11 मुंबई हमले में भूमिका निभाने का आरोप है. अमेरिका में उसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को समर्थन देने का दोषी पाया गया था. भारत काफी समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले महीने वाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा. उन्होंने कहा था, “राणा भारत जाकर न्याय का सामना करेगा.”
पीएम मोदी ने भी अमेरिका को धन्यवाद दिया. ट्रंप ने आगे कहा, “हमने मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी का प्रत्यर्पण मंजूर कर लिया है. यह दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक है.”
राणा के लिए तैयार हैं भारत की जेलें
भारत सरकार राणा को जल्दी से जल्दी भारत लाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हमारी जेलें राणा के लिए तैयार हैं. हमने अजमल कसाब को भी रखा था, ऐसे में सुरक्षा कोई समस्या नहीं है.” राणा के भारत आते ही उसे NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा. उसके बाद NIA उसकी कस्टडी मांगेगी ताकि पूछताछ हो सके.
डेविड हेडली ने भी किया था खुलासा
राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था. डेविड हेडली ने कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही दी थी. अमेरिका में उन्हें डेनमार्क में हमले की साजिश के लिए दोषी पाया गया था लेकिन भारत में आतंकी गतिविधियों के आरोप से बरी कर दिया गया था. बाद में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी.
March 06, 2025, 16:10 IST
‘मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले सूखने लगा तहव्वुर राणा का गला
-
Fashion20 hours ago
These ’90s fashion trends are making a comeback in 2017
-
Entertainment20 hours ago
The final 6 ‘Game of Thrones’ episodes might feel like a full season
-
Fashion20 hours ago
According to Dior Couture, this taboo fashion accessory is back
-
Entertainment20 hours ago
The old and New Edition cast comes together to perform
-
Sports20 hours ago
Phillies’ Aaron Altherr makes mind-boggling barehanded play
-
Business20 hours ago
Uber and Lyft are finally available in all of New York State
-
Entertainment20 hours ago
Disney’s live-action Aladdin finally finds its stars
-
Sports20 hours ago
Steph Curry finally got the contract he deserves from the Warriors