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Iran Warning US News: ईरान ने US से बातचीत से किया इनकार, China-Russia संग Military Drill से दिखाई ताकत

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Iran US News: ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने कहा कि अमेरिका की धमकियों के बीच ईरान परमाणु समझौते पर बातचीत नहीं करेगा. ईरान ने रूस और चीन के साथ ओमान की खाड़ी में सैन्य अभ्यास किया, जिससे क्षेत्रीय तनाव औ…और पढ़ें

जो करना है कर लो... ईरान ने ट्रंप को दिया जवाब, US के धमकियों की निकाली हवा

ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है.

हाइलाइट्स

  • ईरानी राष्ट्रपति ने ट्रंप को चेतावनी दी
  • ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि वह समझौते को तैयार नहीं
  • अमेरिका से उन्होंने कहा जो करना है कर लो

तेहरान: अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ईरान पर दबाव बढ़ाने में लगे हैं. ईरान ने अब ट्रंप को करारा जवाब दिया है. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने मंगलवार को कहा कि धमकियों के बीच ईरान अमेरिका से किसी भी स्थिति में अपने परमाणु कार्यक्रम पर बात नहीं करेगा. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को दो टूक जवाब देते हुए कहा, ‘जो करना है कर लो.’ इस बीच ईरान ने रूस और चीन के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करके अपनी ताकत दिखाई है. पेजेश्कियान ने कहा, ‘हम यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अमेरिका हमें आदेश और धमकियां दे. मैं तुमसे (अमेरिका) बात भी नहीं करूंगा. जो करना है कर लो.’

ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने भी शनिवार को कहा था कि ईरान किसी भी दबाव में बातचीत नहीं करेगा. यह बयान ट्रंप के उस दावे के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने ईरान के साथ नए परमाणु समझौते के लिए खामेनेई को एक पत्र लिखा है. हालांकि ईरान ने कहा है कि उसे कोई भी पत्र नहीं मिला है. ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर पहले की तरह ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ की नीति लागू कर दी है. इसके जरिए अमेरिका ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और उसके तेल निर्यात को शून्य तक लाने की कोशिश में जुटा है.

ईरान पर दबाव बढ़ाने में लगा अमेरिका
ट्रंप ने सोमवार को प्रतिबंधों में दी गई छूट को समाप्त करके दबाव बढ़ाने की कोशिश की. इस छूट के तहत इराक को ईरान से बिजली खरीदने की इजाजत दी गई थी. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि ईरान ‘दबाव और धमकी में बातचीत नहीं करेगा.’ 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान और प्रमुख शक्तियों के साथ ऐतिहासिक समझौता किया था. इसमें ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के बदले प्रतिबंधों में छूट देने का वादा किया गया था. ट्रंप के आने के बाद यह समझौता टूट गया.

ईरान ने किया सैन्य अभ्यास
ईरान ने मंगलवार को चीन और रूस के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया, जिसे मैरिटाइम सिक्योरिटी बेल्ट 2025 नाम दिया गया. यह अभ्यास ओमान की खाड़ी में हुआ, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य के पास मौजूद है. इस हिस्से से दुनिया के कुल तेल व्यापार का पांचवां हिस्सा गुजरता है. यह पांचवां साल है जब तीनों देशों ने इस मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा लिया है.

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Trump Zelenskyy Rift: जेलेंस्की की समझो हो गई छुट्टी, यूक्रेन में तख्तापलट का स्क्रिप्ट तैयार, डोनाल्ड ट्रंप ने बिछा दिए पत्ते

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Trump Zelenskyy Rift: क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी में जुट गए हैं. दरअसल एक खबर ने इन अटकलों को हवा दे दी. इसमें बताया गया कि ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने जेलें…और पढ़ें

जेलेंस्की के तख्तापलट की तैयारी शुरू! ट्रंप ने यूक्रेन में बिछा दिए पत्ते

ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुलाकात की खबर ने हलचल मचा दी. (AP फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने जेलेंस्की के प्रतिद्वंद्वियों से गुप्त बातचीत की.
  • इस मुलाकात से यूक्रेन में तख्तापलट की अटकलें तेज.
  • अमेरिका और रूस दोनों जेलेंस्की को सत्ता से हटाने की कोशिश में.

क्या डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुटे गए हैं? अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट से ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं. पिछले दिनों ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक तो पूरी दुनिया ने देखी, वहीं अब पॉलिटिको ने खबर दी है कि ट्रंप के चार टॉप अधिकारियों ने जेलेंस्की के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बातचीत की है. यह वार्ता बेहद गुप्त रखी गई थी, लेकिन इस खबर के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और रूस दोनों ही किसी भी तरह जेलेंस्की को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में जुटे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने यूक्रेन की विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पूर्व राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की. ये बातचीत कथित तौर पर यूक्रेन में जल्द से जल्द राष्ट्रपति चुनाव कराने की संभावनाओं पर केंद्रित रही, जो वर्तमान में मार्शल लॉ के कारण स्थगित हैं. आलोचकों का मानना है कि युद्धग्रस्त देश में इस तरह के चुनाव अराजकता फैला सकते हैं और रूस को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि लाखों संभावित मतदाता या तो मोर्चे पर हैं या शरणार्थी के रूप में विदेश में रह रहे हैं.

क्या ट्रंप की रणनीति काम करेगी?
ट्रंप के सहयोगियों को भरोसा है कि ज़ेलेंस्की युद्ध की थकान और देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जनता की नाराज़गी के कारण किसी भी चुनाव में हार जाएंगे. हालांकि, हाल ही में हुए वाइट हाउस विवाद के बाद जेलेंस्की की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक, अब भी 44% लोग जेलेंस्की का समर्थन कर रहे हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी वलेरी ज़ालुज़नी उनसे 20 अंकों से पीछे हैं.

मुंह में राम, बगल में छूरी!
ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि वे यूक्रेन की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लुटनिक ने इस हफ्ते दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल ‘शांति के लिए एक सहयोगी’ चाहते हैं. लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.

ट्रंप खुद ज़ेलेंस्की को ‘बिना चुनाव वाला तानाशाह’ कह चुके हैं, जबकि अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गैबार्ड ने यूक्रेन सरकार पर चुनाव रद्द करने का झूठा आरोप लगाया है. हालांकि, हकीकत यह है कि तिमोशेंको और पोरोशेंको जैसे विपक्षी नेता भी युद्ध समाप्त होने से पहले चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं.

सीक्रेट मीटिंग में रूस का भी रोल?
सूत्रों के मुताबिक, इन गुप्त बैठकों में सबसे अहम मुद्दा यही रहा कि राष्ट्रपति चुनाव अस्थायी संघर्षविराम के बाद और पूर्ण शांति वार्ता शुरू होने से पहले आयोजित किए जाएं. यह वही रणनीति है, जिसे रूस भी लंबे समय से समर्थन देता आ रहा है. यूक्रेन की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे तिमोशेंको और पोरोशेंको ने सार्वजनिक रूप से चुनाव कराने का विरोध किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता ट्रंप खेमे से गुप्त संपर्क में हैं और खुद को अमेरिका के लिए “बेहतर विकल्प” के रूप में पेश कर रहे हैं.

पॉलिटिको के मुताबिक, जब तिमोशेंको की प्रवक्ता नताल्या लिसोवा से पूछा गया कि क्या वह वाकई ट्रंप प्रशासन के संपर्क में हैं, तो उन्होंने केवल इतना कहा, ‘हम इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.’

यह घटनाक्रम साफ इशारा करता है कि अमेरिका, रूस और यूक्रेन के भीतर सत्ता संघर्ष तेज़ हो रहा है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ज़ेलेंस्की इस चुनौती का सामना कर पाएंगे, या फिर वॉशिंगटन और मॉस्को की राजनीतिक चालें उन्हें सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होंगी.

जेलेंस्की के कुर्सी छोड़ने पर जोर
डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट अधिकारियों ने बीते कुछ दिनों से लगातार यह संकेत दिया है कि अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अमेरिका की युद्ध समाप्ति योजना का पूरी तरह समर्थन नहीं करते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. यह योजना यूक्रेन के लिए बड़े समझौतों के साथ तेजी से युद्ध समाप्त करने पर आधारित है.

व्हाइट हाउस में बीते शुक्रवार हुए जोरदार टकराव के बाद से ट्रंप प्रशासन का यह रुख और भी कड़ा हो गया है. वहीं, यूक्रेन में ज़ेलेंस्की के राजनीतिक विरोधी अब सार्वजनिक रूप से यह संकेत देने लगे हैं कि अमेरिका के साथ यूक्रेन के रिश्ते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हें बहाल किया जाना चाहिए. कीव में इसे ज़ेलेंस्की के प्रति अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। ज़ेलेंस्की ने भी अब पिछले सप्ताह की गर्मागर्म बहस पर खेद जताया है और कहा है कि वह ट्रंप के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं.

सांसदों को तोड़ने की तैयारी
वाइट हाउस विवाद के झटके यूक्रेनी संसद में भी महसूस किए जा रहे हैं. पॉलीटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको अब अन्य पार्टियों के सांसदों से संपर्क कर रही हैं और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए मना रही हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि तिमोशेंको का मानना है कि ज़ेलेंस्की के पास जल्द चुनाव करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिससे संसदीय बहुमत को फिर से आकार देने का सुनहरा मौका मिलेगा.

यूक्रेन में जनता की राय कैसे बदल रही है?
हालांकि, जेलेंस्की ने अपने पद से हटने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है. लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने मज़ाक में कहा, ‘अगर इस साल चुनाव हुए, तो भी मैं जीत सकता हूं.’ उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिलती है, तो वह पद छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं.

अब जनता का एक बड़ा तबका युद्ध समाप्त करने को प्राथमिकता देने लगा है. लगभग 25% जनता, जिसमें मुख्य रूप से सैन्य परिवार शामिल हैं, युद्ध जारी रखने के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि रूस को यूक्रेन के हर हिस्से से बाहर निकाला जाए. लेकिन दो-तिहाई लोग अब शांति वार्ता चाहते हैं. इनमें से आधे लोग यूक्रेन द्वारा बड़े समझौते करने के लिए तैयार हैं, जबकि अन्य आधे तत्काल युद्धविराम चाहते हैं.

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Tahawwur Rana Extradition India Mumbai Attack Accused Seeks Emergency Stay | ‘भारत में मुझे टॉर्चर करेंगे’, प्रत्यर्पण से पहले गीली होने लगी तहव्वुर राणा की पैंट, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

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Tahawwur Rana Extradition to India: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. वह चाहता है कि उसे भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया जाए.

'मुझे टॉर्चर करेंगे', प्रत्यर्पण से पहले सूखने लगा तहव्वुर राणा का गला

अमेरिका ने कर दिया है तहव्वुर राणा को भारत भेजने का ऐलान.

हाइलाइट्स

  • तहव्वुर राणा ने अमेरिका में भारत प्रत्यर्पण रोकने की अपील की.
  • राणा ने भारत में टॉर्चर और भेदभाव का हवाला दिया.
  • राणा 26/11 मुंबई हमले का आरोपी है.

वाशिंगटन: तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि उसे भारत प्रत्यर्पित न किया जाए. राणा ने “इमरजेंसी स्टे” की मांग की है. राणा ने अपने आवेदन में कहा है कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” किया जा सकता है. वह मुस्लिम है और पाकिस्‍तानी मूल का है, इसलिए उसे ज्यादा खतरा है. लेकिन, अमेरिकी कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है. इससे अब राणा को प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच की 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है. उसने कहा कि भारत सरकार “ऑटोक्रेटिक” हो गई है और वहां उन्‍हें यातना दिए जाने की पूरी आशंका है. उसकी सेहत भी खराब है. वह 3.5 सेमी के एब्डॉमिनल एन्‍यूरिज्‍म, पार्किंसंस और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित है. अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील को खारिज कर देता है, तो उन्‍हें भारत भेजा जाएगा.

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा पाकिस्‍तान मूल का कनाडाई नागरिक है. उस पर 26/11 मुंबई हमले में भूमिका निभाने का आरोप है. अमेरिका में उसे लश्‍कर-ए-तैयबा (LeT) को समर्थन देने का दोषी पाया गया था. भारत काफी समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले महीने वाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा. उन्‍होंने कहा था, “राणा भारत जाकर न्याय का सामना करेगा.”

पीएम मोदी ने भी अमेरिका को धन्यवाद दिया. ट्रंप ने आगे कहा, “हमने मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी का प्रत्यर्पण मंजूर कर लिया है. यह दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक है.”

राणा के लिए तैयार हैं भारत की जेलें

भारत सरकार राणा को जल्‍दी से जल्‍दी भारत लाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हमारी जेलें राणा के लिए तैयार हैं. हमने अजमल कसाब को भी रखा था, ऐसे में सुरक्षा कोई समस्या नहीं है.” राणा के भारत आते ही उसे NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा. उसके बाद NIA उसकी कस्टडी मांगेगी ताकि पूछताछ हो सके.

डेविड हेडली ने भी किया था खुलासा

राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था. डेविड हेडली ने कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही दी थी. अमेरिका में उन्‍हें डेनमार्क में हमले की साजिश के लिए दोषी पाया गया था लेकिन भारत में आतंकी गतिविधियों के आरोप से बरी कर दिया गया था. बाद में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी.

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ट्रंप का गोल्डन डोम: अमेरिका का नया एयर डिफेंस सिस्टम.

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Air defence shield:  मौजूदा समय की जंग ने पारंपरिक जंग के तरीके को ही बदल दिया है. लॉंग रेंज मिसाइल, ड्रोन जंग के प्रमुख हथियार बन गए हैं. और इन से बचवा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम भी हाई टेक चाहिए. इजराइल को तो उ…और पढ़ें

ट्रंप को सता रहा एरियल अटैक का डर, आयरन डोम की तर्ज पर बनेगा गोल्डन डोम

गोल्डन डोम के जरिए अमेरिका की सुरक्षा की तैयारी

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने गोल्डन डोम एयर डिफेंस शील्ड का एलान किया.
  • भारत ने स्वदेशी उपकरणों से रक्षा कवच तैयार किया.
  • गोल्डन डोम अमेरिकी एरियल अटैक से रक्षा करेगा.

Golden dome AD System:  इजराइल की जंग ने एयर डिफेंस की जरूरत को पूरी दुनिया को समझा दिया है.  हमास-हिजबुल्लाह और ईरान के हमलों से इजराइल को आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम ने ही बचाया.  एरियल अटैक का खतरा अब अमेरिका को भी सता रहा है. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस को समबोधित करते हुए गोल्डन डोम शील्ड का एलान किया. ट्रंप ने कहा कि इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम की तर्ज पर ही उनके भी पास भी एयर डिफेंस गोल्डन डोम होना चाहिए. ट्रंप ने अपने संबधन में पूर्व राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन का हवाला देते हुए कहा कि वह भी ऐसा चाहते थे. उस वक्त ऐसी तकनीक नहीं था. लेकिन अब ऐसी तकनीक है. अमेरिकी मेनलैंड को दुश्मन के एरियल अटैक से बचाने के लिए

क्या है गोल्डन डोम प्रोग्राम?
यह एक यह एक नेक्स्ट जेनेरेशिन एयर डिफेंस सिस्टम प्रोग्राम होगा. इसमें लॉंग रेंज रडार अमेरिका की तरफ आने वाले प्रोजेक्टाइल को पहचानेगा, उसकी ट्रेजेक्टरी को ट्रैक करेगा और फिर इंटरसेप्टर मिसाइल के जरिए उसे मिड एयर में ही एंगेज कर देगा. अमेरिका की रक्षा उत्पाद कंपनी लॉकहीड मार्टिंन का मानना है कि अलगे साल के अंत तक अमेरिका के लिए गोल्डन डोम देना एक चुनौती है और इसके लिए सभी कमर्शियल इंडस्ट्री को एक नेशनल टीम की तरह साथ आना होगा. लॉकहीड इस नेशनल टीम की अगुवाइ करने को तैयार है. अमेरिकी कंपनियों की मदद से पूरा करने की कोशिश की जाएगी. हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्पेस बेस्ड इंटरसेप्टर को विकसित करना होगा.

आयरन डोम कैसे काम करता है?
हमास ने आयरन डोम के रॉकेट के एंगेज करने की क्षमता से ज्यादा राकेट दागे. ज्यादातर को आयरन डोम ने मार गिराया. हमास ने ग्लाइडर के जरिए हमले के लिए भी वही समय चुना जब आयरन डोम के रडार मिसाइलों के ट्रेक कर रहे थे. आयरन डोम को इजात ही किया गया था हाई स्पीड रॉकेट और मिसाइल को रोकने के लिए. इसमें इस तरह का सिस्टम है वह हमले में रॉकेट की स्पीट को ट्रैक करता है. जो भी रॉकेट भीड़ वाले इलाके में गिरने वाला होता है सिर्फ उसे एंगेज करता है. हाई स्पीड मिसाइलों और लो फ्लाइंग स्लो ऑब्जेक्ट में से अगर पहली किसी को चुनना होता है तो यह मिसाइल को ही पहले चुनता है.

रक्षाकवच भारत का देसी आयरन डोम
देसी आयरन डोम डीआरडीओ के  स्वदेशी उपकरणों को इंटीग्रेट कर के रक्षा कवच को विकसित किया है. इस रक्षा कवच में दो हिस्से है. पहला है निगरानी करना और दूसरा है अटैक करना. निगरानी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, सर्वेलांस ड्रोन और सैटेलाइट है. ग्राउंड में लॉंग रेंज रडार है जो दुशमन के किसी भी एरियल खतरे को ट्रैक करता है. दूसरा है उसे एंगेज करने के लिए हार्ड किल, सॉफ्ट किल, सर्फेस टू एयर मिलाइल, आर्टोलरी गन और लेजर बीम तकनीक है.

कैसे करेगा रक्षा कवच काम ये सिस्टम?
सबसे जरूरी है एरियल अटैक को पहचानना यानी दुश्मन कितनी दूर है. सर्वेलॉंस का सारा डॉटा कंट्रोंल सेंटर में जाएगा. वहा जानकारी प्रोसेस करने के बाद अटैक को न्यूट्रलाइज करना पड़ता है. हाई स्पीड ड्रोन अटैक से निपटने के लिए सॉफ्ट किल, हार्ड किल होता है. सॉफ्ट किल में हाई पावर माइक्रोवेव उस दिशा में छोड़ते हैं जिस दिशा से अटाक आ रहा है. इससे सिस्टम का इलेकट्रोनिक कमजोर हो जाता है. स्पीड धीरे हो जाती है. उसके बाद भी वह अटैक करने के लिए आता है तो क्विक रिसेपॉंस सर्फोस टू एयर मिसाइल सिस्टम है इससे उसे एंगेज किया जाता सकता है. इसी तहर से ATAGS है उसेसे भी अटैक को एंगेज किया जा सकता है. इसके अलावा लेजर बीम तकनीक से टार्गेट को नष्ट किया जा सकता है. सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक हमलों को भी तभी नष्ट किया जा सकता है जब उसका डिटेक्शन पहले ही हो जाए. पहले ही डिटेक्शन हो गया तो एयर डिफेंस मिसाइल को टाइम मिल जाएगा उसे एंगेज करने के लिए. फिलहाल सभी सिस्टम तैयार हो चुके हैं, सॉफ्टवेर पर काम चल रहा है .जल्द ही DRDO इसे शोकेस करेगी.

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ट्रंप को सता रहा एरियल अटैक का डर, आयरन डोम की तर्ज पर बनेगा गोल्डन डोम

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