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Iran Nuclear Site US Spy Drone Tension: अमेरिकी जासूसी ड्रोन ने भड़काया Iran, परमाणु साइट के पास मंडराने पर हवाई सेना अलर्ट

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US Drone News: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है. एक अमेरिकी जासूसी ड्रोन ईरान की परमाणु साइट के करीब पहुंचा, जिसे ईरानी वायुसेना ने खदेड़ दिया. ट्रंप ने ईरान को हूती विद्रोहियों के हमलों के लिए जिम्मेदार …और पढ़ें

अमेरिका का ड्रोन ईरानी सीमा तक पहुंच गया.
हाइलाइट्स
- अमेरिकी ड्रोन ईरान की परमाणु साइट के पास पहुंचा
- ईरानी वायुसेना ने अमेरिकी ड्रोन को खदेड़ा
- अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ा
तेहरान: अमेरिका एक तरफ हूती विद्रोहियों पर हमला कर रहा है तो दूसरी तरफ ईरान को धमकी दे रहा है. अब अमेरिका ने एक कदम आगे बढ़कर कुछ ऐसा किया है, जिससे ईरान भड़क गया है. दरअसल अमेरिका का एक जासूसी ड्रोन ईरान के परमाणु साइट के करीब पहुंच गया और उसने घंटों तक चक्कर लगाया. ईरान के नूरन्यूज ने वायु सेना के हवाले से कहा कि ईरानी एफ-14 लड़ाकू विमान और टोही ड्रोन तुरंत भेजा गया. ईरान की वायुसेना को आता देख अमेरिकी ड्रोन पीछे हट गया और ईरानी हवाई क्षेत्र छोड़ दिया. नूरन्यूज का कहना है कि ईरान के सशस्त्र बल हाई अलर्ट पर हैं और मध्य पूर्व में किसी भी दुश्मन के हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं.
यह घटना अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को और भी ज्यादा बढ़ाने वाली है. सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया था कि वह यमन के हूतियों की ओर से किसी भी हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराएंगे. अपनी सीमा के पास ड्रोन देखकर ईरान भड़क गया. ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स एयरफोर्स ने धमकी दी है कि हम अपने हवाई क्षेत्र में घुसने वाले दुश्मन के किसी भी विमान को मार गिराएंगे.
ईरान ने अमेरिका को दी थी धमकी
अमेरिका ने धमकी दी थी कि ईरान हूती विद्रोहियों को अपना समर्थन बंद करे. इससे नाराज ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने रविवार को किसी भी हमले का निर्णायक जवाब देने की धमकी दी. ईरानी गार्ड्स के प्रमुख होसैन सलामी ने रविवार को एक भाषण दिया. इसमें उन्होंने ट्रंप की धमकियों की निंदा की और कहा कि ईरान युद्ध नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई धमकी देता है तो वह उचित और निर्णायक जवाब दिया. उन्होंने हूती विद्रोहियों को यमन के लोगों का प्रतिनिधि कहा.
अमेरिकी हमले में 53 लोगों की मौत
यमन में हूती विद्रोहियों को निशाना बनाकर अमेरिका की ओर से किए गए हवाई हमलों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए. हूती विद्रोहियों द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी. अमेरिका के इन हमलों के बाद ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने भी हमलों की धमकी दी है. लाल सागर में इससे तनाव बढ़ने की आशंका है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को यमन में हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों पर सिलसिलेवार हवाई हमलों का आदेश दिया था. ट्रंप ने चेतावनी दी कि ईरान समर्थित हूती विद्रोही अहम समुद्री गलियारे पर आने-जाने वाले मालवाहक पोतों पर जब तक अपने हमले बंद नहीं कर देते, तब तक वह ‘पूरी ताकत से’ हमले जारी रखेंगे.
एजेंसी इनपुट के साथ.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 18, 2025, 11:16 IST
ईरानी न्यूक्लियर साइट के पास पहुंचा अमेरिका का जासूसी ड्रोन, शिया देश भी भड़का
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रेड सी में अमेरिका-हूती संघर्ष से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं

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USA VS HOUTHI: रेड सी में अमेरिकी नौसेना की सबसे ज़्यादा एक्टिविटी है. 2023 से ही अमेरिका ने अपनी मौजूदगी को मिडिल ईस्ट के इलाके में लगातार जारी रखी है. यमन के हूती विद्रोहीअमेरिकी , यूएस और इजरायली मर्चेंट वेस…और पढ़ें

रेड सी का रंग होने लगा लाल..
हाइलाइट्स
- अमेरिका और हूती विद्रोहियों में रेड सी में तनाव बढ़ा.
- तेल की कीमतों में उछाल की संभावना.
- रेड सी में व्यापार बाधित होने से वैश्विक असर.
USA VS HOUTHI: रेड सी लंबे समय से अमेरिका और यमन के हूती का जंग का मैदान बना हुआ है. इजरायल का हमसा और हिज्बुल्लाह के साथ जंग ने तो मानों आग घी डालने का कम कर दिया. यह पूरा इलाका अमेरिका के सेंट्रल कमांड के कार्यक्षेत्र में आता है. पिछले साल 15 दिसंबर को मिडिल ईस्ट मे तैनात के लिए कैरियर स्ट्राइक ग्रुप USS हैरी ए ट्रूमैन स्वेज कैनाल को पार करते हुए रेड सी के इलाके में पहु्ंचा. इसी कैरियर से अमेरिकी F-18 ने उड़ान भर कर हूती पर बड़ा हमला किया. हैरी एस. ट्रूमन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में USS गेटिसबर्ग (CG-64), USS स्टाउट (DDG-55) और USS जैसन डनहम (DDG-109) शामिल हैं. कैरियर एयर विंग (CVW) 1 ट्रूमन में सवार है. इसके जवाब में हूती ने भी अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप पर भी हमले का दावा किया. रेड सी का इलाके का मिज़ाज फिर से लाल होने लगा है. हूती और अमेरिका आमने सामने है और इस जारी जंग से दुनिया की मुश्किलें बढ सकती है. तेल की क़ीमतों में उछाल आने की संभावना है.अमेरिका के सेंट्रल कमांड ने दो दिन से लगातार यमन में हूती के ठिकानों पर हमला किया.
तेल की कीमतों में आ सकता है उछाल
यमन के हूती विद्रोहियों ने रेड सी से अदन की खाड़ी और मध्य/उत्तरी अरब सागर के अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाता आ रहा है.अमेरिका की तरफ से जारी किए गए बयान में साफ कही गया कि पिछले 18 महीने के भीतर हूती ने अमेरिकी नौसेना के वॉरशिप पर 174 बार हमले किए. इसके अलावा उस इलाके से गुजरने वाले कमर्शियल शिपिंग पर 145 बार अटैक किए. पहले तो सोमालिया के समुद्री लुटेरे ही व्यापारिक जहाजो के लिए समस्या होते थे लेकिन अब हूती विद्रोहियों ने भी मुश्किले खड़ी कर दी. अगर हम सिर्फ भारत के परीपेक्ष में इस मौजूदा हालात को देखें तो अरब सागर में स्ट्रेट ऑफ हॉरमूज के पास फारस और ओमान की खाड़ी के इलाके से भारत का 80 फीसदी एनर्जी ट्रेड आता है. दूसरा अदन की खाड़ी में एनर्जी ट्रेड के अलवा 90 फीसदी अन्य व्यापार होता है. स्वेज कैनाल से रेड सी और अदन की खाड़ी से होते हुए सारा ट्रेड अरब सागर के रास्ते भारत पहुंचता है. इसी रूट से चीन और अन्य ईस्ट के देशों तक तेल और अन्य व्यापर पहुंचता है. रेड सी में गदर बढ़ा तो पूरा ट्रेड बाधित हो जाएगा. इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. जिसमें तेल की कीमतों में भी उछाल आ सकता है.
रेड सी बाधित हुआ तो बढ़ेगी मुसीबत
रेड सी से होते हुए अदन की खाड़ी तक पहुंचना बेहद चुनौती पूर्ण हो जाता है. यह पूरा इलाका सबसे बडा पायरेसी का इलाका है. जिबूती और सोमालिया से लुटेरे इसी जगह पर डकैती डालते है. समुद्री रास्ते से व्यापार का यह सबसे छोटा रूट है. इसलिए यहां पर ट्रैफिक बाकी जगह से कहीं ज़्यादा है. अगर जंग के चलते कभी अदन की खाड़ी वाला रूट बाधित हुआ, तो व्यापारिक जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ेगा. मर्चेंट वेसल को मेडिटेरियन सी से होते हुए अफ्रीका के नीचे केपौ ऑफ गुड होप रूट से आना होगा. इस रूट से ना सिर्फ समय ज्यादा लगेगा बल्कि कीमते भी बढ़ जाएंगी.
March 18, 2025, 13:53 IST
रेड सी का मिजाज फिर से होने लगा लाल, अमेरिका-हूती है आमने सामने
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Jalandhar bhogpur woman dies by Canadian flight | Jalandhar | Bhogpur | Canada | Paramjit Kaur | जालंधर की महिला की कनाडाई फ्लाइट में मौत: बेटी से मिलने गई थी, तबीयत बिगड़ी तो इमरजेंसी लैंडिंग करवाई, रास्ते में दम तोड़ा – Jalandhar News

जालंधर की एक महिला की कनाडा में फ्लाइट के अंदर मौत हो गई। मृतक महिला की पहचान जालंधर के कस्बा भोगपुर की रहने वाली परमजीत कौर गिल के रूप में हुई है। जो कनाडा के एक एरयपोर्ट से दूसरे किसी प्रोविंस के एयरपोर्ट पर जा रही थी। इस दौरान फ्लाइट में उसकी तबीय
.
बेटी से मिलने विदेश गई थी महिला
जानकारी के अनुसार, भोगपुर की रहने वाले परमजीत कौर गिल अपनी बेटी से मिलने के लिए कनाडा गई थी। महिला कनाडा में ही ट्रैवल कर रही थी। इस दौरान जब परमजीत की तबीयत बिगड़ी तो तुरंत फ्लाइट के क्रू मेंबर्स को सूचना दी गई।
जिसके बाद फ्लाइट को इमरजेंसी में तय समय से पहले किसी अन्य एयरपोर्ट पर उतारा गया। जहां से तुरंत उस महिला को अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। अस्पताल ले जाते ही महिला को डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया था। हालांकि फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि महिला की मौत का सटीक कारण क्या था। परमजीत की मौत के बाद से भोगपुर में रह रहे परिवार में शोक की लहर है।
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Raisina Dialogue 2025: शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने पुराने रुख पर जताया अफसोस.

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Raisina Dialogue 2025: शशि थरूर ने रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर 2022 में उनका रुख गलत था और अब उन्हें अफसोस है. उन्होंने पीएम मोदी की नीति की तारीफ भी की.

Raisina Dialogue 2025: शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने पुराने रुख पर जताया अफसोस.
हाइलाइट्स
- शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर 2022 में अपनाया रुख गलत माना.
- थरूर ने पीएम मोदी की नीति की तारीफ की.
- भारत ने रूस-यूक्रेन संकट में संतुलित रुख अपनाया.
Raisina Dialogue 2025: रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था. जंग अब भी जारी है. जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे. तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी. अब तीन साल बाद उन्हें अपने स्टैंड को लेकर पछतावा है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था. अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है.
दरअसल, साल 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद शशि थरूर भारत सरकार के रुख के सबसे मुखर आलोचकों में से एक थे. उस समय उन्होंने संसद में कहा था कि भारत का रूस-यूक्रेन युद्ध पर अचानक चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों के लिए निराशाजनक होगा. उन्होंने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था, ‘रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं, लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत इस मामले में मौन हो गया.’
शशि थरूर ने मानी गलती
रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है. उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब मुझे अफसोस है कि जो रुख मैंने अपनाया था, वह सही नहीं था. शशि थरूर ने कहा, ‘मुझे अब भी शर्मिंदगी महसूस हो रही है. फरवरी 2022 में संसदीय बहस में मैं अकेला शख्स था जिसने भारत के रुख की आलोचना की थी. मैंने कहा था कि ये संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र का उल्लंघन है. सीमाओं की अखंडता और एक सदस्य देश यानी यूक्रेन की संप्रभुता के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है. हम हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए बल प्रयोग को अस्वीकार्य मानते आए हैं. मैंने कहा था कि इन सारे सिद्धांतों का एक पक्ष ने उल्लंघन किया है और हमें निंदा करनी चाहिए थी.’
पीएम मोदी की तारीफ?
शशि थरूर ने आगे स्वीकार किया, ‘तीन साल बाद ऐसा लगता है कि मैं ही बेवकूफ बन गया. स्पष्ट रूप से इस नीति का मतलब है कि भारत के पास वास्तव में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो दो सप्ताह के अंतराल में यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति दोनों को गले लगा सकते हैं.’ उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उस नीति के कारण, भारत ऐसी स्थिति में है जहां वह स्थायी शांति के लिए अपनी भूमिका निभा सकता है. उन्होंने कहा, ‘दूरी से मदद मिलती है. तथ्य यह है कि हम यूरोप में नहीं हैं और हमें सीधे तौर पर किसी भी तरह का खतरा नहीं है, और उदाहरण के लिए हमें क्षेत्रीय सीमाओं में किसी भी बदलाव से कोई फायदा नहीं होता है, इससे मदद मिलती है.’
शशि थरूर से हुई चूक?
तीन साल बाद शशि थरूर का मंच से यह स्वीकार करना कि उस समय का उनका रुख गलत साबित हुआ और आज की परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें इस पर पछतावा है, अपने आप में बड़ी बात है. शशि थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है, जब भारत ने रूस-यूक्रेन संकट में संतुलित और तटस्थ रुख अपनाते हुए शांति और कूटनीतिक समाधान की वकालत की है. शशि थरूर के इस बयान से उनके पहले के रुख पर पुनर्विचार की झलक मिलती है और यह भी संकेत मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलते समीकरणों को समझने में शायद उनसे चूक हुई थी.
क्या भारत यूक्रेन शांति रक्षक भेजेगा?
थरूर से यह भी पूछा गया कि क्या यह संभव है कि भारत यूक्रेन समेत संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति रक्षक भेजेगा? उन्होंने बताया कि फैसला कई बातों पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा, ‘यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष शांति के लिए तैयार हैं, क्या अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना के लिए गंभीरता से अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा? भारत सरकार के लिए ऐसा फैसला लेने से पहले इन सब बातों को ध्यान में रखना होगा. हां या ना कहने से पहले उन्हें इन बातों को सबसे ऊपर रखना होगा.’ हालांकि, उन्होंने इस मामले में आशावादी रुख दिखाया और कहा कि इसे पूरी तरह से संभव मानता हूं कि इन परिस्थितियों में भारत हां कहेगा. उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपने इतिहास में दुनिया भर में ढाई लाख शांति रक्षक भेजे हैं. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ने करीब 49 शांति अभियानों में भाग लिया है. “तो यह एक ऐसा देश है जिसका भारत के प्रत्यक्ष हित से बहुत दूर के स्थानों पर शांति स्थापित करने का व्यापक रिकॉर्ड है. तो क्यों नहीं?”
Delhi,Delhi,Delhi
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