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Earthquake News Today: पश्चिमी नेपाल में 4.3 तीव्रता का भूकंप, कोई नुकसान नहीं.

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Nepal Earthquake News: पश्चिमी नेपाल में 4.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका केंद्र अछाम जिले के बटुलासैन में था. किसी नुकसान या हताहत की खबर नहीं है. 8 मार्च को बागलुंग में 4.1 तीव्रता का भूकंप आया था.

नेपाल में फिर कांपी धरती, भूकंप के झटके ने सबको हिलाया, तबाही का संकेत तो नहीं

पश्चिमी नेपाल में 4.3 तीव्रता का भूकंप

हाइलाइट्स

  • नेपाल में 4.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया.
  • भूकंप का केंद्र अछाम जिले के बटुलासैन में था.
  • कोई नुकसान या हताहत की खबर नहीं है.

Nepal Earthquake News: क्या नेपाल में कोई बड़ी तबाही आने वाली है? क्या फिर से नेपाल को प्राकृतिक आपदा का दंश झेलना पड़ सकता है? ऐसा इसलिए क्योंकि यहां अब बार-बार धरती डोलने लगी है. नेपाल में एक बार फिर भूकंप की वजह से धरती कांपी है.  पश्चिमी नेपाल में मंगलवार को 4.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. हालांकि, अब तक भूकंप से किसी प्रकार के नुकसान या किसी के हताहत होने की तत्काल कोई खबर नहीं है.

राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र (NEMRC) ने कहा कि उसने सुबह 6:33 बजे 4.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया जिसका केंद्र काठमांडू से 450 किलोमीटर पश्चिम में अछाम जिले के बटुलासैन में स्थित था. स्थानीय निवासियों ने हल्के झटके महसूस किए. लोगों की नींद ही भूकंप के झटके से खुली. इसके बाद लोग डरे-सहमे घर से बाहर की ओर भागे.

हालांकि, भूकंप से किसी प्रकार के नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है. इससे पहले, 8 मार्च को पश्चिमी नेपाल के बागलुंग जिले में 4.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. नेपाल भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यही वजह है कि यहां के लोग इन भूकंप के झटकों से अधिक डरे हुए रहते हैं.

हाल ही में 8 मार्च को भी नेपाल के बागलुंग जिले में 4.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. इस घटना के दौरान भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था. पिछले वर्षों में नेपाल ने कई बार विनाशकारी भूकंपों का सामना किया है. 2015 में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने काठमांडू और आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचाई थी, जिसमें करीब 9,000 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे. इसके बाद से नेपाल में भूकंप की निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत किया गया है.

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पाकिस्तान से उठा चीन का भरोसा? भर्ती करेगा नॉर्थ कोरिया के फौजी, अफगानिस्तान में भी संभालेंगे सिक्योरिटी

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Pakistan News Today: चीन अपनी सेना में नॉर्थ-कोरिया के रिटायर्ड सैनिकों की भर्ती कर पाकिस्तान-अफगानिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा चाहता है. चीन को पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान आर्मी के सैनिकों पर ज्‍यादा …और पढ़ें

पाक से उठा चीन का भरोसा? भर्ती करेगा नॉर्थ कोरिया के फौजी, जानें पूरा प्‍लान

चीन आर्मी का प्‍लान तैयार. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • चीन पाक-अफगान प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए कोरियाई सैनिक भर्ती कर रहा है.
  • चीनी खुफिया रिपोर्ट में नॉर्थ-कोरिया के सैनिकों की वफादारी की तारीफ की गई.
  • पाक-अफगान में चीनी प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए कोरियाई सैनिक तैनात होंगे.

Pakistan News Today: भारत के पड़ोसी देश चीन की आर्मी को अपने ही नागरिकों पर अब ज्‍यादा भरोसा नहीं रहा है. यही वजह है कि वो चीनी नागरिकों की जगह सेना में नॉर्थ-कोरिया के रिटायर्ड फौजियों की भर्ती करना चाहता है. ऐसा दावा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि चीन आर्मी की खुफिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. चीन उत्तरी कोरिया के रिटायर्ड या निकाले गए सैनिकों की मदद से पाकिस्तान अफगानिस्तान में जारी अपने प्रोजेक्ट की सुरक्षा करवाना चाहता है.

चीन की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के बाद चीन की निजी सुरक्षा कंपनियों ने पूर्व कोरिया सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू भी कर दी है. रूस की तरफ से यूक्रेन युद्ध में भाग ले रहे उत्तर कोरिया के सैनिकों को लेकर चीन की खुफिया एजेंसी ने अपने आला कमान को एक रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर कोरिया के सैनिक वफादारी में बहुत आगे हैं. जिस जगह की सुरक्षा का काम उन्हें सौंप जाता है वे मरकर भी उसकी रक्षा करते हैं.

बेहद वफादार हैं नॉर्थ-कोरियाई सैनिक
यहां तक कि यदि कोई दूसरी एजेंसी उन्हें पकड़ ले तो वह खुद को उड़ा लेते हैं. चीनी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान अफगानिस्तान में उनके प्रोजेक्ट्स और चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए उन्हें ऐसे ही लोग चाहिए. चीनी खुफिया एजेंसी का मानना है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जो सुरक्षा दी जा रही है वह पूरी तरह से फूलप्रूफ नहीं है. क्योंकि उसमें स्थानीय लोगो को भर्ती किया गया है जो सुरक्षा देने में पूरी तरह से खरे नहीं उतर रहे हैं.

पाकिस्‍तान पर चीन को नहीं भरोसा
एजेंसी का मानना है कि यही कारण है कि आए दिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उनके लोग बड़ी आसानी से निशाना बन रहे हैं. साथ ही पाकिस्तान में तो उनके प्रोजेक्ट्स को ही सीधे तौर पर निशाना बना दिया जाता है जिससे लाखों डॉलर का नुकसान हो चुका है. खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर अब चीन ने अपनी निजी सुरक्षा कंपनियों को कहां है कि वे कोरिया सी से निकल गए सैनिकों और वहां से रिटायर्ड फौजी को बड़े पैमाने पर भरती करें. माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अपने प्रोजेक्ट की सुरक्षा का कार्यभार इन सैनिकों को सौंप सकता है.

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Defence Tech: अमेरिका अपने न्यूक्लियर सबमरीन अब कहीं भी छुपा ले, चीन की नजर से नहीं बचेगा, ड्रैगन की पैनी नजर

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US China War: अमेरिका और चीन में इस बात की जंग जारी है कि कौन किस पर भारी है. दोनों ही देश अपने हथियारों का जखीरा बढ़ाने में लगे हैं. इसके साथ ही दोनों देश उन तकनीकों पर भी काम करते हैं, जिससे दुश्मन देश के हथि…और पढ़ें

अमेरिका अपने न्यूक्लियर सबमरीन अब कहीं भी छुपा ले, चीन की नजर से नहीं बचेगा

अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों पर अब चीन की सीधी नजर है. (एपी)

हाइलाइट्स

  • अमेरिकी पनडुब्बियों का पता लगाने में चीन सक्षम.
  • चीनी वैज्ञानिकों ने नई पनडुब्बी-खोज तकनीक विकसित की.
  • नई तकनीक नौसैनिक युद्ध में क्रांति ला सकती है.

बीजिंग. अमेरिकी नौसेना की परमाणु शक्तियों से लैसे पनडुब्बियों को दुनिया की सबसे छुपी हुई युद्ध मशीनों में से एक माना जाता है. लेकिन पनडुब्बी-खोज तकनीक में प्रगति के साथ, चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि वे अब सबसे शांत परमाणु पनडुब्बियों का भी पता लगा सकते हैं. शियान स्थित नॉर्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निकल यूनिवर्सिटी (NPU) के रिसर्चर्स का दावा है कि वे अब पनडुब्बियों द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रों का इस्तेमाल करके सबसे शांत पनडुब्बियों का भी पता लगा सकते हैं. ये चुंबकीय क्षेत्र पनडुब्बियों के चलने से उत्पन्न पेचीदा और अशांत प्रवाह क्षेत्रों के कारण बनते हैं. हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह नई तकनीक नौसैनिक युद्ध में क्रांति ला सकती है.

सहायक प्रोफेसर वांग होंगलेई की अगुवाई में टीम ने केल्विन वेक का मॉडल तैयार किया है, जो पनडुब्बियों के पानी में चलने से उत्पन्न वी-आकार की सतह की गड़बड़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, “इस वेक का पहले रडार-आधारित इमेजरी डिटेक्शन के लिए अध्ययन किया गया था, लेकिन जब समुद्री जल के आयन – जो पनडुब्बी की गति से प्रभावित होते हैं – पृथ्वी के भू-चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क में आते हैं, तो यह एक हल्का लेकिन पता लगाने योग्य चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है.”

रिसर्चर्स ने कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्मेताल करके पनडुब्बी के आकार, गहराई और गति के साथ इन चुंबकीय बदलाव में होने वाले परिवर्तनों को मापा. उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, गति को 2.5 मीटर प्रति सेकंड (8.2 फीट प्रति सेकंड) बढ़ाने से चुंबकीय तीव्रता दस गुना बढ़ जाती है; गहराई को 20 मीटर (66 फीट) कम करने से क्षेत्र की ताकत दोगुनी हो जाती है; और लंबी पनडुब्बियां कमजोर क्षेत्र उत्पन्न करती हैं, जबकि चौड़ी पतवारें उन्हें बढ़ाती हैं.”

वांग और उनके सहयोगियों के अनुसार, एक सीवुल्फ-क्लास पनडुब्बी जो 24 नॉट्स (12.5 मीटर प्रति सेकंड) की गति से और 30 मीटर (98 फीट) की गहराई पर चल रही हो, उसकी वेक का चुंबकीय क्षेत्र 10-¹² टेस्ला तक पहुंच सकता है. यह “मौजूदा हवाई मैग्नेटोमीटर की संवेदनशीलता सीमा के भीतर” है. हार्बिन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के पीयर-रिव्यूड जर्नल में 4 दिसंबर को प्रकाशित इस स्टडी में टीम ने एक महत्वपूर्ण खामी का उपयोग किया: “केल्विन वेक को चुप नहीं कराया जा सकता.” इस रिसर्च पेपर में विशेष रूप से सीवोल्फ-क्लास पनडुब्बी का रिसर्च किया गया. दिलचस्प बात यह है कि पिछले अक्टूबर में यूएस नेवी की परमाणु लैस फास्ट-अटैक पनडुब्बी, यूएसएस सीवुल्फ, जापान के योकोसुका में देखी गई थी, जो चीन के नजदीक है.

सीवुल्फ-क्लास पनडुब्बियों को अमेरिकी नौसेना की सबसे शक्तिशाली, घातक, जटिल और महंगी पानी के नीचे की कॉम्बेट प्लेटफार्मों में से एक माना जाता है, जो दुश्मन के तट के पास हाई-लेवल मिशनों के लिए डिज़ाइन की गई हैं. इन्हें “साइलेंट किलर्स” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये गहराई में जाकर महीनों तक लक्ष्यों का पीछा कर सकती हैं.

सीवुल्फ-क्लास पनडुब्बियां बड़ी मात्रा में टॉमहॉक मिसाइलों और टॉरपीडो से लैस होती हैं, जो चीन के तटीय बुनियादी ढांचे और पीएलए नौसेना के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं. सीवुल्फ-क्लास की एक पनडुब्बी – यूएसएस कनेक्टिकट – अक्टूबर 2021 में विवादित दक्षिण चीन सागर में एक पानी के नीचे के पहाड़ से टकरा गई थी. चूंकि पनडुब्बी एक सीक्रेट मिशन पर थी, इसलिए उसकी स्थिति के बारे में जानकारी नहीं थी. इस घटना से चीन बौखला गया था.

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अमेरिका अपने न्यूक्लियर सबमरीन अब कहीं भी छुपा ले, चीन की नजर से नहीं बचेगा

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US China Trade War Jinping Trump: Trump Confirms Talks with Xi Jinping Amid Tensions- मुझे शी जिनपिंग से बात करना अच्छा लगता है ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति को मिलाया फोन ट्रेड वार नहीं चाहता US

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US Trump Xi Jinping: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की. हालांकि उन्होंने चर्चा की तारीख या विषय नहीं बताया. ट्रंप ने चीनी आयात पर…और पढ़ें

मुझे जिनपिंग से बात करना अच्छा लगता है... ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति को किया फोन

ट्रंप ने शी जिनपिंग से बात की है. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने शी जिनपिंग से फोन पर बात की
  • ट्रंप ने इससे पहले पुतिन से बातचीत का खुलासा किया था
  • ट्रंप ने दोनों नेताओं से बातचीत का समय और विषय नहीं बताया

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच तनाव वाली स्थिति चल रही है. लेकिन फिर भी दोनों में कूटनीतिक जुड़ाव खत्म नहीं हुआ है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की है. इससे पहले पुतिन से भी बातचीत का खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था. ट्रंप ने सोमवार शाम को फॉक्स न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में इसकी पुष्टि की है. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने शी और उनके लोगों से बात की है. फॉक्स न्यूज के होस्ट ब्रेट बैयर से ट्रंप ने कहा, ‘मुझे राष्ट्रपति शी बहुत पसंद हैं. मुझे उनसे बात करना अच्छा लगता है.’

ट्रंप ने आगे कहा, ‘मैंने उनसे बात की है और मैं उनके लोगों से भी बात करता हूं. उनके लोग अक्सर आते रहते हैं.’ ट्रंप ने शी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों की भी प्रशंसा की और कहा कि वह उन्हें दुनिया के दूसरे कोने में बैठे किसी भी अन्य लोगों से बेहतर जानते हैं. हालांकि ट्रंप ने यह नहीं बताया कि शी के साथ उनकी बातचीत कब हुई और दोनों नेताओं ने किन मुद्दों पर चर्चा की है. ट्रंप ने 20 जनवरी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है. इसके बाद यह शी के साथ बातचीत की पहली पुष्टि है. ट्रंप और जिनपिंग के बीच 17 जनवरी को बातचीत हुई थी. तब दोनों ने व्यापार से लेकर फेंटेनाइल और टिकटॉक पर चर्चा की थी.

टैरिफ की चल रही लड़ाई
अमेरिका और चीन के बीच इस समय टैरिफ की लड़ाई चल रही है. दोनों के बीच ट्रंप के पहले कार्यकाल की तरह फिर से एक बार व्यापार युद्ध देखने को मिल सकता है. ट्रंप ने चीनी आयात पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया है. उन्होंने फेंटानाइल ड्रग्स को रोकने के लिए ऐसा किया है. इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाया है, जिसमें कोयला, कच्चा तेल, तरल प्राकृतिक गैस और उच्च उत्सर्जन वाले वाहन शामिल हैं. सोमवार से यह टैरिफ प्रभावी हो गए हैं. पिछले सप्ताह चीन के जवाबी शुल्क के बाद ट्रंप ने कहा था कि वह शी से बात करने की कोई जल्दी में नहीं हैं.

पुतिन से भी की थी बात
डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बात की थी. उन्होंने संकेत दिया कि रूसी वार्ताकार अमेरिकी समकक्षों से मिलना चाहते हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप से जब पूछा गया कि उन्होंने पुतिन से कितनी बार बात की तब उन्होंने कहा, ‘बेहतर होगा कि मैं यह न कहूं.’ ट्रंप ने इस दौरान कहा कि युद्ध खत्म करने की उनके पास योजना है. लेकिन इससे जुड़ी डिटेल देने से उन्होंने इनकार कर दिया.

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मुझे जिनपिंग से बात करना अच्छा लगता है… ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति को किया फोन

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