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Canada PM Mark Carney Oath 2025 Time Date Update | Canada News | कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का शपथग्रहण कल: 24वें PM बनेंगे, मंत्री भी शपथ लेंगे; 9 फरवरी को पार्टी नेता का चुनाव जीता

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ओटावा2 दिन पहले

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कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का शपथग्रहण कल यानी शुक्रवार 14 मार्च को होगा। वे कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। यह शपथग्रहण भारतीय समयानुसार रात 8:30 बजे राजधानी ओटावा के रिड्यू हॉल के बॉलरूम में होगा।

कार्नी के अलावा उनके मंत्रिमंडल सदस्य भी शुक्रवार को शपथ लेंगे। उन्होंने 9 फरवरी को लिबरल पार्टी के नेता का चुनाव जीता था। कार्नी को 85.9% वोट मिले। मार्क कार्नी कनाडा के वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जगह सत्ता संभालेंगे।

पार्टी नेता का चुनाव जीतने के बाद कार्नी ने प्रधानमंत्री ट्रूडो से मुलाकात की थी। दोनों के बीच सत्ता सौंपने को लेकर चर्चा हुई थी। ट्रूडो ने जनवरी में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। शुक्रवार को ट्रूडो गवर्नर जनरल के पास जाकर आधिकारिक रूप से अपना इस्तीफा देंगे।

जस्टिन ट्रूडो ने 10 फरवरी को को लिबरल पार्टी कन्वेंशन में कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी फेयरवेल स्पीच दी। इसके बाद वो कुर्सी उठाकर संसद से बाहर चल दिए।

जस्टिन ट्रूडो ने 10 फरवरी को को लिबरल पार्टी कन्वेंशन में कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी फेयरवेल स्पीच दी। इसके बाद वो कुर्सी उठाकर संसद से बाहर चल दिए।

बैंकर और इकोनॉमिस्ट हैं मार्क कार्नी

मार्क कार्नी इकोनॉमिस्ट और पूर्व केंद्रीय बैंकर हैं। कार्नी को 2008 में बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर चुना गया था। कनाडा को मंदी से बाहर निकालने के लिए उन्होंने जो कदम उठाए, उसकी वजह से 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने उन्हें गवर्नर बनने का प्रस्ताव दिया।

बैंक ऑफ इंग्लैंड के 300 साल के इतिहास में वे पहले ऐसे गैर ब्रिटिश नागरिक थे, जिन्हें यह जिम्मेदारी मिली। वे 2020 तक इससे जुड़े रहे। ब्रेग्जिट के दौरान लिए फैसलों ने उन्हें ब्रिटेन में मशहूर बना दिया।

ट्रम्प के विरोधी हैं कार्नी, लेकिन बयान देने से बचते हैं

कई वोटर्स को लगता है कि कार्नी की आर्थिक योग्यता और उनका संतुलित स्वभाव ट्रम्प को साधने में मदद करेगा। दरअसल, कार्नी लिबरल पार्टी में ट्रम्प के विरोधी हैं। उन्होंने देश की इस हालत का जिम्मेदार ट्रम्प को बताया है। उन्होंने पिछले मंगलवार को एक बहस के दौरान कहा कि ट्रम्प की धमकियों से पहले ही देश की हालत खराब है। बहुत से कनाडाई बदतर जीवन जी रहे हैं। अप्रवासियों की संख्या बढ़ने से देश की हालत और खराब हो गई है।

कार्नी अपने विरोधियों की तुलना में अपने कैंपेनिंग को लेकर ज्यादा सतर्क रहे हैं। PM पद का उम्मीदवार बनने के बाद से अभी तक उन्होंने एक भी इंटरव्यू नहीं दिया है। वे ट्रम्प विरोधी हैं, लेकिन कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने और देश पर टैरिफ लगाने वाले ट्रम्प के बयान को लेकर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं।

हालांकि, हाल ही में ट्रम्प की तरफ से कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान करने के बाद उन्होंने एक बयान दिया था-

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कनाडा किसी दबंग के आगे नहीं झुकेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे हमें एक मजबूत रणनीति बनानी होगी, जिससे निवेश बढ़े और हमारे कनाडाई कामगारों को इस मुश्किल समय में सहायता मिले।

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लोकप्रिय हैं, लेकिन ज्यादा दिन PM रहने की संभावना कम

पिछले साल जुलाई में एक पोलिंग फर्म ने जस्टिन ट्रूडो की जगह लेने वाले संभावित उम्मीदवारों को लेकर सर्वे किया था। तब 2000 में से सिर्फ 140 लोग यानी 7% लोग ही मार्क कार्नी को पहचान पाए थे। जनवरी में जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उन्होंने खुद को लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया।

इसके बाद उन्होंने लिबरल पार्टी के कई कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों का समर्थन हासिल किया, जिससे उनकी दावेदारी मजबूत हुई है। हाल ही में मेनस्ट्रीट सर्वे के मुताबिक कार्नी को 43%, वहीं पूर्व वित्तमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को 31% वोटर्स का समर्थन मिला है।

हालांकि, यह कहा नहीं जा सकता है कि कार्नी कितने समय तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। दरअसल, लिबरल पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं है। प्रधानमंत्री बनने के बाद कार्नी को अक्टूबर से पहले देश में चुनाव कराने होंगे। फिलहाल वे संसद के भी मेंबर नहीं हैं, ऐसे में वे जल्द ही चुनाव करा सकते हैं।

भारत-कनाडा के रिश्तों को बेहतर बनाना चाहते हैं कार्नी

कार्नी भारत और कनाडा के रिश्तों में आए तनाव को खत्म करना चाहते हैं। वे भारत से अच्छे रिश्तों को हिमायती रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर वो कनाडा के प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को फिर से बहाल करेंगे।

उन्होंने कहा-

कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाना चाहता है।

हालांकि, दोनों देशों के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह- खालिस्तानी आतंकियों के मुद्दे पर मार्क कार्नी ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।

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Haryana Balesh Dhankhar Australia Korean Girl Rape Case Update | बालेश धनखड़ 2018 में अरेस्ट हुआ, खबरें क्यों नहीं आईं: कोर्ट को कहा था-जाट समुदाय से हूं, हरियाणा में परिवार को खतरा, ऑस्ट्रेलिया में हिंसा होगी – Bawal News

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ड्रग्स देकर 5 कोरियन युवतियों से रेप करने वाला हरियाणा का बालेश धनखड़ 2018 में अरेस्ट हुआ था। ऑस्ट्रेलिया में इसको लेकर उस पर 39 FIR दर्ज हुईं। उसके घर से रेप के फिल्माए गए 47 वीडियो और हिडन कैमरा मिला। इसके बावजूद इसकी खबरें बाहर नहीं आईं। यहां तक कि

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उसे सिडनी कोर्ट से 40 साल की कैद होने के बाद इसकी वजह सामने आई है, जिससे पता चला कि किस तरह उसने वहां झूठ बोलकर कानून का फायदा उठाया। कोर्ट से सप्रेशन ऑर्डर ले लिया और खबर प्रकाशित करने पर ही रोक लगवा दी। फिर 5 साल वह अंडरग्राउंड भी रहा।

सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए, धनखड़ ने क्या-क्या झूठ बोले…

मैं जाट कम्युनिटी से, उन्हें पता चला तो मेरे परिवार को खतरा ऑस्ट्रेलियन मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बालेश धनखड़ ने गिरफ्तारी के बाद सिडनी कोर्ट में सप्रेशन ऑर्डर की अपील की। इसमें उसने कहा- मैं और मेरी पत्नी भारतीय जाट समुदाय से हैं। भारत में यह समुदाय सामाजिक नियमों और रीति-रिवाजों को सख्ती से मानने वाला है। यदि कोर्ट से बाहर मेरा नाम आता है तो उसे और उसके परिवार को अपमान और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा। समुदाय के लोग हिंसक कदम भी उठा सकते हैं, जिससे उसे और उसके परिवार को जान का खतरा हो सकता है।

मेरे राजनीतिक संबंध, भारत में खतरा, ऑस्ट्रेलिया में भी हिंसा का डर बालेश धनखड़ ने कहा- मैं एक बड़े राजनीतिक संगठन से जुड़ा हुआ हूं। अगर मेरे बारे में खबर बाहर आई तो हाईप्रोफाइल राजनीतिक संबंधों के कारण भारत ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया में भी मुझे और मेरे परिवार को परेशानी हो सकती है। यही नहीं, ऑस्ट्रेलिया में मेरे खिलाफ हिंसा भी हो सकती है। बता दें कि बालेश धनखड़ भाजपा के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया में बनी ‘ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ BJP’ का अध्यक्ष रह चुका है।

सप्रेशन ऑर्डर की आड़ में पूरी करतूत छुपाई ऑस्ट्रेलियन मीडिया के मुताबिक बालेश धनखड़ का यह दांव काम आ गया। चूंकि कोर्ट में पेशी के दौरान बालेश की पत्नी भी साथ जाती थी, इसलिए कोर्ट उसके दावों पर सहमत हो गई। उसे सप्रेशन ऑर्डर मिल गया। इसके बाद उसके केस के बारे में किसी भी तरह की खबर छापने पर रोक लग गई। 2018 में ऑर्डर मिलने के 5 साल यानि 2023 तक वह अंडरग्राउंड रहा।

सप्रेशन ऑर्डर भी रहा कारण केस के दौरान बालेश ने कभी मीडिया का सामना नहीं किया। वह हमेशा दौड़ता नजर आया। साथ ही सप्रेशन ऑर्डर होने की वजह से भी मीडिया उसके बारे में कुछ नहीं छाप सकी। उसने अपने अकाउंट से फोटो-वीडियो तक डिलीट कर दिए थे।

बालेश का मामला अचानक सुर्खियों में कैसे आया…

1. केस की सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट ने सप्रेशन ऑर्डर रद्द किया फरवरी 2023 में एक बार फिर बालेश धनखड़ के कोरियन युवतियों से मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई। आस्ट्रेलियन मीडिया के मुताबिक बालेश धनखड़ ने फिर वही पुरानी बात कहते हुए सप्रेशन ऑर्डर को जारी रखने की अपील की।

मगर, कोर्ट में कोरियन महिलाओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस आधार पर बालेश धनखड़ को सप्रेशन ऑर्डर दिया गया था, उसके कोई सुबूत नहीं मिले। दोनों पक्षों की सुनवाई पर उस वक्त के जस्टिस पीटर गार्लिंग ने भी निष्कर्ष सुनाया कि बालेश धनखड़ और उसकी पत्नी या किसी गवाह को सिडनी या आस्ट्रेलिया में किसी सामुदायिक हिंसा का खतरा नहीं है। इसलिए उनका सप्रेशन ऑर्डर कैंसिल कर दिया।

2. 40 साल की कैद के बाद सारी करतूतें बाहर आ गईं फरवरी 2023 में शुरू हुई केस की सुनवाई 7 मार्च 2025 को पूरी हुई। उस वक्त सिडनी कोर्ट ने धनखड़ को रेप के 13 केस समेत 39 मामलों में दोषी करार देते हुए 40 साल कैद की सजा सुना दी। इसमें यह भी कहा कि 30 साल उसे कोई पैरोल नहीं मिलेगी। इतनी बड़ी सजा के बाद उसका मामला ऑस्ट्रेलिया से लेकर भारत तक सुर्खियों में आ गया।

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बालेश धनखड़ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :-

हरियाणा का सीरियल रेपिस्ट, 9 पॉइंट्स में पूरी कहानी:जॉब का झांसा, ड्रग्स देता; 5 कोरियन युवतियों से रेप, 95 मिनट तक के VIDEO बनाए

इसी साल 7 मार्च को बालेश धनखड़ को सिडनी कोर्ट में सजा सुनाई गई।

इसी साल 7 मार्च को बालेश धनखड़ को सिडनी कोर्ट में सजा सुनाई गई।

हरियाणा में रेवाड़ी के रहने वाले सीरियल रेपिस्ट बालेश धनखड़ को ऑस्ट्रेलिया में 7 मार्च को 40 साल कैद की सजा सुनाई गई। उस पर ड्रग्स देकर 5 कोरियन महिलाओं से रेप और हिडन कैमरे से वीडियो बनाने समेत 39 आरोप साबित हुए। बालेश धनखड़ कौन है, ऑस्ट्रेलिया कैसे गया? इससे जुड़े 9 सवाल-जवाब के लिए पढ़ें पूरी खबर

हरियाणा के रेपिस्ट धनखड़ केस में खुलासा:कोरियन युवतियों को डेट रेप ड्रग देता था; इससे उन्हें रेप का न पता चलता, न कुछ याद रहता

हरियाणा के रेवाड़ी का सीरियल रेपिस्ट बालेश धनखड़ कोरियन युवतियों को रेप ड्रग देता था। यह ऐसा नशा है, जिसके बाद किसी को ये याद नहीं रहता कि उसके साथ क्या हुआ। बालेश युवतियों को डिनर के बहाने वाइन में यह ड्रग मिलाकर देता था। जिसके बाद उनके साथ रेप करता था। यही वजह रही कि कुछ कोरियन युवतियों का कहना था कि उनके साथ रेप हुआ या नहीं, इसका उन्हें पता नहीं चला। पढें पूरी खबर

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US National Intelligence Director Tussle Gabbard to visit India, leaves on Indo-Pacific tour | वर्ल्ड अपडेट्स: साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में बस पलटने से 12 लोगों की मौत, 45 घायल

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3 दिन पहले

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साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग एयरपोर्ट के पास एक बस पलटने से 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 45 लोग घायल हो गए। लोकल अधिकारियों के मुताबिक यह बस 50 से ज्यादा लोगों को काम पर लेकर जा रही थी।

अभी तक हादसे की वजह पता नहीं चल पाई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तेज रफ्तार की वजह से यह हादसा हुआ है।

शहर के ट्रांसपोर्ट अधिकारी एंडिले मंगवेवु ने कहा- इस हादसे का दुख जाहिर करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं। अभी हादसे की वजह का पता नहीं चल पाया। एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया है।

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सोमालिया के मोगादिशु शहर पर अल शबाब के आतंकियों का हमला, 10 लोगों की मौत

अफ्रीकी देश सोमालिया के मोगादिशु शहर पर अल शबाब के आतंकियों ने हमला कर 10 लोगों हत्या कर दी। आतंकियों ने शहर में मौजूद एक होटल को उस वक्त निशाना बनाया जब वहां लोकल बुजुर्ग और सरकारी अधिकारी बैठक कर रहे थे।

हमले के कुछ घंटे बाद ही सिक्योरिटी फोर्सेज ने इनके खिलाफ ऑपरेशन शुरू कर दिया।

अल-शबाब एक आतंकी संगठन है। इसका मकसद सोमालिया की सरकार को जड़ से उखाड़ना है। अल-शबाब का 2006 में बना था। ये सऊदी अरब के वहाबी इस्लाम को मानता है। अल-शबाब यूनियन ऑफ इस्लामिक कोर्ट्स की एक कट्टरपंथी शाखा है।

अमेरिका के मिसिसिपी राज्य में मेडिकल हेलिकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत 3 लोगों की मौत

अमेरिका के मिसिसिपी में आज यानी मंगलवार को एक मेडिकल हेलिकॉप्टर क्रैश होने से उसमें सवार एक पायलट और दो मेडिकल स्टाफ की मौत हो गई। यूनिवर्सिटी ऑफ मिसिसिपी मेडिकल सेंटर के प्रवक्ता ने विमान में सवार सभी लोगों की मौत की पुष्टि की है।

इससे पहले यूनिवर्सिटी ने बताया था कि जिस वक्त हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ उसमें कोई मरीज नहीं था। यह प्लेन मिसिसिपी की राजधानी जैक्सन के उत्तर में मैडिसन काउंटी में दुर्घटनाग्रस्त हुआ।

तीनों मृतकों के परिवारों को जानकारी दे दी गई है, लेकिन गोपनीयता की वजह से उनके नाम उजागर नहीं किए हैं। अभी हादसे की वजह का पता नहीं चल सका है।

पाकिस्तान के राजदूत को अमेरिका ने डिपोर्ट किया, छुट्टियां मनाने लॉस एंजिल्स पहुंचे थे

तुर्कमेनिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत केके अहसान वगान को अमेरिका ने डिपोर्ट कर दिया है। वे छुट्टिया मनाने के लिए लॉस एंजिल्स पहुंचे थे। अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक अहसान के पास वीजा और सभी कानूनी दस्तावेज थे, फिर भी उन्हें एंट्री नहीं मिली।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार को मामले की जानकारी दी गई है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने लॉस एंजिल्स में अपने वाणिज्य दूतावास से मामले की जांच करने के लिए कहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अहसान को इस्लामाबाद बुलाया जा सकता है। उनसे मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा जाएगा।

फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते गिरफ्तार, हजारों हत्याओं के आरोप में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के वारंट पर कार्रवाई

फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते गिरफ्तार हो गए हैं। उन्हें मंगलवार को पुलिस ने राजधानी मनीला के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया। दुतेर्ते के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने वारंट जारी किया था। उन पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगे हैं।

दुतेर्ते को हांगकांग से लौटने के बाद गिरफ्तार किया गया। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अवैध नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान के नाम पर हजारों लोगों की हत्याएं हुई थीं।

अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड भारत आएंगी, इंडो-पैसिफिक दौरे पर रवाना हुई

अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड भारत आएंगी। उन्होंने सोमवार को बताया कि वे इंडो-पैसिफिक देशों के दौरे पर निकली है। इस दौरान वे जापान, थाईलैंड और भारत का दौरा करेंगी।

गबार्ड की भारत यात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी में अमेरिका यात्रा के बाद हो रही है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड से मुलाकात की थी।

उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत प्रशांत महासागर में मौजूद अमेरिकी द्वीप हवाई की राजधानी होनोलुलू से की। यहां वे इंटेलिजेंस कम्युनिटी के लोगों, इंडो-पैसिफिक कमांड के लीडर्स और ट्रेनिंग ले रहे सैनिकों से मुलाकात करेंगी।

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US Vs Ukraine; Russia War Peace Deal | Marco Rubio Volodymyr Zelenskyy | सऊदी में यूक्रेन और अमेरिका की शांति वार्ता शुरू: क्रेमलिन प्रवक्ता बोले- रूसी लोग सबसे बुरे हालात के लिए तैयार रहें

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जेद्दाह4 दिन पहले

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सऊदी अरब के जेद्दा में यूक्रेन वॉर खत्म करने को लेकर अमेरिकी और रूसी प्रतिनिधिमंडल की बैठक शुरू हो गई है। बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज जेद्दा पहुंच गए हैं।

दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख एंड्री यरमक और यूक्रेनी विदेश मंत्री एंड्री सिबिहा भी बैठक में पहुंच गए हैं।

रूसी राष्ट्रपति ऑफिस क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी नागरिकों को ट्रम्प सरकार की तरफ से लिए जा रहे फैसलों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। भले ही ट्रम्प के फैसले रूस के लिए आशाजनक लग सकते हैं, लेकिन हमें सबसे बुरे हालात के लिए तैयार रहना चाहिए।

जेद्दा में सऊदी अधिकारियों के साथ यूक्रेन और अमेरिका के प्रतिनिधि।

जेद्दा में सऊदी अधिकारियों के साथ यूक्रेन और अमेरिका के प्रतिनिधि।

यूक्रेन अपनी जमीन छोड़ने को तैयार रहे- अमेरिका

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि अगर यूक्रेन जंग का समाधान चाहता है तो उसे अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। सोमवार को दिए बयान के मुताबिक 2014 से रूस के कब्जे वाले इलाके पर यूक्रेन को रियायत देनी होगी यानी छोड़ना होगा।

उन्होंने कहा-

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मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को यह समझने की जरूरत है कि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है। रूस पूरे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर सकता है और यूक्रेन के लिए भी यह बेहद कठिन होगा कि वह रूस को 2014 से पहले की स्थिति में वापस धकेल सके।

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मार्को के मुताबिक रूस और यूक्रेन को कड़े फैसले लेने के लिए तैयार रहना चाहिए। रुबियो सोमवार सऊदी अरब पहुंचे हैं। वे यहां यूक्रेन के सीनियर अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे।

रुबियो सोमवार देर रात सऊदी की राजधानी जेद्दाह पहुंचे।

रुबियो सोमवार देर रात सऊदी की राजधानी जेद्दाह पहुंचे।

जेलेंस्की भी सऊदी पहुंचे, बातचीत में शामिल नहीं होंगे

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी सोमवार को सऊदी अरब पहुंचे। हालांकि, जेलेंस्की अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के साथ बैठक में शामिल नहीं होंगे। उनकी टीम इस बैठक में मौजूद रहेगी।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इस बैठक का मकसद 27 फरवरी को ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस की भरपाई करना है। इसमें यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी सैन्य मदद और खुफिया जानकारी पर भी चर्चा होगी।

जेलेंस्की और रुबियो सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करेंगे। हालांकि, दोनों के बीच आपस में कोई मुलाकात नहीं होगी।

रुबियो और जेलेंस्की ने 27 फरवरी को व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इसी दौरान ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस हुई थी।

रुबियो और जेलेंस्की ने 27 फरवरी को व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इसी दौरान ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस हुई थी।

अमेरिका ने यूक्रेन को 8.7 हजार करोड़ रुपए की सैन्य मदद रोकी

अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद पर रोक लगा दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इससे एक अरब डॉलर (8.7 हजार करोड़ रुपए) के हथियार और गोला-बारूद संबंधी मदद पर असर पड़ सकता है। इन्हें जल्द ही यूक्रेन को डिलीवर किया जाना था।

ट्रम्प के आदेश के बाद उस मदद को भी रोक दिया गया है, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन सिर्फ अमेरिकी डिफेंस कंपनियों से सीधे नए सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिए कर सकता है। अमेरिकी सहायता रोके जाने पर राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने CNN से कहा कि यह साफ है कि फैसला जेलेंस्की के बुरे बर्ताव की वजह से उठाया गया। उन्होंने कहा कि अगर जेलेंस्की जंग को खत्म करने के लिए बातचीत की कोशिश करते हैं, तब शायद ये रोक हटाई जा सकती है।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच 27 फरवरी को हुई बहस के बाद ये मदद रोकी गई।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच 27 फरवरी को हुई बहस के बाद ये मदद रोकी गई।

यूक्रेन से खुफिया जानकारी शेयर नहीं करेगा अमेरिका

अमेरिका ने 5 मार्च से यूक्रेन के साथ सीक्रेट जानकारी शेयर करके पर रोक लगाई। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ट्ज का कहना है कि हमने यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने के मामले में एक कदम पीछे ले लिया है।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं और इसकी समीक्षा कर रहे हैं। वाल्ट्ज ने यूक्रेन के NSA से फोन पर बात की।

यूक्रेन पर 2 से 4 महीने में दिखेगा मदद रुकने का असर

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मार्क कैन्सियन ने कहा कि अमेरिका के मदद रोकने के फैसले से यूक्रेन पर बहुत असर पड़ने वाला है। ट्रम्प के इस फैसले ने एक तरह से यूक्रेन को ‘अपंग’ कर दिया है।

कैन्सियन ने कहा कि अमेरिकी मदद रुकने का मतलब है कि अब यूक्रेन की ताकत आधी हो गई है। इसका असर दो से चार महीने में दिखने लगेगा। फिलहाल यूरोपीय देशों से मिलने वाली सहायता से यूक्रेन कुछ समय तक लड़ाई में बना रहेगा।

यूक्रेन की सैन्य मदद रोकने के फैसले से क्या असर पड़ेगा

अमेरिका यूक्रेन का एक प्रमुख समर्थक रहा है। पिछले 3 साल में अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ संघर्ष में हथियार, गोला-बारूद और वित्तीय सहायता दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मदद के बंद होने से यूक्रेन की रक्षा क्षमता पर असर पड़ेगा। यूक्रेन को अपने इलाके पर पकड़ बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं।

यूक्रेन की सेना अमेरिका से मिले हथियारों खासकर तोप, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम पर बहुत निर्भर रहा है। इसके बंद होने के बाद यूक्रेन का रूसी हमलों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इससे रूस, यूक्रेन के कुछ और इलाकों पर कब्जा कर सकता है।

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रूस-यूक्रेन जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

रूसी आर्मी ने गैस पाइपलाइन में 15KM चलकर हमला किया:यूक्रेनी सेना पर टारगेट अटैक; 8 महीने से कुर्स्क इलाके में लड़ाई जारी

यूक्रेनी सेना ने पिछले साल अगस्त में रूस के कुर्स्क इलाके पर हमला कर लगभग 1,300 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया था। रूसी सेना तबसे यूक्रेन को यहां से खदेड़ने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। रविवार को रूसी की स्पेशल फोर्स ने कुर्स्क में यूक्रेनी सेना पर हमला करने के लिए करीब 15 किमी एक गैस पाइपलाइन के अंदर पैदल सफर किया। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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