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Amazing work of a 10th class student Made a Transmission Line Fault Safety device its protect from electric shok

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बाड़मेर के छोटे से गांव डेलूओ का तला के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में महज दसवीं में पढ़ने वाले महेंद्र चौधरी ने करंट कह चपेट में आने से होने वाली मौत को को रोकने के लिए ट्रांसमिशन लाइन फाल्ट सेफ्टी डिवाइस बन…और पढ़ें

सेफ्टी प्रोजेक्ट बताते हुए
बाड़मेर. देशभर में बिजली की चपेट में आने से हर साल हजारों लोग और मवेशी अपनी जान गंवा बैठते हैं. गांव की पगडंडियों से लेकर मैट्रो की तेज भागती जिंदगी में इस समस्या से लोगों को जिंदगी में कभी ना कभी पाला पड़ ही जाता है. इन तमाम बातों को अखबारों और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पढ़ने के बाद महज दसवीं में पढ़ने वाले बाड़मेर के एक छात्र ने इस समस्या का समाधान निकाल दिया है. छात्र ने ट्रांसमिशन लाइन फॉल्ट सेफ्टी प्रोजेक्ट के जरिए बिजली की वजह से खोती जान को बचाने का समाधान निकाला है.
महेन्द्र ने बनाया है ट्रांसमिशन लाइन फॉल्ट सेफ्टी डिवाइस
भारत- पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर के चौहटन उपखंड क्षेत्र स्थित छोटे से गांव डेलूओ का तला के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले दसवीं के छात्र महेंद्र चौधरी ने ट्रांसमिशन लाइन फॉल्ट सेफ्टी प्रोजेक्ट के जरिए बिजली की वजह से खोती जान को बचाने का डिवाइस बनाया है. महेंद्र ने अपने इस प्रोजेक्ट में बेहद बारीकी से बिजली परिपथ में आने वाले फॉल्ट, लाइन टू लाइन फॉल्ट, लाइन टू ग्राउंड फॉल्ट को दर्शाते हुए ऐसे हालात में हाथों हाथ बिजली कटने के प्रोजेक्ट को तैयार किया है.
न्यूनतम खर्च पर इस डिवाइस को किया है विकसित
महेंद्र ने एक सरल उपाय ढूंढ निकाला है. जिसमें न्यूनतम खर्च में एक सुरक्षा उपकरण विकसित करने का प्रयास किया है. इस उपकरण का उपयोग करक बिजली के फॉल्ट से होने वाले मौतों को रोका जा सकता है. महेन्द्र के इस पहल ने गांव के लोगों के जीवन को नई राह दिखाने का काम किया है. रोजाना किसी ना किसी क्षेत्र में बिजली की चपेट में आकर वन्यजीवाें की भी मौत हो जाता है. इस डिवाइस की मदद से इसे रोका जा सकता है. महेंद्र ने बताया कि घर के पास हो रही वन्यजीवों की मौत को रोकने के लिए ऐसा मॉडल बनाया है. यह ऐसा मॉडल है जिसमें करंट की चपेट में आते ही स्वचालित विद्युत आपूर्ति बंद हो जाएगी. महेंद्र ने जानवरों, पक्षियों और इंसानों को मौत से बचाने के लिए इस स्वचालित प्रोजेक्ट को बनाकर यह दिखाया है कि अगर कुछ अलग करने की धुन हो तो गांव की गलियों से भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है.
Barmer,Rajasthan
दसवीं के छात्र ने बनाया गजब का डिवाइस, करंट लगने पर स्वत: आपूर्ति हो जाएगी ठप
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एक छोटे से पेड़ को बना दिया एयर प्यूरीफायर…गजब की है यह तकनीक, NCR की इस कंपनी ने किया आविष्कार, A small tree was made into an air purifier This technology is amazing invented by this NCR company

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हवा को शुद्ध करने वाला एक ऐसा स्टार्टअप, जिसका प्रोडक्ट आपके घर में हरियाली ला देगा. दरअसल, यह एक प्लांट बेस्ड एयर प्यूरीफायर है. जिसे यूब्रीद नाम की एक कंपनी ने बनाया है. खास तकनीक के साथ सिर्फ एक पौधा ही 500 …और पढ़ें

पेड़ को बना दिया एयर प्यूरीफायर…गजब की है यह तकनीक
दिल्ली: पिछले कुछ सालों से प्रदूषण हमारे देश में एक बड़ी समस्या बन चुका है और खासकर राजधानी दिल्ली तो एक गैस चेंबर में बदल जाती है. हर तरफ स्मॉग फैल जाता है और हर कोई घरों में एयर प्यूरिफायर लगाने की सलाह देता है. आज के वक्त में बहुत सारे स्टार्टअप हैं, जो हवा को शुद्ध करने के इस बिजनेस में हैं. लेकिन, हवा को शुद्ध करने वाला एक ऐसा भी स्टार्टअप है, जिसका प्रोडक्ट आपके घर में हरियाली ला देगा. दरअसल, यह एक प्लांट बेस्ड एयर प्यूरीफायर है. जिसे यूब्रीद (UBreathe) नाम की एक कंपनी ने बनाया है.
कैसे करता है यह प्यूरीफायर काम
इस कंपनी के फाउंडर संजय मौर्य ने बताया कि जब वह इस पर रिसर्च कर रहे थे, तब यह समझा कि कैसे तमाम पौधे हवा को साफ करते हैं. साथ ही यह जानना चाहते थे कि अरबन और मेट्रो सिटी में कुछ कर सकते हैं या नहीं. रिसर्च में पाया कि पौधों में फाइटो रेमेडिएशन प्रोसेस होती है. यहां फाइटो का मतलब है पौधा और रेमेडिएशन मतलब है सॉल्यूशन यानी उपाय. इसके तहत पौधों की जड़ों के आस-पास कुछ खास माइक्रोऑर्गेनिज्म बन जाते हैं. जैसे ही प्रदूषित हवा वहां पर पहुंचती है तो ये माइक्रोऑर्गेनिज्म हानिकारक गैसों को अच्छी गैसों में तोड़ देते हैं और ईकोफ्रेंडली तरीके से हवा शुद्ध हो जाती है. यह सब ब्रीदिंग रूट्स टेक्नोलॉजी के जरिए होता है. इनकी खास तकनीक के साथ सिर्फ एक पौधा ही 500 पौधों जितना ताकवर हो जाता है. यानी जितनी हवा 500 पौधे मिलकर शुद्ध करते हैं, उतनी हवा सिर्फ एक ही पौधा शुद्ध कर देता है.
क्या है कीमत और कहां से खरीद सकते हैं
संजय ने बताया कि उनकी कंपनी ने तीन तरह के एयर प्यूरीफायर बनवाए हैं. जिसमें पहली कैटेगरी में आपको 5,000 रुपए का एयर प्यूरीफायर मिलेगा. वहीं दूसरी कैटेगरी में 10,000 से 15,000 रुपए के बीच का एक प्यूरीफायर बनाया गया है. वहीं तीसरी कैटेगरी का प्यूरीफायर 40,000 रुपए के आस-पास का है. आप यह सभी तरह के प्यूरीफायर इनकी वेबसाइट यूब्रीद (UBreathe) फ्लिपकार्ट, अमेजॉन से मंगवा सकते हैं.
ब्रीदिंग रूट्स टेक्नोलॉजी का कमाल, पल भर में यह पौधा हवा को कर देगा शुद्ध
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Electric jacket, Brahmastra will be made for women….

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जबलपुर के दो युवा इंजीनियर अदिति और रिया ने हिलाओं की सुरक्षा के लिए जैकेट तैयार किया है. जैकेट को तैयार करने में महज 27 सौ रुपए की लागत आई हुई हैं. यह जैकेट खासकर उन महिलाओं के लिए बनाई गई है. जो अकेले या देर …और पढ़ें

करेंट मारने वाली जैकेट पहनी युवा इंजीनियर.
आकाश निषाद/जबलपुर.यदि आप किसी महिला को बेड टच या अटैक करते हैं, तब आपको करेंट का झटका लगने वाला हैं. दरअसल, जबलपुर में दो महिला युवा इंजीनियरों में मिलकर एक जैकेट तैयार की है. देखने में यह जैकेट नॉर्मल जरूर लगती है. लेकिन यदि किसी ने भी उस महिला के साथ छेड़खानी की तब यह जैकेट ऐसा तगड़ा झटका देगा.उसे जीवन भर याद रहेगा. यह जैकेट महज 27 00 रुपए में तैयार की गई हैं.
युवा इंजीनियर अदिति और रिया ने लोकल 18 से कहा कि दोनों का स्टार्टअप हैं. इसे जबलपुर इनक्यूबेशन सेंटर में रजिस्टर्ड किया गया है. दोनों ने मिलकर एक जैकेट तैयार की है. जो महिलाओं की सुरक्षा करेगी. जैकेट को तैयार करने में महज 27 सौ रुपए की लागत आई हुई हैं. यह प्रोजेक्ट शुरुआती दौर में है. जैकेट के मार्केट में आने तक कीमत और भी घट जाएगी. जैकेट को बनाने में टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है. यह जैकेट खासकर उन महिलाओं के लिए बनाई गई है. जो अकेले या देर रात काम से लौटकर सफर किया करती है.
आखिर कैसे वर्क करती है यह जैकेट
दरअसल, जैकेट को युवा इंजीनियर ने वूमेन सेफ्टी एंड सिक्योरिटी जैकेट नाम दिया है. जो न केवल महिलाओं को प्रोटेक्ट करेगी. बल्कि तत्काल इमरजेंसी नंबर्स पर मैसेज भी भेज देगी. जैकेट को एक सर्किट से जोड़ा गया है. इसके साथ ही जैकेट के पॉकेट में पावर बैंक की तरह मशीन भी लगाई है. जिसमें पैनिक स्विच लगा हुआ है. मतलब जैकेट का कंट्रोल हाथों में होगा. यदि पैनिक स्विच को चालू कर दिया जाए. तब जैकेट वर्क करना शुरू कर देती हैं. जैकेट में करेंट दौड़ता रहता हैं. इसी दौरान कोई भी यदि जैकेट को टच करेगा, तब उसे तगड़ा 3 एम्पियर का झटका लगेगा.
टच करते ही इमरजेंसी नंबर में मिलेगा अलर्ट
इंजीनियर ने बताया जैकेट को इंटरनेट के माध्यम से भी जोड़ा गया है. इसके साथ ही टेक्नोलॉजी का भी उपयोग ऐप के माध्यम से किया गया है. यदि कोई भी जैकेट को टच करता है. इसकी सूचना इमरजेंसी नंबर पर भी पहुंच जाएगी. जिससे हमारी लोकेशन भी उस व्यक्ति तक पहुंच जाएगी. जिसे हम अलर्ट मैसेज देना चाह रहे हैं. इस टेक्नोलॉजी से पांच लोगों को जोड़ा जा सकता है. जिसमें पेरेंट्स या फ्रेंड सर्कल शामिल कर सकते हैं. जिन्हें हम अपनी लोकेशन के साथ अलर्ट मैसेज भेज सकेंगे.
महिला को हमेशा असुरक्षित पाया
युवा इंजीनियर अदिति और रिया का कहना है कि जब भी जम्मू से जबलपुर ट्रैवल करती थी. उस समय असहज महसूस किया करती थी. इसी दौरान दिमाग में जैकेट बनाने का विचार आया. दोनों ने मिलकर यह जैकेट तैयार कर दी. हालांकि, यह जैकेट में दिन प्रतिदिन चेंजेस कर जैकेट को अपडेट भी किया जा रहा है. युवा इंजीनियर का कहना है हम कंपनी के भी संपर्क में है. यदि बल्क में इसका आर्डर मिलेगा. तब कम दामों में यह जैकेट आसानी से महिलाओं तक पहुंच जाएगी.
Jabalpur,Madhya Pradesh
लो बन गया महिलाओं का ब्रह्मास्त्र! बैड टच किया तो मारेगा करंट,ये जैकेट जबरदस्
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भारतीय स्टार्टअप अग्निकुल ने किया ‘असंभव-सा’ काम, 6 साल पुरानी कंपनी का स्पेस इंडस्ट्री में हुआ बड़ा नाम

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अग्निकुल कॉस्मॉस (Agnikul Cosmos) ने 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए रॉकेट इंजन बनाया है. इसकी खासियत यह है कि यह सिंगल पीस इंजन है.

हाइलाइट्स
- अग्निकुल कॉस्मॉस (Agnikul Cosmos) ने 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से रॉकेट इंजन बनाया.
- इस काम से स्पेस इंडस्ट्री में अग्निकुल के नाम का तो डंका बज रहा है.
- 3डी प्रिटिंग का इस्तेमाल करते हुए इंजन तैयार करने में केवल 75 घंटे का समय लगा.
अग्निकुल कॉस्मॉस (Agnikul Cosmos) नाम की एक भारतीय स्टार्टअप है. स्पेस इंडस्ट्री अग्निकुल द्वारा किए गए काम की तरंगों को अच्छे से महसूस कर रही है. कंपनी ने एक ऐसा काम कर दिखाया है, जो अभी तक असंभव लगता था. इस काम से स्पेस इंडस्ट्री में कंपनी के नाम का तो डंका बजा ही है, साथ ही भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा हुआ है.
दरअसल, अग्निकुल ने 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए रॉकेट इंजन बनाया है. 30 मई 2024 को इसे लॉन्च किया गया. इसकी खासियत यह है कि यह सिंगल पीस इंजन है. अभी तक बनने वाले सभी इंजनों के अलग-अलग पार्ट्स में बनते थे. पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरा इंजन एक बार में ‘छाप’ दिया गया.
कई हफ्तों का काम 3 दिन में
3डी प्रिंटिंग प्रोसेस के माध्यम से इंजन बनाने की लागत के साथ-साथ तैयार करने के समय में भी कमी आई है. अग्निकुल को 3डी प्रिटिंग का इस्तेमाल करते हुए रॉकेट इंजन तैयार करने में केवल 75 घंटे का समय लगा. पुराने ट्रेडिशनल तरीके से रॉकेट इंजन बनाने में 10 से 12 सप्ताह तक का समय लगता है. पूरी स्पेस इंडस्ट्री इसे लेकर खुश है और उन्हें लग रहा है कि रॉकेट बनाने में कम समय लगेगा, और पैसा भी खूब बचेगा.
बता दें कि अग्निकुल कॉस्मॉस भारतीय एयरोस्पेस स्टार्सअप है, जो छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाता है. कंपनी लगभग 7 साल पहले 2017 में शुरू हुई थी. फाउंडर श्रीनाथ रविचंद्रन और मोइन एसपीएम हैं. कंपनी का हेडक्वार्टर तमिल नाडु के चेन्नई में है.
कंपनी के नाम बड़े अचीवमेंट
अग्निबाण रॉकेट: कंपनी ने पहला रॉकेट यही बनाया था. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसे किसी भी तरीके से कस्टमाइज किया जा सके. यह क्राफ्ट 100 किलोग्राम वजन तक का भार लेकर लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक जा सकता है. कम लागत से तैयार यह रॉकेट सेटेलाइट लॉन्चिंग के लिए इस्तेमाल किये जाने के लिए अच्छा ऑप्शन है.
3डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी पर पेटेंट: अग्निकुल ने अभी जो 3D प्रिटिंग से रॉकेट के इंजन का निर्माण किया है, उसे पहले ही पेटेंट करवा लिया गया था. इस नई खोज से रॉकेट का इंजन 3-4 दिनों में बन जाएगा, जबकि पहले कई हफ्ते का समय लगता था.
New Delhi,New Delhi,Delhi
भारतीय स्टार्टअप अग्निकुल ने किया असंभव-सा काम, स्पेस इंडस्ट्री में गूंजा नाम
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