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AIKosha | India AI compute portal & Dataset Platform Update | इंडिया AI कंप्यूट पोर्टल और डेटासेट प्लेटफॉर्म AI कोष लॉन्च: इनकी मदद से भारतीय AI मॉडल डेवलप होगा; 27 शहरों में AI डेटा लैब बनाएगी सरकार

नई दिल्ली8 दिन पहले
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केंद्रीय IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में इंडिया AI कंप्यूट पोर्टल और डेटासेट प्लेटफॉर्म AI कोष लॉन्च किया। AI कोष सॉवरेन डाटासेट प्लेटफॉर्म भारतीय AI मॉडल को डेवलप करने और ट्रेनिंग देने में मदद करेगा।
जबकि इंडिया AI कंप्यूट पोर्टल के जरिए रिसर्चर्स, स्टार्टअप्स और सरकारी एजेंसियां, रिसर्च और परीक्षण के लिए सब्सिडी वाले GPUs को एक्सेस कर सकती हैं। सरकार ने GPUs सब्सिडी रेट लगभग 67 रुपए प्रति घंटा तय किया है। इसके लिए करीब 10,000 GPUs लाइव कर दिए गए हैं।
इसके साथ ही अश्विनी वैष्णव ने इंडिया AI मिशन के तहत 27 शहरों में AI डेटा लैब बनाने का एलान किया है। इन लैब्स का इस्तेमाल AI में रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में इंडिया AI कंप्यूट पोर्टल लॉन्च किया।
अश्विनी वैष्णव बोले- टॉप 5 टेक नेशन में शामिल होगा भारत
वैष्णव ने कहा कि अगले 3-4 वर्षों में भारत अपने खुद के GPU विकसित करेगा। उन्होंने कहा आने वाले समय में भारत AI, सेमीकंडक्टर और डीपटेक जैसे क्षेत्रों में टॉप 5 टेक देशों में शामिल होगा।
इंडियाAI मिशन के तहत 18,693 GPUs लगाए जाएंगे
मार्च 2023 में कैबिनेट ने इंडियाAI मिशन के लिए 10,371.92 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी थी। इसमें 45% फंड से लगभग 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट यानी GPUs लगाए जाएंगे। इससे वर्ल्ड का सबसे बड़ा कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा जो चाइनीज AI मॉडल डीप सीक से 9 गुना बड़ा होगा।
इन सभी GPUs के जरिए रिसर्च कंपनियां कंप्यूटिंग रिसोर्सेज एक्सेस कर पाएंगी। इन GPUs के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली 10 कंपनियों का चयन किया गया है। 15,000 GPU योट्टा डेटा सर्विसेज, E2E नेटवर्क्स, टाटा कम्युनिकेशंस और AWS के मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए पहले से ही अवेलेबल हैं।
वहीं बचे हुए 4,000 GPU खरीदे जाने हैं और उम्मीद है कि जियो प्लेटफॉर्म्स और CtrlS डेटासेंटर्स जैसी कंपनियां उनका अधिग्रहण करेंगी।

12,896 GPUs एनवीडिया H100 जैसे हाई-एंड मॉडल्स लगाए जाने वाले GPUs में लगभग 12,896 एनवीडिया H100 जैसे हाई-एंड मॉडल्स हैं। इसमें 1,480 H200 GPUs मॉडल्स शामिल किए जाएंगे। जबकि 30% GPUs कम कैपेसिटी वाले या ओल्डर जनरेशन के हैं। योट्टा डेटा सर्विसेज के जरिए कंप्यूट कैपेसिटी में 9,216 GPU से सबसे बड़ा योगदान दिए जाने की उम्मीद है।
AWS 1,200 लोअर-एंड GPU की सप्लाई करेगी
इसके अलावा AWS अपने चार मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर्स – CMS कंप्यूटर, लोकुज एंटरप्राइज सॉल्यूशंस, ओरिएंट टेक्नोलॉजीज और वेन्सिस्को टेक्नोलॉजीज के जरिए 1,200 लोअर-एंड GPU की सप्लाई करेगी। जिसमें 800 AWS इन्फरेंटिया 2 और 400 ट्रेनियम 1 चिप्स शामिल हैं।
जियो प्लेटफॉर्म्स 208 एनवीडिया H200 GPUs और 104 AMD MI300X GPUs अवेलेबल कराएगी। साथ ही 30 अप्रैल को अगली पैनल प्रोसेस में एडिशनल GPUs के लिए रिवाइज्ड लोअर बीड्स सबमिट करने का प्लान बनाया गया है।
सरकार का AI को बढ़ावा भारत सरकार ने डोमेस्टिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल बनाने के अपने प्रयासों को भी तेज कर दिया है। नए GPU हासिल करने की सरकार की इस मुहिम का उद्देश्य रिसर्चर्स और स्टार्टअप्स को AI मॉडल बनाने के लिए जरूरी कंप्यूटिंग पावर से लैस करना है, जो ChatGPT और Gemini जैसे AI-पावर चैटबॉट के कोर के रूप में काम करते हैं।
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गर्मी में जादू है ये पौधा, घटा देगा घर का तापमान, उमस का है दुश्मन, एक बार लगाकर कई साल के लिए हो जाएं फ्री

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अगर आप गर्मी से परेशान हैं तो सिर्फ कूलर, एसी के भरोसे मत रहिए. आप गमलों में कुछ ऐसे पौधे लगा सकते हैं जो प्राकृतिक रूप से आपके घर की हवा को शुद्ध करने के साथ ही तापमान को भी कम करने का काम करते हैं.

घर का तापमान घटाने के लिए आप स्नेक प्लांट लगा सकते हैं.
Best houseplant for Summer: अप्रैल के महीने में भीषण गर्मी के साथ लू चलना शुरू हो गई है. ऐसी तपती गर्मी से बचने के लिए लोग पंखा, एसी, कूलर से लेकर तमाम तरह के इंतजाम करते हैं. कोशिश करते हैं कि कैसे भी घर के अंदर का तापमान कम हो जाए और ठंडा महसूस हो लेकिन आपको बता दें कि कितने भी आर्टिफिशियल तरीके अपना लीजिए, प्राकृतिक चीजों की बराबरी नहीं हो सकती. बड़े-बड़े पेड़ ही नहीं, गमलों में उगाए जाने वाले पौधे भी इनसे इक्कीस ही साबित होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्मी में जादू की तरह काम करता है. छोटे से गमले में उगाया जाने वाला ये पौधा आपके घर को कूल-कूल बनाए रखने की ताकत रखता है.
दिखने में भी बेहद सुंदर ये पौधा कभी अफ्रीकी देशों में पाया जाता था, लेकिन इसके फायदे इतने कमाल के हैं कि अब यह भारत में भी आसानी से और बहुतायत में उगाया जाता है. यहां तक कि बड़े-बड़े इंटीरियर डिजाइनर्स से लेकर हॉर्टीकल्चर एक्सपर्ट तक इस पौधे की विशेषताओं के चलते इसे इनडोर लगाने की सलाह देते हैं.
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प्लांट है स्नेक प्लांट यानि कि सांप का पौधा. इसका नाम स्नेक प्लांट इसलिए भी है क्योंकि इसकी पत्तियों पर वाइपर सांप के शरीर जैसी डिजाइन छपी होती है. स्नेक प्लांट को लेकर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि इस पौधे की देखभाल बहुत आसान है. इसमें ज्यादा पानी, खाद की भी जरूरत नहीं होती और इसे आसानी से इनडोर प्लांट के रूप में लगाया जा सकता है.
इस पौधे में कुछ खासियतें होती हैं, जैसे अन्य गहरे रंग की पत्तियों वाले पौधों में होती हैं. यह हवा को प्यूरिफाई करता है, हवा में से जहरीले प्रदूषण तत्वों को हटाता है. इसे घर में लगाने पर सांस लेने के लिए लोगों को शुद्ध हवा मिलती है. यह एक नेचुरल ह्यूमिडिफायर है. यानि कि उमस को कम करता है. इतना ही नहीं अगर इसे कमरे या घर में कई गमलों में लगाया जाए तो यह तापमान को भी कुछ हद तक मेनटेन करने का काम करता है.
प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाला ये पौधा एलर्जिक तत्वों को भी सोख लेता है. यह मानसिक स्वास्थ्य और शांति में कारगर है. इसकी खूबसूरती की वजह से भी इसे देखकर अच्छा महसूस होता है. इसके अलावा इसे लेकर कई तरह वास्तु संबंधी बातें भी सामने आती हैं. जिसमें इसकी पत्तियों की डिजाइन की वजह से इसे लकी पौधा माना जाता है.
हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो आप गर्मी के मौसम में अपने घर में स्नेक प्लांट लगा सकते हैं और इसके जादुई असर को महसूस भी कर सकते हैं. खास बात है कि यह पौधा एक बार लगाने पर करीब 10-12 साल तक लिए आसानी से चलता रहता है. इसमें ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती. कई बार यह 20 साल तक भी जिंदा रह लेता है.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
April 23, 2024, 13:06 IST
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पर्यावरण को देखते हुए दिल्ली के रहने वाले सौरभ मेहता ने 2018-19 में अपनी पत्नी शिवानी मेहता के साथ मिलकर इस पेन के स्टार्टअप की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने 2021 में कंपनी रजिस्टर भी कर ली.

दिल्ली के इस कपल ने की अनोखी शुरूआत, पेन के प्लास्टिक से दिला रहे निजात,
गौहर/ दिल्ली: आज के समय में अगर आप कहीं भी पेन खरीदेंगे, तो आपको प्लास्टिक वाला ही पेन मिलेगा. कुछ ही जगहें ऐसी होंगी, जहां पर बायोडिग्रेडेबल पेन मिल सकता है. यह एक ऐसा पेन है, जिसमें ना के बराबर प्लास्टिक होता है, जिससे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. इसी को देखते हुए दिल्ली के रहने वाले सौरभ मेहता ने 2018-19 में अपनी पत्नी शिवानी मेहता के साथ मिलकर इस पेन के स्टार्टअप की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने 2021 में कंपनी रजिस्टर भी कर ली. कंपनी इसी साल 5 जून को वर्ल्ड एनवायरमेंटल डे वाले दिन ही अपने बायोडीग्रेडेबल पेन को लॉन्च करने की तैयारी में है.
पेपर पेन से निकाला समाधान
सौरभ ने लोकल18 को बताया कि 70 साल पहले जो पेन बना होगा, वह आज भी धरती पर कहीं ना कहीं पड़ा होगा. इसपर किसी का भी ध्यान नहीं है और यही प्लास्टिक आने वाले कुछ वर्षों में धरती पर नॉन बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की मात्रा और भी ज्यादा बढ़ा देगा. उन्होंने इस समस्या को देखते हुए इसका समाधान पेपर पेन के रूप में बनाया है. यह पेन प्लास्टिक की जगह पेपर से बना हुआ है. पेन में मुश्किल से 5 फीसदी हिस्सा ही काम का होता है. दरअसल ये 5 फीसदी हिस्सा पेन की नीब और उसकी स्याही है. बाकी रीफिल से लेकर पेन की बॉडी तक, सारा प्लास्टिक का होता है, जो पेन के 95 फीसदी हिस्से के बराबर होता है.
क्या थी सबसे बड़ी मुश्किल
सौरभ ने Local18 को बताया कि पेपर पेन बनाते हुए उन्हें ज्यादा मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा था. लेकिन जब वह पेन की रिफिल बना रहे थे, तो उन्हें सबसे ज्यादा मुश्किल आ रही थी. मगर फिर करीब 4 साल की रिसर्च के बाद उन्होंने एक ऐसा तरीका खोज निकाला, जिससे रीफिल से भी प्लास्टिक हटाई जा सके. उन्होंने एक खास तकनीक से पेपर से रीफिल बनाई. इसमें अंदरूनी सतह पर वेजिटेबल ऑयल लगा होता है, जिसके चलते इंक बाहर नहीं आती. यह वेजिटेबल ऑयल एक बैरियर का काम करता है. यह पेन दिखने और चलने में बिल्कुल रेगुलर पेन जैसा होता है, लेकिन अच्छी बात ये है कि इससे इंक लीक नहीं होता है.
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16 लाख रुपये की फंडिंग
सौरभ ने यह भी बताया कि उनके स्टार्टअप को भारत सरकार की तरफ से चलाई जा रही स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत करीब 16 लाख रुपये का ग्रांट मिला है. इन पैसों का इस्तेमाल कंपनी ने प्रोडक्ट डेवलपमेंट में किया. अभी तक ये स्टार्टअप बूटस्ट्रैप्ड है, लेकिन आने वाले वक्त में और भी ज्यादा मदद की जरूरत होगी. जिसके लिए वह फंडिंग भी जुटाएंगे. वह चाहते हैं कि इस मार्केट के बड़े प्लेयर भी उनके साथ इस काम को आगे बढ़े, ताकि वह एनवायरनमेंट के प्रति थोड़ा योगदान दे सके और बायोडिग्रेडेबल स्टेशनरी आइटम्स और इस तरह के पेपर पेन और भी ज्यादा बना सके.
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अतुल राय ने Local18 टीम से बात करते हुए कहा इस कंपनी ने एक जार्विस (JARVIS) नाम का ऐसा AI सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसकी मदद से अभी तक 30 हजार क्रिमिनल पकड़े जा चुके हैं और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल बस्ट भी किए जा चुके है…और पढ़ें

30 हजार क्रिमिनल्स और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल बस्ट करने वाला हिंदुस्तानी सोफ्टवेयर
गौहर/ दिल्ली: इस तकनीकि युग में AI अपने पैर लगातार पसार रहा है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ना किया जाता हो. इसपर विश्वभर के कई वैज्ञानिक भी दिन रात मेहनत कर रिसर्च कर रहे हैं. ऐसा ही दिल्ली एनसीआर की एक Staqu Technologies नाम की कंपनी ने कुछ अलग करके दिखाया है. आपको बता दें कि इस कंपनी ने ऐसा AI सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके आगे अपराधी से लेकर आतंकी तक थर-थर कांपते हैं. आइए इस सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तार से जानते हैं.
Staqu Technologies कंपनी की स्थापना अतुल राय ने 2015 में की थी, जो कि इस कंपनी के को-फाउंडर हैं. उन्होंने Local18 टीम से बात करते हुए कहा इस कंपनी ने एक जार्विस (JARVIS) नाम का ऐसा AI सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसकी मदद से अभी तक 30 हजार क्रिमिनल पकड़े जा चुके हैं और 18 टेररिस्ट मॉड्यूल बस्ट भी किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स भी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है. यूपी में लगे सीसीटीवी कैमरों के साथ इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है. इसकी मदद से अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाई जा रही है. उन्होंने आगे बताया इसकी डिमांड मध्य ईस्ट के कई देशों में भी की जा रही है. यहां तक की न्यूयॉर्क और लंदन जैसे शहरों में इसे मंगवाया जा रहा है. अतुल ने बताया स्टारबक्स, रेमंड समेत कई बड़ी कंपनियां भी अपना कस्टमर डेटाबेस बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.
कैसे काम करता है सॉफ्टवेयर
उन्होंने बताया यह सॉफ्टवेयर अपराधियों से संबंधित सीसीटीवी फीड, तस्वीरों और ऑडियो जैसे किसी डेटा को सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत जानकारी देता है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपराधियों से जुड़ी हर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इसके साथ यह भी बता देगा कि कौन से क्षेत्र में कौन सा अपराधी घूम रहा है. इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति किसी गाड़ी पर कोई गलत नंबर प्लेट लगाकर चला रहा है, तो इसके माध्यम से पता लग जाता है. उन्होंने आगे बताया कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान भी सर्विलांस के लिए इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था. अगर किसी भी जगह पर संदिग्ध गतिविधि हो रही है या फिर कोई संदिग्ध व्यक्ति उस जगह पर हो तो यह सॉफ्टवेयर तुरंत ही एक रियल टाइम अलर्ट जारी कर देगा.
जानें कितने में बना सॉफ्टवेयर
अतुल ने आगे जानकारी देते हुए कहा इसे बनाने के लिए 15 से 16 करोड रुपए तक खर्च कर चुके हैं. लेकिन इस साल 20 करोड रुपए तक कमा भी चुके हैं. उन्होंने कहा अगले 5 साल तक लक्ष्य करीबन 500 करोड़ तक कमाना है और भरोसा भी जताया है कि यह कर भी लेंगे.
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