Connect with us

Sports

After Basant Panchami, a huge dance takes place here where wrestlers test their skills

Published

on

Last Updated:

Wrestling Match: भरतपुर के रूपबास कस्बे में आयोजित बसंत पशु मेला में कुश्ती दंगल मुख्य आकर्षण रहा. भारत केसरी हरकेश ने सागर सोनीपत को हराकर 61 हजार रुपये जीते. इस कुश्ती के मुकाबले में महिला पहलवानों ने भी बढ़ …और पढ़ें

X

पहलवान

पहलवान दिखाते हैं अपने-अपने जोर आजमाइश 

हाइलाइट्स

  • भरतपुर के रूपबास बसंत पशु मेला में मुख्य आकर्षण रहा कुश्ती-दंगल
  • भारत केसरी हरकेश ने सागर सोनीपत को हराकर जीते 61 हजार रुपये
  • महिला पहलवानों ने भी दंगल में लिया हिस्सा और किया शानदार प्रदर्शन

भरतपुर. भरतपुर जिले के रूपबास कस्बे में आयोजित बसंत पशु मेला न केवल व्यापार और मनोरंजन का केंद्र बना, बल्कि विशाल कुश्ती दंगल ने भी लोगों का दिल जीत लिया. दूर-दूर से आए पहलवानों के बीच हुए जोरदार मुकाबलों ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया. आखिरी कुश्ती में भारत केसरी हरकेश हाथरस ने सागर सोनीपत को हराकर जीत दर्ज की.

बसंत पशु मेला में मुख्य आकर्षण बना कुश्ती दंगल
हर साल की तरह इस बार भी नगरपालिका के तत्वाधान में आयोजित बसंत पशु मेला में कुश्ती दंगल मुख्य आकर्षण बना. दंगल की शुरुआत छोटी रकम से हुई, 20 रुपये से शुरू हुआ मुकाबले में धीरे-धीरे दांव बढ़ते गया. जैसे-जैसे प्रतियोगिता आगे बढ़ी, कुश्ती के दांव 50 रुपये, 100 रुपये से होते हुए 61 हजार रुपये तक पहुंच गए. इस दौरान अलग-अलग राज्यों से आए पहलवानों ने अपने दमखम और कुश्ती के हुनर का शानदार प्रदर्शन किया.

61 हजार रुपये के लिए लगा कुश्ती का आखिरी दांव
इस बार की आखिरी कुश्ती 61 हजार रुपये की थी, जिसमें हाथरस के भारत केसरी हरकेश और पानीपत के सागर आमने-सामने थे. दोनों के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ, लेकिन महज 9 मिनट में हरकेश ने सागर को पटखनी देकर अपनी जीत दर्ज की. यह जीत उनके लिए खास थी क्योंकि यह चौथी बार था जब उन्होंने रूपबास के दंगल में अंतिम कुश्ती अपने नाम की.

महिला पहलवानों ने भी बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
इस दंगल की खास बात यह रही कि इसमें महिला पहलवानों ने भी भाग लिया. गामिनी चाहर बाटी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 5100 रुपये की विशेष कुश्ती अपने नाम की. दर्शकों ने उनके प्रदर्शन को खूब सराहा, जिससे यह साफ हुआ कि महिला पहलवान भी इस परंपरागत खेल में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. कुश्ती दंगल देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण और खेल प्रेमी इकट्ठा हुए. जैसे-जैसे मुकाबले रोमांचक होते गए, भीड़ का उत्साह भी बढ़ता गया. कुश्ती के प्रति इस जोश और जुनून को संभालने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

 पहलवानों को नकद इनाम राशि के साथ किया गया सम्मानित
नगर पालिका द्वारा सभी विजेता पहलवानों को नकद इनाम और सम्मानित किया गया. आखिरी कुश्ती के विजेता हरकेश को 61 हजार रुपये की नगद राशि के साथ साफा पहनाकर सम्मानित किया गया. रूपबास के इस ऐतिहासिक दंगल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुश्ती सिर्फ खेल नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है.

homesports

इस मेला में कुश्ती बना आकर्षण का मुख्य केंद्र, विजेता को मिला 61000 का इनाम

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sports

भोजपुर की नूतन कुमारी 38वें राष्ट्रीय खेलों में बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगी

Published

on

Last Updated:

Bhojpur News : भोजपुर की अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी नूतन के कंधे पर एक बार फिर से बिहार की जिम्मेदारी दी गई है.नूतन अपने खेल के दम पर पहले ही भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल दिला चु…और पढ़ें

भोजपुर के लिए डबल खुशी, बिहार वुशु टीम में कोच और खिलाड़ी दोनों भोजपुर से चयनित

भोजपुर के लिए डबल खुशी, बिहार वुशु टीम में कोच और खिलाड़ी दोनो भोजपुर से चयनित

भोजपुर की अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी नूतन के कंधे पर एक बार फिर से बिहार की जिम्मेदारी दी गई है. नूतन अपने खेल के दम पर पहले ही भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल दिला चुकी है. इस बार राष्ट्रीय खेलों के लिए बिहार टीम से एक मात्र खिलाड़ी नूतन का चयन हुआ है उनके साथ बिहार के कोच राजेश का भी चयन हुआ है. राजेश ठाकुर भी भोजपुर जिला के ही निवासी है.

भोजपुर वुशू संघ की सम्मानित खिलाड़ी नूतन कुमारी को 38वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है. ये खेल उत्तराखंड के देहरादून स्थित कंचनजंघा हॉल में 28 जनवरी से 2 फरवरी 2025 तक आयोजित होगा. नूतन कुमारी बिहार वुशु टीम का हिस्सा बनकर इन खेलों में 75 किलोग्राम भार वर्ग मे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी. साथ ही भोजपुर वुशू संघ के महासचिव एवं बिहार वुशू संघ के संयुक्त सचिव राजेश प्रसाद ठाकुर को बिहार वुशू टीम के कोच के रूप में चुना गया है.

इस गर्वपूर्ण मौके पर भोजपुर वुशू संघ के अध्यक्ष डॉ. के. एन. सिंह, उपाध्यक्ष श्रीमती स्मिता सिंह, डॉ. संजीव कुमार, मुख्य संरक्षक शहीद अलीम (हनी जी), और भोजपुर वुशू संघ के NIS कोच शिव शरण ओझा, ऋषभ कुमार तिवारी, आयुष ठाकुर, सौम्या आनंद, प्रिया रंजन कुमार सहित सभी सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों ने नूतन कुमारी और राजेश प्रसाद ठाकुर को शुभकामनाएं दी.

टीम में चयन होने के बाद वुशु संघ के सचिव डॉ. के. एन. सिंह ने कहा यह हमारे लिए गर्व का पल है कि भोजपुर वुशू संघ के खिलाड़ी और कोच राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने जा रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि नूतन कुमारी और राजेश प्रसाद ठाकुर बिहार का नाम रोशन करेंगे.

नूतन आरा के पूर्वी नवादा के जितेंद्र प्रसाद की बेटी हैं. स्कूल से खेलने का जुनून सवार रहा सफर अभी भी जारी है. इंडोनेशिया के बाली में हुए वर्ल्ड वुशु चैंपियनशिप में देश को कांस्य दी फिर चीन के मकाऊ में हुए एशिया चैंपियनशिप में भी भारत को कांस्य पदक दी. इसके बाद बिहार सरकार ने रिटर्न गिफ्ट के तौर पर नौकरी दी. अभी नूतन पटना समाहरणालय में बाल सरंक्षण इकाई में बतौर अधिकारी नौकरी करती है.

कोच राजेश ठाकुर ने 2008 से आरा में वुशु गेम का प्रशिक्षण देना शुरू किया और इस दौरान उन्होंने 55 से 60 नेशनल खिलाड़ियों को तैयार किया है. उनके मार्गदर्शन में आरा से कई बड़े खिलाड़ी वुशु गेम में प्रतिष्ठा प्राप्त करने लगे हैं, जिससे न केवल राज्य स्तर पर बल्कि देश स्तर पर वुशु को एक नई पहचान मिली. इसके अलावा, बिहार से अब तक दो इंटरनेशनल वुशु गेम खेलने वाले खिलाड़ी नूतन कुमारी और राहुल कुमार भी आरा के रहने वाले हैं, और उन्होंने कोच राजेश ठाकुर के द्वारा प्राप्त की शिक्षा का उपयोग किया है. यह भी दिलचस्प है कि नूतन और राहुल दोनों गरीब परिवारों से हैं, लेकिन उन्होंने अपने कोच राजेश ठाकुर के मार्गदर्शन में इंटरनेशनल खिलाड़ियों की श्रेणी में पहुँचने में सफलता पाई, और यह सब किसी भी प्रकार के पैसे के बिना हुआ.

homesports

भोजपुर के लिए डबल खुशी, बिहार वुशु टीम में कोच और खिलाड़ी दोनों भोजपुर से चयनित

Continue Reading

Sports

पिता का टूटा सपना, बच्चों को देख फिर जगी उम्मीद, कम उम्र में तीनों भाई-बहन बने बास्केटबॉल के स्टार

Published

on

Last Updated:

तरुण सोनी बताते हैं कि उनकी दोनों बेटियों के लिए हरियाणा और छत्तीसगढ़ के कोच ने भी ऑफर दिया है. तीनों का सपना है कि वह देश के लिए खेलकर ना केवल अपने जिले बल्कि अपने राज्य का नाम ऊंचा करें.

X

तीनों

तीनों भाई बहन की फोटो

हाइलाइट्स

  • तरुण सोनी के तीनों बच्चे नेशनल बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं.
  • झारखंड की टीम में खेलते हैं निशा, लुभाशी और अभिषेक सोनी.
  • तरुण सोनी के बच्चों को हरियाणा और छत्तीसगढ़ से भी ऑफर मिला.

बाड़मेर. एक पिता कभी खुद बास्केटबॉल का इंटरनेशनल खिलाड़ी बनना चाहते था लेकिन एक सड़क दुर्घटना की वजह से उनके सपने अधूरे रह गए. ऐसे में अब एक पिता अपनी दो बेटियों और एक बेटे को इंटरनेशनल बास्केटबॉल के लिए तैयार कर रहा है.

खुद को नेशनल बास्केटबॉल के मैदान में खेलते देखने के सपने को सड़क दुर्घटना में टूटने के बाद तरुण सोनी ने अपने ख्वाबो को अपने बच्चों की आंखों में सजाया है. आज तरुण के तीनों बच्चें जब नेशनल मैदान में उतरते है तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पिता तरुण कुमार बताते हैं कि पसली की हड्डी टूट जाने से उसके कदम रुके लेकिन दो बेटियों और बेटे ने उनके सपने को साकार कर दिया है.

झारखंड की टीम का हैं हिस्सा
भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर की निशा सोनी, लुभाशी सोनी और उसके भाई अभिषेक सोनी झारखंड के लिए बास्केटबॉल के नेशनल खिलाड़ी है. इनके पिता तरुण सोनी को तीनों की सफलता पर बेहद खुशी है. झारखंड से खेलने के सवाल पर तीनों खिलाड़ी बताते हैं कि उनके खेल को झारखंड के कोच ने बेहद पसंद किया और यही वजह है कि आज वह तीनों झारखंड की टीम का हिस्सा हैं.

हरियाणा और छत्तीसगढ़ से भी मिला ऑफर
कांट्रेक्टर पिता सुबह से ही तीनों की ट्रेनिंग में साथ कोट पर पसीना बहाते नजर आते हैं. निशा सोनी जयपुर में अपनी पढ़ाई कर रही हैं वहीं लुभाशी सोनी और उसका भाई अभिषेक सोनी बाड़मेर में स्कूली शिक्षा ले रहे हैं. तीनों ने अब तक कई स्टेट गेम्स में भाग लिया है. निशा सोनी बीते दिनों भावनगर गुजरात में आयोजित 74 वी सीनियर नेशनल बास्केटबॉल चैंपियनशिप में झारखंड की तरफ से मैदान में उतरी थी वहीं लुभाशी सोनी 14वीं सब जूनियर चैंपियनशिप में हैदराबाद में झारखंड की गर्ल्स टीम का हिस्सा थी. अभिषेक सोनी ने इसी प्रतियोगिता में झारखंड की बॉयज टीम की तरफ से हरियाणा, छत्तीसगढ़ और केरला की टीम को मात दी थी.

homesports

पिता का टूटा सपना, बच्चों को देख फिर जगी उम्मीद, कम उम्र में बना दिया खिलाड़ी

Continue Reading

Sports

Udaipur News: जावर माइंस में 45 सालों से आयोजित हो रहा एमकेएम टूर्नामेंट, संस्कृति को ग्रामीणों के बीच रखे हुए है जिंदा

Published

on

Last Updated:

Udaipur News: उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर जावर माइंस, जो फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए मशहूर है. यह टूर्नामेंट 1976 से आयोजित किया जा रहा है, और इसकी शुरुआत एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है. इस टूर्नामेंट का आयोजन केवल खे…और पढ़ें

X

कुमार

कुमार मंगलम फुटबॉल प्रतियोगिता

हाइलाइट्स

  • जावर माइंस में 45 साल से एमकेएम टूर्नामेंट आयोजित हो रहा है.
  • टूर्नामेंट में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है.
  • टूर्नामेंट का आयोजन खदान मजदूरों द्वारा किया जाता है.

उदयपुर:- शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित जावर माइंस, जिसे फुटबॉल विलेज के नाम से जाना जाता है. यह पिछले 45 सालों से मोहन कुमार मंगलम फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए मशहूर है. यह टूर्नामेंट खासतौर पर जिंक खदान मजदूरों द्वारा आयोजित किया जाता है, और अब तक इसे यहां के आदिवासी समुदाय और फुटबॉल प्रेमियों द्वारा बेहद सम्मानित किया गया है.

महिलाओं के लिए समान अवसर
आपको बता दें, कि एमकेएम टूर्नामेंट महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने के लिए जाना जाता है. इस स्टेडियम के एक हिस्से को पूरी तरह से महिलाओं, छात्राओं और बच्चियों के लिए रिजर्व किया जाता है, जहां वे आराम से मैच देख सकती हैं. इसको लेकर किरण नाम की एक स्थानीय महिला दर्शक ने बताया, “यह टूर्नामेंट सिर्फ फुटबॉल के बारे में नहीं है, यह एकता, समानता और आदिवासियों के पारिवारिक माहौल का प्रतीक है. पूरे दस दिन यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है.

मंत्री की याद में आयोजित किया जाता है टूर्नामेंट
आपको बता दें, कि एमकेएम टूर्नामेंट की एक और खास बात यह है, कि इसकी व्यवस्था खदान मजदूरों द्वारा की जाती है, और यहां आयोजन के दौरान कभी भी कोई गंभीर घटना या विवाद नहीं हुआ है.टूर्नामेंट में शामिल होने वाले गांवों के लोगों की संख्या हजारों तक पहुंच जाती है, लेकिन अब तक थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई. यह टूर्नामेंट 1976 से आयोजित किया जा रहा है, और इसकी शुरुआत एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है.1973 में, तत्कालीन इस्पात एवं खदान मंत्री उदयपुर दौरे पर आए थे और खदान मजदूरों के काम के प्रति निष्ठा और ईमानदारी से प्रभावित हुए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई, और उनकी याद में यह टूर्नामेंट आयोजित किया जाने लगा.

यहां के बच्चे खेल क्षेत्र में बना रहे हैं पहचान
आपको बता दें, कि इस टूर्नामेंट का आयोजन केवल खेल तक सीमित नहीं है. यह एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है. यहां के बच्चे, जो छोटे से बड़े होते हैं, फुटबॉल खेलते हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. इस खेल ने न केवल स्थानीय समुदाय को जोड़ने का काम किया है, बल्कि यह भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है. जावर माइंस का मोहन कुमार मंगलम फुटबॉल टूर्नामेंट एक बेहतरीन उदाहरण है, कि कैसे एक खेल समुदाय को एकजुट करने और सकारात्मक बदलाव लाने का एक असरदार जरिया बन सकता है. 45 साल से इस टूर्नामेंट ने फुटबॉल की संस्कृति को यहां के ग्रामीणों के बीच मजबूती से जिंदा रखा है, और आने वाले सालों में यह और भी अधिक प्रसिद्धि पाने की संभावना रखता है.

homesports

जावर माइंस में 45 सालों से आयोजित हो रहा एमकेएम टूर्नामेंट, जानें क्या है ये

Continue Reading

TRENDING