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मेरठ के सुमित भड़ाना ने दौड़ में लहराया परचम, लंबी कूद में हासिल किया तीसरा स्थान, गोल्ड-सिल्वर का मिला पुरस्कार

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Meerut News: मेरठ के काजीपुर गांव के रहने वाले खिलाड़ी सुमित भड़ाना ने लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश ग्रामीण लीग प्रतियोगिता में रनिंग एवं लंबी कूद में परचम लहराया है. उन्होंने 200 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल…और पढ़ें

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सांकेतिक

सांकेतिक फोटो

हाइलाइट्स

  • सुमित भड़ाना ने यूपी ग्रामीण लीग में 200 मीटर दौड़ में गोल्ड जीता.
  • 100 मीटर दौड़ में सिल्वर और लॉन्ग जंप में तीसरा स्थान हासिल किया.
  • सुमित का ओलंपिक में मेडल लाने का सपना है.

मेरठ: क्रांति धरा मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं. कुछ इसी तरह का नजारा लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश ग्रामीण लीग प्रतियोगिता में देखने को मिला. प्रतियोगिता में मेरठ के गाजीपुर गांव के रहने वाले एथलीट सुमित भड़ाना ने 3 गेम में मेडल लाकर मेरठ का नाम रोशन किया. ऐसे में लोकल 18 की टीम द्वारा भी सुमित भड़ाना से खास बातचीत की.

तीन प्रतियोगिता में लहराया परचम

सुमित भड़ाना ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि बीते सप्ताह युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल द्वारा लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश ग्रामीण खेल लीग की तीन प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया था. जिसमें 100 मीटर, 200 दौड़ के साथ उन्होंने लॉन्ग जंप में प्रतिभाग किया. इसमें 100 मी उन्हें सिल्वर मेडल, 200 मीटर में गोल्ड मेडल और लॉन्ग जंप में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया है. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता के लिए भी जल्द ही ट्रायल का आयोजन किया जाएगा. ऐसे में अब उनका पूरा फोकस ट्रायल को लेकर है.

ओलंपिक में परचम लहराने का है सपना 

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुमित भड़ाना का ओलंपिक में प्रतिभाग करते हए मेडल लाने का सपना है. उन्होंने बताया कि इस सपने को पूरा करने के लिए प्रतिदिन घंटों तक अभ्यास करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार की अगर बात की जाए तो वह पहले ऐसे युवा है, जिन्होंने खेल की तरफ रुझान किया है. उन्होंने बताया कि कैलाश प्रकाश स्टेडियम में एथलीट कोच गौरव त्यागी के मार्गदर्शन में वह प्रैक्टिस कर रहे हैं. वह कहते हैं कि जिस तरीके से गौरव त्यागी के मार्गदर्शन में प्रियंका गोस्वामी, अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पारूल चौधरी और पैरालंपिक खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड से सम्मानित प्रीति पाल ने बेहतर शुरुआत के साथ आगे की भविष्य को चुना था. ऐसे ही वह खुद उन सभी खिलाड़ियों की तरह नाम रोशन करना चाहते हैं.

बता दें कि मेरठ के कैलाश विकास स्टेडियम में प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में युवा आपको विभिन्न प्रकार के गमों में प्रशिक्षण हासिल करते हुए दिखाई देंगे. युवाओं का सपना है कि वह गोल्ड मेडल लाकर भारत के नाम रोशन कर सके. इनमें से कई खिलाड़ी राष्ट्रीयस्तर की प्रतियोगिताओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुके हैं.

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मेरठ के सुमित ने 100-200 मीटर दौड़ में जीता गोल्ड-सिल्वर

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राजस्थान में केन्द्रीय खेल प्रशिक्षण शिविरों के लिए आवेदन शुरू, 25 अप्रैल तक करें अप्लाई

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पालीवाल ने कहा कि यह शिविर प्रदेश के उभरते खिलाड़ियों के लिए बेहतरीन अवसर है. जहां उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण के साथ खेल की उच्च स्तरीय तकनीकों से अवगत कराया जाएगा.चयनित खिलाड़ियों को राज्य स्तर पर खेलों में आगे ब…और पढ़ें

केन्द्रीय खेलकूद प्रशिक्षण शिविरों के लिए आवेदन आमंत्रित, 25 अप्रैल तक जमा होंगे फॉर्म

खेलकूद प्रशिक्षण

राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद, जयपुर के तत्वाधान में आगामी मई-जून 2025 के दौरान विभिन्न स्थानों पर केन्द्रीय खेलकूद प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा. इन शिविरों में प्रतिभावान खिलाड़ियों को विभिन्न खेलों में उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. इच्छुक खिलाड़ी 25 अप्रैल तक आवेदन जमा कर सकते हैं.

शिविरों का आयोजन एवं स्थान
जिला खेल अधिकारी डॉ. महेश पालीवाल ने बताया कि यह प्रशिक्षण शिविर आबू पर्वत, जयपुर और बांसवाड़ा में आयोजित किए जाएंगे.

आबू पर्वत: 21 मई से 10 जून

जयपुर: 19 मई से 8 जून

बांसवाड़ा (जनजातीय शिविर): 23 मई से 12 जून

कैसे करें आवेदन?
खिलाड़ी अपना आवेदन लवकुश इनडोर स्टेडियम, उदयपुर में 25 अप्रैल तक जमा कर सकते हैं. आवेदन पत्र राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद की आधिकारिक वेबसाइट www.rssc.in से डाउनलोड किए जा सकते हैं.

आवश्यक योग्यता और दस्तावेज
आवेदन के लिए खिलाड़ी की आयु 14 से 17 वर्ष (31 मई 2025 तक) होनी चाहिए.
आवेदन के साथ जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल प्रमाण पत्र या सरपंच द्वारा जारी प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा.खिलाड़ियों को खेल प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा.

खिलाड़ियों को मिलेंगी सुविधाएं
शिविर में चयनित खिलाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी:

यात्रा भत्ता

निःशुल्क आवास एवं भोजन

खेल उपकरण एवं आवश्यक संसाधन

कौन-कौन से खेलों का मिलेगा प्रशिक्षण?

1. आबू पर्वत (बालक-बालिका वर्ग):

हैंडबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, तीरंदाजी

2. जयपुर (बालक-बालिका वर्ग):

फुटबॉल, क्रिकेट, जिम्नास्टिक, जूडो, हॉकी, कुश्ती, कबड्डी, भारोत्तोलन, खो-खो, साइक्लिंग, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, वूशु, तैराकी

3. जनजातीय शिविर, बांसवाड़ा (बालक-बालिका वर्ग):

वॉलीबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, कबड्डी, हॉकी, खो-खो, फुटबॉल, हैंडबॉल

बास्केटबॉल (केवल बालक वर्ग)

खेल प्रतिभाओं के लिए सुनहरा अवस
डॉ. पालीवाल ने कहा कि यह शिविर प्रदेश के उभरते खिलाड़ियों के लिए बेहतरीन अवसर है, जहां उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण के साथ खेल की उच्च स्तरीय तकनीकों से अवगत कराया जाएगा.चयनित खिलाड़ियों को राज्य स्तर पर खेलों में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.इच्छुक खिलाड़ी समय पर आवेदन करें और इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाएं.

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केन्द्रीय खेलकूद प्रशिक्षण शिविरों के लिए आवेदन आमंत्रित, 25 अप्रैल तक जमा होंगे फॉर्म

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ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट मैच के दौरान पाकिस्तानी क्रिकेटर जुनैद खान की मौत

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Junaid Zafar Khan नाम के पाकिस्तानी मूल के ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर की अत्यधिक गर्मी के कारण मौत हो गई. 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में मैच खेलते समय वे गिर पड़े और बचाए नहीं जा सके.

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क्रिकेटर जुनैद जफर खान की गर्मी से मौत

हाइलाइट्स

  • पाकिस्तानी मूल के ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर की मौत
  • भरी धूप और तेज गर्मी में खेल रहे थे क्रिकेट मैच
  • 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका था तापमान

एडिलेड में एक क्रिकेट मैच के दौरान गर्मी और उमस से एक क्रिकेटर की मौत हो गई. ये दुखद घटना पाकिस्तानी मूल के ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर जुनैद जफर खान के साथ हुई. अत्यधिक गर्मी के कारण वह मैदान पर गिर पड़े और उनकी मौत हो गई.

यह घटना शनिवार को दोपहर 4 बजे कॉनकॉर्डिया कॉलेज ओवल में ओल्ड कॉनकॉर्डियंस और प्रिंस अल्फ्रेड ओल्ड कॉलेजियंस के बीच मैच के दौरान हुई. पैरामेडिक्स द्वारा तत्काल चिकित्सा सहायता दिए जाने के बावजूद जुनैद खान को बचाया नहीं जा सका.

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घटना के समय मौसम बहुत खराब था और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा था. एडिलेड टर्फ क्रिकेट एसोसिएशन के नियमों के अनुसार मैच 42 डिग्री सेल्सियस पर रद्द कर दिए जाने चाहिए, हालांकि 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान के लिए संशोधित खेल स्थितियों की अनुमति है.

स्थानीय मीडिया के अनुसार जुनैद रमजान के दौरान रोजा पर थे और फिर भी मैच खेल रहे थे. लेकिन वे पूरे दिन पानी पीते रहे, क्योंकि छूट के तहत मुसलमानों को अस्वस्थ होने पर ऐसा करने की अनुमति है.

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OPINOIN: बागी हो रहे विराट-रोहित, परिवार के लिए BCCI के खिलाफ खोला मोर्चा, दकियानूसी विचार से नहीं चलेगा खेल

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Virat Kohli on presence of family on tours:विराट कोहली ने भारतीय टीम के विदेशी दौरों पर परिवार को साथ ना ले जाने के मसले पर बीसीसीआई को खरी-खरी सुना दी है. कोहली ने साफ कहा कि लोगों को इसकी अहमियत पता नहीं है.

OPINOIN: बागी हो रहे विराट-रोहित, परिवार के लिए BCCI से बगावत

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • विराट कोहली ने BCCI की परिवार संबंधी गाइडलाइन पर उठाए सवाल.
  • रोहित शर्मा ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि इससे खिलाड़ी परेशान हैं.
  • हरभजन सिंह भी परिवार को दूर रखने की बात पर जता चुके हैरानी.

Virat Kohli on presence of family on tours: भारतीय क्रिकेटर बागी होने लगे हैं. वे दुनिया के सबसे ताकतवर क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. जिस बीसीसीआई के सामने आईसीसी सहम जाती है, उसके खिलाफ विराट कोहली जमकर बोले. कोहली ने बोर्ड को सरल शब्दों में अपना संदेश दिया कि परिवार किसी खिलाड़ी के लिए कितनी अहमियत रखता है. कोहली जैसे कह रहे हों कि क्रिकेटर कोई ग्लेडिएटर नहीं हैं, जिनका काम सिर्फ मनोरंजन करना था, बल्कि वे मॉडर्न वर्ल्ड के खिलाड़ी हैं, जो अपने परिवार की खुशी और गम से प्रेरित भी होता है और परास्त भी.

विराट कोहली ने RCB के कॉन्क्लेव में भारतीय टीम के विदेशी दौरों पर परिवार के साथ होने या ना होने संबंधी सवालों पर खुलकर बात की है. किंग कोहली ने कहा कि उन्हें लगता है कि वे (परिजन) उन खिलाड़ियों के लिए संतुलन लाते हैं, जो मैदान पर मुश्किलों का सामना करते हैं. विराट के इतना कहते ही यह बहस फिर छिड़ गई है कि क्या खिलाड़ियों से परिवार को दूर रखने संबंधी बीसीसीआई की गाइडलाइंस सही हैं या ये दकियानूसी खयालात हैं.

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विराट कोहली ने बोर्ड को ललकारा
विराट कोहली ने अपनी बात इशारों में नहीं कही है. उन्होंने एक तरह से बोर्ड को बहस के लिए ललकारा है. विराट के जो बात कही, उसके समर्थन में मौजूदा क्रिकेटर, पूर्व क्रिकेटर से लेकर आम क्रिकेटप्रेमी तक बोल रहे हैं. बीसीसीआई बैकफुट पर है. शायद उसे गलती का एहसास है. अगर ऐसा है तो यह अच्छी बात भी है. उसे यह महसूस करना ही चाहिए कि मॉडर्न स्पोर्ट्स में दकियानूसी सोच ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कोई ना कोई आवाज उठाएगा.

तुगलकी फरमान आसानी से गले नहीं उतरा
कुछ दिन पहले कप्तान रोहित शर्मा को यह कहते हुए सुना गया था कि वे इस बारे में सेक्रेटरी से बात करेंगे. रोहित सिस्टम के भीतर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे हैं. पर बेलौस विराट बागी स्वभाव के रहे हैं. अच्छा होगा यदि कानों में तेल डालकर बैठने वाले बोर्ड के पदाधिकारी अपने कप्तान और किंग की आवाज सुन लेते हैं. नहीं तो हवा का रुख उनके खिलाफ ही होगा. वैसे भी जब बोर्ड ने विदेशी दौरों पर टीम के साथ खिलाड़ियों के परिजनों के जाने पर रोक संबंधी तुगलकी फरमान जारी किया था तो यह आसानी से गले नहीं उतरा था.

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खिलाड़ी को भावनात्मक समर्थन की जरूरत
किसी जमाने में खिलाड़ियों को मशीन की तरह ट्रीट किया जाता था. चाबी भरी और खेल शुरू. यह देखने-समझने की जहमत भी नहीं उठाई जाती थी कि खिलाड़ी खेलने की हालत में है या नहीं. वो कहते हैं ना- शो मस्ट गो ऑन. लेकिन आधुनिक खेलमनोविज्ञान यह मानता है कि खिलाड़ी को सिर्फ शारीरिक रूप से फिट रहना जरूरी नहीं है या सिर्फ स्किल में महारत जरूरी नहीं है. कोई भी खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन तभी कर सकता है जब वह मानसिक रूप से स्वस्थ हो. उतारचढ़ाव भरे प्रदर्शन के दौरान उसे भावनात्मक समर्थन की जरूरत होती है और यही बात विराट कोहली कहते हैं.

कमरे में अकेले बैठना कभी अच्छा नहीं होता
विराट कोहली ने कहा, ‘अगर आप किसी खिलाड़ी से पूछेंगे कि क्या वे चाहते हैं कि परिवार उसके आस-पास रहे? तो जवाब होगा- हां . आखिर मैं होटल के कमरे में जा कर अकेले बैठकर उदास नहीं रहना चाहता. परिवार के साथ होने से हमें मदद मिलती है. जब मैं परिवार के साथ रहता हूं, वह मेरे लिए खुशी का दिन होता है.’ कोहली ने आगे कहा, ‘लोगों को यह समझाना काफी मुश्किल है कि जब आपके साथ बाहर कुछ बहुत मुश्किल घट रहा होता है, तो अपने परिवार के पास लौटना कितना अच्छा होता है. मुझे नहीं लगता कि लोग ये समझ पाते हैं कि इसकी क्या कीमत है. यह बेहद निराशाजनक है. जिन लोगों (परिजन) का खेल पर कोई नियंत्रण नहीं है, उन्हें इसके लिए जबरदस्ती घसीटा जाता है और कहा जा रहा है कि इन्हें दूर रखा जाना चाहिए. यह बेहद निराशाजनक है’

सिर्फ पैशन और पैसे के लिए नहीं खेल सकते खिलाड़ी
इस बात में कोई शक नहीं कि खिलाड़ी सिर्फ पैशन और पैसे के लिए नहीं खेल सकता. उसे एक वक्त पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए भावनात्मक समर्थन की जरूरत होती है और वह उसे परिवार से मिलता है. बोर्ड को भी यह बात समझनी चाहिए. और हां, अगर उसकी गाइडलाइंस के पीछे कोई वजह है तो वह भी सामने लानी चाहिए. अगर किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन में सिर्फ इसलिए गिरावट आई क्योंकि उसके साथ पत्नी-बच्चे, माता-पिता या गर्लफ्रेंड थी और इससे उसका खेल से ध्यान भटका तो बोर्ड बताए. जब तक बोर्ड बिना वहज बताए तुगलकी फरमान जारी करता है तो उसका विरोध करने वाले को खेल जगत से समर्थन मिलेगा ही और मिलना भी चाहिए. इसीलिए बोर्ड इस बार बैकफुट पर है. लेकिन यकीन मानिए इस सबके बावजूद बोर्ड इस मामले में चुप्पी ही साधेगा. पारदर्शिता बीसीसीआई के लॉकर में ही रहेगी. कभी बाहर नहीं आएगी.

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