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साइकिल का नया अवतार! पैडल से नहीं पेट्रोल से चलेगी, एक लीटर में 70 KM एवरेज, देखकर घूम जाएगा दिमाग

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11वीं तक पढ़ाई करने वाले तनवीर ने बताया कि साइकिल में मोटर लगाना तो आसान था, लेकिन इसके बाद इसका एलाइनमेंट मिलाना, शॉकर बनाना, फ्यूल टैंक बनाने में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

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 मोटर लगी साइकिल के साथ तनवीर

ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: इन दिनों देश में बात लूना की हो रही है. एक कंपनी लूना को नए अवतार में लेकर आ रही है. वहीं, कोडरमा के एक होनहार ने साइकिल को नया अवतार दिया है. खास बात ये कि इस शख्स के पास न ही कोई कंपनी है और न कोई सुविधा. इसने तो कबड़ा के जुगाड़ से कमाल कर दिया है.

साइकिल के इस अवतार को देखने वाला हर कोई चौंक जाता है. कोडरमा के छतरबर निवासी बाइक मैकेनिक तनवीर ने कबाड़ में बिकने जा रहे बाइक पार्ट्स का इस्तेमाल कर मोटर वाली साइकिल का निर्माण किया है. बताया कि इसमें करीब 4 महीने लगे.

सतबीर ने बताया कि घर में पड़ी एक पुरानी मोटरसाइकिल को घरवाले कबाड़ में बेच रहे थे. जब उसकी नजर इस पर पड़ी तो उसने इसे बेचने से मना कर दिया. इसके बाद मोटरसाइकिल के इंजन की मरम्मत करने के बाद साइकिल में फिट कर दिया. यह पहली साइकिल होगी जिसमें साइलेंसर भी लगा है.

अलग से नहीं है फ्यूल टैंक
तनवीर ने बताया कि इन चार महीने में वह खाना खाने के बाद अपने इस नए इनोवेशन पर दिनभर लगे रहते. मोटर लगी साइकिल में इस्तेमाल हुए कई सामान उन्हें शहर के बाहर से लाने पड़े तो कुछ को ऑनलाइन भी आर्डर किया. 11वीं तक पढ़ाई करने वाले तनवीर ने बताया कि साइकिल में मोटर लगाना तो आसान था, लेकिन इसके बाद इसका एलाइनमेंट मिलाना, शॉकर बनाना, फ्यूल टैंक बनाने में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बताया कि साइकिल में अलग से कोई फ्यूल टैंक नहीं जोड़ा गया है, बल्कि इसके चेचिस को ही फ्यूल टैंक बना दिया है. जिसकी क्षमता करीब 2 लीटर है.

बैटरी से चलने वाली साइकिल पर कर रहे काम
तनवीर ने बताया कि मोटर लगी साइकिल को बनाने में करीब 45 हज़ार रुपये खर्च हुए हैं. एक लीटर पेट्रोल में उनकी यह साइकिल 70 किलोमीटर तय करती है. बताया कि सिंगल सीटर इस मोटर लगी साइकिल में लोग 100 किलो तक के समान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं. बताया कि अब वह मोटर लगी बैटरी वाली साइकिल के डिजाइन पर काम कर रहे हैं.

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प्रभारी मंत्री ने अफसरों को दिया अल्टीमेटम, जल्द पूरा हो संजीत नाका ओवर ब्रिज का काम – Minister in charge rajwardhan singh dattigaon sanjit naka over bridge by october 30

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पिछले दिनों लोकल 18 ने ओवरब्रिज से जुड़ी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी जिसमें मंदसौर प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को जल्द काम पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है.

लोकल 18 की खबर का असर: प्रभारी मंत्री ने अफसरों को दिया अल्टीमेटम

इस तरह लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं पटरी पार

शादाब/मंदसौर. शहर के संजीत नाके पर बन रहे ओवरब्रिज का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, जिसकी लागत 30 करोड़ रुपये है. इस ओवरब्रिज का भूमि पूजन साल 2018 में हुआ था, लेकिन इसके बाद अब तक 2023 की आधी अवधि भी बीत चुकी है, फिर भी ओवरब्रिज का लोकार्पण नहीं हो सका है.

पिछले दिनों लोकल 18 ने ओवरब्रिज से जुड़ी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ विधायक भी शामिल थे. मंदसौर प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव हाल ही में मंदसौर दौरे पर गए थे और उन्होंने कलेक्ट्रेट सभागार में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित की थी. इसी दौरान, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि संजीत नाका ओवरब्रिज का काम 30 अक्टूबर तक पूरा किया जाना चाहिए. वे इसके साथ ही, जिले में अधूरे पड़े कार्यों के चलते नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं. स्वयं सेतु विभाग के एसडीओ ने प्रभारी मंत्री के आदेश को स्वीकारते हुए उन्हें आश्वस्त किया है कि ओवर ब्रिज का काम 30 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा. इस दौरान, हजारों लोगों को और ओवर ब्रिज की समस्या से परेशान होने की संभावना है.

प्रभारी मंत्री ने अपने अधिकारियों को संदेश दिया है कि जिले में लंबित हुए सभी विभागीय निर्माण कार्यों को आचार संहिता के पूर्वानुमान के साथ पूरा किया जाए. साथ ही, उन्होंने उन निर्माण कार्यों को भी दिशा दी है जिनका लोकार्पण पहले ही हो चुका है, उन्हें तत्काल उपयोग में लाने की आवश्यकता है. वे इसके साथ ही सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि निर्माण कार्यों के दौरान जहां-जहां त्रुटियाँ पाई जाती हैं, वहां तुरंत सुधार किया जाए.

काफी लोग हो रहे है परेशान
निर्माणाधीन ओवरब्रिज के कारण, लगभग 15 कॉलोनियों और एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग प्रतिदिन परेशानियों का सामना कर रहे हैं. ओवरब्रिज के आसपास के निवासियों को अब मजबूरी में पड़कर पटरी पार करना हो रहा है, जिससे उनकी जान जोखिम में आ सकती है. संजीत नाके से रेलवे स्टेशन के निकटस्थित होने के कारण, यहां ट्रेनों का आवागमन भी अधिक होता है. इस परिस्थिति में, लोग किस तरह से जान जोखिम में डालकर रेल की पटरी पार कर रहे हैं, वह देख सकते हैं.

कई बार भेजें जा चुके है नोटिस
जानकारी के मुताबिक, ब्लैक लिस्टेड कंपनी पर अफसरों की मेहरबानी का प्रभावकारी परिणाम हो रहा है. ओवरब्रिज का निर्माण करने वाली कंपनी को देरी के कारण कई बार नोटिस दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई है. अब खबर है कि कंपनी को ब्लैक लिस्टेड में शामिल कर दिया गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के फरमान के बाद अधिकारियों पर कितना असर पड़ता है और आखिरकार कब तक संजीत नाका ओवरब्रिज का काम पूरा होता है.

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एक सरकारी स्कूल ऐसा भी जहां बच्चों को साल में दो बार मिलती है लंबी छुट्टी, जानें वजह – School where leave is available in monsoon children are forced to sit at home know the reason

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जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन खुद कीचड़ और जलभराव की स्थिति से निपटने के प्रयास करता है जिससे बच्चों को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े…और पढ़ें

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जमा पानी सामने स्कूल आखिर कैसे होगा युवा पीढ़ी का निर्माण

शादाब / मंदसौर :शहर में एक स्कूल ऐसा है जहां 2 महीने गर्मी की छुट्टी के साथ 1 महीने बारिश की भी छुट्टी होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक मिनी मैदान को पार करने के बाद बच्चे स्कूल तक पहुंचते हैं लेकिन बारिश आते ही मैदान में पानी भरने लगता है यही वजह है कि बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं और उन्हें छुट्टी देना पड़ता है. शहर के बालागंज क्षेत्र के कालाखेत मैदान में स्थित सरकारी स्कूल सरकार की नजरों से कोसों दूर है. जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. बरसात के मौसम में अत्यधिक बारिश होने के कारण मैदान पर जलभराव होने की समस्या साल दर साल बढ़ती जा रही है जिस वजह से स्कूली छात्रों और यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों का आना मुश्किल हो जाता है. इसलिए जब बारिश होती है तब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रहना पड़ता है.

कालाखेत मैदान पर साल 2000 में मिनी स्टेडियम बनाने की रूपरेखा तैयार कर साल 2002 में स्टेडियम का भूमि पूजन तक कर दिया गया था उस वक़्त तत्कालीन मुख्यमंत्री ने खुद मंदसौर आकर मिनी स्टेडियम का शिलान्यास किया था, 2002 से 2023 यानी कि 21 साल बीत जाने के बाद भी कालाखेत मैदान पर मिनी स्टेडियम का सपना पूरा नहीं हो पाया है. दरअसल मैदान को सुधार कर यहां हॉकी और बास्केटबॉल कोर्ट बनाने की योजना तैयार की गई थी. उस वक्त किसी कारणवश स्टेडियम बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया जो कि अभी तक अधर में लटका हुआ है.

1 महीने बारिश की भी छुट्टी है मिलती
जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन खुद कीचड़ और जलभराव की स्थिति से निपटने के प्रयास करता है जिससे बच्चों को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े.ताजा जानकारी के मुताबिक मिनी स्टेडियम निर्माण के लिए नगरपालिका को एजेंसी बनाया गया है इसको लेकर विधानसभा में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं लेकिन फिर भी मिनी स्टेडियम की फाइल अटकी हुई है जब इस संबंध में नगर पालिका सीएमओ से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव भोपाल में लंबित है शासन की तरफ से कोई जवाब आया नहीं है.

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एक सरकारी स्कूल ऐसा भी जहां बच्चों को साल में दो बार मिलती है लंबी छुट्टी

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यहां है भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर, 15 अगस्त पर होता है दूर्वा अभिषेक, 38 साल पुरानी है परंपरा – Durva abhishek in lord pashupatinath temple hundreds of devotees participated independence day

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विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में दूर्वा अभिषेक कर स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं के द्वारा विशेष पाठ पूजा कर देश की समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई. 

यहां है भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर, 15 अगस्त पर होता है दूर्वा अभिषेक

अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का दूर्वा अभिषेक

शादाब/मंदसौर. विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में रविवार को हिंदू पंचांग के आधार पर दूर्वा अभिषेक कर स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं के द्वारा विशेष पाठ पूजा कर देश की समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई. दूर्वा अभिषेक एक अनूठी परंपरा है जो 38 सालों से चली आ रही है, दूर्वा अभिषेक की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई जो 38 साल पूरे होने के बाद भी निरन्तर जारी है.

अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में पुरोहितों और यजमान की संस्था ‘ज्योतिष एवं कर्मकांड परिषद’ के संस्थापक पंडित उमेश जोशी ने बताया कि भारत देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था, तब हिंदू पंचांग के मुताबिक श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी. रविवार को श्रावण मास कृष्ण चतुर्दशी होने की वजह से परंपरा के अनुसार अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में दूर्वा अभिषेक कर स्वतंत्रता दिवस मनाने के साथ ही पुरोहितों के द्वारा अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर भारत देश के हित में प्रार्थना की.

दर्शन के लिए लगती है भीड़
दिल्ली के इस जगह उठाए राजस्थानी ज़ायका का लुफ्त, जिसकी कीमत मात्र इतनीइस दौरान पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कैलाश चंद्र भट्ट, पंडित सुरेंद्र आचार्य, पंडित राकेश भट्ट, पंडित श्याम पंड्या सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे. सावन को मद्देनजर रखते हुए विश्व प्रसिद्ध अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में रोज़ाना बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंच रहे हैं. इस बार अधिक मास होने के चलते दो माह सावन होने से भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है.

 अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ
दूर्वा अभिषेक में पूरे भारत में केवल अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में ही भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का विशेष श्रंगार कर हिंदू पंचांग के अनुसार स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्साह भी देखने को मिलता है. प्रतिमा और गर्भ गृह को सजाने के लिए 2 से 3 क्विंटल तक दूर्वा का उपयोग होता है. साथ ही श्रंगार में गोमती चक्र, हरे कद्दू के बीज, हरी इलायची और मावे सहित भांग का इस्तमाल होता है चंदन के लेपन पर शमी पत्र भी लगाए जाते हैं.

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यहां है भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर, 15 अगस्त पर होता है दूर्वा अभिषेक

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