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Have you tried such 50 plus unique variety of chocolates 

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स्टॉल संचालक लाढ़ी सिंह ने कहा कि करनाल रेलवे स्टेशन के पास एक स्टाल लगाते हैं. यह काम कुछ ही समय पहले शुरू किया है, जिसमें उन्हें काफी प्रॉफिट हो रहा है. चॉकलेट खरीदने के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं.

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करनाल

करनाल के इस युवक ने शुरू किया चॉकलेट का व्यापार

मुकुल सतीजा/करनालःआपने कभी सुना है कि किसी को मीठा खाने का शौक हो लेकिन चॉकलेट न पसंद हो या नहीं ना?, आखिर ये चीज ही ऐसी है जिसका हर कोई दीवाना है. बच्चे हों या बड़े हर कोई इसे खाना पसंद करता है. आज मार्केट में अलग-अलग टाइप की चॉकलेट्स मौजूद हैं, जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं. यही नहीं, हर किसी को अपने टेस्ट के मुताबिक किसी खास तरह की चॉकलेट ही पसंद आती है.

आपको बता दें कि करनाल में लाढ़ी सिंह ख़ुद की बनी चॉकलेट बेचते हैं, जिसमें वह अपने परिवार के साथ मिलकर लगभग 50 से ज्यादा प्रकार की चॉकलेट बनाते है. जैसे की राजभोग, पान, क़ुल्फ़ी, रबड़ी, स्ट्रॉबेरी आदि. लाढ़ी सिंह ने कहा कि करनाल रेलवे स्टेशन के पास एक स्टाल लगाते हैं. यह काम कुछ ही समय पहले शुरू किया है, जिसमें उन्हें काफी प्रॉफिट हो रहा है. चॉकलेट खरीदने के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई भी उनसे एक बार चॉकलेट लेकर जाता है, तो वह उनके पास बार बार आता है.

50 से ज्यादा प्रकार की चॉकलेट
लाढ़ी सिंह ने आगे बताया कि अपने दोस्त अंकित जैन के साथ चॉकलेट का व्यापार मिलकर करते है. इससे पहले उन्होंने चॉकलेट का एक स्टॉल कुरुक्षेत्र में गीता ज्यंती पर भी लगाया था और वहां पर भी लोगों ने इनकी चॉकलेट को काफ़ी ज़्यादा पसंद किया. उन्होंने कहा कि पहले वह 10 से 15 तरह की चॉकलेट की वैरायटी बनाते थे और जब उन्हें अच्छा परिणाम मिला. इसके बाद उन्होंने और ज़्यादा वैरायटी भी बनाना शुरू किया. लाढ़ी सिंह ने बताया कि वह 50 से ज़्यादा क़िस्म की चॉकलेट बनाते हैं और यह उसे ऑनलाइन अपनी वेबसाइट www.chocolatevenue.com पर भी बेचा करते हैं.

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चॉकलेट बेचकर किया चमत्कार, 50 तरह की वैरायटी, आमदनी इतनी कि लोग कर रहे तारीफ

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लखनऊ के प्रोफेसरों ने बनाया अनोखा ड्रोन! खराब मौसम में विमान की करेगा रक्षा, नहीं होने देगा क्रैश – Good news now planes will not crash due to bad weather professors together created a unique drone

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डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि इसके जरिए एयरलाइंस को फायदा होगा क्योंकि इससे फ्यूल बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आयेगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा विमान को आने और जाने में देरी नहीं होगी और ना ही कोई विमान निर…और पढ़ें

लखनऊ के प्रोफेसरों ने बनाया अनोखा ड्रोन! खराब मौसम में विमान की करेगा रक्षा

यही है ड्रोन जिसे सभी प्रोफेसरों ने मिलकर बनाया है.

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. कभी बारिश तो कभी कोहरा इस वजह से अक्सर प्लेन क्रैश होने के मामले हमारे देश-विदेश में सामने आते रहते हैं. इस तरह के मामलों में अक्सर पायलट के साथ ही तमाम यात्रियों की भी जान चली जाती है. कई बार तो भी वीआईपी लोग भी इसमें अपनी जान गंवा बैठते हैं.

ऐसे प्लेन क्रैश के मामलों को रोकने के लिए लखनऊ के कुछ प्रोफेसरों ने मिलकर एक ऐसा ड्रोन बनाया है जिसके जरिए ऐसी घटनाओं को काबू किया जा सकेगा. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर मैनेजर डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि सर्दियो के दिनों में विमानों के उड़ान भरने और उतरने में कोहरा मुख्य बाधा उत्पन्न करती है. इसी समस्या का निदान इस पब्लिकेशन पेटेंट के माध्यम से सुझाया गया है.

ड्रोन में है यूवी-रे जेनरेटर
डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि यह एक तरह का ड्रोन है, जो ऐसी घटनाओं को काबू करेगा, यह यूवी जेनरेटर है. उन्होंने बताया कि यह ड्रोन सिस्टम रनवे के एप्रोच पथ की दृश्यता के साथ-साथ रनवे की दृश्य सीमा में सुधार सुनिश्चित करता है. इस ड्रोन में दृश्यता में सुधार के लिए यूएवी लगाने का सुझाव दिया गया है. यह है पर्याप्त संख्या में कोहरे को फैलाकर , कोहरे को कम या समाप्त या इसके प्रभाव को कम कर सकता है.

1 साल में प्रोजेक्ट होगा पूरा
डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि इसके जरिए एयरलाइंस को फायदा होगा क्योंकि इससे फ्यूल बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आयेगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा विमान को आने और जाने में देरी नहीं होगी और ना ही कोई विमान निरस्त किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट को उनके साथ अनूप कुमार, धर्मेंद्र प्रकाश और दिनेश निषाद ने मिलकर बनाया है. इसका बजट 20 लाख रुपए है और एक साल के अंदर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा और लोगों को इसका काम भी दिखने लग जायेगा.

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भारत में बना दुनिया का सबसे पहला मिलेट्स शरबत और जूस, जानें कैसे किया गया तैयार और कितनी है कीमत – Success story worlds first millets sherbet juice made india know whole story made

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राहुल ने बताया कि इनकी एक शरबत की बोतल 700 मिलीलीटर की होती है, जिसका रेट 700 रुपए है, और उनकी जूस की एक छोटी बोतल 90 रुपए की है. उन्होंने यह भी बताया कि इस शरबत और जूस की शेल्फ लाइफ 6 महीने तक की है.

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मिलेट्स शरबत और जूस

गौहर/दिल्ली: साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स ईयर की घोषणा के बाद, दुनियाभर के देश इस उत्सव में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं. भारत सरकार ने भी इस अवसर का उपयोग करके विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है, ताकि लोगों को मिलेट्स के गुणधर्म और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में अधिक जागरूक किया जा सके. इसके साथ ही, मिलेट्स फेस्टिवल के आयोजन देशभर किए जा रहे हैं.

कुछ दिन पहले, दिल्ली में एक मेगा मिलेट्स फेस्टिवल का आयोजन किया गया था, जिसमें देश के कई राज्यों से आए लोगों ने मिलेट्स से तैयार किए गए उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी. यह प्रदर्शनी सत्याग्रह मंडप गांधी दर्शन, राजघाट के पास लगाई गई थी. इस प्रदर्शनी में एक स्टॉल पर भारत में बनाए जाने वाला दुनिया का सबसे पहला मिलेट्स शरबत और जूस प्रदर्शित किया गया था. वहीं, इस शरबत और जूस लगाने वाले स्टॉल के मालिक राहुल शर्मा से लोकल 18 की टीम ने मिलेट्स से तैयार किए जाने वाले शरबत और जूस के पीछे की कहानी को जाना.

मिलेट्स से जूस कब बनाया
राहुल ने बताया कि कंपनी का नाम मार्व न्यूट्री रिच प्राइवेट लिमिटेड है, जो कि राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है. उन्होंने यह भी बताया कि मिलेट्स से शरबत और जूस बनाना उन्होंने 8 से 9 महीने पहले ही शुरू किया था और अब उन्हें खादर वली, जिन्हें मिलेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है और आईसीएआर-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिलेट्स रिसर्च की तरफ से मान्यता भी मिल गई है.

शरबत और जूस का रेट
राहुल ने बताया कि इनकी एक शरबत की बोतल 700 मिलीलीटर की होती है, जिसका रेट 700 रुपए है, और उनकी जूस की एक छोटी बोतल 90 रुपए की है. उन्होंने यह भी बताया कि इस शरबत और जूस की शेल्फ लाइफ 6 महीने तक की है. यदि आप इस मिलेट्स से बने शरबत और जूस को मंगवाना चाहते हैं, तो आप इनकी वेबसाइट 5एस फार्म के माध्यम से ऑर्डर करके देश के किसी भी कोने में इसे मंगवा सकते हैं.

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भारत में बना दुनिया का सबसे पहला मिलेट्स शरबत-जूस, जानें कैसे किया गया तैयार

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गजब का डिवाइस! सिर्फ सोचने से जलेंगे-बुझेंगे घर के बल्ब-पंखे, कोडरमा के कुणाल का कमाल – Amazing device house Bulbs fans will light up just by thinking miracle of Kunal of Koderma

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दिल्ली के बाबा साहब अंबेडकर कन्वेंशन सेंटर (इग्नू) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के उप राज्यपाल द्वारा कुणाल को उनके नए इनोवेशन KAYA-INTERFACE के लिए राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया…और पढ़ें

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कोडरमा

कोडरमा के कुणाल ने बनाया अनोखा डिवाइस.

ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा. कई बार अपने फिल्मों में देखा होगा कि कोई एक करैक्टर जो चल फिर नहीं सकता, वह अपनी आंखों के इशारे से या सिर्फ सोचने मात्र से कई विद्युत उपकरण को कंट्रोल करता है. इस रील लाइफ स्टोरी को कोडरमा के कुणाल अम्बष्ठ ने बिना किसी प्रशिक्षण के सिर्फ ट्रायल के आधार पर रियल लाइफ में करके दिखाया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल ने किया सम्मानित
कुणाल के इस नए इनोवेशन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली के बाबा साहब अंबेडकर कन्वेंशन सेंटर (इग्नू) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा कुणाल अम्बष्ठ को उनके नए इनोवेशन KAYA-INTERFACE के लिए राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है.

चलने फिरने में असमर्थ लोगों के लिए बड़ी राहत
कुणाल ने बताया कि उन्होंने अपने इस नए डिवाइस को ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (KAYA-INTERFACE) नाम दिया है. उन्होंने बताया कि इस डिवाइस के माध्यम से कोई भी ऐसा व्यक्ति जो चलने फिरने में असमर्थ है या बोल नहीं सकता है वह सिर्फ सोचने मात्र से अपने घरेलू विद्युत उपकरण को पूरी तरह से संचालित और कंट्रोल कर सकेंगे.

ऑफ़लाइन वर्किंग डिवाइस को बनाती है सुरक्षित
कुणाल ने बताया कि उनका यह डिवाइस पूरी तरह से ऑफलाइन काम करता है. इसे किसी प्रकार की कोई इंटरनेट की आवश्यकता नहीं है, जो बाहरी दुनिया से इसे सुरक्षित करता है. बताया कि इस डिवाइस में ब्रेन के सिग्नल जो न्यूरोन से बहता हुआ इलेक्ट्रिकल इंपल्स है, उसे चेहरे पर लगे सेंसर के माध्यम से ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस कंप्यूटिंग डिवाइस में ट्रांसफर किया जाता है. इसके बाद इससे जुड़े विद्युत उपकरणों को संचालित किया जाता है.

डिवाइस में इन सामान का उपयोग
बताया कि इस पूरे डिवाइस को बनाने में एक कंप्यूटिंग मॉड्यूल, स्पीकर, माइक्रोफोन, ऑन बोर्ड सेंसर का उपयोग किया गया है. इसे बाजार में 10 हजार रुपए प्रति डिवाइस की दर से लॉन्च करने की तैयारी है.

पिता की दुर्घटना के बाद मनाया था KAYA-IF डिवाइस
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कुणाल के सामने एक ऐसी परिस्थिति आई थी जब उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और वह बेड रेस्ट पर थे. इस दौरान उन्हें टीवी और पंखे चलाने में कठिनाई होती थी. जिसके बाद उन्होंने (KAYA-IF) नाम का एक डिवाइस तैयार किया था जो बिना किसी इंटरनेट के वॉइस कमांड पर घरेलू विद्युत उपकरण को संचालित करता है. उनके द्वारा बनाया गया यह दूसरा डिवाइस आंख के पलक झपकने और सोचने मात्र से विद्युत उपकरणों को कंट्रोल करेगा.

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गजब का डिवाइस! सिर्फ सोचने से जलेंगे-बुझेंगे घर के बल्ब-पंखे, कुणाल का कमाल

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