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India Slams Pakistan: भारत ने जेनेवा बैठक में पाकिस्तान को कश्मीर पर फटकार लगाई

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India Slams Pakistan: भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में पाकिस्तान को कश्मीर पर टिप्पणी के लिए कड़ी फटकार लगाई. इतना ही नहीं, भारत ने उसकी बेइज्जती की और उसे अंतरराष्ट्रीय भीख पर निर्भर असफल र…और पढ़ें

इंटरनेशनल भीख पर जीने वाले... कश्मीर पर जहर उगलने चला था पाक, भारत ने धो डाला

पाकिस्तान को भारत ने फिर सुनाया.

हाइलाइट्स

  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को कश्मीर पर फटकार लगाई.
  • भारत ने पाकिस्तान को असफल राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर बताया.
  • भारत ने कहा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा रहेंगे.

नई दिल्ली: पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा. बार-बार कश्मीर पर जहर उगलना और भारत से डांट खाना, उसकी आदत हो गई है. भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती की है. उसने जैसे ही जेनेवे बैठक में कश्मीर का जिक्र किया, भारत ने लगे हाथ रगड़ दिया. ऐसा रगड़ा कि बोलती बंद हो गई. भारत ने कश्मीर पर टिप्पणी को लेकर पाकिस्तान की जमकर फटकार लगाई. भारत ने कहा कि पाक एक असफल देश है. वह इंटरनेशनल भीख (दान) पर जीता है.

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में भारत ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया. भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर एक असफल राष्ट्र बताया. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के क्षितिज त्यागी ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखे हुए हैं.

इंटरनेशनल भीख पर पाक जीता है
भारत के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने कहा, ‘यह देखकर दुख होता है कि पाकिस्तान के नेता और प्रतिनिधि अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर द्वारा थमाए गए झूठ को फैलाना जारी रखे हुए हैं. पाकिस्तान OIC का मज़ाक उड़ा रहा है. इसका दुरुपयोग अपने मुखपत्र के रूप में कर रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस परिषद का समय एक असफल राष्ट्र द्वारा बर्बाद किया जा रहा है जो अस्थिरता पर पलता है और अंतरराष्ट्रीय भीख पर जीवित रहता है.’

कश्मीर हमारा अंग, विकास की बह रही गंगा
क्षितिज त्यागी ने भारत के रुख को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेंगे. उन्होंने इन क्षेत्रों में हो रही प्रगति की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा रहेंगे. पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति खुद बोलती है. ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं.’

पाक को भारत की नसीहत
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ अपने अनहेल्दी जुनून को पीछे छोड़ देना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए जो उसके नागरिकों को लगातार प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और गरिमा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है. ऐसे मूल्य जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत परवथानेनी हरीश ने 19 फरवरी को दोहराया था कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. उन्होंने पाकिस्तान के दुष्प्रचार अभियानों की कड़ी निंदा की थी.

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मोहम्मद युनूस: एशिया के जेलेंस्की या बांग्लादेश के नए युग की शुरुआत?

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Mohammad Yunus News: डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस चर्चा में हैं. यूनुस को ‘एशिया का जेलेंस्की’ तक कहा …और पढ़ें

युनूस बन गए हैं 'एशिया के जेलेंस्की', क्या बांग्लादेश का बंटाधार करके मानेंगे?

कई राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद यूनुस को ‘एशिया का जेलेंस्की’ कहने लगे हैं.

हाइलाइट्स

  • मोहम्मद युनूस को ‘एशिया का जेलेंस्की’ कहा जा रहा है.
  • युनूस को अमेरिका और पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है.
  • बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने की संभावना है.

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालते ही विश्व राजनीति में खूब हलचल मचा दी है. ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद दो और राष्ट्राध्यक्ष का नाम इन दिनों खूब चर्चा में हैं. इनमें से एक तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की हैं और दूसरे बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस. बांग्लादेश की राजनीति में मोहम्मद युनूस का उदय केवल एक घरेलू घटनाक्रम नहीं, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में एक नए समीकरण को जन्म देता है. कई राजनीतिक विश्लेषक यूनुस को ‘एशिया का जेलेंस्की’ कहने लगे हैं.

आखिर युनूस और जेलेंस्की के बीच समानता क्यों देखी जा रही है? क्या बांग्लादेश भी अब यूक्रेन की तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव और सत्ता संघर्ष का नया केंद्र बनने जा रहा है? चलिये समझते हैं…

लोकप्रियता और बाहरी समर्थन
मोहम्मद युनूस और वोलोदिमीर जेलेंस्की दोनों ही सत्ता के उस मुकाम पर पहुंचे, जहां उनके पीछे अंतरराष्ट्रीय समर्थन की एक बड़ी ताकत थी. जेलेंस्की को अमेरिका और यूरोप का व्यापक समर्थन मिला, जो रूस के खिलाफ उनके संघर्ष को मजबूत करने में मदद करता रहा है. वहीं युनूस की बात करें तो उन्हें भी अमेरिका और पश्चिमी देशों का समर्थन रहा है. खास तौर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता के तौर पर उनकी प्रतिष्ठा के कारण.

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ अमेरिका और दूसरे पश्चिमी शक्तियां लगातार मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतंत्र के हनन के आरोप लगा रही थीं. यह स्थिति वैसी ही लगती है, जैसी यूक्रेन में रूस समर्थित सरकार के खिलाफ बनी थी.

विदेशी फंडिंग और सत्ता पर कुंडली
इस बीच खबर है कि अमेरिका ने बांग्लादेश में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर 2.10 करोड़ डॉलर यानी करीब 182 करोड़ रुपये दिए थे. USAID की तरफ यह मोटी रकम कथित रूप से सहायता के तौर पर दी गई थी. हालांकि दावा किया जाता है कि इस पैसे का इस्तेमाल तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन को हवा देने के लिए की गई. इसी उग्र आंदोलन का नतीजा था कि शेख हसीना को आनन-आफन में बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा और उनके जाने के बाद मोहम्मद यूनुस को देश की सत्ता मिल गई.

वैसे तो यूनुस बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के मुखिया बनाए गए थे, जिनका मकसद देश में राजनीतिक अस्थिरता खत्म होने और शांति लौटने की सरकार चलाना था. हालांकि इतने महीने बीतने के बाद भी वह कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं और वहां चुनाव की उम्मीद दूर दूर तक नहीं दिख रही.

पहले लूटी वाहवाही, अब सवालों के घेरे में
मोहम्मद यूनुस की तरह जेलेंस्की भी यूक्रेन में सत्ता संभालने से पहले एक लोकप्रिय कॉमेडियन थे. उसी शोहरत और लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं, देश में राष्ट्रपति चुनने के लिए हुए पिछले चुनाव में लोगों ने इस कॉमेडियन को सत्ता सौंपने का फैसला किया.

यूक्रेन के लोगों को जेलेंस्की में एक नई उम्मीद दिख रही थी. रूस ने जब यूक्रेन पर आक्रमण किया तो जेलेंस्की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ डटकर खड़े हो गए. तब उनके इस स्टैंड की यूक्रेन की जनता के साथ-साथ दुनियाभर में खूब तारीफ मिली. अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देश जेलेंस्की के समर्थन में उठ खड़े हुए. उन्होंने रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की बड़े पैमाने पर आर्थिक और सैन्य सहायता भी दी.

हालांकि अब इस युद्ध को तीन साल पूरे होने वाले हैं. इस युद्ध में यूक्रेन तबाह हो चुका हो चुका है और वहां लोगों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तो जेलेंस्की ने तानाशाह तक कह डाला जो बिना चुनाव कराए सत्ता में बैठा है. दरअसल जेलेंस्की ने 2019 में राष्ट्रपति पद संभाला था. वहां हर 5 साल में चुनाव होते हैं, लेकिन जेलेंस्की 6 बीतने के बाद भी सत्ता के शीर्ष पर काबिज हैं और वहां भी फिलहाल चुनाव के आसार नहीं दिख रहे.

क्या बांग्लादेश भी बनेगा अगला यूक्रेन?
बांग्लादेश की स्थिति आज उस भू-राजनीतिक मोड़ पर खड़ी है, जहां वह एक नए शीतयुद्ध का केंद्र बन सकता है. रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी तो दुनिया मानो दो हिस्सों में बंट गई थी. एक पुतिन के समर्थक देश और दूसरे उसके विरोधी… उसी तरह बांग्लादेश की हालत होती दिख रही है.

चीन, बांग्लादेश में भारी निवेश कर चुका है और वह वहां स्थिरता देखना चाहता है. वहीं भारत भी पूर्ववर्ती हसीना सरकार के पक्ष में रहा है. दूसरी तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश युनूस की ओर झुके हुए दिखते हैं, जो बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय तनाव के केंद्र में ला सकता है.

यूक्रेन की तरह, बांग्लादेश भी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है. बंगाल की खाड़ी और चीन-भारत के बीच उसकी रणनीतिक स्थिति उसे भूराजनीतिक शक्ति संघर्ष का केंद्र बना सकती है.

मोहम्मद युनूस और वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच समानताएं जरूर हैं, लेकिन बांग्लादेश और यूक्रेन की परिस्थितियां पूरी तरह समान नहीं हैं. लेकिन अगर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी, तो बांग्लादेश एक नया भू-राजनीतिक युद्धक्षेत्र बन सकता है. ऐसे में मोहम्मद युनूस की आगे की रणनीति ही तय करेगी कि वे एशिया के जेलेंस्की बनते हैं या बांग्लादेश के लिए एक नए युग की शुरुआत करते हैं.

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युनूस बन गए हैं ‘एशिया के जेलेंस्की’, क्या बांग्लादेश का बंटाधार करके मानेंगे?

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Houthi Missile Attack On US Navy Ship: America vs Houthi अमेरिका ने हूती विद्रोहियों पर किए हवाई हमले बदले में USS Truman पर दागी मिसाइलें

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US Yemen Attack: अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले किए, जिसके जवाब में हूतियों ने USS हैरी एस. ट्रूमैन पर मिसाइल दागने का दावा किया. अमेरिका ने चेतावनी दी कि हूतियों की हमले करने की क्षमता खत्म हो…और पढ़ें

लाल सागर में शुरू हो गई जंग, US नेवी के जहाजों पर हूती विद्रोहियों का हमला

हूती विद्रोहियों का दावा है कि उन्होंने अमेरिकी नेवी के जहाजों पर हमला किया. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले किए
  • हूतियों ने USS हैरी एस. ट्रूमैन पर मिसाइल दागने का दावा किया
  • अमेरिका ने हूतियों की हमले की क्षमता खत्म करने की चेतावनी दी

वॉशिंगटन: अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. शनिवार को हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका ने हवाई हमला किया. इस हमले के एक दिन बाद हूतियों ने दावा किया है कि उन्होंने इस हमले का बदला अमेरिका से लिया है. हूती विद्रोहियों का दावा है कि उसने अमेरिकी विमानवाहक पोत USS हैरी एस ट्रूमैन और उसके साथ तैनात युद्धपोतों पर हमला कर दिया है. ये सभी जहाज लाल सागर में तैनात हैं. हूती विद्रोहियों ने कहा कि उन्होंने हमले के लिए 18 बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया. अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है, ऐसे में यह साफ नहीं है कि क्या हूतियों की मिसाइल अमेरिकी जहाजों को लगी या नहीं. हालांकि सेंट्रल कमांड ने एक वीडियो शेयर कर यह जरूर कहा कि हूतियों पर हमले जारी हैं.

हूती प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याहया सरी ने कहा कि यह हमला यमन में उनके इलाकों पर अमेरिकी एयर स्ट्राइक का जवाब था. राजधानी सना और सऊदी अरब की सीमा से लगे सादा प्रांत पर अमेरिका ने बम बरसाए. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर 47 से ज्यादा हवाई हमले किए गए थे. सरी ने चेतावनी दी कि हमारे देश पर हमले के जवाब में लाल सागर और अरब सागर में सभी अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाने में कोई संकोच नहीं किया जाएगा.

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G20 बैठक में जयशंकर और वांग यी की मुलाकात: भारत-चीन संबंधों पर चर्चा

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India China: गलवान में सैनिकों की झड़प के बाद भारत-चीन के रिश्तों में काफी गिरावट आई थी, लेकिन लगातार बैठकों का सिलसिला चला और अब फिर से दोनों देशों पटरी पर लौटने लगे हैं. ऐसे में जयशंकर की वांग यी से मुलाकात क…और पढ़ें

G20 मीटिंग में जिनपिंग के दूत से साइड में मिले जयशंकर, क्या है इसका मतलब?

हाइलाइट्स

  • जयशंकर ने G20 बैठक में वांग यी से मुलाकात की.
  • भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत.
  • व्यापार, सुरक्षा और जलवायु पर चर्चा हुई.

जोहान्सबर्ग. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान अपनी चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. जयशंकर इस बैठक में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में दो दिवसीय यात्रा पर हैं. जयशंकर ने इस बैठक की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘X’ पर साझा की, जिसमें उन्होंने वांग यी से मुलाकात के दौरान ली गई कुछ तस्वीरें पोस्ट की. उन्होंने लिखा, “जोहनसबर्ग में G20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान इस सुबह चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करने का अवसर मिला.”

यह मुलाकात भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय चुनौतियों पर चल रही कूटनीतिक बातचीत के बीच हुई है. गुरुवार को जी20 सत्र ‘वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति पर चर्चा’ में अपने भाषण में, जयशंकर ने कहा कि जी20 दुनिया की बढ़ती बहुध्रुवीयता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है. उन्होंने वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति को कठिन बताते हुए कहा, “कोविड महामारी, संघर्ष की स्थितियाँ, वित्तीय दबाव, खाद्य सुरक्षा और जलवायु संबंधी चिंताएं, इन सभी का असर वर्तमान वैश्विक स्थिति पर है.”

जयशंकर के चीन विदेश मंत्री से मिलने का मतलब
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और भारत-चीन संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और कई अन्य द्विपक्षीय मुद्दे लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं. हाल के वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में तनाव देखा गया है, खासकर गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद इस मुलाकात का उद्देश्य इन जटिल मुद्दों पर बातचीत और संवाद का रास्ता खोलना हो सकता है.

भारत और चीन दोनों ही एशिया के प्रमुख देश हैं और उनका आपसी सहयोग एशियाई और वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मुलाकात के दौरान, संभवतः व्यापार, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई होगी. यह मुलाकात यह संकेत देती है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनयिक संपर्क लगातार जारी हैं, जिसका उद्देश्य भारत-चीन संबंधों को सुधारने और संवाद को मजबूत करना हो सकता है. इससे दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक स्थिरता और शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं.

जी20 में कौन-कौन से देश शामिल?
जी20 एक प्रमुख मंच है, जो वैश्विक आर्थिक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह दुनिया की बड़ी चुनौतियों का सामना करने में सहायक है. जी20 देशों में शामिल हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ.

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