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इस कंपनी के को-फाउंडर ने बताया कि इस पूरी Luggage सीरीज को बनाने के लिए उनके कम से कम 70 लाख रुपए लगे थे और अब वह इससे सालाना 10 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रहे हैं और आने वाले 2 सालों में वह 100 करोड़ से ज़्यादा …और पढ़ें

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लगेज या स्कूटर! बिना पेट्रोल भरेगा फर्राटा

गौहर/दिल्ली: आज के दौर में टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन से लेकर हर तरह के रोजमर्रा के गैजेट्स में आ रही है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे Luggage के बारे में जो कि एक स्कूटर की तरह भी काम करता है. यह एक तरह का स्मार्ट Luggage है.

यह स्मार्ट Luggage, Arista Vault नाम की एक कंपनी बनाती है. इस कंपनी की फाउंडर पूर्वी राय और को-फाउंडर अतुल गुप्ता हैं. यह कंपनी 2017-18 में शुरू हुई थी यह कंपनी स्मार्ट प्रोडक्ट बनाती जिसमें टेक्नोलॉजी का काफी ज़्यादा इस्तेमाल होता है.

कैसे बनता है स्कूटर
जैसा कि आप ऊपर लोकल 18 के द्वारा बनाई गई वीडियो में भी देख सकते हैं कि यदि अगर कोई इस Luggage पर बैठता है तो यह उसे एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर आराम से चला जाता है. दरअसल, यह Luggage अल्ट्रासोनिक साउंड से चलता है. जब आप इसके ऊपर बैठते हैं और इस Luggage में नीचे की तरफ दिए गए फुट स्टेप्स को खोलकर उन पर पांव रखते हैं तो एक रिमोट की मदद से जो कि आप अपने हाथ से इस्तेमाल कर सकते हैं. उससे आप इस लगेज को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जा सकते हैं. वहीं, आप अपने पैरों से इसको रोक भी सकते हैं और दिशा भी बदल सकते हैं. यह 7 से 10 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलता है. 120 किलो तक का कोई भी इंसान इसके ऊपर आराम से बैठ सकता है. यह एक रिमूवेबल बैटरी से चलता है, जो 2 घंटे में आराम से चार्ज हो जाती है. वहीं, इसको स्पेशल एयरपोर्ट में एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए डिजाइन किया गया है.

यह भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस में थे सिपाही…लगातार मेहनत और लगन से करते रहे तैयारी, आज बने IPS officer, गजब है इनकी कहानी

जानें कई और फीचर
इसके कई और फीचर भी काफी ज़्यादा इंटरेस्टिंग हैं, जैसे कि फॉलो मी फीचर यह आपके रिमोट के एक इशारे पर आपके पीछे बिना किसी सहारे और रुकावट के चल पड़ता है. इसके अलावा यह अपने आप ही सेल्फ बैलेंसिंग भी कर लेता है और हिल क्लाइंबिंग जैसे कुछ फीचर भी इसमें इंस्टॉल किए गए हैं. इसकी इस वक्त कीमत 50 हजार से 60 हजार रुपए के बीच में है, लेकिन इस कंपनी के फाउंडर और को-फाउंडर का कहना था कि आने वाले वक्त में इसकी कीमत और भी कम की जाएगी. आप इनके यह Luggage इनकी वेबसाइट aristavault.com और अन्य कई ऑनलाइन वेबसाइट्स जैसे कि अमेजॉन फ्लिपकार्ट से भी ले सकते हैं.

10 करोड़ से 100 करोड़ तक का सफर
इस कंपनी के को-फाउंडर ने बताया कि इस पूरी Luggage सीरीज को बनाने के लिए उनके कम से कम 70 लाख रुपए लगे थे और अब वह इससे सालाना 10 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रहे हैं और आने वाले 2 साल में वह 100 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर करेंगे. वहीं, गवर्नमेंट ने हाल ही में उनकी कंपनी में निवेश किया है और इन्हें मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की तरफ से एक लैब और अन्य कई और तरह की सुविधाएं भी दी गई है. यहां तक की यह इस बार शार्क टैंक इंडिया में भी जा चुके हैं और अनुपम मित्तल जो की shaadi.com के फाउंडर है उन्होंने भी इनकी कंपनी में निवेश किया है.

नोट– ख़बरों की ओवरडोज के बीच, कभी आपसे किसी ने पूछा है कि आपको क्या पसंद है? खबर पढ़ना या वीडियो देखना. इसलिए Local-18 पूछ रहा है, आपको कैसी खबरें चाहिए? फॉर्म भरने में 1 मिनट से ज्यादा नहीं लगेगा. क्योंकि हमारे जुड़ाव की कहीं से तो शुरुआत होगी…आइये सालों पुरानी कुछ आदतें बदलें!
यहां क्लिक करें और सर्वे में हिस्सा लें... https://news18.survey.fm/local18-survey

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लगेज या स्कूटर! बिना पेट्रोल भरेगा फर्राटा, कीमत जान उड़ जाएंगे होश…

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Have you tried such 50 plus unique variety of chocolates 

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स्टॉल संचालक लाढ़ी सिंह ने कहा कि करनाल रेलवे स्टेशन के पास एक स्टाल लगाते हैं. यह काम कुछ ही समय पहले शुरू किया है, जिसमें उन्हें काफी प्रॉफिट हो रहा है. चॉकलेट खरीदने के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं.

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करनाल

करनाल के इस युवक ने शुरू किया चॉकलेट का व्यापार

मुकुल सतीजा/करनालःआपने कभी सुना है कि किसी को मीठा खाने का शौक हो लेकिन चॉकलेट न पसंद हो या नहीं ना?, आखिर ये चीज ही ऐसी है जिसका हर कोई दीवाना है. बच्चे हों या बड़े हर कोई इसे खाना पसंद करता है. आज मार्केट में अलग-अलग टाइप की चॉकलेट्स मौजूद हैं, जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं. यही नहीं, हर किसी को अपने टेस्ट के मुताबिक किसी खास तरह की चॉकलेट ही पसंद आती है.

आपको बता दें कि करनाल में लाढ़ी सिंह ख़ुद की बनी चॉकलेट बेचते हैं, जिसमें वह अपने परिवार के साथ मिलकर लगभग 50 से ज्यादा प्रकार की चॉकलेट बनाते है. जैसे की राजभोग, पान, क़ुल्फ़ी, रबड़ी, स्ट्रॉबेरी आदि. लाढ़ी सिंह ने कहा कि करनाल रेलवे स्टेशन के पास एक स्टाल लगाते हैं. यह काम कुछ ही समय पहले शुरू किया है, जिसमें उन्हें काफी प्रॉफिट हो रहा है. चॉकलेट खरीदने के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई भी उनसे एक बार चॉकलेट लेकर जाता है, तो वह उनके पास बार बार आता है.

50 से ज्यादा प्रकार की चॉकलेट
लाढ़ी सिंह ने आगे बताया कि अपने दोस्त अंकित जैन के साथ चॉकलेट का व्यापार मिलकर करते है. इससे पहले उन्होंने चॉकलेट का एक स्टॉल कुरुक्षेत्र में गीता ज्यंती पर भी लगाया था और वहां पर भी लोगों ने इनकी चॉकलेट को काफ़ी ज़्यादा पसंद किया. उन्होंने कहा कि पहले वह 10 से 15 तरह की चॉकलेट की वैरायटी बनाते थे और जब उन्हें अच्छा परिणाम मिला. इसके बाद उन्होंने और ज़्यादा वैरायटी भी बनाना शुरू किया. लाढ़ी सिंह ने बताया कि वह 50 से ज़्यादा क़िस्म की चॉकलेट बनाते हैं और यह उसे ऑनलाइन अपनी वेबसाइट www.chocolatevenue.com पर भी बेचा करते हैं.

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चॉकलेट बेचकर किया चमत्कार, 50 तरह की वैरायटी, आमदनी इतनी कि लोग कर रहे तारीफ

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भारत में पैदा होगा इतना कचरा कि भर जाएंगे 720 स्विमिंग पूल! सौर ऊर्जा पर CEEW रिपोर्ट ने चौंकाया – solar energy in india will produce solar waste that will fill 720 olympic swimming pools says ceew report on saur urja

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भारत सरकार ने हाल ही में प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना शुरू की है, जिसमें देश के एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाए जाएंगे. हालांकि सोलर एनर्जी की वजह से भारत में बहुत ज्‍यादा मात्रा में सोलर वेस्‍ट यानि कचर…और पढ़ें

भारत में पैदा होगा इतना कचरा कि भर जाएंगे 720 स्विमिंग पूल! सौर ऊर्जा पर CEEW

सौर ऊर्जा की वजह से भारत में बड़ी मात्रा में सोलर वेस्‍ट भी पैदा होगा.

Solar waste in India: नेट-जीरो लक्ष्य को पाने के लिए भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है. हाल ही में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री सर्वोदय योजना लागू की है. इस योजना के तहत देशभर में एक करोड़ रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए जाएंगे और बिजली का उत्‍पादन किया जाएगा. सरकार का कहना है कि इसका फायदा और गरीब और मध्‍यम वर्ग को मिलेगा और उनका बिजली का बिल कम हो जाएगा.

हालांकि हाल ही में काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर की स्‍टडी ‘इनेबलिंग अ सर्कुलर इकोनॉमी इन इंडियाज सोलर इंडस्ट्री: असेसिंग द सोलर वेस्ट क्वांटम’ में काफी चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. इस स्‍टडी के अनुसार इससे मौजूदा और नई सौर ऊर्जा क्षमता (वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2029-30 के बीच स्थापित क्षमता) से निकलने वाला सोलर वेस्ट यानि सौर कचरा 2030 तक 600 किलोटन तक पहुंच सकता है. यह 720 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के बराबर होगा.

ये पांच राज्‍य पैदा करेंगे सबसे ज्‍यादा कचरा
सीईईडब्‍ल्‍यू के इस अध्ययन के अनुसार, इस सोलर वेस्ट का ज्यादातर हिस्सा पांच राज्यों, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आएगा. भारत की मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता से निकलने वाला सोलर वेस्ट 2030 तक बढ़कर 340 किलोटन हो जाएगा. इसमें लगभग 10 किलोटन सिलिकॉन, 12-18 टन चांदी और 16 टन कैडमियम व टेल्यूरियम शामिल है जो भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिज हैं. बाकी 260 किलोटन सोलर वेस्ट इस दशक में स्थापित होने वाली नई सौर ऊर्जा क्षमता से आएगा. यह भारत के लिए सोलर सेक्टर में सर्कुलर इकोनॉमी के एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरने और सोलर सप्लाई चेन में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए अच्छा अवसर है.

भारत ने यह बनाई है योजना..
भारत ने 2030 तक लगभग 292 गीगावॉट सौर क्षमता हासिल करने की योजना बनाई है, इसलिए पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक कारणों से सोलर पीवी वेस्ट का प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाएगा. सीईईडब्ल्यू के इस अध्ययन ने पहली बार विनिर्माण को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों से निकलने वाले सोलर वेस्ट का आकलन किया है, जो सोलर वेस्ट प्रबंधन नीतियां बनाने के लिए बहुत जरूरी जानकारी है.

बता दें कि भारत पहले से सोलर वेस्ट से निपटने के लिए कई उपायों को लागू कर रहा है. पिछले साल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने सोलर पीवी सेल्स और मॉड्यूल वेस्ट के प्रबंधन के लिए ई-वेस्ट (मैनेजमेंट) रूल्स-2022 जारी किया था. ये नियम सोलर पीवी सेल्स और मॉड्यूल के उत्पादकों पर विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) ढांचे के तहत उनके सोलर वेस्ट के प्रबंधन की जिम्मेदारी डालते हैं.

एक्‍सपर्ट ने क्‍या कहा..
डॉ. अरुणाभा घोष, सीईओ, सीईईडब्ल्यू ने कहा, ‘भारत को न केवल एक पर्यावरणीय अनिवार्यता, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने व एक सर्कुलर इकोनॉमी विकसित करने की एक रणनीतिक जरूरत के रूप में, सोलर वेस्ट के समाधान के लिए पूर्व-सक्रियता के साथ कदम उठाने चाहिए. जैसा कि हम सौर ऊर्जा क्षमता में मार्च 2015 में सिर्फ 4 गीगावॉट से दिसंबर 2023 में 73 गीगावॉट तक की उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं, मजबूत रिसाइक्लिंग व्यवस्थाएं बहुत ही महत्वपूर्ण बन गई हैं. ये अक्षय ऊर्जा के इकोसिस्टम को सुरक्षित बनाती हैं. ग्रीन जॉब्स (हरित रोजगार) पैदा करती हैं. खनिज सुरक्षा और नवाचार को बढ़ाती हैं, और लचीली व सर्कुलर सप्लाई चेन को तैयार करती हैं.’

वहीं नीरज कुलदीप, सीनियर प्रोग्राम लीड, सीईईडब्ल्यू ने कहा, ‘भारत की जी20 प्रेसीडेंसी ने एक सर्कुलर इकॉनॉमी को सतत विकास के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया था. एक सर्कुलर सोलर सेक्टर और जिम्मेदारपूर्ण वेस्ट मैनेजमेंट से संसाधनों की दक्षता अधिकतम बनेगी और घरेलू सप्लाई चेन में लचीलापन आएगा. सीईईडब्ल्यू का यह अध्ययन सोलर वेस्ट मैनेजमेंट में मौजूद अवसर का मजबूत साक्ष्य देता है लेकिन, सोलर रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी और उद्योग अभी भी शुरुआती चरण में हैं और उन्हें नीतिगत प्रोत्साहन व सहायता देने की जरूरत है.’

भले ही वर्तमान में सोलर मॉड्यूल का निर्धारित जीवन (डिजाइन लाइफ) 25 वर्ष है लेकिन परिवहन, मॉड्यूल के रखरखाव और परियोजनाओं के संचालन के दौरान नुकसान होने जैसे कारणों से कुछ मॉड्यूल पहले ही खराब हो जाते हैं. सीईईडब्ल्यू का यह अध्ययन सुझाव देता है कि भारतीय सौर ऊर्जा उद्योग को खराब मॉड्यूल को वापस मंगाने (रिवर्स लॉजिस्टिक्स), भंडारण, विभिन्न हिस्सों को अलग करने के केंद्रों और रिसाइक्लिंग सुविधाओं को स्थापित करके इन नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार होना चाहिए. उद्योग को सोलर वेस्ट मैनेजमेंट के लिए इनोवेटिम वित्तपोषण तंत्र और व्यवसायिक मॉडल्स की भी तलाश करनी चाहिए. इसके अलावा, संभावित सोलर वेस्ट उत्पादक केंद्रों की सटीक जानकारी जुटाने और वेस्ट मैनेजमेंट के बुनियादी ढांचे को रणनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता (मॉड्यूल की तकनीक, निर्माता और संचालन की तारीख जैसे ब्यौरे के साथ) का एक निश्चित समयावधि में अपडेट किया जाने वाला डेटाबेस उपलब्ध होना चाहिए.

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होली के रंग-गुलाल में होते हैं ये 8 खतरनाक कैमिकल, फाड़ देंगे स्किन, आंखों में कर देंगे घाव! खरीदते वक्‍त पैकेट पर पढ़ लें नाम – 8 chemicals in holi colours gulal are harmful for skin eyes stomach chemical holi colors side effects on body tips to buy safe colors

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Harmful chemicals in holi colours: होली पर रंग खरीदने जा रहे हैं तो पैकेट को ध्‍यान से पढ़ लें. इन रंगों में 8 प्रकार के खतरनाक कैमिकल्‍स मिलाए जाते हैं जो आपकी त्‍वचा को फाड़ सकते हैं, गर्भवती महिलाओं और बच्‍च…और पढ़ें

होली के रंग-गुलाल में होते हैं ये 8 खतरनाक कैमिकल, फाड़ देंगे शरीर, आंख में...

होली के रंग बनाने में 8 कॉमन कैमिकल्‍स का इस्‍तेमाल किया जाता है जो शरीर के लिए बेहद खराब होते हैं.

Chemical holi colours side effects: होली के लिए बाजार में सैकड़ों ब्रांड के रंग और गुलाल मिल रहे हैं. आप भी खरीदने जा रहे हैं तो आंखों को खोल लें क्‍योंकि होली का त्‍यौहार और धमाल अपनी जगह है लेकिन आपकी सेहत सबसे जरूरी है. कहीं ऐसा न हो कि होली के हुड़दंग के चक्‍कर में आप अपने ही साथ खिलबाड़ कर बैठें. इसलिए रंग खरीदने जा रहे हैं तो उन 8 खतरनाक कैमिकल्‍स के नाम भी जान लें जो रंगों को और ज्‍यादा ब्राइट, गहरा, शाइनी और सस्‍ता बनाने के लिए मिलाए जा रहे हैं. इसलिए रंग की चमक को उसकी क्‍वालिटी न समझें, हो सकता है कि इसमें हानिकारक कैमिकल्‍स की ज्‍यादा मात्रा पड़ी हो. आइए एक्‍सपर्ट से जानते हैं इसके बारे में..

बिंदुमात्र नोएडा में मेडिकल कॉस्‍मेटोलॉजिस्‍ट डॉ. रुपाली भारद्वाज कहती हैं कि आजकल रंग और गुलाल को बनाने में कैमिकल्‍स का इस्‍तेमाल इसलिए ज्‍यादा किया जाता है कि सस्‍ते में कलर बन जाएं, रंग गहरा आए और कलर की चमक बढ़ जाए. हालांकि कैमिकल्‍स मिलने के बाद ये रंग जहर बन जाते हैं और हमारे शरीर पर लगकर हमें बहुत बहुत ज्‍यादा नुकसान पहुंचाते हैं.

ये भी पढ़ें-होली: इन 4 चीजों से खुद को बना लें बुलेट प्रूफ, रंग फेंक-फेंक कर थक जाएंगे लोग, नहीं होगा बाल बांका..

ये हैं 8 खतरनाक कैमिकल्‍स

. लैड ऑक्‍साइड- (काले रंग में)
. कॉपर सल्‍फेट – (हरे रंग में)
. मरकरी सल्‍फाइट – (लाल रंग बनाता है)
. मेलेकाइट ग्रीन – (हरे रंग में)
. रशियन ब्‍लू – (नीले रंग में)
. जंक्‍शन वॉइलेट – (बैंगनी कलर में)
. एल्‍यूमिनियम ब्रोमाइड – (सिल्‍वर कलर में)
. ग्‍लास पार्टिकल्‍स (शाइन के लिए)

ये कैमिकल क्‍या नुकसान करते हैं?

– लैड ऑक्‍साइड, कॉपर सल्‍फेट, मरकरी सल्‍फाइड आदि ऐसे कैमिकल हैं जो प्‍लेसेंटा को भी क्रॉस कर सकते हैं. इनसे गर्भवती महिलाओं को और उनके नवजात बच्‍चों को नुकसान पहुंचता है.
– त्‍वचा पर लाल लाल चकत्‍ते या जलने के निशान यानि डर्मेटाइटिस हो सकती है.
– आंखों में जलन, घाव कर देते हैं. आंखें लाल हो जाती हैं.
– ये कैमिकल्‍स कार्सिनोजेनिक हैं और स्किन के लिए बहुत नुकसानदेह हैं.
– एलर्जी हो सकती है. एलर्जी है तो बढ़ सकती है.
– स्किन एक्‍स्‍ट्रा ड्राई हो सकती है.
– पहले से आंख, लंग या स्किन की परेशानी है तो यह दिक्‍कत बढ़ सकती है.
– वहीं ग्‍लास पार्टिकल्‍स स्किन को फाड़ देते हैं.

जब भी रंग खरीदें तो पढ़ लें नाम
डॉ. रुपाली कहती हैं कि इन 8 कॉमन रूप से पाए जाने वाले कैमिकल्‍स के अलावा भी बहुत सारे ऐसे कैमिकल्‍स हैं जो आजकल रंग बनाने में इस्‍तेमाल किए जा रहे हैं. ये खुशबूदार गुलाल में भी पाए जाते हैं. इसलिए सभी के नाम जान पाना मुश्किल है लेकिन होली के लिए जब भी रंग या गुलाल खरीदने जाएं तो उसके पैकेट पर रंग के इंग्रीडिऐंट्स पढ़ लें. अगर पैकेट में इन नामों का जिक्र है तो उन रंगों को न खरीदें. कोशिश करें कि अच्‍छी क्‍वालिटी या ब्रांड के हर्बल गुलाल ही खरीदें. हालांकि उनके भी पैकेट को पढ़ लें.

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होली के रंग-गुलाल में होते हैं ये 8 खतरनाक कैमिकल, फाड़ देंगे शरीर, आंख में…

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