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रूस और चीन का अमेरिकी संघीय कर्मचारियों को नौकरी देने का प्लान

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Russia-China New Plan For Federal Workers: रूस और चीन अमेरिकी संघीय कर्मचारियों को नौकरी देने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर हाल ही में निकाले गए लोगों को. ये देश ट्रंप प्रशासन की छंटनी का फायदा उठाकर अमेरिकी सुरक्…और पढ़ें

ट्रंप-मस्क की लगेगी वाट? रूस-चीन साथ में बना रहे खतरनाक प्लान, US में खलबली

रूस और चीन जैसे देशों द्वारा अमेरिकी संघीय कर्मचारियों को नौकरी देने की कोशिश की खबरें आई हैं. (फोटो AP)

हाइलाइट्स

  • रूस-चीन अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी देने की कोशिश कर रहे हैं.
  • ट्रंप प्रशासन की छंटनी का फायदा उठाना चाहते हैं रूस-चीन.
  • अमेरिकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है यह प्लान.

वाशिंगटन: डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) के कर्ता धर्ता एलन मस्क जैसे दिग्गजों द्वारा अमेरिका में छंटनी की खबरें चर्चा में है. इस चौंकाने वाली खबर से ज्यादा अब जो खबर आई है उससे अमेरिका के कान खड़े हो सकते हैं. दरअसल रूस और चीन ने मिलकर ऐसा प्लान बनाया है जिससे अमेरिका के अंदर डर बैठ सकता है. दरअसल रूस और चीन जैसे देशों द्वारा अमेरिकी संघीय कर्मचारियों को नौकरी देने की कोशिश की खबरें सामने आई हैं.

खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार ये देश उन कर्मचारियों, खासकर हाल ही में निकाले गए या निकाले जाने की आशंका वाले लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके पास अमेरिकी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और सरकारी कामकाज की अंदरूनी जानकारी हो सकती है.

पढ़ें- ट्रंप के खिलाफ बनेगा मोर्चा? लंदन में आज यूरोपीय नेताओं का जमावड़ा, जेलेंस्‍की को राहत या पुतिन को गुड न्‍यूज

ट्रंप प्रशासन की छंटनी का फायदा उठाना चाहते हैं देश
रिपोर्ट में बताया गया है कि ये विरोधी देश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और तथाकथित DOGE द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर छंटनी का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं. इन कर्मचारियों तक पहुंचने के लिए, रूस और चीन ने समर्पित वेबसाइटें स्थापित की हैं. साथ ही लिंक्डइन, टिकटॉक, रेडिट और रेडनोट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं. खुफिया सूत्रों का मानना है कि ये देश उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो “अभी सबसे कमजोर स्थिति में हैं”. उनके ज्ञान और अनुभव का उपयोग करके अमेरिका पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए.

US के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने इन रिपोर्टों की निंदा करते हुए उन्हें “अविश्वासी” बताया और कहा कि ऐसे कर्मचारी “ठीक उसी प्रकार के लोग हैं जिन्हें हमें बाहर निकालने की जरूरत है”. हालांकि CNN के एक सूत्र ने चेतावनी दी है कि इन चिंताओं को खारिज करने से अमेरिकी सुरक्षा के लिए गंभीर “परिणाम” हो सकते हैं.

क्यों करेगा रूस-चीन ऐसा?
इस खबर से साफ समझा जा सकता है कि चीन और रूस अमेरिका को हर तरफ से घेरना चाहता है. वह उन लोगों को भर्ती करने की चाहत रखता है जिन्हें नौकरी से निकाला जाएगा. जाहिर है वह योग्य हैं और उनके पास कई अहम जानकारी होंगे. ऐसे में जब उन्हें निकाला जाएगा तो वह इमोशनली काफी कमजोर होंगे. जिसका फायदा चीन और रूस जैसे देश उठाना चाहते हैं. क्योंकि यहां लड़ाई विश्व में एकछत्र राज करने का है.

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India Canada Conflict: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन कनाडा को ‘फाइव आईज’ से बाहर करने की तैयारी में.

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India Canada Conflict : डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी हरदीप निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया. अब ट्रंप प्रशासन कनाडा को ‘फाइव आईज’ से बाहर करने की तैयारी…और पढ़ें

ट्रूडो जिस Five Eyes के दम पर उछल रहे थे, ट्रंप उसी से बाहर करने की तैयारी में

डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन अब जस्‍ट‍िन ट्रूडो के ल‍िए सबसे बड़ी मुश्क‍िल लेकर आ रहा है.

हाइलाइट्स

  • ट्रंप प्रशासन कनाडा को ‘फाइव आईज’ से बाहर करने की तैयारी में है.
  • ट्रूडो ने ‘फाइव आईज’ का नाम लेकर निज्जर हत्या का आरोप भारत पर लगाया था.
  • ‘फाइव आईज’ में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल हैं.

अमेर‍िका के राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप ने जबसे सत्‍ता संभाली है, पूरी दुन‍िया में उथल पुथल मचा हुआ है. लेकिन सबसे ज्‍यादा मुसीबत में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्‍ट‍िन ट्रूडो है. वही ट्रूडो ज‍िन्‍होंने एक खाल‍िस्‍तानी हरदीप निज्‍जर की हत्‍या में सीधे-सीधे भारत से दुश्मनी मोल ले ली. झूठे आरोप लगाए क‍ि निज्‍जर की हत्‍या भारत सरकार के एजेंटों ने की है. इतना ही नहीं, बेशर्मी दिखाते हुए उन्‍होंने दुन‍िया के सबसे बेहतरीन खुफिया समूह ‘फाइव आईज’ (Five Eyes) का हवाला तक दे द‍िया. लेकिन भारत से दुश्मनी मोल लेकर वे ज्‍यादा द‍िन तक नहीं बच पाए. पहले सत्‍ता चली गई और अब खबर आ रही है क‍ि ट्रंप प्रशासन कनाडा को ही ‘फाइव आईज’ ग्रुप से बाहर करने की तैयारी में है.

फाइनेंश‍ियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस के बड़े अधिकारी और डोनाल्‍ड ट्रंप के करीबी सलाहकार पीटर नवारो ने अमेर‍िकी सरकार को सुझाव द‍िया है क‍ि कनाडा को फाइव आईज ग्रुप से बाहर कर द‍िया जाए. फाइव आईज में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा हैं. ये देश दुन‍ियाभर की खुफ‍िया सूचनाएं एक दूसरे से शेयर करते हैं. इसे दुनिया का सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस नेटवर्क माना जाता है. इसका मकसद आतंकवाद को रोकना और नेशनल सिक्योरिटी के लिए काम करना है.

‘फाइव आईज’ और न‍िज्‍जर कनेक्‍शन
‘फाइव आईज’ एक खुफिया संगठन है. यह ग्लोबल सर्विलांस (Global Surveillance) करता है और दुनिया भर में साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, सैन्य गतिविधियों और अन्य खुफिया जानकारी समूह के सभी देशों से साझा करता है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक कम्‍यून‍िकेशन, इंटरनेट डेटा मॉनिटरिंग, सैटेलाइट ट्रैकिंग और साइबर जासूसी जैसे कई महत्वपूर्ण सर्विलांस होते हैं. भारत फाइव आईज का सदस्य नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत अमेरिका और अन्य देशों के साथ खुफिया सहयोग बढ़ा रहा है. लेकिन 18 जून 2023 को जब निज्‍जर की हत्‍या हुई तो जस्‍ट‍िन ट्रूडो ने इसी संगठन का नाम लेते हुए दावा कर द‍िया क‍ि ‘फाइव आईज’ ने हमारे साथ खुफ‍िया सूचना दी है क‍ि न‍िज्‍जर की हत्‍या में भारतीय खुफिया एजेंसियां शामिल हैं. हालांकि, भारत ने इसे बकवास बताया था.

जस्‍ट‍िन ट्रूडो अलग-थलग पड़े
जस्‍ट‍िन ट्रूडो ने फाइव आईज का नाम लेते हुए दावा तो कर द‍िया लेकिन अलग-थलग पड़ गए. कई देश उनसे नाराज हो गए. अब खबर आ रही है क‍ि अमेर‍िका खुद कनाडा को इस महत्‍वपूर्ण खुफ‍िया समूह से बाहर करने में लगा हुआ है. व्‍हाइट हाउस से जुड़े लोगों का कहना है कि नवारो ट्रंप से बार-बार कह रहे हैं कि अमेरिका को कनाडा पर और दबाव बनाना चाहिए और उसे फाइव आईज से निकाल देना चाहिए. यह अभी साफ नहीं है कि ट्रंप इस बारे में क्या सोचते हैं, लेकिन उनके अधिकारी इस पर बात कर रहे हैं.

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सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की अंतरिक्ष से वापसी का रास्ता साफ.

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Sunita Williams and Butch Wilmore: सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से वापसी का रास्ता साफ हो गया है. उनके स्थान पर नए अंतरिक्ष यात्री पहुंच गए हैं. वापसी अगले सप्ताह संभावित है.

गुड न्यूज! सुनीता विलियम्स और बुच इस दिन धरती पर उतरेंगे, नई टीम ISS पहुंची

सब कुछ ठीक रहा तो अगले सप्ताह सुनीता विलियम्स की वापसी हो सकती है.

हाइलाइट्स

  • सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अगले सप्ताह लौटेंगे.
  • चार नए अंतरिक्ष यात्री ISS पहुंचे.
  • नए अंतरिक्ष यात्री अमेरिका, जापान, रूस से हैं.

लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में फंसी भारतीय मूली का अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और अमेरिकी बुच विल्मोर की वापसी का रास्ता साफ हो गया है. इन दोनों यात्रियों के बदले स्पेस स्टेशन में रहने के लिए धरती से दो यात्री वहां पहुंच गए हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लंबे समय से सुनीता और विल्मोर को वापस लाने की कोशिश कर रहा है. अब विल्मोर और सुनीता के स्थान पर अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को तैनात कर दिया गया है. एक दिन पहले रवाना हुआ स्पेसएक्स का अंतरिक्ष यान रविवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंच गया. इसके साथ ही ये अंतरिक्ष यात्री वहां पहुंचे हैं. अब इसी अंतरिक्ष यान से सुनीता और विल्मोर की वापसी होगी.

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे चार नए अंतरिक्ष यात्री अमेरिका, जापान और रूस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वे कुछ दिन विलियम्स और विल्मोर से स्टेशन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. माना जा रहा है कि अगर मौसम सही रहा तो दोनों फंसे अंतरिक्ष यात्रियों को अगले सप्ताह फ्लोरिडा के तट के निकट जलक्षेत्र में उतारा जाएगा.

बीते साल 5 जून को अंतरिक्ष में गई थी सुनीता
विल्मोर और विलियम्स बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल से पांच जून को केप कैनवेरल से रवाना हुए थे. दोनों एक सप्ताह के लिए ही गए थे लेकिन अंतरिक्ष यान से हीलियम गैस के रिसाव और वेग में कमी के कारण ये लगभग नौ माह से अंतरिक्ष स्टेशन में फंसे हुए हैं.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुए अंतरिक्ष यात्रियों के नए दल में नासा से ऐनी मैक्लेन और निकोल एयर्स शामिल हैं. वे दोनों सैन्य पायलट हैं. इनके अलावा जापान के ताकुया ओनिशी और रूस के किरिल पेस्कोव भी रवाना हुए हैं और दोनों विमानन कंपनियों के पूर्व पायलट हैं. ये चारों लोग विल्मोर और विलियम्स के धरती के लिए रवाना होने के बाद अगले छह महीने अंतरिक्ष स्टेशन में बिताएंगे, जिसे सामान्य अवधि माना जाता है.

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US Ukraine Mineral Deal Russia: डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के बीच प्राकृतिक संसाधनों पर डील

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Russia Ukraine War: डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों पर नजर गड़ाए हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और यूक्रेन ने पुनर्निर्माण और संसाधनों को लेकर एक डील पर सहमति जताई है. हालांकि, यूक्रेन की सुरक्…और पढ़ें

जेलेंस्की को ब्लैकमेल करने में कामयाब हुए ट्रंप, खजाना देने को यूक्रेन तैयार

अमेरिका और यूक्रेन में होगी डील. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • यूक्रेन और अमेरिका ने संसाधनों पर डील की सहमति जताई
  • यूक्रेन अपने दुर्लभ खनिज देने को तैयार है
  • जेलेंस्की वाशिंगटन जाकर डील साइन कर सकते हैं

वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की नजर यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों पर है और वह इसे पाने में कामयाब होते दिख रहे हैं. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक एक यूक्रेनी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका और यूक्रेन ने प्राकृतिक संसाधनों और यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर एक डील पर सहमति जताई है. रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया कि यह सहमति तब बनी है जब समझौते से जुड़े ड्राफ्ट में सभी अस्वीकार्य शर्तों को हटा दिया गया. अब इसमें साफ तौर से बताया गया है कि यह डील यूक्रेन की सुरक्षा और शांति में किस तरह योगदान देगा. अमेरिका की ओर से समझौते की शर्तों पर सहमति की पुष्टि नहीं की है. ट्रंप लगातार यूक्रेन पर दबाव बना रहे थे कि एक ऐसी डील हो.

हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की अगले कुछ दिनों में वाशिंगटन जा सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ओवल ऑफिस से कहा, ‘मैंने सुना है कि वह (जेलेंस्की) शुक्रवार को आ रहे हैं. निश्चित तौर पर अगर वह चाहें तो मेरे लिए ठीक है कि डील को वह मिलकर साइन करें. मैं मानता हूं कि यह एक बड़ा समझौता है. बहुत बड़ा समझौता है.’ इससे पहले भी रिपोर्ट्स आई थीं कि यूक्रेन एक समझौता करने के लिए तैयार है, जो अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों को हासिल करने देगा. इसके बदले में अमेरिका यूक्रेन के पुनर्निर्माण कोष में शामिल होगा. सूत्र ने बताया कि अमेरिका ने ड्राफ्ट में सुरक्षा गारंटी शामिल करने का विरोध किया था.

जेलेंस्की नहीं हुए थे तैयार
यूक्रेन अपना दुर्लभ खनिज देने को तैयार है, लेकिन इसके बावजूद समझौते में उसकी सुरक्षा को लेकर सटीक शर्तें नहीं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक संसाधन समझौतों से जुड़े कुछ जटिल विवरणों पर बाद की वार्ताओं में बातचीत की जाएगी. अमेरिकी और यूक्रेनी राष्ट्रपति सुरक्षा गारंटी पर व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर सकते हैं. इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन को मदद के बदले खनिजों में 500 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी मांगी थी, लेकिन जेलेंस्की ने इसे खारिज कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की ने इसे इसलिए खारिज किया था, क्योंकि इसमें अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं थी, जबकि यूक्रेन से सब कुछ देने की उम्मीद की गई थी.

यूक्रेन पर दबाव बना रहा यूक्रेन
रूस और यूक्रेन युद्ध को 24 फरवरी को तीन साल हो गए. युद्ध खत्म करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें अमेरिका रूस के साथ खड़ा दिखा. अमेरिका ने रूस को हमले के लिए दोषी ठहराने से इनकार कर दिया. यह अमेरिका का एक अलग ही रुख दिखाता है. इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में सहमति बनी. भारत ने इस मुद्दे पर वोटिंग से इनकार किया.

एजेंसी इनपुट के साथ.

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जेलेंस्की को ब्लैकमेल करने में कामयाब हुए ट्रंप, खजाना देने को यूक्रेन तैयार

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