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बराबरी का गोल हुआ तो मैदान पर ही भिड़ गए खिलाड़ी, लात-घूंसे तक चले – Video – players violent after the full time whistle of gabon vs ghana watch video

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गैबॉन ने पिछड़ने के बाद अंतिम मिनटों में बराबरी का गोल दागा. मैच की अंतिम सीटी बजने के बाद घाना के स्थानापन्न खिलाड़ी बेंजामिन टेटेह ने गैबॉन के आरोन बौपेन्ड्जा को मुक्का जड़ दिया. इससे जुड़े वीडियो सोशल मीडिया…और पढ़ें

घाना और गैबॉन के बीच मुकाबले में खिलाड़ियों के बीच हाथापाई हो गई. (Video Grab/Twitter)
याउंदे (कैमरून). अफ्रीका कप ऑफ नेशंस फुटबॉल टूर्नामेंट में घाना और गैबॉन के बीच खेले गए मैच के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच हाथापाई हो गई. इस दौरान एक खिलाड़ी को मुक्का भी लग गया. इससे जुड़े वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. गैबॉन ने पिछड़ने के बाद आखिरी क्षणों में गोल कर स्कोर को 1-1 से बराबर कर दिया. मैच की अंतिम सीटी बजने के बाद घाना के स्थानापन्न खिलाड़ी बेंजामिन टेटेह ने गैबॉन के आरोन बौपेन्ड्जा को मुक्का जड़ दिया.
इस दौरान स्टेडियम में दोनों टीमों के खिलाड़ियों और टीम अधिकारियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. इस ड्रॉ मैच के बाद घाना की टीम अपने ग्रुप (ग्रुप सी) में तीसरे स्थान पर खिसक गई है. टेटेह को मुक्का मारने के लिए रेड कार्ड दिखाया गया और उन पर प्रतिबंध लगाना तय है. कप्तान आंद्रे अयूव ने 18वें मिनट में ही घाना को बढ़त दिला दी थी लेकिन जिम अलेविनाह ने मैच के 88वीं मिनट में बराबरी का गोल कर दिया.
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1982 की चैंपियन घाना पर जहां ग्रुप चरण से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है तो वही गैबॉन और मोरक्को की टीमों ने अंतिम 16 के लिए अपनी स्थिति मजबूत कर ली. मोरक्को ने टूर्नामेंट में पदार्पण कर रही कोरोमोस की टीम को 2-0 से हराया. ग्रुप बी के मैच में गिनिया ने सेनेगल की मजबूत टीम को गोलरहित ड्रॉ पर रोक दिया. लिवरपूल के लिए खेलने वाले सादियो माने अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए दमदार प्रदर्शन नहीं कर सके.
Benjamin Tetteh was shown a red card for violent conduct after the full-time whistle of Gabon vs Ghana! pic.twitter.com/4zZD8Y12d8
— Sky Sports News (@SkySportsNews) January 14, 2022
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ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत? क्या कहता है वेटलिफ्टिंग का नियम

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Weightlifter died viral video: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें यष्टिका आचार्य वेटलिफ्टिंग करती नजर आ रही है. लेकिन वह जैसे ही वजन उठाती है उनका गर्दन टूट जाता है.

ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत?
नई दिल्ली. 25 साल पहले करनम मलेश्वरी ने भारत को सिडनी ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. भारत की ओर से इतने बड़े मंच पर वेटलिफ्टिंग में गोल्ड दिलाने वाली वह पहली महिला थी. उनसे प्रेरित होकर कई युवा वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने की सोचते हैं. ऐसा ही कुछ बीकानेर की यष्टिका आचार्य ने सोचा होगा. लेकिन उन्हें क्या पता था कि करियर के शुरुआत में ही उनकी मौत हो जाएगी.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें यष्टिका आचार्य वेटलिफ्टिंग करती नजर आ रही है. लेकिन वह जैसे ही वजन उठाती है उनका गर्दन टूट जाता है और उनकी मौत हो जाती है. वीडियो काफी दिल दहला देने वाला था. तो आखिर यष्टिका आचार्य से कहां गलती हो गई. आइए जानते हैं वेटलिफ्टिंग कैसे करना चाहिए और इसके क्या नियम है?
ओलंपिक डॉट कॉम की वेबसाउट के अनुसार, “क्लीन एंड जर्क में, वेटलिफ्टर को सबसे पहले बारबेल को उठाकर अपनी छाती (क्लीन) तक लानी होती है. फिर उन्हें एक सीधी कोहनी के साथ अपने सिर से ऊपर उठाने के लिए अपनी बाहों और पैरों को थामना होता है. अगर आपका शरीर इस दौरान बैलेंस नहीं होता है तो इससे शरीर की मांशपेशियों में खिंचाव बढ़ सकता है जिससे मौत हो सकती है.
ज्यादा वजन उठाने से मौत क्यों हो जाती है?
अगर कोई रेसलर अधिक वजन उठाता है तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे शरीर मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. इसके अलावा दिल की नसों में क्रैक आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो शरीर की नसें फट जाती है और वजन उठाने वाले इंसान की सेंकेंड्स में ही मौत हो जाती है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 20, 2025, 08:22 IST
ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत? क्या कहता है वेटलिफ्टिंग नियम
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भारतीय खिलाड़ी सात्विकसाईराज के पिता को पड़ा दिल का दौरा, गुरुवार को ली आखिरी सांस

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भारत के स्टार बैडमिंटन डबल खिलाड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी के पिता आर कासी विश्वनाथम का गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

सात्विकसाईराज के पिता को पड़ा दिल का दौरा.
नई दिल्ली. भारत के स्टार बैडमिंटन डबल खिलाड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी (Satwiksairaj rankireddy) के पिता आर कासी विश्वनाथम का गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. गुरुवार के दिन सात्विक के पिता ने अंतिम सांस ली. परिवार के एक करीबी सूत्र ने इसकी जानकारी पीटीआई को दी.
सात्विक इस समय 43वें पीएसपीबी अंतर इकाई बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में हैं. उन्हें गुरुवार को प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार मिलना था. उनके पिता को भी इस समारोह में भाग लेना था लेकिन इससे पहले ही उनका निधन हो गया. उनके पिता सेवानिवृत्त शारीरिक शिक्षा शिक्षक थे.
परिवार के एक करीबी सूत्र ने कहा, ‘‘यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि सात्विक के पिता का आज सुबह निधन हो गया.” अमलापुरम का रहने वाला यह 24 वर्षीय खिलाड़ी आज दोपहर आंध्र प्रदेश में स्थित अपने घर के लिए रवाना हो जाएगा.
सात्विक ने चिराग शेट्टी के साथ मजबूत पुरुष डबल जोड़ी बनाई है. इस जोड़ी ने 2022 में एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में तथा 2023 में एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. यह जोड़ी बीडब्ल्यूएफ विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान हासिल करने और बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर सुपर 1000 खिताब जीतने वाली एकमात्र भारतीय डबल जोड़ी है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 20, 2025, 12:00 IST
सात्विकसाईराज के पिता को पड़ा दिल का दौरा, गुरुवार को ली आखिरी सांस
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भूख मिटाने को स्कूल में लिखवाया नाम, आज खो-खो वर्ल्ड कप जीत भारत का नाम किया रोशन, ऐसी है मोनिका की कहानी

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मोनिका साह, नवगछिया की खो-खो खिलाड़ी, ने विश्वकप में भारत को जीत दिलाई. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. अब वो सरकारी मदद की आस में हैं.

चाय बनाती मोनिका
हाइलाइट्स
- मोनिका साह ने खो-खो वर्ल्ड कप में भारत को जीत दिलाई.
- आर्थिक तंगी के बावजूद मोनिका ने हार नहीं मानी.
- मोनिका अब सरकारी मदद की आस में हैं.
भागलपुर:- भागलपुर के नवगछिया के डिमहा की रहने वाली मोनिका साह की जिदंगी एक समय हौंसलों से भरी थी. मोनिका साह छोटी-सी गलियों से निकलकर विश्व स्तर तक का सफर कर चुकी हैं. लेकिन जब इनकी स्थिति से वाकिफ होंगे, तो आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे. बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खो-खो खेल में भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
कैसा रहा मोनिका का सफर
जब विश्वकप खो-खो को जीतकर वापस घर पहुंची, तो लोकल 18 की टीम उनके घर गई. मोनिका तुरंत घर आई ही थी, इसलिए लोगों का ताता लगा हुआ था. सभी के लिए मोनिका ही लकड़ी के चूल्हे पर चाय बना रही थी. ये शौक नहीं, बल्कि उनकी मजबूरी है. जहां मोनिका चाय बना रही थी, वहां ऊपर खपरैल तक नहीं थी. बारिश के दिनों में घर से पानी टपकता है. लोकल 18 की टीम ने उनके सफर के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि मैं अपने बारे में बताने लगी, तो शायद कहानी खत्म नहीं होगी.
मेरी आर्थिक स्थिति सही नहीं है. मैंने सरकारी विद्यालय से पढ़ाई प्रारम्भ किया, क्योंकि वहां एक वक्त का खाना मिल जाता था. कभी एक समय भूखे भी सोना पड़ता था. एक खिलाड़ी के लिए डाइट सबसे अधिक जरूरी है. लेकिन मुझे कभी सही डाइट ही नहीं मिल पाया, फिर भी मैंने हार नहीं मानी. मैं कहीं भी गेम खेलने जाती, तो वहां जो पैसे मिलते, मैं उससे अपना मेंटेनेंस करती. इस आलम से मैं विश्वकप का सफर तय कर पाई. विश्वकप में 6 अंक (सबसे अधिक अंक हासिल करने वाली) हासिल कर भारत को विजयी बनाई.
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अब सरकार से मदद की आस
उन्होंने Local 18 को बताया कि मुझे आज तक तो किसी सरकारी योजनाओं का भी लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है. लेकिन अब सरकार से मदद की आस है कि मुझे घर और सारी सुविधाएं दी जाए. यहां तक आवास योजना का ही लाभ दिया जाए. मुझे गैस कनेक्शन तक नहीं दिया गया है, इसलिए चूल्हे पर खाना बनाने को विवश हूं.
Bhagalpur,Bihar
February 20, 2025, 18:27 IST
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