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India-Afghanistan Relations: UNSC में भारत ने तालिबान संग बातचीत और Humanitarian Aid पर दिया बयान

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India Afghanistan News: भारत ने UNSC को बताया कि उसने तालिबान शासन के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की है. भारत ने बताया कि वह मानवीय सहायता जारी रखते हुए विकास परियोजनाओं पर विचार करेगा. अफगानिस्तान में स्थि…और पढ़ें

अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत ने UNSC में दिया बयान. (Reuters)
हाइलाइट्स
- भारत ने UNSC को तालिबान से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जानकारी दी
- भारत अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और विकास परियोजनाओं पर विचार करेगा
- भारत अफगानिस्तान में स्थिरता और शांति के प्रयासों में सक्रिय भागीदार है
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को अफगानिस्तान और तालिबान के मुद्दे पर बेहद महत्वपूर्ण जानकारी दी है. भारत ने बताया है कि उसने तालिबान शासन के साथ द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की है. भारत ने यह भी कहा कि भारतीय लोगों और अफगान लोगों के बीच संबंधों में हमेशा से करीबी रही है. यही ‘विशेष’ संबंध भारत के अफगानिस्तान के साथ मौजूदा जुड़ाव का ‘आधार’ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने सोमवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में यह जानकारी दी. राजदूत हरीश ने बताया कि इस साल की शुरुआत में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी. हरीश ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. अफगान पक्ष ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ जुड़ने और उनका समर्थन करने के लिए भारतीय नेतृत्व की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया.’
उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय लिया गया कि भारत, अफगानिस्तान में जारी मानवीय सहायता कार्यक्रमों के अलावा निकट भविष्य में विकास परियोजनाओं में शामिल होने पर विचार करेगा.’ मिस्री और मुत्ताकी के बीच जनवरी में हुई बैठक, 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से भारत और तालिबान के बीच अब तक का सबसे उच्च स्तरीय संपर्क था. हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्ता सदियों पुराना रहा है और अपने पड़ोसी देश के रूप में भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच एक विशेष रिश्ता है जो ‘देश के साथ हमारे वर्तमान जुड़ाव का आधार’ रहा है.
अफगानिस्तान के हालात पर भारत की नजर
हरीश ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और देश में स्थिरता एवं शांति बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है. भारतीय दूत ने कहा, ‘हमारा व्यापक दृष्टिकोण अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना और अफगानिस्तान में वास्तविक अधिकारियों एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के तहत एक अंतरराष्ट्रीय आम सहमति बनाना है.’ उन्होंने कहा कि दोहा, मॉस्को फॉर्मेट और अन्य मंचों में संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में भारत की भागीदारी ‘अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास को सुरक्षित करने के हमारे प्रयासों का प्रतिबिंब है.’
भारत ने अफगानिस्तान को अब तक क्या दिया?
भारत ने संयुक्त राष्ट्र संस्था को बताया कि वह स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, खेल और दक्षता विकास के क्षेत्रों में अफगानिस्तान के लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के साथ काम कर रहा है. वर्ष 2001 से भारत, अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘हमारी विकास साझेदारी में अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में फैली 500 से अधिक परियोजनाएं शामिल हैं.’ अगस्त 2021 से अब तक भारत ने देश को 27 टन राहत सामग्री, 50 हजार टन गेहूं, 40 हजार लीटर कीटनाशक और 300 टन से अधिक दवाइयां तथा चिकित्सा उपकरण दिए हैं.
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा ने परिषद को बताया कि यह वास्तविक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे बताएं कि क्या वे चाहते हैं कि अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में फिर से शामिल किया जाए और अगर ऐसा है तो क्या वे आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार हैं? जनवरी में मिस्री और मुत्ताकी के बीच बैठक के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों ने जारी भारतीय मानवीय सहायता कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया. अफगानिस्तान के मंत्री ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ जुड़ने और उनका समर्थन करने के लिए भारतीय नेतृत्व की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया.
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March 11, 2025, 13:47 IST
अफगानिस्तान में क्या कर रहा इंडिया? UNSC में भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया
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Iran Bomber Drone US: Iran का Jass 313 Bomber Drone IRGC की UAV Capabilities में बड़ा विस्तार

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ईरान के IRGC ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया है, जो रनवे और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान भर सकता है. यह एक घंटे तक उड़ान में सक्षम है और फरवरी में सफल परीक्षण हुआ. पश्चिमी देश ईरान की बढ़ती क्षमता से चिंति…और पढ़ें

ईरान ने ड्रोन से अपनी ताकत दिखाई है.
हाइलाइट्स
- ईरान ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया
- जास 313 एक घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है
- पश्चिमी देशों को ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से चिंता
तेहरान: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) अमेरिका के खिलाफ अपनी ताकत बढ़ाने लगा है. IRGC का कहना है कि उसका नया बॉम्बर ड्रोन रनवे से टेकऑफ और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान टेस्टिंग से गुजर रहा है. ईरान को उम्मीद है कि जल्द ही यह ड्रोन संचालित होगा. IRGC से जुड़ी तस्नीम वेबसाइट के मुताबिक IRGC नेवी कमांडर अलीरेजा तंगसिरी ने कहा, ‘जास 313 अपनी हाई स्पीड और उन्नत विशेषताओं के साथ अपने मिशनों को प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकता है.’ इसमें टर्बोफैन इंजन लगा है. उन्होंने बताया कि ड्रोन एक घंटे तक उड़ान भर सकता है और इसे फरवरी की शुरुआत में ड्रोन कैरियर जहाज शाहिद बघेरी पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया था.
पिछले सप्ताह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने हांगकांग और चीन की छह संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए, जो ईरान की ओर से बनाए गए ड्रोन के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद में मदद कर रहे थे. अमेरिका की ओर से यह ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ बढ़ाने वाले अभियान का हिस्सा है. नए प्रतिबंधों वाली ये संस्थाएं ईरान के ड्रोन प्रोग्राम के लिए पश्चिमी तकनीक की करोड़ों डॉलर की खरीद में मदद कर रही थीं. अमेरिकी दबाव के बावजूद ईरान ड्रोन बनाने में कामयाब रहा. तंगसिरी ने कहा कि जास-313 ड्रोन को दोहरी भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है. टोही अभियानों के साथ यह सटीक हमला करने के लिए है.
ईरान का ड्रोन क्यों है पश्चिमी देशों की टेंशन
ईरान अपने ड्रोन बेड़े का लगातार विस्तार कर रहा है. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन डेवलपमेंट देश की रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ी हुई है. इससे मिडिल ईस्ट की स्थिरता को खतरा है. जास 313 का नाम ईरान के काहेर 313 फाइटर जेट प्रोजेक्ट से मिलता-जुलता है. ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी सूत्रों ने कहा कि यह एक अलग प्रोग्राम है, जिसका उद्देश्य नौसैनिक विमानन को मजबूत करना है. पश्चिमी ताकतें ईरान पर रूस को ड्रोन और मिसाइलें देने का आरोप लगाती हैं, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन पर हमले के लिए किया जाता है. इसीलिए यह ड्रोन डेवलपमेंट अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा रहा है.
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March 04, 2025, 11:41 IST
US टांग अड़ाता रहा फिर भी ईरान ने हासिल कर ली बड़ी ताकत, नहीं रोक पाए ट्रंप
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Russia Ukraine War LIVE: रूस ने कार्गो जहाज पर दागी मिसाइल, यूक्रेन के लिए हथियार ले जाने के शक में हमला

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Russia Ukraine War LIVE: अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए नए कदम उठा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रहे हैं ताकि मॉस्को के साथ संबंध सुधार सकें.

रूस और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका रूस को राहत देने में लगा है.
Russia Ukraine War LIVE: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अमेरिका ने हर हाल में खत्म करने की योजना बना ली है. यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को ढील देने पर विचार कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप मॉस्को के साथ फिर से संबंधों को बढ़ाने के लिए ऐसा कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने इससे जुड़ी जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि वाइट हाउस ने देश के ट्रेजरी विभागों से प्रतिबंधों की एक सूची तैयार करने को कहा है, जिन्हें आने वाले दिनों में रूसी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के लिए ढील दी जा सकती है. आइए जानें 4 मार्च का रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा बड़ा अपडेट.
शांति सेना भेजने के लिए ऑस्ट्रेलिया तैयार
ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री का कहना है कि वह बहुराष्ट्रीय शांति सेना के हिस्से के रूप में यूक्रेन में सेना भेजने पर विचार करने के लिए तैयार हैं.
Russia Ukraine War: रूस ने कार्गो जहाज पर किया मिसाइल हमला- रिपोर्ट
व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के लिए कथित तौर पर हथियार ले जा रहे एक विदेशी मालवाहक जहाज को डुबाने की कोशिश की. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक एक हाइपरसोनिक मिसाइल जहाज की तरफ लॉन्च की गई. रूस ने दावा किया कि उसने इस्कंदर-एम मिसाइल लॉन्च की, जो सीधे पनामा के झंडे वाले जहाज को लगी ओडेसा बंदरगाह पर लगी. रिपोर्ट के मुताबिक हमले में बंदरगाह पर दो कर्मचारी घायल हुए और बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ.
जेलेंस्की-ट्रंप की झड़प से ईरान खुश
डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की की झड़प से सबसे ज्यादा खुश ईरान है. उसकी खुशी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तेहरान की सड़कों पर इस बहस से जुड़े बैनर लगे हैं.
रूस को बातचीत की मेज पर लाना है- अमेरिकी विदेश मंत्री
अमेरिका के विदेश मंत्री सचिव मार्को रुबियो ने यूक्रेन को सैन्य सहायता रोकने के फैसले के जवाब में एक बयान जारी किया है. रुबियो कहते हैं, ‘राष्ट्रपति ट्रम्प इस समय दुनिया के एकमात्र नेता हैं जिनके पास यूक्रेन में युद्ध को स्थायी और स्थायी रूप से समाप्त करने का मौका है।’ उन्होंने कहा कि हम रूसियों को बातचीत की मेज पर लाना चाहते हैं. हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या शांति संभव है. यह ट्रम्प प्रशासन के किसी अधिकारी की पहली सार्वजनिक टिप्पणी है.
Russia Ukraine Live: बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं- जेडी वेंस
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ट्रंप और जेलेंस्की के लिए बातचीत का दरवाजा खुला है. लेकिन जेलेंस्की ने चेतावनी भी दी. वेंस ने कहा, ‘जब तक जेलेंस्की गंभीरता से शांति पर बात करने को तैयार हैं.’ वेंस का कहना है कि असली समस्या है कि जेलेंस्की सुरक्षा गारंटी के बिना शांति पर बात करने को तैयाकर नहीं थे. वेंस ने कहा, ‘जब वे शांति पर बात करने के इच्छुक होंगे, तो मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप फोन उठाने वाले पहले व्यक्ति होंगे.’
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March 04, 2025, 09:00 IST
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अफगानिस्तान: तालिबान ने अमेरिकी हथियारों के बदले 320 बिलियन डॉलर मांगे

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Taliban US News: अमेरिका के छोड़े गए हथियारों पर तालिबान ने कहा कि अगर अमेरिका उन्हें वापस चाहता है, तो 20 साल के युद्ध का मुआवजा भी चुकाए. तालिबान ने नुकसान की गणना करते हुए अरबों डॉलर की मांग की है.

तालिबान ने ट्रंप से 20 साल का हिसाब मांगा. (AI)
हाइलाइट्स
- तालिबान ने अमेरिका से 20 साल के युद्ध का मुआवजा मांगा
- अमेरिका से अरबों डॉलर का मुआवजा मांगा
- तालिबान ने हथियार वापसी के बदले मुआवजा मांगा
काबुल: अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की ओर से छोड़े गए हथियारों को लेकर गहन चिंता व्यक्त की थी. साथ ही कहा था कि तालिबान उनके 100 मिलियन डॉलर के हथियार वापस कर दे या फिर कहीं ऐसा ना हो कि उसे उसका अंजाम भुगतना पड़े. ट्रंप की धमकी के जवाब में अब तालिबान ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों की वापसी की मांग करता है और हम 20 साल के युद्ध के लिए मुआवजे की मांग करते हैं.
अफगानिस्तान का कहना है कि साल 2001 से साल 2021 तक अमेरिका ने अफगानिस्तान में लगातार युद्ध छेड़ कर रखा, जिसके चलते अफगानिस्तान को मानवीय आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर बहुत ज्यादा नुकसान हुआ. अगर अमेरिका हथियारों को वापस चाहता है तो उसे भी इन 20 सालों के युद्ध का मुआवजा देना होगा. दिलचस्प है कि तालिबान के समर्थक सोशल मीडिया पर इसके लिए बाकायदा एक लिस्ट भी जारी की गई है, जिसमें मुआवजे का पूरा हिसाब-किताब है.
तालिबान ने कितना मांगा हर्जाना
मसलन 20 साल के दौरान 70,000 से अधिक नागरिकों और 80,000 से अधिक अफगान सैनिकों की जान चली गई. अमेरिकी नेतृत्व वाली बमबारी और संघर्षों के कारण 5 लाख से ज्यादा लोग स्थाई रूप से विकलांग या अपंग हो गए. प्रति नागरिक जीवन के नुकसान पर एक मिलियन डॉलर की दर से अकेले नागरिकों के लिए अमेरिका पर 70 बिलियन डॉलर से कहीं ज्यादा बकाया बनता है. कुल अनुमानित मानव मुआवजा बकाया 320 बिलियन डॉलर से ज्यादा है.
क्या अमेरिका कर पाएगा तालिबान की भरपाई?
इसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों, खनिजों की चोरी और पर्यावरण विनाश का बिल भी तालिबान ने तैयार किया है. अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर से अफगानिस्तान से लिथियम समेत रेयर अर्थ मिनरल निकाले गए, जिनकी कीमत 3 ट्रिलियन डॉलर थी. युद्ध गतिविधियों ने लाखों हेक्टेयर वनों को नष्ट कर दिया. इसके लिए भी कई बिलियन डॉलर की मांग तालिबान की ओर से की गई है. इसके अलावा युद्ध के दौरान पूरे अफगानिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया, जिसके लिए बुनियादी ढांचा हानि के तौर पर साढ़े तीन सौ बिलियन डॉलर से अधिक की मांग की गई है.
अफगानिस्तान की ओर से जारी की गई मुआवजा राशि के हिसाब से तो यदि अमेरिका हिसाब देता है तो खुद अमेरिका को कंगाल होना पड़ सकता है. तालिबान अफगानिस्तान ने साफ तौर पर कहा है कि या तो अमेरिका अपने हथियारों को भूल जाए या फिर 20 सालों के युद्ध का हिसाब दे. यानी यूक्रेन के राष्ट्रपति के बाद अब तालिबान ने सीधे तौर पर अमेरिका को आंख दिखाते हुए हथियार वापस देने से मना कर दिया है.
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