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कुछ बड़ा होने वाला है…दिल्‍ली में टॉप इंटेलिजेंस चीफ का जमावड़ा, इंडिया के जेम्‍स बांड का क्‍या है इरादा? – top global intelligence czars converge in india other hand rebel hijack pakistan train what is planning

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Global Intelligence Conference: दुनियाभर के टॉप देशों के इंटेलिजेंस चीफ इंडिया में जुट रहे हैं. यह कॉन्‍फ्रेंस ऐसे समय में हो रहा है, जब पूरी दुनिया में सिक्‍योरिटी कंसर्न काफी बढ़ गया है. इसे देखते हुए यह सम्‍…और पढ़ें

दिल्‍ली में टॉप इंटेलिजेंस चीफ का जमावड़ा, जेम्‍स बांड का क्‍या है इरादा?

इंडिया में 16 मार्च 2025 को दुनिया के टॉप इंटेलिजेंस चीफ जुट रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • NSA अजित डोभाल करेंगे इंटरनेशनल कॉन्‍फ्रेंस की अध्‍यक्षता
  • अमेरिका-ब्रिटेन समेत अन्‍य देशों के स्‍पाई चीफ करेंगे शिरकत
  • ग्‍लोबल सिक्‍योरिटी के लिए इंटेलिजेंस शेयरिंग पर होगी चर्चा

नई दिल्‍ली. रूस-यूक्रेन युद्ध और वेस्‍ट एशिया में तनावपूर्ण माहौल के बीच इंडिया में महत्‍वपूर्ण ग्‍लोबल इंटेलिजेंस कॉन्‍फ्रेंस होने जा रहा है. इसकी अध्‍यक्षता भारत के जेम्‍स बांड कहे जाने वाले राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल करेंगे. इसमें अमेरिका की डायरेक्‍टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस तुलसी गबार्ड, कनाडा के स्‍पाई चीफ डेनियल रॉजर्स और ब्रिटेन के MI6 चीफ रिचर्ड मूर जैसी हस्तियां शिरकत करेंगी. बता दें कि यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब चीन, रूस और ईरान की नेवी सैन्‍य अभ्‍यास कर रही है. वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत के बोलन इलाके में विद्रोहियों ने ट्रेन को हाईजैक कर लिया है.

अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. भारत के NSA अजीत डोभाल 16 मार्च 2025 को भारत द्वारा आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें आतंकवाद और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने के तरीकों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है. ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड और भारत के कई अन्य मित्र देशों के खुफिया प्रमुखों के भी नई दिल्ली में होने वाले विचार-विमर्श में शामिल होने की उम्मीद है. गबार्ड जापान, थाईलैंड और फ्रांस के मल्‍टी नेशन टूर के हिस्से के रूप में भारत आ रही हैं. यह डोनाल्ड ट्रम्प सरकार के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की पहली हाईलेवल ट्रैवल होगी. खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में भाग लेने के अलावा गबार्ड के रायसीना डायलॉग को संबोधित करने और एनएसए डोभाल के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की भी संभावना है.

टेरर फाइनेंसिंग पर चर्चा
जानकारी के अनुसार, अमेरिक की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्‍टर तुलसी गबार्ड 15 मार्च को भारत आएंगे. पिछले महीने गबार्ड ने वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. सुरक्षा और खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में लगभग 20 देशों के खुफिया और सुरक्षा संगठनों के प्रमुख और उप प्रमुखों के एक साथ आने की उम्मीद है. अपने विचार-विमर्श में खुफिया प्रमुखों से रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में संघर्ष के निहितार्थ सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने की भी उम्मीद है. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा और खुफिया प्रमुख टेरर फाइनेंसिंग के साथ-साथ डिजिटल स्पेस में अपराधों से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा कर सकते हैं.

ट्रूडो के जाते ही कनाडा का बड़ा कदम
कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) के प्रमुख रॉजर्स की भारत यात्रा हरदीप सिंह निज्जर मामले को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच हो रही है. जस्टिन ट्रूडो की विदाई के बाद रॉजर्स का यह दौरा हो रहा है. सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडा की धरती पर निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था. नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताकर खारिज कर दिया. पिछले साल की दूसरी छमाही में संबंधों में और गिरावट तब आई जब ओटावा ने हाई-कमिश्‍नर संजय वर्मा सहित कई भारतीय राजनयिकों को निज्जर की हत्या से जोड़ा. पिछले अक्टूबर में कनाडा ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. जवाबी कार्रवाई में नई दिल्ली ने भी कनाडा के प्रभारी स्टीवर्ट व्हीलर और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. उम्मीद है कि रॉजर्स के साथ डोभाल की बातचीत में इस मामले पर चर्चा हो सकती है.

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Iran Bomber Drone US: Iran का Jass 313 Bomber Drone IRGC की UAV Capabilities में बड़ा विस्तार

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ईरान के IRGC ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया है, जो रनवे और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान भर सकता है. यह एक घंटे तक उड़ान में सक्षम है और फरवरी में सफल परीक्षण हुआ. पश्चिमी देश ईरान की बढ़ती क्षमता से चिंति…और पढ़ें

US टांग अड़ाता रहा फिर भी ईरान ने हासिल कर ली बड़ी ताकत, नहीं रोक पाए ट्रंप

ईरान ने ड्रोन से अपनी ताकत दिखाई है.

हाइलाइट्स

  • ईरान ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया
  • जास 313 एक घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है
  • पश्चिमी देशों को ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से चिंता

तेहरान: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) अमेरिका के खिलाफ अपनी ताकत बढ़ाने लगा है. IRGC का कहना है कि उसका नया बॉम्बर ड्रोन रनवे से टेकऑफ और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान टेस्टिंग से गुजर रहा है. ईरान को उम्मीद है कि जल्द ही यह ड्रोन संचालित होगा. IRGC से जुड़ी तस्नीम वेबसाइट के मुताबिक IRGC नेवी कमांडर अलीरेजा तंगसिरी ने कहा, ‘जास 313 अपनी हाई स्पीड और उन्नत विशेषताओं के साथ अपने मिशनों को प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकता है.’ इसमें टर्बोफैन इंजन लगा है. उन्होंने बताया कि ड्रोन एक घंटे तक उड़ान भर सकता है और इसे फरवरी की शुरुआत में ड्रोन कैरियर जहाज शाहिद बघेरी पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया था.

पिछले सप्ताह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने हांगकांग और चीन की छह संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए, जो ईरान की ओर से बनाए गए ड्रोन के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद में मदद कर रहे थे. अमेरिका की ओर से यह ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ बढ़ाने वाले अभियान का हिस्सा है. नए प्रतिबंधों वाली ये संस्थाएं ईरान के ड्रोन प्रोग्राम के लिए पश्चिमी तकनीक की करोड़ों डॉलर की खरीद में मदद कर रही थीं. अमेरिकी दबाव के बावजूद ईरान ड्रोन बनाने में कामयाब रहा. तंगसिरी ने कहा कि जास-313 ड्रोन को दोहरी भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है. टोही अभियानों के साथ यह सटीक हमला करने के लिए है.

ईरान का ड्रोन क्यों है पश्चिमी देशों की टेंशन
ईरान अपने ड्रोन बेड़े का लगातार विस्तार कर रहा है. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन डेवलपमेंट देश की रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ी हुई है. इससे मिडिल ईस्ट की स्थिरता को खतरा है. जास 313 का नाम ईरान के काहेर 313 फाइटर जेट प्रोजेक्ट से मिलता-जुलता है. ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी सूत्रों ने कहा कि यह एक अलग प्रोग्राम है, जिसका उद्देश्य नौसैनिक विमानन को मजबूत करना है. पश्चिमी ताकतें ईरान पर रूस को ड्रोन और मिसाइलें देने का आरोप लगाती हैं, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन पर हमले के लिए किया जाता है. इसीलिए यह ड्रोन डेवलपमेंट अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा रहा है.

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Russia Ukraine War LIVE: रूस ने कार्गो जहाज पर दागी मिसाइल, यूक्रेन के लिए हथियार ले जाने के शक में हमला

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Russia Ukraine War LIVE: अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए नए कदम उठा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रहे हैं ताकि मॉस्को के साथ संबंध सुधार सकें.

रूस ने कार्गो जहाज पर दागी मिसाइल, हथियार ले जाने के शक में हमला

रूस और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका रूस को राहत देने में लगा है.

Russia Ukraine War LIVE: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अमेरिका ने हर हाल में खत्म करने की योजना बना ली है. यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को ढील देने पर विचार कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप मॉस्को के साथ फिर से संबंधों को बढ़ाने के लिए ऐसा कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने इससे जुड़ी जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि वाइट हाउस ने देश के ट्रेजरी विभागों से प्रतिबंधों की एक सूची तैयार करने को कहा है, जिन्हें आने वाले दिनों में रूसी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के लिए ढील दी जा सकती है. आइए जानें 4 मार्च का रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा बड़ा अपडेट.

शांति सेना भेजने के लिए ऑस्ट्रेलिया तैयार

ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री का कहना है कि वह बहुराष्ट्रीय शांति सेना के हिस्से के रूप में यूक्रेन में सेना भेजने पर विचार करने के लिए तैयार हैं.

Russia Ukraine War: रूस ने कार्गो जहाज पर किया मिसाइल हमला- रिपोर्ट

व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के लिए कथित तौर पर हथियार ले जा रहे एक विदेशी मालवाहक जहाज को डुबाने की कोशिश की. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक एक हाइपरसोनिक मिसाइल जहाज की तरफ लॉन्च की गई. रूस ने दावा किया कि उसने इस्कंदर-एम मिसाइल लॉन्च की, जो सीधे पनामा के झंडे वाले जहाज को लगी ओडेसा बंदरगाह पर लगी. रिपोर्ट के मुताबिक हमले में बंदरगाह पर दो कर्मचारी घायल हुए और बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ.

जेलेंस्की-ट्रंप की झड़प से ईरान खुश

डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की की झड़प से सबसे ज्यादा खुश ईरान है. उसकी खुशी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तेहरान की सड़कों पर इस बहस से जुड़े बैनर लगे हैं.

रूस को बातचीत की मेज पर लाना है- अमेरिकी विदेश मंत्री

अमेरिका के विदेश मंत्री सचिव मार्को रुबियो ने यूक्रेन को सैन्य सहायता रोकने के फैसले के जवाब में एक बयान जारी किया है. रुबियो कहते हैं, ‘राष्ट्रपति ट्रम्प इस समय दुनिया के एकमात्र नेता हैं जिनके पास यूक्रेन में युद्ध को स्थायी और स्थायी रूप से समाप्त करने का मौका है।’ उन्होंने कहा कि हम रूसियों को बातचीत की मेज पर लाना चाहते हैं. हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या शांति संभव है. यह ट्रम्प प्रशासन के किसी अधिकारी की पहली सार्वजनिक टिप्पणी है.

Russia Ukraine Live: बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं- जेडी वेंस

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ट्रंप और जेलेंस्की के लिए बातचीत का दरवाजा खुला है. लेकिन जेलेंस्की ने चेतावनी भी दी. वेंस ने कहा, ‘जब तक जेलेंस्की गंभीरता से शांति पर बात करने को तैयार हैं.’ वेंस का कहना है कि असली समस्या है कि जेलेंस्की सुरक्षा गारंटी के बिना शांति पर बात करने को तैयाकर नहीं थे. वेंस ने कहा, ‘जब वे शांति पर बात करने के इच्छुक होंगे, तो मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप फोन उठाने वाले पहले व्यक्ति होंगे.’

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रूस ने कार्गो जहाज पर दागी मिसाइल, हथियार ले जाने के शक में हमला

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अफगानिस्तान: तालिबान ने अमेरिकी हथियारों के बदले 320 बिलियन डॉलर मांगे

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Taliban US News: अमेरिका के छोड़े गए हथियारों पर तालिबान ने कहा कि अगर अमेरिका उन्हें वापस चाहता है, तो 20 साल के युद्ध का मुआवजा भी चुकाए. तालिबान ने नुकसान की गणना करते हुए अरबों डॉलर की मांग की है.

एक आदमी = 8.5 करोड़ ₹, इस देश ने ट्रंप से मांग लिया 20 साल का हिसाब

तालिबान ने ट्रंप से 20 साल का हिसाब मांगा. (AI)

हाइलाइट्स

  • तालिबान ने अमेरिका से 20 साल के युद्ध का मुआवजा मांगा
  • अमेरिका से अरबों डॉलर का मुआवजा मांगा
  • तालिबान ने हथियार वापसी के बदले मुआवजा मांगा

काबुल: अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की ओर से छोड़े गए हथियारों को लेकर गहन चिंता व्यक्त की थी. साथ ही कहा था कि तालिबान उनके 100 मिलियन डॉलर के हथियार वापस कर दे या फिर कहीं ऐसा ना हो कि उसे उसका अंजाम भुगतना पड़े. ट्रंप की धमकी के जवाब में अब तालिबान ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों की वापसी की मांग करता है और हम 20 साल के युद्ध के लिए मुआवजे की मांग करते हैं.

अफगानिस्तान का कहना है कि साल 2001 से साल 2021 तक अमेरिका ने अफगानिस्तान में लगातार युद्ध छेड़ कर रखा, जिसके चलते अफगानिस्तान को मानवीय आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर बहुत ज्यादा नुकसान हुआ. अगर अमेरिका हथियारों को वापस चाहता है तो उसे भी इन 20 सालों के युद्ध का मुआवजा देना होगा. दिलचस्प है कि तालिबान के समर्थक सोशल मीडिया पर इसके लिए बाकायदा एक लिस्ट भी जारी की गई है, जिसमें मुआवजे का पूरा हिसाब-किताब है.

तालिबान ने कितना मांगा हर्जाना
मसलन 20 साल के दौरान 70,000 से अधिक नागरिकों और 80,000 से अधिक अफगान सैनिकों की जान चली गई. अमेरिकी नेतृत्व वाली बमबारी और संघर्षों के कारण 5 लाख से ज्यादा लोग स्थाई रूप से विकलांग या अपंग हो गए. प्रति नागरिक जीवन के नुकसान पर एक मिलियन डॉलर की दर से अकेले नागरिकों के लिए अमेरिका पर 70 बिलियन डॉलर से कहीं ज्यादा बकाया बनता है. कुल अनुमानित मानव मुआवजा बकाया 320 बिलियन डॉलर से ज्यादा है.

क्या अमेरिका कर पाएगा तालिबान की भरपाई?
इसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों, खनिजों की चोरी और पर्यावरण विनाश का बिल भी तालिबान ने तैयार किया है. अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर से अफगानिस्तान से लिथियम समेत रेयर अर्थ मिनरल निकाले गए, जिनकी कीमत 3 ट्रिलियन डॉलर थी. युद्ध गतिविधियों ने लाखों हेक्टेयर वनों को नष्ट कर दिया. इसके लिए भी कई बिलियन डॉलर की मांग तालिबान की ओर से की गई है. इसके अलावा युद्ध के दौरान पूरे अफगानिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया, जिसके लिए बुनियादी ढांचा हानि के तौर पर साढ़े तीन सौ बिलियन डॉलर से अधिक की मांग की गई है.

अफगानिस्तान की ओर से जारी की गई मुआवजा राशि के हिसाब से तो यदि अमेरिका हिसाब देता है तो खुद अमेरिका को कंगाल होना पड़ सकता है. तालिबान अफगानिस्तान ने साफ तौर पर कहा है कि या तो अमेरिका अपने हथियारों को भूल जाए या फिर 20 सालों के युद्ध का हिसाब दे. यानी यूक्रेन के राष्ट्रपति के बाद अब तालिबान ने सीधे तौर पर अमेरिका को आंख दिखाते हुए हथियार वापस देने से मना कर दिया है.

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एक आदमी = 8.5 करोड़ ₹, इस देश ने ट्रंप से मांग लिया 20 साल का हिसाब

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