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US Federation of American Scientists report Lakenheath Base atom bomb deployment | अमेरिका की रूस-यूक्रेन वॉर रुकवाने की कोशिश के बीच खुलासा: 17 साल बाद ब्रिटेन में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती की तैयारियां शुरू

लंदन/न्यूयॉर्क5 दिन पहले
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लैकेनहीथ बेस ब्रिटेन में अमेरिकी एयरफोर्स का का सबसे बड़ा बेस है।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका दो दशक (करीब 17 साल) बाद ब्रिटेन में अपने परमाणु हथियार तैनात करने की योजना बना रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प के रुस-यूक्रेन वॉर को रुकवाने की कोशिशों के बीच इस रिपोर्ट का खुलासा चौकाने वाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि सैफॉक स्थित आरएएफ लैकेनहीथ बेस में 22 परमाणु बंकरों को अपग्रेड किया गया है। इन बंकरों में अंडरग्राउंड चेम्बर हैं, जिनमें से प्रत्येक में 4 परमाणु हथियार रखे जा सकते हैं।
लैकेनहीथ बेस ब्रिटेन में अमेरिकी एयरफोर्स का का सबसे बड़ा बेस है। और यूरोप के प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक है। यहां परमाणु-सक्षम एफ-15ई स्ट्राइक ईगल और एफ-35ए लाइटनिंग II लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन तैनात हैं। अमेरिका को जवाब देने के लिए रूस ने पश्चिमी हिस्से में कई परमाणु हथियार तैनात किए हैं।
दुनिया के 9 देशों के पास 12 हजार एटम बम, रूस टॉप पर
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के मुताबिक दुनिया के 9 देशों के पास 12 हजार से ज्यादा एटम बम है।
नोट- इनमें से रूस ने 1710 और अमेरिका ने 1670 और फ्रांस ने 290 परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है। वहीं, भारत, पाक और उत्तर कोरिया सहित अन्य सभी देशों के हथियार स्टोर में हैं। |
विशेष हथियार’ साइट को अपग्रेडेशन की लिस्ट में जोड़ा
- रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के इस कदम से पश्चिमी देशों के परमाणु भंडार की सुरक्षा बढ़ेगी और रूस की सैन्य रणनीति प्रभावित होगी। फिलहाल में इटली, तुर्किये बेल्जियम, नीदरलैंड और जर्मनी के एयरबेस पर करीब 100 अमेरिकी बी61-12 बम स्टोर किए गए हैं। इन बमों की क्षमता 50 किलोटन तक है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 3 गुना अधिक शक्तिशाली है।
- अमेरिका ने 2021 में लैकेनहीथ की परमाणु क्षमता को फिर से सक्रिय करने का निर्णय लिया था। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इस योजना को और मजबूती मिली है। नाटो से जुड़े दस्तावेज में खुलासा हुआ कि ब्रिटेन को ‘विशेष हथियार’ साइट को अपग्रेडेशन की लिस्ट में जोड़ा गया है।
- पेंटागन के खरीद अनुबंधों ने भी लैकेनहीथ में नई सुविधा की योजना की पुष्टि की। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका लगभग 20 साल बाद ब्रिटेन में अपने परमाणु मिशन को फिर से स्थापित कर रहा है। यह कदम रूस के साथ बिगड़ते राजनीतिक और सैन्य संबंधों की प्रतिक्रिया माना जा रहा है।

रूस बोला- वक्त आने पर सही जवाब दिया जाएगा 1954 में आरएएफ लैकेनहीथ सहित ब्रिटेन के ठिकानों पर अमेरिकी परमाणु बम तैनात किए गए थे। 1990 में 33 बंकर थे जो 132 अमेरिकी परमाणु हथियारों को संग्रहीत करने में सक्षम थे।
शीत युद्ध की समाप्ति के साथ तनाव कम होने पर 2008 में जब जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे, ब्रिटेन से सभी अमेरिकी परमाणु हथियार हटा दिए गए थे। नए खुलासे पर रूसी राष्ट्रपति भवन क्रैमलीन ने इस योजना को तनाव बढ़ाने वाला बताया और कहा कि आने पर ‘प्रतिपूरक जवाब’ देंगे।

…………………………… परमाणु हथियार से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
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इंडिया में 16 मार्च 2025 को दुनिया के टॉप इंटेलिजेंस चीफ जुट रहे हैं.
हाइलाइट्स
- NSA अजित डोभाल करेंगे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता
- अमेरिका-ब्रिटेन समेत अन्य देशों के स्पाई चीफ करेंगे शिरकत
- ग्लोबल सिक्योरिटी के लिए इंटेलिजेंस शेयरिंग पर होगी चर्चा
नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध और वेस्ट एशिया में तनावपूर्ण माहौल के बीच इंडिया में महत्वपूर्ण ग्लोबल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है. इसकी अध्यक्षता भारत के जेम्स बांड कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल करेंगे. इसमें अमेरिका की डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस तुलसी गबार्ड, कनाडा के स्पाई चीफ डेनियल रॉजर्स और ब्रिटेन के MI6 चीफ रिचर्ड मूर जैसी हस्तियां शिरकत करेंगी. बता दें कि यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब चीन, रूस और ईरान की नेवी सैन्य अभ्यास कर रही है. वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के बोलन इलाके में विद्रोहियों ने ट्रेन को हाईजैक कर लिया है.
अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. भारत के NSA अजीत डोभाल 16 मार्च 2025 को भारत द्वारा आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें आतंकवाद और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने के तरीकों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है. ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड और भारत के कई अन्य मित्र देशों के खुफिया प्रमुखों के भी नई दिल्ली में होने वाले विचार-विमर्श में शामिल होने की उम्मीद है. गबार्ड जापान, थाईलैंड और फ्रांस के मल्टी नेशन टूर के हिस्से के रूप में भारत आ रही हैं. यह डोनाल्ड ट्रम्प सरकार के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की पहली हाईलेवल ट्रैवल होगी. खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में भाग लेने के अलावा गबार्ड के रायसीना डायलॉग को संबोधित करने और एनएसए डोभाल के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की भी संभावना है.
टेरर फाइनेंसिंग पर चर्चा
जानकारी के अनुसार, अमेरिक की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड 15 मार्च को भारत आएंगे. पिछले महीने गबार्ड ने वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. सुरक्षा और खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में लगभग 20 देशों के खुफिया और सुरक्षा संगठनों के प्रमुख और उप प्रमुखों के एक साथ आने की उम्मीद है. अपने विचार-विमर्श में खुफिया प्रमुखों से रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में संघर्ष के निहितार्थ सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने की भी उम्मीद है. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा और खुफिया प्रमुख टेरर फाइनेंसिंग के साथ-साथ डिजिटल स्पेस में अपराधों से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा कर सकते हैं.
ट्रूडो के जाते ही कनाडा का बड़ा कदम
कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) के प्रमुख रॉजर्स की भारत यात्रा हरदीप सिंह निज्जर मामले को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच हो रही है. जस्टिन ट्रूडो की विदाई के बाद रॉजर्स का यह दौरा हो रहा है. सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडा की धरती पर निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था. नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताकर खारिज कर दिया. पिछले साल की दूसरी छमाही में संबंधों में और गिरावट तब आई जब ओटावा ने हाई-कमिश्नर संजय वर्मा सहित कई भारतीय राजनयिकों को निज्जर की हत्या से जोड़ा. पिछले अक्टूबर में कनाडा ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. जवाबी कार्रवाई में नई दिल्ली ने भी कनाडा के प्रभारी स्टीवर्ट व्हीलर और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. उम्मीद है कि रॉजर्स के साथ डोभाल की बातचीत में इस मामले पर चर्चा हो सकती है.
New Delhi,Delhi
March 11, 2025, 22:03 IST
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US News: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड जल्द ही भारत यात्रा पर आएंगे. वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी, जिसमें उनकी पत्नी भी साथ होंगी. गबार्ड रायसीना डायलॉग में शाम…और पढ़ें

तुलसी गबार्ड और जेडी वेंस भारत की यात्रा करेंगे.
हाइलाइट्स
- जेडी वेंस और तुलसी गबार्ड भारत यात्रा पर आएंगे
- वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी, पत्नी भी साथ होंगी
- तुलसी गबार्ड रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेंगी
वॉशिंगटन: अमेरिका के नए प्रशासन के दो बड़े अधिकारियों की ओर से जल्द ही भारत यात्रा की जानी है. अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड अगले सप्ताह भारत आएंगी. उनके अलावा अमेरिका में ट्रंप के नंबर दो यानी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी इसी महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे. अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी. पोलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक जेडी वेंस के साथ उनकी पत्नी उषा वेंस भी होंगी. वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी.
अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान जर्मनी के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक उग्र भाषण दिया था, जहां उन्होंने अवैध प्रवासन से निपटने, धार्मिक स्वतंत्रता की अनदेखी करने और चुनावों को पलटने के लिए यूरोपीय सरकारों की आलोचना की. पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था. पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था.
तुलसी गबार्ड भी आएंगी भारत
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड एशिया की यात्रा पर जा रही हैं. अगले सप्ताह भारत में एक सुरक्षा सम्मेलन में वह शामिल होंगी. सोमवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में गबार्ड ने घोषणा की कि वह जापान, थाईलैंड और भारत की यात्रा कर रही हैं और वापस अमेरिका लौटते समय फ्रांस जाएंगी. ट्रंप प्रशासन में शामिल होने के बाद यह उनकी दूसरी यात्रा है. नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर बनने के बाद उन्होंने जर्मनी के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लिया था.
रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा
नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग में तुलसी का भाषण भी होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जोनाथन पॉवेल और कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा CSIS के डायरेक्टर डेनियल रॉर्स के भी सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने की उम्मीद है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने 2022 से भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर देश के प्रमुख सम्मेलन रायसीना डायलॉग के मौके पर सुरक्षा सम्मेलन की मेजबानी की है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 12, 2025, 08:45 IST
भारत आ रहे ट्रंप के ‘आंख-कान,’ पत्नी संग ‘ससुराल’ पहुंचेंगे जेडी वेंस
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Iran Warning US News: ईरान ने US से बातचीत से किया इनकार, China-Russia संग Military Drill से दिखाई ताकत

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Iran US News: ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने कहा कि अमेरिका की धमकियों के बीच ईरान परमाणु समझौते पर बातचीत नहीं करेगा. ईरान ने रूस और चीन के साथ ओमान की खाड़ी में सैन्य अभ्यास किया, जिससे क्षेत्रीय तनाव औ…और पढ़ें

ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है.
हाइलाइट्स
- ईरानी राष्ट्रपति ने ट्रंप को चेतावनी दी
- ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि वह समझौते को तैयार नहीं
- अमेरिका से उन्होंने कहा जो करना है कर लो
तेहरान: अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ईरान पर दबाव बढ़ाने में लगे हैं. ईरान ने अब ट्रंप को करारा जवाब दिया है. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने मंगलवार को कहा कि धमकियों के बीच ईरान अमेरिका से किसी भी स्थिति में अपने परमाणु कार्यक्रम पर बात नहीं करेगा. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को दो टूक जवाब देते हुए कहा, ‘जो करना है कर लो.’ इस बीच ईरान ने रूस और चीन के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करके अपनी ताकत दिखाई है. पेजेश्कियान ने कहा, ‘हम यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अमेरिका हमें आदेश और धमकियां दे. मैं तुमसे (अमेरिका) बात भी नहीं करूंगा. जो करना है कर लो.’
ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने भी शनिवार को कहा था कि ईरान किसी भी दबाव में बातचीत नहीं करेगा. यह बयान ट्रंप के उस दावे के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने ईरान के साथ नए परमाणु समझौते के लिए खामेनेई को एक पत्र लिखा है. हालांकि ईरान ने कहा है कि उसे कोई भी पत्र नहीं मिला है. ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर पहले की तरह ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ की नीति लागू कर दी है. इसके जरिए अमेरिका ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और उसके तेल निर्यात को शून्य तक लाने की कोशिश में जुटा है.
ईरान पर दबाव बढ़ाने में लगा अमेरिका
ट्रंप ने सोमवार को प्रतिबंधों में दी गई छूट को समाप्त करके दबाव बढ़ाने की कोशिश की. इस छूट के तहत इराक को ईरान से बिजली खरीदने की इजाजत दी गई थी. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि ईरान ‘दबाव और धमकी में बातचीत नहीं करेगा.’ 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान और प्रमुख शक्तियों के साथ ऐतिहासिक समझौता किया था. इसमें ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के बदले प्रतिबंधों में छूट देने का वादा किया गया था. ट्रंप के आने के बाद यह समझौता टूट गया.
ईरान ने किया सैन्य अभ्यास
ईरान ने मंगलवार को चीन और रूस के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया, जिसे मैरिटाइम सिक्योरिटी बेल्ट 2025 नाम दिया गया. यह अभ्यास ओमान की खाड़ी में हुआ, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य के पास मौजूद है. इस हिस्से से दुनिया के कुल तेल व्यापार का पांचवां हिस्सा गुजरता है. यह पांचवां साल है जब तीनों देशों ने इस मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा लिया है.
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