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2037314982578 रुपये खर्च, फिर कैसे 1 डॉलर में बेच दी अमेरिका की ये तिजोरी, जानें पनामा डील की कहानी

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Panama Canal: एक नहर जिसे आज भी अमेरिका की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धी माना जाता है. इसे बनाने में 39 साल का समय लगा और कई कंपनियां दिवालिया हो गईं. इस दौरान करीब 38000 लोगों की जान चली गई. उस वक्त इसे बनाने …और पढ़ें

पनामा नहर को लेकर डोनाल्ड ट्रंप चीन से भिड़ने को तैयार दिख रहे हैं. (फाइल)
हाइलाइट्स
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने यह नहर 1 डॉलर में पनामा को सौंप दिया था.
- ट्रंप प्रशासन इस नहर पर फिर से कब्जा करने की योजना बना रहा है.
- पनामा नहर अमेरिका की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धियों में से एक है.
डोनाल्ड ट्रंप जबसे दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तभी से उनकी नजर इस तिजोरी पर गड़ी है. ट्रंप ने 2025 के अपने पहले कांग्रेस संबोधन में इस नहर को लेकर एक बड़ा ऐलान किया. ट्रंप ने कहा, ‘(पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति) रेगन के समय से अलग, अब हमारे पास इजराइल जैसी शक्तिशाली सेना बनाने की तकनीक है और हम अपने नागरिकों की रक्षा करेंगे. हम अपने व्यावसायिक और सैन्य जहाज निर्माण को बढ़ावा देंगे. व्हाइट हाउस में जहाज निर्माण के लिए एक नया कार्यालय स्थापित किया जाएगा, जो तेजी से काम करेगा. और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हम पनामा नहर को वापस लेंगे. हमने इसकी शुरुआत कर दी है. एक बड़ी अमेरिकी कंपनी ने पहले ही दोनों बंदरगाहों को खरीदने की घोषणा कर दी है.’
ट्रंप ने आगे कहा, ‘इस नहर को अमेरिकी पैसों से बनाया गया, 38,000 अमेरिकी मजदूरों ने इसे बनाने के दौरान अपनी जान गंवाई. यह हमारे प्रशासन का सबसे महंगा प्रोजेक्ट था, जिसे जिमी कार्टर ने मात्र 1 डॉलर में पनामा को सौंप दिया. यह चीन को नहीं दिया गया था, लेकिन अब हम इसे वापस ले रहे हैं.’
33 साल में बनकर हुआ तैयार
अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली पनामा नहर अमेरिका की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धियों में से एक मानी जाती है. इस नहर पर अब दक्षिण अमेरिकी देश पनामा का अधिकार है. इस नहर को बनाने का काम 1881 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 1914 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था. इस नहर को बनाने में तब कुल 287 मिलियन डॉलर (आज के हिसाब से 2037314982578 रुपये) खर्च हुए थे. इस प्रोजेक्ट के दौरान 38,000 से अधिक अमेरिकी मजदूरों ने मलेरिया और अन्य बीमारियों से अपनी जान गंवाई थी. लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि इतनी महंगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहर को 1 डॉलर में पनामा को सौंप दिया गया.
पनामा नहर का निर्माण और अमेरिका की मेहनत
1904 में अमेरिका ने पनामा नहर के निर्माण की जिम्मेदारी संभाली. यह परियोजना इतनी कठिन थी कि फ्रांस पहले ही इसे अधूरा छोड़ चुका था. अमेरिका ने अत्याधुनिक तकनीक, कुशल इंजीनियरों और हजारों मेहनती मजदूरों की मदद से 1914 में इस नहर का निर्माण पूरा किया. इस परियोजना पर खर्च हुए अरबों डॉलर और हजारों मजदूरों की शहादत ने अमेरिका को एक नई रणनीतिक ताकत दी.
कैसे अमेरिका ने नहर को खो दिया?
1977 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पनामा के साथ एक संधि की, जिसे Torijos-Carter Treaties कहा गया. इस संधि के तहत अमेरिका ने 31 दिसंबर 1999 को नहर को पनामा को सौंपने की सहमति दी.
दरअसल कार्टर प्रशासन का मानना था कि पनामा नहर के नियंत्रण को बनाए रखना अमेरिका के लिए फायदेमंद नहीं था. पनामा सरकार ने अमेरिका पर दबाव बनाया था कि उसे अपने क्षेत्र में संप्रभुता दी जाए. अमेरिका को यह लगा कि अगर वह नहर को पनामा को नहीं सौंपता, तो राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है. लेकिन यह फैसला विवादास्पद था. कई अमेरिकी नेताओं का मानना था कि यह नहर अमेरिका की “संपत्ति” थी और इसे इतनी आसानी से छोड़ देना एक ऐतिहासिक गलती थी.
1999 में, जब नहर को पनामा को आधिकारिक रूप से सौंपा गया, तो अमेरिका को इसके बदले में मात्र 1 डॉलर का प्रतीकात्मक भुगतान मिला. यह फैसला उस समय बेहद विवादास्पद था, क्योंकि यह अमेरिका की सामरिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका था. कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका ने बिना किसी खास रणनीतिक लाभ के यह सौदा किया. नहर के स्वामित्व को पनामा को सौंपने के बाद चीन समेत कई देशों की कंपनियां इसमें रुचि लेने लगीं और धीरे-धीरे इस महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग पर अमेरिका का प्रभाव कम हो गया.
क्या अमेरिका पनामा नहर पर दोबारा कब्जा कर सकता है?
ट्रंप प्रशासन के इस आक्रामक रुख के बाद सवाल उठता है कि क्या अमेरिका वाकई इस नहर पर दोबारा नियंत्रण कर सकता है? मौजूदा समय में पनामा नहर पर पनामा सरकार का नियंत्रण है, लेकिन इसमें चीन समर्थित कंपनियों की गहरी पैठ बन चुकी है.
अगर अमेरिका इस नहर पर फिर से कब्जा करना चाहता है, तो उसे या तो पनामा सरकार से नई डील करनी होगी या फिर सैन्य दबाव बनाना पड़ेगा. ट्रंप प्रशासन की नीति को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है.
पनामा नहर केवल एक जलमार्ग नहीं, बल्कि अमेरिका की ऐतिहासिक और रणनीतिक धरोहर है. इसे 1 डॉलर में बेच देना न केवल आर्थिक रूप से नुकसानदेह था, बल्कि यह अमेरिका की वैश्विक शक्ति को भी कमजोर करने वाला निर्णय साबित हुआ. ट्रंप का ऐलान बताता है कि अब अमेरिका इस गलती को सुधारने के लिए आक्रामक नीति अपनाने को तैयार है. अमेरिका के इस दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही वैश्विक राजनीति में बड़ा भूचाल आने की आशंका है.
New Delhi,Delhi
March 05, 2025, 11:18 IST
पनामा नहर: 2037314982578 रुपये खर्च, फिर कैसे 1 डॉलर में बेच दी ये तिजोरी?
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US America Earthquake Today: वॉशिंगटन हॉलीवुड में 3.9 तीव्रता का भूकंप, ऑस्कर अवार्ड के दौरान आया

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Earthquake News US: ऑस्कर अवार्ड समारोह के दौरान अमेरिका के उत्तरी हॉलीवुड में 3.9 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र डॉल्बी थिएटर से कुछ ही मील की दूरी पर था.

अमेरिका में भूकंप आया है.
हाइलाइट्स
- ऑस्कर समारोह के दौरान 3.9 तीव्रता का भूकंप आया
- भूकंप का केंद्र डॉल्बी थिएटर से कुछ मील की दूरी पर था
- लॉस एंजिल्स में भूकंप के झटके महसूस किए गए
वॉशिंगटन: अमेरिका के हॉलीवुड में दुनिया भर के सितारे रेड कार्पेट पर थे, ऑस्कर अवार्ड का जश्न रहा था कि तभी अचानक धरती हिलने लगी. दरअसल जब अमेरिका में ऑस्कर अवार्ड शो चल रहा था तभी 3.9 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र उत्तरी हॉलीवुड में था. ऑस्कर अवार्ड शो डॉल्बी थिएटर में आयोजित किया गया था. भूकंप का केंद्र समारोह की जगह से कुछ ही मील की दूरी पर था. स्थानीय समय के मुताबिक भूकंप रविवार रात 10 बजे आया. यह वही समय था जब सेलिब्रिटी ऑस्कर अवार्ड की आफ्टर पार्टी के लिए जमा हो रहे थे.
इस दौरान लोगों ने अचानक झटके महसूस किए. कुछ लोग चिल्लाने लगे. लोगों का कहना है कि इमारतों को उन्होंने जेली की तरह हिलते देखा. भूकंप पर अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने कहा कि झटके पूरे लॉस एंजिल्स में कई मीलों तक महसूस किए गए. भूकंप अपेक्षाकृत छोटा था, जिस कारण सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की गई. अभी तक किसी भी तरह के नुकसान या लोगों के घायल होने की जानकारी नहीं मिली है. लॉस एंजिल्स फायर डिपार्टमेंट ने कहा कि भूकंप का असर पूरे डाउनटाउन लॉस एंजिल्स में महसूस किया गया. एजेंसी ने कहा कि झटके इतने तगड़े नहीं थे कि ‘भूकंप मोड’ को एक्टिव किया जाए.
मार्च में आए 40 भूकंप
अगर भूकंप ताकतवर होता तो अधिकारी इमारतों और बुनियादी ढांचों के नुकसान की जांच करते. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च की शुरुआत से दक्षिणी कैलिफोर्निया में आए लगभग 40 भूकंपों में से यह एक है. USGS के जिस डेटा का विश्लेषण किया गया, उसके मुताबिक ज्यादातर की तीव्रता 1 थी, जो आमतौर पर लोगों को महसूस नहीं होते. पिछले महीने पास के मालिबू क्षेत्र में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था. दिसंबर में उत्तरी कैलिफोर्निया में 7 तीव्रता का एक तगड़ा भूकंप आया, जिसके बाद तटीय इलाके के लोगों को भूकंप की चेतावनी दी गई.
भूकंप पर क्या बोले लोग?
BBC की रिपोर्ट के कुछ लोगों ने कहा कि झटका ऐसा था, जैसे कोई बम फटा हो. एक स्थानीय निवासी ने कहा कि उसने अब तक का सबसे तगड़ा भूकंप का झटका महसूस किया. हालांकि उन्होंने इस बात पर आश्चर्य भी जताया कि झटका सिर्फ 3.9 तीव्रता का था. एक शख्स ने कहा कि मैंने झटके को अपनी हड्डियों में महसूस किया.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 03, 2025, 14:01 IST
ऑस्कर का जश्न मना रहे थे हॉलीवुड के सितारे, तभी भूकंप से हिल गई US की धरती
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Chandrayaan Blue Ghost Lander: फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने चंद्रमा पर उतारा पहला यान.

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US Moon Landing:अमेरिकी प्राइवेट कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने ब्लू घोस्ट मिशन 1 के तहत चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की. यह भारत के चंद्रयान-3 से अलग है, क्योंकि इसमें कोई रोवर नहीं है. जल्द ही दो और मिशन उतरेंगे.

चांद पर उतरा ब्लू घोस्ट मिशन. (Reuters)
हाइलाइट्स
- अमेरिकी कंपनी ने ब्लू घोस्ट लैंडर चांद पर उतारा
- ब्लू घोस्ट में कोई रोवर नहीं है
- दो और मिशन जल्द ही चांद पर उतरेंगे
वॉशिंगटन: आसमान में दिखने वाला चमकदार चांद हमेशा इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. यही कारण है कि वैज्ञानिकों को यहां पहुंचने की चाहत रही है. दुनिया में पांच देश भारत, अमेरिका, रूस, चीन और जापान ही चांद पर जा सके हैं. रविवार को अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी ने चंद्रमा पर अपना पहला अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारा, जो विज्ञान के लिए एक बड़ी कामयाबी है. फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ब्लू घोस्ट मिशन 1 स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8:34 बजे मॉन्स लैट्रेल के पास उतरा. यह चंद्रमा के उत्तर-पूर्वी भाग में मारे क्रिसियम में एक ज्वालामुखीय संरचना है. एयरक्राफ्ट के लैंड होते ही मिशन टीम में खुशी की लहर दौड़ गई. हालांकि यह कामयाबी वैसी नहीं है, जैसी चंद्रयान-3 मे हासिल की थी, लेकिन फिर भी यह एक बड़ा कदम है.
गोल्डेन लैंडर का आकार एक छोटी कार के बराबर है जो 15 जनवरी को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था. चंद्रमा की यात्रा के दौरान इसने धरती और चांद की कई शानदार तस्वीरें खींची. भारत के चंद्रयान 3 मिशन से अगर इसकी तुलना करें तो बेहद फर्क है. सबसे बड़ा फर्क यही है कि चंद्रयान को भारत सरकार की फंडिंग से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान ने विक्रम लैंडर के साथ में प्रज्ञान नाम का रोवर भी भेजा था, जो चंद्रमा की सतह पर चला. लेकिन गोल्डेन लैंडर में कोई भी रोवर नहीं है. इसके अलावा भारत ने वह कारनामा कर दिखाया था, जो उससे पहले कोई नहीं कर पाया.
भारत ने किया था बड़ा कारनामा
भारत का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था. यहां लैंडिंग करवाना बेहद मुश्किल होता है. इसके अलावा यह वह क्षेत्र है, जहां पानी की मौजूदगी होने की संभावना है. ब्लू घोस्ट में 10 उपकरण हैं, जिनमें एक चंद्रमा के मिट्टी का विश्लेषण करने वाला यंत्र भी शामिल है. 14 मार्च को एक पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस दौरान उम्मीद है कि यह शानदार तस्वीरें कैप्चर करेगा. इससे पहले फरवरी 2024 में अमेरिका की एक कंपनी का लैंडर बहुत तेजी से नीचे आया था. तब इसका एक पैर फंस गया और पलट गया, जिससे मिशन लगभग फेल ही हो गया.
दो और मिशन के उतरने की तैयारी
ब्लू घोस्ट की सफल लैंडिंग के बाद चांद पर दो और मेहमान पहुंचने वाले हैं. आने वाले हफ्तों में चांद पर दो और मिशन उतरेंगे. इंटुएटिव मशीन्स का एथेना और जापानी प्राइवेट मिशन रेजिलिएंस हकुतो-आर2 अगले लैंडर में से हैं, जिनके उतरने की उम्मीद है. स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए 26 फरवरी, 2025 को एथेना लॉन्च किया गया था. इंट्यूएटिव मशीन्स का यह दूसरा चंद्र मिशन है. इसके 6 मार्च को उतरने की उम्मीद है. एथेना दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरने की कोशिश करेगा, जहां भारत पहले ही उतर चुका है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 03, 2025, 16:11 IST
चंद्रयान की बराबरी नहीं कर पाया अमेरिका का ब्लू घोस्ट लैंडर, समझें किसमें चूका
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डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी संसद में संबोधन: क्या कहेंगे ट्रंप?Trump big speech tonight causes global stir

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डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक रहस्यमयी मैसेज लिखा, जिसमें कहा गया है कि कुछ बड़ा होने वाला है. इसके बाद से पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संसद को संबोधित करने वाले हैं.
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर रहस्यमयी पोस्ट किया.
- डोनाल्ड ट्रंप संसद में देने वाले हैं भाषण, जो काफी महत्वपूर्ण.
- ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को सैन्य मदद रोकने पर विचार कर रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देर शाम अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ट्रुथ सोशल पर लिखा, आज रात बहुत खास होगी. मैं आपको वही बताऊंगा जो सच है! दरअसल, ट्रंप अमेरिकी संसद को संबोधित करेंगे. हालांकि यह आधिकारिक तौर पर ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण नहीं होगा, जो राष्ट्रपति आमतौर पर एक साल पूरे होने पर देते हैं, लेकिन यह ट्रंप के लिए इस साल जनवरी में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहला बड़ा भाषण होगा. इसलिए पूरी दुनिया में उनके पोस्ट के बाद से खलबली मची हुई है.
फॉक्स न्यूज़ से बात करते हुए, रिपब्लिकन स्पीकर माइक जॉनसन ने कहा कि आम तौर पर कोई भी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के इस समय पर ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण नहीं देता, लेकिन “यह असल में ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण जैसा ही होगा”. उन्होंने दावा किया कि ट्रंप ने “अमेरिका को फिर से मजबूत बनाया है”.
क्या कहेंगे साफ नहीं
यह अभी तक साफ नहीं है कि ट्रंप अपने भाषण में क्या कहेंगे. खासकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ हुए विवाद के बाद, उनका रुख क्या होगा. ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर “तीसरे विश्व युद्ध को दांव पर लगाने” का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्होंने पुतिन के हमले से अपने देश की रक्षा में अमेरिका द्वारा दी जा रही मदद के लिए पर्याप्त आभार नहीं जताया.
यूरोप के देश एकजुट
इस विवाद के बाद, यूरोपीय नेताओं ने इस हफ्ते लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा आयोजित एक बैठक में हिस्सा लिया. ब्रिटेन और फ्रांस ने शांति समझौते का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि इसके साथ अमेरिका द्वारा सुरक्षा गारंटी भी होनी चाहिए. आज की रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रंप प्रशासन व्लादिमीर पुतिन के रूस से लड़ाई में यूक्रेन को सैन्य मदद भेजने से रोकने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ पर लिखा…
क्यों और कब हुआ विवाद
यह सब तब हुआ जब पिछले हफ्ते ज़ेलेंस्की वाशिंगटन में एक खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करने आये थे, जो आगे चलकर अमेरिकी सैन्य सहायता के बदले प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों का आदान-प्रदान करता. ट्रंप और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ तनावपूर्ण बातचीत के बाद यूक्रेनी नेता ने इस सौदे पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. विवाद के कारण यात्रा को छोटा कर दिया गया और सौदे पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए.
क्या संकेत
कुछ संकेत मिले हैं कि ट्रंप अभी भी इस सौदे को मंजूरी देने के लिए दबाव बना सकते हैं. उन्होंने अपनी एक पुरानी पोस्ट को दोबार शेयर किया है जिसमें कहा गया था कि ट्रंप शतरंज के खेल में हर किसी से “10 कदम आगे” हैं. ट्रुथ सोशल पर ट्रंप की अन्य टिप्पणियों में शामिल इस पोस्ट में कहा गया था कि “ट्रंप असल में अमेरिका को युद्ध में घसीटे बिना यूक्रेन की रक्षा कर रहे हैं… खनिज सौदे पर बातचीत करके, ट्रंप यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अमेरिका यूक्रेन के खनन उद्योग में शामिल होगा. यह रूस को हमला शुरू करने से रोकेगा, क्योंकि यूक्रेन पर हमला करने का मतलब होगा अमेरिकी जान को खतरे में डालना.”
जेलेंस्की ने क्या कहा
इस बीच, ज़ेलेंस्की ने आज कहा कि रूस शांति नहीं चाहता, जबकि ट्रंप ने पहले कहा था कि उन्हें लगता है कि पुतिन युद्ध को खत्म होते देखना चाहते हैं. एक सोशल मीडिया पोस्ट में, ज़ेलेंस्की ने “रूसी हमले को असंभव बनाने” के लिए “हमारी वायु रक्षा को मजबूत करने, हमारी सेना का समर्थन करने और प्रभावी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने” का आह्वान किया.
New Delhi,New Delhi,Delhi
March 03, 2025, 21:56 IST
कुछ बड़ा होने वाला है… ट्रंप ने सोशल मीडिया में लिखा रहस्यमयी पोस्ट
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