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सर्बिया संसद में विपक्ष का हंगामा, स्मोग बम और अंडे फेंके गए

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सर्बिया की संसद में विपक्षी सांसदों ने स्मोग बम और आंसू गैस के गोले फेंके, जिससे काला और गुलाबी धुआं फैल गया. इस घटना में दो सांसद घायल हुए. सरकार की नीतियों का विरोध जारी है.

सर्बिया की संसद में विपक्षी सांसदों ने कुछ यूं मचाया संग्राम.
हाइलाइट्स
- सर्बिया की संसद में विपक्षी सांसदों ने स्मोक बम और आंसू गैस फेंके.
- इस घटना में दो सांसद घायल हुए, एक की हालत गंभीर.
- सरकार की नीतियों के विरोध में संसद में हंगामा हुआ.
सर्बिया की संसद में मंगलवार को गजब ही नजारा दिखा. विपक्षी सांसद स्मोग बम लेकर आए और संसद के अंदर धुआं धुआं कर दिया. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, सांसदों ने एक दूसरे पर अंडे भी फेंके. विपक्षी सांसद सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे थे. यह घटना लाइव प्रसारण में भी दिखाई गई.
चार महीने पहले ट्रेन स्टेशन की छत गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से सर्बिया में सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इसने सर्बियाई सरकार के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा पैदा कर दिया है.
संसद में फैला काला और गुलाबी धुआं
संसद सत्र के दौरान जब सर्बियाई प्रोग्रेसिव पार्टी (SNS) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने एजेंडा को मंजूरी दी, तो कुछ विपक्षी नेता अपनी सीटों से उठकर संसदीय अध्यक्ष की ओर भागे और सुरक्षा गार्डों से बहस करते नजर आए. अन्य सांसदों ने स्मोग बम और आंसू गैस के गोले फेंके. इससे इमारत के अंदर काला और गुलाबी धुआं फैल गया.
🟡 NOW: Smoke bombs in the Serbian parliament. Chaos breaks out as opposition politicians protest against the parliamentary session in support of the massive anti-government student protests that are gripping the country. pic.twitter.com/BbgcO8uIVS
— red. (@redstreamnet) March 4, 2025
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डोनाल्ड ट्रंप ने किया क्या गुनाह? जो खफा हो गए यूरोप के देश, यूक्रेन के खून का आखिरी कतरा बहाने के पीछे क्या मकसद

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डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ बातचीत कर यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल की है, जिससे यूरोप में गुस्सा और निराशा है. यूरोप ट्रंप को दोषी मानता है, जबकि ट्रंप इसे अमेरिका के लिए नुकसानदेह मानते हैं.

ट्रंप की यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल से यूरोप में मचा हड़कंप. (Image:PTI)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने की पहल की.
- यूरोप में ट्रंप की पहल से गुस्सा और निराशा.
- ट्रंप ने रूस से बातचीत को अमेरिका के लिए नुकसानदेह बताया.
नई दिल्ली. इतिहास के महत्वपूर्ण पल अपना असली रंग दिखाने के लिए समय लेते हैं. 1789 में जब बस्तील (Bastille) पर हमला हुआ था, तब इस हमले में शामिल लोगों को अंदाज़ा नहीं था कि वे फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हम ऐसे ही एक ऐतिहासिक पल के गवाह बन रहे हैं जो दुनिया के भू-राजनीतिक स्वरूप को बदल देगा. हमें हमेशा भूसे से गेहूँ, शोर से सटीक बात और प्रचार से सच्चाई को अलग करना चाहिए. यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस के साथ बातचीत की डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की पहल उदारवादी और पेशेवर आलोचकों के लिए एक उकसावे जैसी है. जिससे कोई भी तार्किक चर्चा लगभग असंभव हो गई है.
पश्चिमी मीडिया ट्रान्स- अटलांटिक संबंधों के खात्मे की खबरों से भरा हुआ है. विशेष रूप से यूरोप के नेता, पत्रकार, टिप्पणीकार, पॉडकास्टर, शिक्षाविद, नीति विशेषज्ञ ट्रंप पर रोजाना तंज कसते हुए, गुस्से, आग और निराशा जैसी भावनाओं से गुजर रहे हैं. यूरोपीयों को यकीन है कि यूक्रेन, जो तीन साल से US के नेतृत्व वाले पश्चिम से धन और हथियार मिलने के बावजूद युद्ध हार रहा है, चमत्कारिक ढंग से बाजी पलट देगा अगर पश्चिम उसे समर्थन देता रहे. ज़ाहिर है, ‘विचारकों’ ने यह नहीं सोचा कि अगर कोई एक ही काम करता रहे तो नतीजे कैसे अलग हो सकते हैं! तीन साल से चले आ रहे युद्ध ने यूक्रेन को तबाह कर दिया है. इसकी जनशक्ति खत्म हो गई है, इसका एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया है, और अब इसे अपने खनिज भंडार का 50 प्रतिशत US के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जाहिर है कि यह काफी नहीं है.
भ्रम में यूरोप के देश
यूरोपीय लोग आखिरी यूक्रेनी तक युद्ध के मैदान की वास्तविकताओं से इनकार करते रहेंगे, एक के बाद एक भ्रम फैलाते रहेंगे ताकि युद्ध को रोज़ाना यूक्रेनी लोगों का खून मिलता रहे, भले ही इससे उनका छद्म युद्ध न जीता जा सके. जो लोग नैतिकता की बात करते हैं, उनके लिए रूस की जीत को आसानी से झूठ बोलकर छुपाया जा सकता है. वे कहेंगे कि ट्रंप की वजह से ही पुतिन ताकतवर बने और रूस युद्ध लड़ पा रहा है. लेकिन सच तो यह है कि ट्रंप की बुराई करने से युद्ध नहीं रुक जाएगा. यूरोप के लोग, जो खुद तो कुछ नहीं कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि यूक्रेनी लोग मरते रहें.
ट्रंप का सबसे बड़ा गुनाह
ट्रंप का सबसे बड़ा गुनाह है कि उन्होंने युद्ध रोकने की कोशिश की. उन पर इल्जाम है कि उन्होंने ‘यूक्रेन को धोखा’ दिया, ‘रूस का साथ दिया’ और रूस को बिना वजह फायदा उठाने दिया. वे कहते हैं कि पुतिन जीत रहा है क्योंकि ट्रंप ने कुछ गलत किया, न कि इसलिए कि रूस ताकतवर है या यूक्रेन हार रहा है. पिछले तीन साल से मीडिया कह रहा था कि रूस हार रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था खराब है, उसकी मुद्रा कमजोर है और पुतिन को सत्ता से हटाया जा सकता है. लेकिन अब वे कहते हैं कि ट्रंप की वजह से पुतिन न सिर्फ़ जीत रहा है बल्कि पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा और नाटो देशों पर हमला कर देगा.
यूक्रेन मुद्दे पर भारत का रुख सही…रूस के राजदूत ने कहा- जंग 2022 से नहीं 2014 से जारी
यूरोप अब ट्रंप से बातचीत की भीख मांग रहा
यूरोप अब ट्रंप से बातचीत की भीख मांग रहा है, लेकिन यह कोई हल नहीं है. यूरोप के लोग, जो युद्ध में कुछ नहीं कर रहे हैं, वे यह नहीं समझते कि पुतिन और ट्रंप किसी के दबाव में नहीं आने वाले. वे अपने सिद्धांतों पर चलते हैं, किसी की परवाह नहीं करते, और इतिहास की परवाह नहीं करते. यह उन्हें खतरनाक बनाता है. यूरोप के लोग, जो अपनी सुख-सुविधा चाहते हैं, उनके लिए ट्रंप और पुतिन खतरा हैं. दूसरी तरफ, ट्रंप ने कई मुश्किलों का सामना किया है और अब उनके पास एक स्पष्ट दृष्टि है. अपने दूसरे कार्यकाल में, ट्रंप युद्ध खत्म करना चाहते हैं, जिसे वे अमेरिका के लिए नुकसानदेह मानते हैं. वे चीन के खतरे पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. ट्रंप यूक्रेन युद्ध में भावुक नहीं हैं. यह उनका युद्ध नहीं है. वे यूरोप को अमेरिका से अलग देखते हैं, और बिना फायदे के यूक्रेन की मदद नहीं करना चाहते.
New Delhi,Delhi
February 27, 2025, 16:45 IST
डोनाल्ड ट्रंप ने किया क्या गुनाह? जो खफा हो गए यूरोप के देश, यूक्रेन के…
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‘बकरीद पर कुर्बानी से करें तौबा’, मुस्लिम देश के किंग को क्यों करनी पड़ी ऐसी अपील?

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Morocco News: मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने आम जनता से ईद उल-अजहा यानी बकरीद के दौरान भेड़ों की कुर्बानी न देने की अपील की है. वहां भेड़ों की तादाद में खासी गिरावट दर्ज की गई है.

भयानक सूखा झेल रहा है मोरक्को.
हाइलाइट्स
- मोरक्को के राजा ने बकरीद पर कुर्बानी न करने की अपील की.
- मवेशियों की कमी और सूखे के कारण अपील की गई.
- मांस की कीमतें नियंत्रित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से भेड़ों का आयात.
रबात: मोरक्को के किंग मोहम्मद VI ने इस साल ईद उल-अजहा (बकरीद) पर कुर्बानी न करने की अपील की है. इसकी वजह देश में मवेशियों की भारी कमी और सात साल से जारी सूखे को बताया गया है. मोरक्को में भेड़ों की संख्या पिछले दशक में 38% कम हो गई है. इस साल बारिश औसत से 53% कम रही, जिससे चरागाहों की स्थिति खराब हो गई. इससे मवेशियों के चारे की समस्या गहरी हो गई और मांस उत्पादन में गिरावट आई. ईद-उल-अजहा या बकरीद, इस्लाम में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन मुस्लिम समुदाय में भेड़, बकरी या अन्य पशु की कुर्बानी दी जाती है और इसका मांस परिवार तथा गरीबों में बांटा जाता है. लेकिन इस साल किंग ने अपील की है कि जनता इस परंपरा को परिस्थितियों के अनुसार बदले.
किंग मोहम्मद VI ने पब्लिक से की अपील
मोरक्को के धार्मिक मामलों के मंत्री अहमद तौफीक ने बुधवार को किंग का संदेश राष्ट्रीय टेलीविजन पर पढ़कर सुनाया. उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि धार्मिक परंपराओं को सुगम बनाया जाए, लेकिन हमें जलवायु और आर्थिक चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा.”
मांस की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मोरक्को सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से 100,000 भेड़ों के आयात का समझौता किया है. इसके अलावा, सरकार ने मवेशियों, भेड़ों, ऊंटों और रेड मीट पर आयात शुल्क और वैट हटा दिया है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर रहें.
पहले भी आ चुका है ऐसा आदेश
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. 1966 में किंग हसन II ने भी इसी तरह की अपील की थी जब मोरक्को को लंबे सूखे का सामना करना पड़ा था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय आर्थिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है.
February 27, 2025, 20:42 IST
‘इस बकरीद पर कुर्बानी से तौबा करें मुसलमान’, इस देश के राजा ने जारी किया फरमान
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Earthquake News: नेपाल, भारत, पाकिस्तान और तिब्बत में भूकंप, जानें पूरी खबर

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Earthquake News: नेपाल, भारत, पाकिस्तान और तिब्बत में भूकंप के झटके महसूस हुए. नेपाल में 5.5 और 6.1 तीव्रता के भूकंप आए. बिहार, पश्चिम बंगाल, तिब्बत और पाकिस्तान में भी धरती कांपी. किसी नुकसान की खबर नहीं.

नेपाल, पाकिस्तान औरतिब्बत में आज भूकंप के झटके महसूस किए गए.
हाइलाइट्स
- नेपाल, भारत, पाकिस्तान और तिब्बत में भूकंप के झटके महसूस हुए.
- नेपाल में 5.5 और 6.1 तीव्रता के भूकंप आए, कोई नुकसान नहीं हुआ.
- बिहार, पश्चिम बंगाल, तिब्बत और पाकिस्तान में भी धरती कांपी.
Earthquake News: महज कुछ घंटों के भीतर में एक साथ चार देशों की धरती कांपी है. नेपाल, भारत, पाकिस्तान और तिब्बत. जब आप सो रहे थे, तब इन चारों जगह पर जोरदार भूकंप आया. अंधेरी रात में धरती कांप गई. नींद में सोए लोग जाग गए. बिहार से लेकर बंगाल तक इस भूकंप के झटके महसूस हुए. फिलहाल, इन भूकंपों से किसी नुकसान की खबर नहीं है. नेपाल में देर रात में दो बार भूकंप के झटके महसूस हुए. जबकि पाकिस्तान और तिब्बत में भोर के वक्त भूकंप आया. बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना समेत कई जिलों में भूकंप से दहल उठे.
सबसे पहले नेपाल के भूकंपों को जानते हैं. नेपाल में शुक्रवार तड़के कहें या गुरुवार देर रात दो बार भूकंप के झटके महसूस हुए. पहला भूकंप देर रात 2.36 बजे आया तो दूसरा रात 2 बजकर 51 मिनट पर. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, पहले भूकंप का केंद्र नेपाल के बागमती प्रांत था. यहां देर रात 2.36 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसकी तीव्रता 5.5 थी. यह जगह बिहार के मुजफ्फरपुर से करीब 189 किलोमीटर दूर है. इस वजह से मिथिला क्षेत्र वाले जिलों में भी धरती कांप उठी. लोगों के घर हिलने लगे. बेड-पंखे सब डोलने लगे.
नेपाल में दो बार भूकंप (Nepal Earthquake)
वहीं, नेपाल में दूसरा भूकंप 2 बजकर 51 मिनट पर आया. नेशनल अर्थक्वेक मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर के मुताबिक, इस भूकंप की तीव्रता पहले वाले से अधिक थी. काठमांडू से 65 किलोमीटर पूर्व सिंधुपालचौक जिले में कोदारी हाईवे पर तड़के 2:51 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई. भूकंप के झटके काठमांडू घाटी और उसके आसपास के इलाकों में भी महसूस किए गए.
बिहार में भी कांप गए लोग (Bihar Earthquake)
इन दो भूकंपों का असर बिहार में अच्छे से महसूस हुआ. गहरी नींद में सोए बिहार के लोग भूकंप से जाग गए. उन्हें धरती हिलने की भनक हुई. आंख खुली तो बंद पंखा हिल रहा था. पलंग और कुर्सी हिल रहे थे. ऐसा लगा जैसे कोई नीचे से उठाकर डोला रहा हो. बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी, पटना समेत कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस हुए.
तिब्बत में भी कांपी धरती (Tibet Earthquake)
भूकंप के झटके पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक महसूस हुए. इसके बाद तिब्बत की धरती भी डोल गई. नेपाल में भूकंप के वक्त ही शुक्रवार सुबह 2.48 बजे तिब्बत में भी धरती डोली. तिब्बत के लोगों ने भी भूकंप के झटके महसूस किए. तिब्बत में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 रही थी. इस भूकंप के झटके के बाद यहां के लोग खौफ में हैं. बीते दिनों यहां भूकंप से तबाही हुई थी.
पाकिस्तान में भी कांपी धरती (Pakistan Earthquake)
नेपाल और तिब्बत के बाद अब पाकिस्तान की बारी थी. नेपाल और तिब्बत में भूकंप के करीब 2-3 घंटे बाद पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस हुए. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, पाकिस्तान में शुक्रवार सुबह 5.14 बजे भूकंप आया. पाकिस्तान में आए भूकंप की तीव्रता 4.5 मापी गई. इसका केंद्र रावलपिंडी थी. फिलहाल, इन चार देशों में आए भूकंप में भी किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है. भारत में भले भूकंप का केंद्र आज न रहा हो, मगर बिहार के पास बागमती प्रांत में भूकंप ने सबको डरा दिया.
बार-बार भूकंप के क्या संकेत
अब सवाल है कि बार-बार भूकंप के आखिर क्या संकेत हैं? क्या किसी तबाही के संकेत तो नहीं. दिल्ली-एनसीआर में भी बीते दिनों भूकंप आया था. उस दिन तो गड़गड़ाहट की आवाज आई थी. नेपाल में बीते दिनों भूकंप में कई जानें गई थीं. वहीं, तिब्बत में आए भूकंप ने भी विनाशलीला की गाथा लिखी थी. जिस तरह से बार-बार धरती डोल रही है, लोग डरे-सहमे हैं. सबके मन में यही सवाल है कि क्या कोई बड़ी तबाही आ रही है?
Delhi,Delhi,Delhi
February 28, 2025, 08:19 IST
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