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लखनऊ के प्रोफेसरों ने बनाया अनोखा ड्रोन! खराब मौसम में विमान की करेगा रक्षा, नहीं होने देगा क्रैश – Good news now planes will not crash due to bad weather professors together created a unique drone

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डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि इसके जरिए एयरलाइंस को फायदा होगा क्योंकि इससे फ्यूल बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आयेगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा विमान को आने और जाने में देरी नहीं होगी और ना ही कोई विमान निर…और पढ़ें

लखनऊ के प्रोफेसरों ने बनाया अनोखा ड्रोन! खराब मौसम में विमान की करेगा रक्षा

यही है ड्रोन जिसे सभी प्रोफेसरों ने मिलकर बनाया है.

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. कभी बारिश तो कभी कोहरा इस वजह से अक्सर प्लेन क्रैश होने के मामले हमारे देश-विदेश में सामने आते रहते हैं. इस तरह के मामलों में अक्सर पायलट के साथ ही तमाम यात्रियों की भी जान चली जाती है. कई बार तो भी वीआईपी लोग भी इसमें अपनी जान गंवा बैठते हैं.

ऐसे प्लेन क्रैश के मामलों को रोकने के लिए लखनऊ के कुछ प्रोफेसरों ने मिलकर एक ऐसा ड्रोन बनाया है जिसके जरिए ऐसी घटनाओं को काबू किया जा सकेगा. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर मैनेजर डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि सर्दियो के दिनों में विमानों के उड़ान भरने और उतरने में कोहरा मुख्य बाधा उत्पन्न करती है. इसी समस्या का निदान इस पब्लिकेशन पेटेंट के माध्यम से सुझाया गया है.

ड्रोन में है यूवी-रे जेनरेटर
डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि यह एक तरह का ड्रोन है, जो ऐसी घटनाओं को काबू करेगा, यह यूवी जेनरेटर है. उन्होंने बताया कि यह ड्रोन सिस्टम रनवे के एप्रोच पथ की दृश्यता के साथ-साथ रनवे की दृश्य सीमा में सुधार सुनिश्चित करता है. इस ड्रोन में दृश्यता में सुधार के लिए यूएवी लगाने का सुझाव दिया गया है. यह है पर्याप्त संख्या में कोहरे को फैलाकर , कोहरे को कम या समाप्त या इसके प्रभाव को कम कर सकता है.

1 साल में प्रोजेक्ट होगा पूरा
डॉ. सैफुल्लाह खालिद ने बताया कि इसके जरिए एयरलाइंस को फायदा होगा क्योंकि इससे फ्यूल बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आयेगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा विमान को आने और जाने में देरी नहीं होगी और ना ही कोई विमान निरस्त किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट को उनके साथ अनूप कुमार, धर्मेंद्र प्रकाश और दिनेश निषाद ने मिलकर बनाया है. इसका बजट 20 लाख रुपए है और एक साल के अंदर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा और लोगों को इसका काम भी दिखने लग जायेगा.

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जानवरों के लिए पसंदीदा क्षेत्र बना गांधी सागर, अब चीते भी आएंगे नजर – Gandhi sagar has become a favorite area for all species of animals now leopards will also rest here from butterflies crocodiles to vultures the family is growing in gandhi sagar

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जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांधी सागर क्षेत्र में चीते लाने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. लेकिन इसके पहले कई तरह की प्रजातियों के जानवरों के लिए गांधी सागर स्वर्ग साबित हो रहा है इसका…और पढ़ें

तितलियों मगरमच्छों से लेकर गिद्दों तक का गांधी सागर में बढ़ रहा है तांता

गांधी सागर का अद्भुत दृश्य

शादाब चौधरी/मंदसौर: गांधी सागर क्षेत्र के जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूरी पर चीते लाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. लेकिन इससे पहले कई प्रकार के जानवर गांधी सागर क्षेत्र में आसन्न हो रहे हैं, जिससे यह स्थान स्वर्ग साबित हो रहा है. प्राकृतिक संरक्षण अथॉरिटीज की ओर से संबंधित समस्या को नियंत्रित करने और संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. स्थानीय प्राकृतिक जीवन की संरक्षण और सुरक्षा के लिए यातायात और नियंत्रण उपायों पर भी विचार किया जा रहा है.

गांधी सागर क्षेत्र में वातावरण के कारण विभिन्न प्रकार के जानवर आराम से निवास कर रहे हैं. सर्वे और आंकड़े इसे पुष्टि कर रहे हैं. यहां की प्राकृतिक संरचना, जलवायु, और वन्यजीवन जीवन के लिए उपयुक्तता के कारण इसका विशेष महत्व है. जैसे तितलियां, मगरमच्छ, और गिद्द जैसी प्रजातियां यहां निवास कर रही हैं जो वातावरण के अनुकूल हैं. यहां के नैसर्गिक संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि इन प्राकृतिक जीवन की प्रजातियों को संरक्षित रखा जा सके.

वन्य जीवों को मिल रहा है सुरक्षित घर 

गांधी सागर बांध के निर्माण के बाद मध्य प्रदेश शासन ने इस क्षेत्र को 28 फरवरी 1984 में 368 वर्ग किलोमीटर के वन्य अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया था. यह अभ्यारण्य वन्य जीवों के लिए सुरक्षित स्थान बनाने का काम कर रहा है. गांधी सागर अभ्यारण्य में गिद्ध की चार प्रजातियां पाई जाती हैं और इसके साथ ही तीन प्रजातियां शीत ऋतु में इस अभ्यारण्य का उपयोग करने के लिए प्रवास करती हैं. मध्य प्रदेश के पन्ना के बाद, यहां की गिद्ध गणना में लगभग 700 गिद्ध होने के कारण, दूसरे स्थान पर था.

कॉलर आईडी से करते है ट्रैक 

गुजराती गिद्दों को गांधी सागर की आबोहवा खासी रास आई थी और कुछ समय पहले गुजरात से अधिकारियों के अनुसार ये गिद्द करीब 800 किलोमीटर की दूरी तय करके गिर के जंगलों से गांधी सागर पहुंच गए थे. गिर के जंगलों में गिद्दों के पट्टे पर कॉलर आईडी लगाई गई थी जिससे वन विभाग उन्हें ट्रैक कर सके. गिद्दों की ब्रीडिंग दिखने पर वन विभाग को जानकारी मिली और इसके बाद उन गिद्दों को खोजने का काम शुरू किया गया जिससे पता चला कि ये गिद्द गांधी सागर में ही बस गए हैं.

246 प्रजाति के पक्षियों का भी है आशियाना 

वन विभाग के मुताबिक, गांधी सागर में सर्वे के दौरान अब तक 246 प्रजाति के पक्षियों का पता चला है. सर्वेक्षण में लगभग 80 प्रतिभागी और पक्षी विशेषज्ञों ने 3 दिन तक 23 रास्तों पर निकलकर इस डाटा को जुटाया था. प्राप्त डाटा का विश्लेषण वन्यजीव एवं प्रकृति संरक्षण संगठन “डब्ल्यू एन सी वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन” इंदौर ने किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अभ्यारण्य क्षेत्र पक्षियों के आवास और रेवास के लिए उचित है, और प्रजातियों के मिलने से यह संकेत देता है कि उनके जीवन के लक्षण वहां मौजूद हैं.

बढ़ रही है जानवरों की संख्या 

कुछ समय पहले, तितली संरक्षण के लिए देश भर के तितली विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय तितली घोषित करने के लिए अभियान चलाया. इस अभियान में ऑनलाइन सर्वे के आधार पर देश में मिलने वाली प्रजातियों में से 7 तितलियों का चयन किया गया. तीन तितलियों को सबसे अधिक पसंद किया गया, जिनमें गांधी सागर में पाई जाने वाली कॉमन जेझेबल प्रजाति की तितली भी शामिल थी. इसके साथ ही, ऑरेंज ऑक्लीफ और कृष्ण पीकॉक टॉप तीन में शामिल थी.

गांधी सागर डैम जलीय प्रजाति के लिए भी अनुकूल है पिछले कुछ सालों में यहां मगरमच्छ की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है. फिलहाल जलाशय में 5 हज़ार से भी ज्यादा मगरमच्छ मौजूद हैं.

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अमृत भारत योजना के तहत मंदसौर रेलवे स्टेशन भी होगा सुविधाओं से लैस,यात्रियों को मिलेगी ये सुविधाएं – Mandsaur station will also be equipped with all facilities under amrit bharat yojana

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स्टेशन परिसर में रूफ प्लाजा और सिटी सेंटर बनाने के लिए रेलवे स्टेशन के लिए मास्टर प्लान की तैयारी की जाएगी. साथ ही प्लेटफार्म क्षेत्रों की जल निकासी अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है इसको लेकर नालों की सफाई पर विशेष ध्…और पढ़ें

अमृत भारत योजना के तहत मंदसौर रेलवे स्टेशन भी होगा सुविधाओं से लैस

मन्दसौर रेलवे स्टेशन

शादाब चौधरी/मंदसौर.यूं तो रेलवे अब तक देश के बड़े स्टेशनों पर कई तरह की यात्रि सुविधाएं देता रहा है. अब ऐसी कई सुविधाएं जिला मुख्यालय स्थित मंदसौर रेलवे स्टेशन को भी मिलने जा रही है अमृत भारत स्टेशन योजना अंतर्गत रतलाम रेल मंडल के 16 छोटे स्टेशनों का चयन किया गया था. अमृत स्टेशन योजना के तहत वाईफाई सहित कई अन्य सुविधाएं यात्रियों को मिलना है.मिली जानकारी के मुताबिक चयन होने के बाद अब पश्चिम रेलवे से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया है रेल मंडल के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत विकास कार्य होंगे.

इन स्टेशनों का मास्टर प्लान बना कर यात्रियों को मिल रही सुविधाओं का आधुनिकरण किया जाएगा इस योजना में रेल मंडल के मन्दसौर स्टेशन के साथ रतलाम, मेघनगर, दाहोद, देवास, नागदा, आकोडिया, बेरछा, नीमच, खाचरोद, मक्सी, सीहोर, शुजालपुर, लक्ष्मीबाई नगर, लिमखेड़ा, चंदेरिया और चित्तौड़गढ़ जैसे स्टेशनों पर यात्री सुविधा के साथ अन्य सुविधाओं का विस्तार होगा.रतलाम रेल मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अमृत भारत योजना रेलवे स्टेशनों की जरूरतों और संरक्षण के आधार पर लागू की जाएगी इस योजना के तहत रतलाम मंडल से 16 स्टेशनों के लिए ढांचागत विकास सुनिश्चित करेंगे सभी श्रेणियों के स्टेशनों पर उच्चस्तरीय प्लेटफार्म सुनिश्चित किए जाएंगे. प्लेटफार्म की लंबाई 600 मीटर होगी.

मास्टर प्लान में 5G टावर भी शामिल
स्टेशन परिसर में रूफ प्लाजा और सिटी सेंटर बनाने के लिए रेलवे स्टेशन के लिए मास्टर प्लान की तैयारी की जाएगी. साथ ही प्लेटफार्म क्षेत्रों की जल निकासी अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है इसको लेकर नालों की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां ढलान नहीं है. वहां उपयुक्त क्रॉस ड्रेन और पंप सहित अन्य व्यवस्था की जाएगी.इसके अलावा रेलवे स्टेशनों के उपयोगकर्ताओं को मुफ्त वाई – फाई की सुविधा भी प्रदान की जाएगी जिसके लिए मास्टर प्लान में 5G टावर भी शामिल है. वेटिंग रूम, प्लेटफार्म, रिटायरिंग रूम और कार्यालय में मौजूद फर्नीचर की समीक्षा की जाएगी यदि आवश्यकता होगी तो इसे भी अधिक आरामदायक और टिकाऊ बनाने के लिए फर्नीचर को बदला जाएगा साथ ही दिव्यांग जनों के लिए सभी श्रेणियों के स्टेशनों पर पर्याप्त संख्या में शौचालय भी उपलब्ध करवाए जाएंगे.

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प्रभारी मंत्री ने अफसरों को दिया अल्टीमेटम, जल्द पूरा हो संजीत नाका ओवर ब्रिज का काम – Minister in charge rajwardhan singh dattigaon sanjit naka over bridge by october 30

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पिछले दिनों लोकल 18 ने ओवरब्रिज से जुड़ी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी जिसमें मंदसौर प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को जल्द काम पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है.

लोकल 18 की खबर का असर: प्रभारी मंत्री ने अफसरों को दिया अल्टीमेटम

इस तरह लोग जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं पटरी पार

शादाब/मंदसौर. शहर के संजीत नाके पर बन रहे ओवरब्रिज का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, जिसकी लागत 30 करोड़ रुपये है. इस ओवरब्रिज का भूमि पूजन साल 2018 में हुआ था, लेकिन इसके बाद अब तक 2023 की आधी अवधि भी बीत चुकी है, फिर भी ओवरब्रिज का लोकार्पण नहीं हो सका है.

पिछले दिनों लोकल 18 ने ओवरब्रिज से जुड़ी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ विधायक भी शामिल थे. मंदसौर प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव हाल ही में मंदसौर दौरे पर गए थे और उन्होंने कलेक्ट्रेट सभागार में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित की थी. इसी दौरान, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि संजीत नाका ओवरब्रिज का काम 30 अक्टूबर तक पूरा किया जाना चाहिए. वे इसके साथ ही, जिले में अधूरे पड़े कार्यों के चलते नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं. स्वयं सेतु विभाग के एसडीओ ने प्रभारी मंत्री के आदेश को स्वीकारते हुए उन्हें आश्वस्त किया है कि ओवर ब्रिज का काम 30 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा. इस दौरान, हजारों लोगों को और ओवर ब्रिज की समस्या से परेशान होने की संभावना है.

प्रभारी मंत्री ने अपने अधिकारियों को संदेश दिया है कि जिले में लंबित हुए सभी विभागीय निर्माण कार्यों को आचार संहिता के पूर्वानुमान के साथ पूरा किया जाए. साथ ही, उन्होंने उन निर्माण कार्यों को भी दिशा दी है जिनका लोकार्पण पहले ही हो चुका है, उन्हें तत्काल उपयोग में लाने की आवश्यकता है. वे इसके साथ ही सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि निर्माण कार्यों के दौरान जहां-जहां त्रुटियाँ पाई जाती हैं, वहां तुरंत सुधार किया जाए.

काफी लोग हो रहे है परेशान
निर्माणाधीन ओवरब्रिज के कारण, लगभग 15 कॉलोनियों और एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग प्रतिदिन परेशानियों का सामना कर रहे हैं. ओवरब्रिज के आसपास के निवासियों को अब मजबूरी में पड़कर पटरी पार करना हो रहा है, जिससे उनकी जान जोखिम में आ सकती है. संजीत नाके से रेलवे स्टेशन के निकटस्थित होने के कारण, यहां ट्रेनों का आवागमन भी अधिक होता है. इस परिस्थिति में, लोग किस तरह से जान जोखिम में डालकर रेल की पटरी पार कर रहे हैं, वह देख सकते हैं.

कई बार भेजें जा चुके है नोटिस
जानकारी के मुताबिक, ब्लैक लिस्टेड कंपनी पर अफसरों की मेहरबानी का प्रभावकारी परिणाम हो रहा है. ओवरब्रिज का निर्माण करने वाली कंपनी को देरी के कारण कई बार नोटिस दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई है. अब खबर है कि कंपनी को ब्लैक लिस्टेड में शामिल कर दिया गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के फरमान के बाद अधिकारियों पर कितना असर पड़ता है और आखिरकार कब तक संजीत नाका ओवरब्रिज का काम पूरा होता है.

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लोकल 18 की खबर का असर: प्रभारी मंत्री ने अफसरों को दिया अल्टीमेटम

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