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बायजू ने लियोनल मेस्सी को ब्रांड एम्बेसडर बनाया – lionel messi unveiled as byjus global brand ambassador

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शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू ने अपनी सामाजिक प्रभाव इकाई ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ के लिए जानेमाने फुटबॉल खिलाड़ी लियोनल मेस्सी को पहला वैश्विक ब्रांड एम्बेसडर बनाया है.

बायजू ने लियोनल मेस्सी को ब्रांड एम्बेसडर बनाया

मेस्सी को बायजू ने ब्रांड एम्बेसडर बनाया

नई दिल्ली. शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू (BYJU’S) ने अपनी सामाजिक प्रभाव इकाई ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ के लिए जानेमाने फुटबॉल खिलाड़ी लियोनल मेस्सी (Lionel Messi) को पहला वैश्विक ब्रांड एम्बेसडर बनाया है. कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी. बायजू ने कहा कि अर्जेन्टीना की फुटबॉल टीम के कैप्टन मेस्सी ने शिक्षा में समानता को बढ़ावा देने के लिए बायजू के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

बायजू की सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ ने कहा, टलियोनल मेस्सी को हमारे वैश्विक एम्बेसडर के रूप में अपने साथ पाकर हम उत्साहित हैं और सम्मानित महसूस कर रहे हैं. वह भी जमीनी स्तर से उठकर सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक बने हैं. बायजू एजुकेशन फॉर ऑल (ईएफए) करीब 55 लाख बच्चों को इसी तरह का अवसर देना चाहता है. मानवीय क्षमता की शक्ति को मेस्सी से ज्यादा बेहतर तरीके से कौन प्रदर्शित कर सकता है.’

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बायजू और मेस्सी के बीच समझौता होने से इस कंपनी की विदेशों तक पहचान बन जाएगी क्योंकि फुटबॉल के दुनियाभर में लगभग 3.5 अरब प्रशंसक हैं, वहीं लियोनल मेस्सी के सोशल मीडिया पर करीब 45 करोड़ फॉलोवर हैं.

मेस्सी ने कहा, ‘उच्च गुणवत्ता की शिक्षा जिंदगियां बदल देती है और बायजू ने तो दुनियाभर के लाखों छात्रों के करियर पथ को ही बदल दिया है. आशा है कि मैं युवाओं को प्रेरित करूंगा.’

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कौन है खो-खो खिलाड़ी नीता राणा? पहले विश्व कप में भारतीय टीम को दिलाई ऐतिहासिक जीत, जानें सफलता की कहानी

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Kullu News: दिल्ली में पहली बार खो-खो विश्व कप का आयोजन हुआ, जिसमें कुल्लू की नीता राणा ने ऐतिहासिक जीत दिलाई, तो चलिए जानते हैं क्या है इनकी कहानी.

हाइलाइट्स

  • नीता राणा ने खो-खो विश्व कप में भारत को दिलाई जीत।
  • कुल्लू की नीता राणा भारतीय खो-खो टीम की एकमात्र हिमाचली खिलाड़ी हैं।
  • नीता ने 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर खो-खो खेलना शुरू किया।

कुल्लू. कुल्लू की नीता राणा खो-खो की खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पहले विश्व खो-खो कप में भारतीय टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नीता कई सालों से खो-खो खेल रही हैं और भारतीय टीम का हिस्सा हैं. दिल्ली में हुए पहले खो-खो विश्व कप में उनके शानदार प्रदर्शन ने टीम को जीत दिलाई.

कुल्लू के छोटे से गांव से है नीता राणा
भारतीय खो-खो टीम में हिमाचल की एकमात्र महिला खिलाड़ी नीता राणा कुल्लू की खराहल घाटी से हैं और किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं।.नीता ने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही खो-खो खेलना शुरू किया था और आज विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा बनकर नया मुकाम हासिल किया है.

भाई के साथ की थी खो-खो खेलने की शुरुआत
नीता बताती हैं कि जब वह चौथी कक्षा में थीं, तब उन्होंने अपने बड़े भाई को खो-खो खेलते देखा और उनके साथ खेलना शुरू किया. स्कूल में खो-खो खेल में हिस्सा लेने के बाद, 2014 में दसवीं कक्षा के दौरान उन्होंने अपना पहला नेशनल खेला. 2014 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खराहल से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पहली बार भाग लिया. अब तक नीता 13 बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं.

12वीं के बाद पंजाब जाकर भी खेलती रहीं खो-खो
नीता ने बताया कि 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे के प्रशिक्षण के लिए पंजाब चली गईं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में खो-खो को बढ़ावा देने की जरूरत है. हिमाचल में बेहतरीन खो-खो खिलाड़ी हैं, अगर इन्हें सही मार्गदर्शन और सुविधाएं मिलें तो वे प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकते हैं. इसलिए प्रदेश में खो-खो के प्रशिक्षण केंद्र खुलने चाहिए ताकि खिलाड़ी यहीं रहकर आगे बढ़ सकें.

विश्व कप जीतने के बाद लौटी घर
विश्व कप जीतने के बाद नीता पहली बार अपने घर कुल्लू लौटीं. कुल्लू में उनका भव्य स्वागत किया गया और ओपन जिप्सी में रोड शो भी निकाला गया. नीता राणा भारतीय खो-खो टीम में हिमाचल की एकमात्र खिलाड़ी हैं.

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कौन है खो-खो खिलाड़ी नीता राणा? पहले विश्व कप में भारतीय टीम को दिलाई जीत

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बोकारो की रेशमा ने किया कमाल; नेशनल गेम्स में मचाई धूम… झारखंड को खेलों में दिलाया नया मुकाम!

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38th National Games in Uttarakhand: उत्तराखंड में हुई 38वीं नेशनल गेम्स प्रतियोगिता में झारखंड की सीनियर महिला लॉन बॉल टीम ने पहला स्थान हासिल किया. टीम में बोकारो की रेशमा कुमारी ने शानदार प्रदर्शन किया. साधार…और पढ़ें

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टीम

टीम के साथ बोकारो के रेशमा कि तस्वीर 

हाइलाइट्स

  • झारखंड की महिला लॉन बॉल टीम ने नेशनल गेम्स 2025 जीता.
  • रेशमा कुमारी ने जीत का श्रेय टीम और कोच को दिया.
  • रेशमा का अगला लक्ष्य भारतीय लॉन बॉल टीम में प्रतिनिधित्व करना है.

बोकारो. उत्तराखंड में चल रही 38वीं नेशनल गेम्स प्रतियोगिता में झारखंड की सीनियर महिला लॉन बॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पश्चिम बंगाल, असम और दिल्ली को पराजित कर पहला स्थान हासिल किया. यह मुकाबला 5 फरवरी, बुधवार को महाराणा प्रताप स्टेडियम में आयोजित हुआ, जिसमें झारखंड टीम ने अपने दमदार खेल से सबको प्रभावित किया.

इस विजयी टीम में लवली चौबे, रूपा रानी तिर्की, कविता कुमारी के अलावा बोकारो के गोमिया की रेशमा कुमारी ने भी शानदार प्रदर्शन किया. उनकी बेहतरीन खेल प्रतिभा ने झारखंड को विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई.

जीत पर रेशमा कुमारी की प्रतिक्रिया
लोकल 18 से खास बातचीत में रेशमा कुमारी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैं इस जीत से बहुत खुश हूं. यह मेरे लिए गर्व का क्षण है और इस सफलता का श्रेय अपने टीम साथियों और कोच डॉ. मध्यकांत पाठक को देना चाहती हूं, जिनके मार्गदर्शन में हमने यह उपलब्धि हासिल की है.”

बचपन से थी खेलों में रुचि, कोच ने दिखाई राह
रेशमा कुमारी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही खेलों में रुचि थी. बोकारो थर्मल के भाटिया एथलेटिक्स अकादमी के कोच अंशु भाटिया ने उन्हें लॉन बॉल खेल के प्रति प्रेरित किया और कड़ी ट्रेनिंग की वजह से ही वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं. उनका अगला लक्ष्य भारतीय लॉन बॉल टीम में प्रतिनिधित्व करना है.

साधारण परिवार से निकलकर रचा इतिहास
रेशमा बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता सुरेश एक ऑटो ड्राइवर हैं, जबकि उनकी मां आशा देवी का 2022 में निधन हो गया था. इसके बावजूद रेशमा ने कठिन परिश्रम और खेल के प्रति समर्पण के दम पर झारखंड टीम में अपनी जगह बनाई है. आगे वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी शानदार प्रदर्शन करना चाहती हैं.

शिक्षा के साथ खेल में भी अग्रणी
रेशमा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गोमिया प्लस टू हाई स्कूल से की है. वर्तमान में वह गोमिया डिग्री कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं. पढ़ाई और खेल के बीच संतुलन बनाते हुए रेशमा ने यह सफलता हासिल की है.

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बोकारो की रेशमा ने किया कमाल; नेशनल गेम्स में मचाई धूम! झारखंड को दिलाया नया..

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Sepak takraw worldcup 2025 in patna, know all details 

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Sports News: सेपक टकरा एक ऐसा खेल है जिसे बैडमिंटन कोर्ट जैसा दिखने वाले मैदान में खेला जाता है. इस कोर्ट की लंबाई 13.40 मीटर और चौड़ाई 6.19 मीटर होती है. मौसम को एक रेखा द्वारा दो हिस्सों में बांटा जाता है

पटना में पहली बार होगा सेपक टकरा विश्व कप, 16 देशों की टीमें लेंगी भाग

सेपक टकरा विश्व कप 2025 पटना में 

पिछले दिनों, कैबिनेट की बैठक में राजधानी पटना के पाटलिपुत्र खेल परिसर में सेपक टकरा विश्व कप आयोजित करने के प्रस्ताव को सहमति मिली . इसका आयोजन कंकड़बाग स्थित पाटलिपुत्र खेल परिसर में 18 मार्च से 26 मार्च के बीच होगा. इसमें भारत समेत 16 विभिन्न देश शामिल होंगे.

बिहार में पहली बार इस विश्वकप चैंपियनशिप का आयोजन किया जा रहा है. इस बात की घोषणा होते ही सबके मन में सवाल उठने लगा कि आखिर यह सेपक टकरा कैसा गेम है. इस सवाल का जवाब इस खबर में आपको मिल जायेगा. दरअसल सेपक टकरा को भारत में किक वॉलीबॉल कहा जाता है. यह वॉलीबॉल और फुटबॉल का मिश्रण है.

बैडमिंटन के कोर्ट में खेला जाता 
सेपक टकरा एक ऐसा खेल है जिसे बैडमिंटन कोर्ट जैसा दिखने वाले मैदान में खेला जाता है. इस कोर्ट की लंबाई 13.40 मीटर और चौड़ाई 6.19 मीटर होती है. मौसम को एक रेखा द्वारा दो हिस्सों में बांटा जाता है जिसकी मोटाई 2 सेंटीमीटर होती है. इसमें छेदनुमा गेंद का प्रयोग होता है. गेंद सिनथेटिक फाइबर से बनी होती है और इसमें कुल 12 छेद होते हैं. इसकी परिधि 0.42 से 0.44 मीटर के बीच होती है. पुरुष खिलाड़ियों के लिए गेंद का वजन 170-180 ग्राम होता है, जबकि महिलाओं के लिए इसका वजन 150-160 ग्राम होता है. खिलाड़ी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर मैच खेलते हैं.

कैसे जाता है खेला
भारत में इसे किक वॉलीबॉल के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से क्लियर हो रहा है कि वॉलीबॉल और किक यानी इसे वॉलीबॉल की तरह ही खेला जाता है. लेकिन खेलते वक़्त हाथों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. खिलाड़ी गेंद को पैर, घुटने, सिर और छाती की मदद से मारकर विरोधी के पाले में पहुंचाते हैं. वॉलीबॉल की तरह इसमें बस हाथ का प्रयोग नहीं करना बाकी सब उसके जैसा ही है. प्रत्येक टीम में 3 खिलाड़ी शामिल होते हैं. इसमें टीम को रेगु कहा जाता है.

क्या है इस खेल का इतिहास 
इस खेल का इतिहास बहुत पुराना है. इसका संबंध 14वीं शताब्दी से है और अब के मलेशिया से है. मलेशिया में इसे सेपक और थाईलैंड में टकरा कहा जाता है. मलय भाषा में सेपक का मतलब होता ‘किक’ होता है जबकि थाई भाषा में टकरा को ‘बॉल को मारना’ कहते हैं. चूंकी इन दोनों देशों का ही इस खेल में दबदबा है, इसलिए इसका नाम सेपक टकरा रख दिया गया. भारत ने पहली बार इस खेल में पहला मेडल 18वें एशियन गेम्स में जीता था.

अब पटना में मचेगी सेपक टकरा की धूम 
बिहार की राजधानी पटना में इस खेल का वर्ल्डकप आयोजित होने वाला है. 18 मार्च से 26 मार्च के बीच कंकड़बाग के पाटलिपुत्र खेल परिसर में 16 विभिन्न देश शामिल होंगे. इसमें थाईलैंड, मलेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर, ईरान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, ब्राजील, आस्ट्रेलिया हैं. पटना वासियों को भी इस अनोखे खेल को देखने का अवसर मिलेगा

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पटना में पहली बार होगा सेपक टकरा विश्व कप, 16 देशों की टीमें लेंगी भाग

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