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धोनी का गढ़, फैंस हुए निराश! रांची में क्यों नहीं हो रहा आईपीएल मैच? जानें क्रिकेट एक्सपर्ट की राय

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IPL 2025 schedule: रांची, जो महेंद्र सिंह धोनी के शहर के नाम से प्रसिद्ध है, पिछले 3 सालों से आईपीएल मैच से बाहर है. झारखंड के क्रिकेट एक्सपर्ट ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है.

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क्यों

क्यों रांची को नहीं मिल रहा है एक भी आईपीएल का मैच, खुल गया राज तो यह है वजह, अम

हाइलाइट्स

  • रांची में पिछले 3 सालों से आईपीएल मैच नहीं हुआ.
  • अमिताभ चौधरी की कमी के कारण रांची को मैच नहीं मिल रहे.
  • फैंस रांची में आईपीएल मैच न होने से निराश हैं.

IPL 2025. झारखंड की राजधानी रांची जो की महेंद्र सिंह धोनी के शहर के नाम से भी काफी लोकप्रिय है. यहां पर क्रिकेट की दीवानगी और जुनून लोगों के बीच जबरदस्त देखी जाती है. ऐसे में पिछले 3 सालों से एक भी आईपीएल का मैच रांची में नहीं हुआ है. इस बार भी रांची को एक भी आईपीएल मैच नहीं दिया गया है. इसे लेकर झारखंड के क्रिकेट एक्सपर्ट ने बताया कि आखिर इसके पीछे वजह क्या है, जो रांची को आईपीएल मैच नहीं दिया जा रहा है.

झारखंड के मशहूर क्रिकेट एक्सपर्ट व पूर्व आईपीएल व रणजी प्लेयर अजात शत्रु बताते हैं कि रांची को आईपीएल मैच न मिलने की वजह है की जेएससीए में अभी ऐसी कोई अधिकारी नहीं, जो अपनी बातों को बीसीसीआई के सामने पूरे दमदार तरीके से रख पाए. अमिताभ चौधरी का क्रिकेट के प्रति गजब की दीवानगी थी और जब तक वह थे. तब तक आईपीएल के मैचेस यहां पर होते थे.

अमिताभ चौधरी की कमी खलती है
आगे बताया, लेकिन उनके न होने पर अब मैच नहीं हो रहे.क्योंकि, अमिताभ चौधरी बीसीसीआई से छीनकर रांची को मैच देते थे.इनके जैसा कोई पर्सनालिटी फिलहाल दिख नहीं रहा है जो बीसीसीआई के सामने अपना पॉइंट रख पाए. क्योंकि, स्टेडियम बहुत ही दमदार है,पिच को लेकर कोई टेंशन नहीं है व अकोमोडेशन को लेकर भी कोई टेंशन नहीं है.

चुकी, अमिताभ चौधरी बीसीसीआई के सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. ऐसे में उनके वहां काफी चलती थी और वह एक बहुत ही दमदार तरीके से अपनी बातों को रखते भी थे.अब उनकी कमी बहुत खलती है.अगर आज वह होते तो आज जेएससीए स्टेडियम को एक आईपीएल तो मिलता ही मिलता.न की बात ही नहीं होती.

फैंस हुए निराश
हरमू के रहने वाले प्रशांत बताते हैं, पिछले दो सालों से ही कोई भी आईपीएल मैच नहीं हो रहा है. 2023 में भी नहीं हुआ 2024 व 2025 में थोड़ी उम्मीद थी.लेकिन यह भी हाथ से चली गई.बीसीसीआई का थोड़ा रांची स्टेडियम पर भी ध्यान देने की जरूरत है.क्रिकेट ऐसा चीज है जिसका जुनून रांची में भी जबरदस्त देखा जाता है.ऐसे में लोगों की भावना कभी कत्ल करना चाहिए.

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जय शाह के ICC चेयरमैन बनने और भारत की जीत से पाकिस्तान में नाराजगी

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जय शाह के ICC चेयरमैन बनने और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की जीत ने पाक क्रिकेट को हिला दिया है. पाक मीडिया ने बीसीसीआई पर पैसों की ताकत का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

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चैंपियंस ट्रॉफी के साथ टीम इंडिया

हाइलाइट्स

  • पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में जय शाह के खिलाफ उगला जहर
  • ICC के फैसलों पर BCCI और टीम इंडिया के बढ़ते प्रभाव की बात
  • चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत को ‘घरेलू हालात’ का फायदा बताया

जय शाह के ICC चेयरमैन बनने और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की जीत ने पाकिस्तान क्रिकेट वर्ल्ड को हिलाकर रख दिया. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में बीसीसीआई पर पैसों की ताकत का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत को ‘घरेलू लाभ’ का नतीजा बताया जा रहा है.

भारत के पाकिस्तान में खेलने से इनकार के बाद से ही तनाव का माहौल है, जिसके कारण ICC को दुबई में टूर्नामेंट कराना पड़ा. पाकिस्तान में कई मुद्दों पर नाराजगी है, जैसे कि भारत-बांग्लादेश मैच के दौरान ICC लोगो के नीचे से पाकिस्तान का नाम गायब होना, एक मैच में भारतीय राष्ट्रगान बजना और चैंपियंस ट्रॉफी के समापन समारोह में PCB अधिकारी की गैरमौजूदगी.

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पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत की जीत को ‘घरेलू लाभ’ करार दिया और फाइनल प्रेजेंटेशन समारोह पर सवाल उठाए, जिसमें यह नहीं दिखाया गया कि टूर्नामेंट पाकिस्तान में हुआ था. रिपोर्ट में भारत के क्रिकेट में दबदबे और ICC पर उसकी पकड़ का हवाला देते हुए हाइब्रिड मॉडल को खेल भावना के खिलाफ बताया गया.

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द ट्रिब्यून ने भारत पर ‘इंटरनेशनल टूर्नामेंटों का मजाक बनाने’ का आरोप लगाया और कहा कि भारत की आर्थिक ताकत से विश्व क्रिकेट में असंतुलन पैदा हो गया है. वहीं, एक अन्य मीडिया संस्थान ने सवाल उठाया कि ICC भारत का पक्ष लेकर अपनी विश्वसनीयता खो रहा है. आपको मालूम हो कि हाइब्रिड मॉडल पाकिस्तान पर भी लागू होता है और उसे 2026 T20 विश्व कप के लिए भारत नहीं जाना होगा, क्योंकि उसके मैच श्रीलंका में होंगे.

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विराट कोहली ने बीसीसीआई की नई गाइडलाइंस पर दी प्रतिक्रिया

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Virat Kohli ने भारतीय टीम के दौराों पर प्लेयर्स के परिवारों की मौजूदगी का समर्थन करते हुए कहा कि वह अपने होटल के कमरे में अकेले उदास रहने के बजाय मैदान पर टेंशन भरे माहौल से निपटने के लिए पर्सनल सपोर्ट पसंद का …और पढ़ें

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फैमिली के सपोर्ट में उतरे विराट कोहली

हाइलाइट्स

  • टूर पर परिवार के साथ जाने पर BCCI ने लगाई पाबंदी
  • विराट कोहली ने नए नियम पर जताया कड़ा एतराज
  • लोगों को परिवार की भूमिका समझाना मुश्किल- विराट

नई दिल्ली: भारत को ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज में मिली 1-3 की हार के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने नई गाइड लाइंस जारी की थी. जिसमें 45 दिन से ज्यादा के दौरे पर खिलाड़ियों के परिवार के साथ समय बिताने की सीमा 14 दिन तक सीमित कर दी थी. इसके अनुसार खिलाड़ियों की पत्नी, बच्चे या महिला मित्र छोटे दौरों पर अधिकतम एक हफ्ते तक उनके साथ रह सकते हैं.

‘परिवार बेहद अहम है’
अब विराट कोहली ने पूरे मामले में अपनी राय दी है. कोहली ने शनिवार को बेंगलुरु में हुए आरसीबी के ‘इनोवेशन लैब’ सम्मेलन के दौरान कहा, ‘लोगों को परिवार की भूमिका समझाना बहुत मुश्किल है. हर बार जब आप किसी तनावपूर्ण स्थिति में होते तो अपने परिवार के पास वापस आना कितना महत्वपूर्ण होता है. मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसकी अहमियत की समझ है.’

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अपने खर्च से दुबई पहुंचे परिवार
हाल में खत्म हुई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान कोहली, रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी के परिवार दुबई में थे, लेकिन वे टीम होटल में नहीं रुके और परिवारों के ठहरने का खर्च खिलाड़ियों ने उठाया, बीसीसीआई ने नहीं.

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‘मैं रूम में उदास नहीं बैठना चाहता’
कोहली ने कहा कि परिवार के साथ होने से खिलाड़ी को मैदान पर मिली निराशा से जल्दी उबरने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने कमरे में जाकर अकेले बैठकर उदास नहीं रहना चाहता. मैं सामान्य होना चाहता हूं. तभी आप अपने खेल को एक जिम्मेदारी के रूप में ले सकते हैं.’

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‘मैं फैमिली के साथ रहने का मौका नहीं छोड़ता’
कोहली ने कहा, ‘आप बाहर की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करते हैं और फिर आप अपने घर वापस आते हैं, आप परिवार के साथ होते हैं और आपके घर में माहौल बिलकुल सामान्य होता होती है और सामान्य पारिवारिक जीवन चलता रहता है. इसलिए मेरे लिए यह बहुत खुशी का दिन होता है. जब भी संभव होता है, मैं अपने परिवार के साथ बाहर जाने और समय बिताने का कोई अवसर नहीं छोड़ता.’

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‘मुझे बहुत निराशा हुई’
इस 36 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘मुझे इससे बहुत निराशा हुई क्योंकि जिनका इस मामले में कोई लेना देना नहीं था, उन्हें भी चर्चा में शामिल किया गया, जिन्होंने कहा, ‘ओह, शायद खिलाड़ियों को परिवार से दूर रखा जाना चाहिए’. और अगर आप किसी खिलाड़ी से पूछें कि क्या आप चाहते हैं कि आपका परिवार हर समय आपके आस-पास रहे? तो वे ‘हां’ ही कहेंगे.’

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उम्र में 9 साल बड़ी… तलाकशुदा महिला से भारतीय क्रिकेटर ने रचाया ब्याह, वाइफ ने किया था प्रपोज

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भारत के कई क्रिकेट खिलाड़ियों की लव स्टोरी बॉलीवुड फिल्मों की तरह फेमस है. उन्हीं में टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद भी शामिल हैं. प्रसाद को अनिल कुंबले ने जिस लड़की से मिलवाया, उसी को उन्होंने …और पढ़ें

9 साल बड़ी तलाकशुदा महिला से भारतीय क्रिकेटर ने रचाया था ब्याह

वेंकटेश प्रसाद ने 9 साल बड़ी तलाकशुदा महिला को जीवन संगिनी बनाया था.

हाइलाइट्स

  • वेंकटेश प्रसाद और जयंती की मुलाकात कुंबले ने कराई थी
  • जयंती उम्र में प्रसाद से 9 साल बड़ी हैं
  • जयंती तलाकशुदा थीं, जब उन्होंने वेंकटेश से शादी की

नई दिल्ली. टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद अपनी बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वह टीम के खराब प्रदर्शन पर उन्हें खूब खरी खरी सुनाने से भी परहेज नहीं करते. दो साल पहले उन्होंने केएल राहुल को आड़े हाथों लेते हुए पक्षपात का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि खराब प्रदर्शन के बावजूद राहुल को बार बार मौका देना उनकी समझ से परे था. प्रसाद ने अपने क्रिकेट करियर में कई बार बेहतरीन गेंदबाजी से टीम इंडिया को जीत दिलाई. पाकिस्तानी खिलाड़ियों को मुंहतोड़ जवाब देने में भी वह पीछे नहीं रहे. इन सबके के बीच प्रसाद की निजी जिंदगी भी सुर्खियों में रही है. उनकी लव लाइफ के चर्चे सभी जानते हैं. अपनी घातक गेंदबाजी से धाकड़ बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने वाले वेंकटेश उम्र में 9 साल बड़ी और तलाकशुदा जयंती के प्यार में दिल दे बैठे थे. 1996 में दोनों ने शादी कर ली. टीम इंडिया के दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने इस लव स्टोरी के शुरू होने में अहम रोल अदा किया था.

वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad) की लव स्टोरी बेहद फिल्मी है. अनिल कुंबले (Ankil Kumble) की वजह से प्रसाद और जयंती (Jayanthi) की मुलाकात हुई. प्रसाद शर्मीले स्वभाव के थे. वह अपने प्यार का इजहार जयंती के सामने नहीं कर पाए थे. इसकी पहल खुद जयंती ने की.जयंती ने भारत के इस तेज गेंदबाज को प्रपोज किया और वेंकटेश ने भी इसे स्वीकार कर लिया. दोनों की पहली मुलाकात साल 1994 में हुई थी. अनिल कुंबले उन दिनों टाइटन कंपनी के ब्रैंड एम्बेस्डर थे. जयंती इसकी पीआरओ थीं. इसलिए कुंबले और जयंती एक दूसरेको जानते थे. दोनों अच्छे दोस्त भी थे. इसके बाद जयंती की अनिल के बाद वेंकटेश से भी दोस्ती हो गई.हालांकि प्रसाद और जयंती का स्वभाव एक दूसरे से एकदम अलग था. दोनों उस मुलाकात के बाद फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे. इस बीच दोनों के बीच दोस्ती प्यार में बदल गई.

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कई साल पहले वेंकटेश प्रसाद कई बार इंटरव्यू में बता चुके हैं कि जयंती को उन्होंने प्रपोज नहीं किया था. इसकी पहल खुद जयंती की ओर से की गई थी. क्योंकि वह काफी शर्मीले स्वभाव के थे. वह जयंती को यह बताने को हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे कि वो उनसे प्यार करते हैं. प्रसाद यह बता चुके हैं कि अगर जयंती भी प्यार का इजहार करने में हिचकिचाती तो शायद आज वो पति पत्नी नहीं होते.

उम्र में जयंती भारतीय पेसर से 9 साल बड़ी थीं. वेंकटेश को इस बात की चिंता थी कि कहीं उनका परिवार उम्र को लेकर मना ना कर दे लेकिन आखिरकार उनकी फैमिली इस शादी के लिए राजी हो गई. दोनों ने 22 अप्रैल 1996 को शादी कर ली. वेंकटेश और जयंती का एक बेटा है जिसका नाम पृथ्वी है. वेंकटेश ने 33 टेस्ट में 96 विकेट चटकाए हैं जबकि 161 वनडे में उनके नाम 196 विकेट दर्ज हैं.

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9 साल बड़ी तलाकशुदा महिला से भारतीय क्रिकेटर ने रचाया था ब्याह

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