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डोनाल्ड ट्रंप की सारी चौधराहट निकल जाएगी, तैयार है भारत का प्लान; पर्दे के पीछे चल रहे एक्शन को समझिये – america president donald trump tariff war india prepare action plan inside story

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Tariff War: डोनाल्ड ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद आक्रामक तरीके से अपनी नीतियों को अमल में ला रहे हैं. इसके तहत उन्होंने टैरिफ वॉर छेड़ दिया है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से निपटने के लिए भारत ने अपना प्लान तैयार कर लिया है.
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर छेड़ रखा है
- भारत ने अपना प्लान तैयार कर लिया
- चीन और कनाडा का जवाबी एक्शन
नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, कई ऐसी घोषणाएं की हैं जिनका पूरी दुनिया पर असर पड़ रहा है. खासकर उनके टैरिफ वॉर ने दुनियाभर के देशों को हिला कर रख दिया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने सीधे तौर पर कहा है कि जो भी देश अमेरिकी सामान पर जितना इंपोर्ट टैरिफ लगाएगा, उनकी ओर से भी उतना ही शुल्क लगाया जाएगा. ट्रंप सरकार के इस रवैये से कई देश खासकर डेवलपिंग कंट्रीज पर व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका गहराने लगी है. उन्होंने भारत को लेकर भी कई बार मुखर होकर बयान दिया है, ऐसे में यहां भी असर पड़ने की बात कही जाने लगी है. भारत बड़ी मात्रा में अपने प्रोडक्ट अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है, लिहाजा ज्यादा टैरिफ लगाने से निगेटिव असर पड़ने के आसार गहराने लगे हैं. तमाम आशंकाओं के बीच भारत ने पुख्ता प्लान तैयार कर लिया है, जिससे ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर इंडिया पर मामूली तौर पर पड़ने की संभावना है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बड़ा बयान दिया है. उनसे जब भारत की ओर से टैरिफ घटाने के राष्ट्रपति ट्रंप के दावे पर सवाल पूछा गया ता उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर फिलहाल दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. विक्रम मिसरी ने कहा, ‘ट्रेड और टैरिफ को लेकर अमेरिका से जिस तरह की बातें आ रहीं हैं, उसपर यही कहा जा सकता है कि इन मसलों पर अपने तरीके से चर्चा चल रही है. जाहिर है कि अलग-अलग देश इस पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देंगे. हम भी इस बारे में विचार कर रहे हैं. हाल के दिनों में हम कई देशों के साथ बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर वार्ता कर रहे हैं और अमेरिका से भी बातचीत अभी जारी है.’
भारत का प्लान
सूत्रों ने बताया कि फरवरी 2025 में भारत और अमेरिका ने पारस्परिक रूप से लाभकारी बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने पर सहमति व्यक्त की थी. पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सीनियर रिप्रेजेंटेटिव को नामित करने पर सहमति व्यक्त की थी. उन्हें बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन को गहरा करने की दिशा में काम करना था. इसके अनुसार, कॉमर्स और इंडस्ट्री मामलों के मिनिस्टर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 3-6 मार्च 2025 तक वाशिंगटन का दौरा किया. इसने अमेरिकी वाणिज्य सचिव, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि और उनकी टीमों के साथ बातचीत की. पीएम मोदी की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान टैरिफ और व्यापार के अन्य पहलुओं पर मुख्य रूप से चर्चा हुई थी.
टैरिफ पर पहले से ही चल रही है बात
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के अपने-अपने हित हैं. बता दें कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार समझौते के बारे में चर्चा हुई थी. विभिन्न वजहों से इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका था. सूत्रों का कहना है कि चूंकि चर्चा अभी शुरू हुई है, इसलिए इसके ब्योरे के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी. भारत ने हाल ही में संपन्न पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत ऑस्ट्रेलिया, UAE, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे आदि जैसे प्रमुख विकसित देशों के लिए अपने एवरेज टैरिफ को काफी कम कर दिया है. इसी तरह की बातचीत वर्तमान में यूरोपीय संघ और UK सहित अन्य भागीदारों के साथ चल रही है. अमेरिका के साथ चल रही चर्चाओं को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
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March 08, 2025, 23:04 IST
डोनाल्ड ट्रंप की सारी चौधराहट निकल जाएगी, तैयार है भारत का प्लान
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Chandrayaan Blue Ghost Lander: फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने चंद्रमा पर उतारा पहला यान.

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US Moon Landing:अमेरिकी प्राइवेट कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने ब्लू घोस्ट मिशन 1 के तहत चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की. यह भारत के चंद्रयान-3 से अलग है, क्योंकि इसमें कोई रोवर नहीं है. जल्द ही दो और मिशन उतरेंगे.

चांद पर उतरा ब्लू घोस्ट मिशन. (Reuters)
हाइलाइट्स
- अमेरिकी कंपनी ने ब्लू घोस्ट लैंडर चांद पर उतारा
- ब्लू घोस्ट में कोई रोवर नहीं है
- दो और मिशन जल्द ही चांद पर उतरेंगे
वॉशिंगटन: आसमान में दिखने वाला चमकदार चांद हमेशा इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. यही कारण है कि वैज्ञानिकों को यहां पहुंचने की चाहत रही है. दुनिया में पांच देश भारत, अमेरिका, रूस, चीन और जापान ही चांद पर जा सके हैं. रविवार को अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी ने चंद्रमा पर अपना पहला अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारा, जो विज्ञान के लिए एक बड़ी कामयाबी है. फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ब्लू घोस्ट मिशन 1 स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8:34 बजे मॉन्स लैट्रेल के पास उतरा. यह चंद्रमा के उत्तर-पूर्वी भाग में मारे क्रिसियम में एक ज्वालामुखीय संरचना है. एयरक्राफ्ट के लैंड होते ही मिशन टीम में खुशी की लहर दौड़ गई. हालांकि यह कामयाबी वैसी नहीं है, जैसी चंद्रयान-3 मे हासिल की थी, लेकिन फिर भी यह एक बड़ा कदम है.
गोल्डेन लैंडर का आकार एक छोटी कार के बराबर है जो 15 जनवरी को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था. चंद्रमा की यात्रा के दौरान इसने धरती और चांद की कई शानदार तस्वीरें खींची. भारत के चंद्रयान 3 मिशन से अगर इसकी तुलना करें तो बेहद फर्क है. सबसे बड़ा फर्क यही है कि चंद्रयान को भारत सरकार की फंडिंग से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान ने विक्रम लैंडर के साथ में प्रज्ञान नाम का रोवर भी भेजा था, जो चंद्रमा की सतह पर चला. लेकिन गोल्डेन लैंडर में कोई भी रोवर नहीं है. इसके अलावा भारत ने वह कारनामा कर दिखाया था, जो उससे पहले कोई नहीं कर पाया.
भारत ने किया था बड़ा कारनामा
भारत का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था. यहां लैंडिंग करवाना बेहद मुश्किल होता है. इसके अलावा यह वह क्षेत्र है, जहां पानी की मौजूदगी होने की संभावना है. ब्लू घोस्ट में 10 उपकरण हैं, जिनमें एक चंद्रमा के मिट्टी का विश्लेषण करने वाला यंत्र भी शामिल है. 14 मार्च को एक पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस दौरान उम्मीद है कि यह शानदार तस्वीरें कैप्चर करेगा. इससे पहले फरवरी 2024 में अमेरिका की एक कंपनी का लैंडर बहुत तेजी से नीचे आया था. तब इसका एक पैर फंस गया और पलट गया, जिससे मिशन लगभग फेल ही हो गया.
दो और मिशन के उतरने की तैयारी
ब्लू घोस्ट की सफल लैंडिंग के बाद चांद पर दो और मेहमान पहुंचने वाले हैं. आने वाले हफ्तों में चांद पर दो और मिशन उतरेंगे. इंटुएटिव मशीन्स का एथेना और जापानी प्राइवेट मिशन रेजिलिएंस हकुतो-आर2 अगले लैंडर में से हैं, जिनके उतरने की उम्मीद है. स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए 26 फरवरी, 2025 को एथेना लॉन्च किया गया था. इंट्यूएटिव मशीन्स का यह दूसरा चंद्र मिशन है. इसके 6 मार्च को उतरने की उम्मीद है. एथेना दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरने की कोशिश करेगा, जहां भारत पहले ही उतर चुका है.
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March 03, 2025, 16:11 IST
चंद्रयान की बराबरी नहीं कर पाया अमेरिका का ब्लू घोस्ट लैंडर, समझें किसमें चूका
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डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी संसद में संबोधन: क्या कहेंगे ट्रंप?Trump big speech tonight causes global stir

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डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक रहस्यमयी मैसेज लिखा, जिसमें कहा गया है कि कुछ बड़ा होने वाला है. इसके बाद से पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संसद को संबोधित करने वाले हैं.
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर रहस्यमयी पोस्ट किया.
- डोनाल्ड ट्रंप संसद में देने वाले हैं भाषण, जो काफी महत्वपूर्ण.
- ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को सैन्य मदद रोकने पर विचार कर रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देर शाम अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ट्रुथ सोशल पर लिखा, आज रात बहुत खास होगी. मैं आपको वही बताऊंगा जो सच है! दरअसल, ट्रंप अमेरिकी संसद को संबोधित करेंगे. हालांकि यह आधिकारिक तौर पर ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण नहीं होगा, जो राष्ट्रपति आमतौर पर एक साल पूरे होने पर देते हैं, लेकिन यह ट्रंप के लिए इस साल जनवरी में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहला बड़ा भाषण होगा. इसलिए पूरी दुनिया में उनके पोस्ट के बाद से खलबली मची हुई है.
फॉक्स न्यूज़ से बात करते हुए, रिपब्लिकन स्पीकर माइक जॉनसन ने कहा कि आम तौर पर कोई भी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के इस समय पर ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण नहीं देता, लेकिन “यह असल में ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ भाषण जैसा ही होगा”. उन्होंने दावा किया कि ट्रंप ने “अमेरिका को फिर से मजबूत बनाया है”.
क्या कहेंगे साफ नहीं
यह अभी तक साफ नहीं है कि ट्रंप अपने भाषण में क्या कहेंगे. खासकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ हुए विवाद के बाद, उनका रुख क्या होगा. ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर “तीसरे विश्व युद्ध को दांव पर लगाने” का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्होंने पुतिन के हमले से अपने देश की रक्षा में अमेरिका द्वारा दी जा रही मदद के लिए पर्याप्त आभार नहीं जताया.
यूरोप के देश एकजुट
इस विवाद के बाद, यूरोपीय नेताओं ने इस हफ्ते लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा आयोजित एक बैठक में हिस्सा लिया. ब्रिटेन और फ्रांस ने शांति समझौते का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि इसके साथ अमेरिका द्वारा सुरक्षा गारंटी भी होनी चाहिए. आज की रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रंप प्रशासन व्लादिमीर पुतिन के रूस से लड़ाई में यूक्रेन को सैन्य मदद भेजने से रोकने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ पर लिखा…
क्यों और कब हुआ विवाद
यह सब तब हुआ जब पिछले हफ्ते ज़ेलेंस्की वाशिंगटन में एक खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करने आये थे, जो आगे चलकर अमेरिकी सैन्य सहायता के बदले प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों का आदान-प्रदान करता. ट्रंप और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ तनावपूर्ण बातचीत के बाद यूक्रेनी नेता ने इस सौदे पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. विवाद के कारण यात्रा को छोटा कर दिया गया और सौदे पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए.
क्या संकेत
कुछ संकेत मिले हैं कि ट्रंप अभी भी इस सौदे को मंजूरी देने के लिए दबाव बना सकते हैं. उन्होंने अपनी एक पुरानी पोस्ट को दोबार शेयर किया है जिसमें कहा गया था कि ट्रंप शतरंज के खेल में हर किसी से “10 कदम आगे” हैं. ट्रुथ सोशल पर ट्रंप की अन्य टिप्पणियों में शामिल इस पोस्ट में कहा गया था कि “ट्रंप असल में अमेरिका को युद्ध में घसीटे बिना यूक्रेन की रक्षा कर रहे हैं… खनिज सौदे पर बातचीत करके, ट्रंप यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अमेरिका यूक्रेन के खनन उद्योग में शामिल होगा. यह रूस को हमला शुरू करने से रोकेगा, क्योंकि यूक्रेन पर हमला करने का मतलब होगा अमेरिकी जान को खतरे में डालना.”
जेलेंस्की ने क्या कहा
इस बीच, ज़ेलेंस्की ने आज कहा कि रूस शांति नहीं चाहता, जबकि ट्रंप ने पहले कहा था कि उन्हें लगता है कि पुतिन युद्ध को खत्म होते देखना चाहते हैं. एक सोशल मीडिया पोस्ट में, ज़ेलेंस्की ने “रूसी हमले को असंभव बनाने” के लिए “हमारी वायु रक्षा को मजबूत करने, हमारी सेना का समर्थन करने और प्रभावी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने” का आह्वान किया.
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March 03, 2025, 21:56 IST
कुछ बड़ा होने वाला है… ट्रंप ने सोशल मीडिया में लिखा रहस्यमयी पोस्ट
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अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन और कनाडाई पीएम पीयरसन की 1965 की विवादित मुलाकात

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अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की के साथ जो बर्ताव किया, वो शिष्टाचार से परे था. हालांकि अमेरिका में कई ऐसे प्रेसीडेंट हुए हैं, जिन्होंने मेहमानों के …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- अमेरिकी प्रेसीडेंट जॉनसन को कनाडा के पीएम का आलोचना करने वाला भाषण रास नहीं आया
- तब अमेरिका ने वियतनाम में अपनी फौजें भेजकर आक्रामक कार्रवाई की थी
- कनाडा के पीएम के साथ यूएस प्रेसीडेंट का व्यवहार शिष्टाचार की सारी सीमाएं तोड़ने वाला था
ये वाकया 1965 का है. जब तत्कालीन अमेरिकी प्रेसीडेंट लिंडन बी. जॉनसन ने कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन को अपने ऑफिस में दीवार की ओर ऐसा धक्का दिया कि उनको सिर में चोट लगते लगते बची. आक्रामक भाषा का इस्तेमाल करते हुए धमकी दी. पीयरसन अवाक रह गए कि ये क्या हो रहा है. क्या कोई अमेरिकी प्रेसीडेंट ऐसा भी कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपतियों का दूसरे नेताओं के साथ व्यवहार हमेशा सौहार्दपूर्ण नहीं रहा है और कुछ मामलों में कूटनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को पार कर गया.
– निक्सन का व्हाइट हाउस उनकी असभ्य भाषा को लेकर कुख्यात था, उनके समय में व्हाइट हाउस में सबसे ज्यादा नस्लीय, सेक्सिट और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल वहां हुआ
– लिंडन जानसन इतने आक्रामक थे कि सही मायने में व्हाइट हाउस के लोग उनसे अपनी इज्जत को लेकर घबराते थे. वो धमकाते और गालियां देते थे.
– डोनाल्ड ट्रंप सोशल मीडिया और भाषणों में बहुत असभ्य भाषा का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने दिखा दिया कि शिष्टाचार की परवाह नहीं करते
– जॉन एफ. कैनेडी (1961-1963) के दौर में व्हाइट हाउस में निजी जीवन में असभ्यता थी. वह महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक व्यवहार करते थे.
तो आप समझ गए होंगे कि व्हाइट हाउस में शिष्टाचार हमेशा बरकरार नहीं रहा है. अब जानते हैं कि वो पूरा मामला क्या था, जब 1965 में जानसन में व्हाइट हाउस में मेहमान के तौर पर आए कनाडा के प्रधानमंत्री को धक्का दिया और अपशब्द कहे.अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन (Lyndon B. Johnson) और कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन (Lester B. Pearson) में इस मीटिंग की चर्चा बड़ी हैरानी के साथ पूरी दुनिया में हुई.

कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन ने एक भाषण में अमेरिका की आलोचना की और कहा कि अमेरिका को वियतनाम से फौजें हटा लेनी चाहिए. ये बात अमेरिकी प्रेसीडेंट जॉनसन को बहुत बुरी लग गई. (wiki commons)
अमेरिका तब वियतनाम युद्ध में उलझा हुआ था
1960 के दशक में अमेरिका वियतनाम युद्ध में गहराई से उलझ चुका था. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन चाहते थे कि उनके सहयोगी देश इस युद्ध का समर्थन करें. कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन इस युद्ध के सख्त खिलाफ थे. कनाडा ने वियतनाम में शांति वार्ता का सुझाव दिया, जो अमेरिका की आक्रामक नीति के खिलाफ था.
कनाडा के प्रधानमंत्री ने भाषण में अमेरिका की आलोचना की
पीयरसन ने एक भाषण में अमेरिका की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका को वियतनाम से धीरे-धीरे अपनी सेना हटानी चाहिए. एक कूटनीतिक हल निकालना चाहिए. जॉनसन को इस भाषण पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि वो चाहते थे कि कनाडा अमेरिका का पूर्ण समर्थन करे.
29 अप्रैल 1965 को कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन वाशिंगटन डी.सी. में थे. पीयरसन को पता था कि उनका भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति को नाराज कर सकता है, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वे जॉनसन से इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं.

जब कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन व्हाइट हाउस में पहुंचे तो जॉनसन गुस्से में भरे हुए थे. उन्होंने बातचीत के बीच में उन्हें पकड़ा और दीवार की ओर धक्का दे दिया. पीयरसन हतप्रभ रह गए. (file photo)
गुस्से में दीवार की तरफ धक्का दे दिया
पीयरसन को व्हाइट हाउस में जॉनसन से मिलने बुलाया गया. जॉनसन पहले से ही गुस्से में थे. जब पीयरसन व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस पहुंचे, तो बातचीत के बीच में ही जॉनसन ने उन्हें अचानक पकड़कर दीवार की तरफ धक्का दे दिया. फिर बहुत गुस्से में बोले:
“You don’t come into my damn backyard and piss on my rug.” (मतलब: “तुम मेरे घर आकर मेरे कालीन पर पेशाब नहीं कर सकते!”)
पीयरसन हैरान रह गए, जॉनसन चिल्लाते रहे
पीयरसन इस हमले से हैरान रह गए. सकते में आ गए. जॉनसन उन्हें घूरते हुए चिल्लाते रहे. उनके भाषण को ‘बेवकूफी भरा और अपमानजनक’ बताया.कनाडा के प्रधानमंत्री पीयरसन उस समय 69 साल के थे. वह स्वभाव से शांत नेता थे. उन्होंने जॉनसन को किसी तरह शांत करने की कोशिश की. कहा कि वह केवल शांति स्थापित करने का सुझाव दे रहे थे, अमेरिका की आलोचना नहीं कर रहे थे.
कनाडा – अमेरिका में तनाव बढ़ गया
हालांकि, इस घटना के बाद कनाडा और अमेरिका के संबंधों में कुछ समय के लिए तनाव बढ़ गया. जॉनसन अपनी गुस्सैल और आक्रामक प्रवृत्ति के लिए बदनाम थे. वह “The Johnson Treatment” नाम की एक रणनीति अपनाते थे, जिसमें वे अपने विरोधियों को शारीरिक दबाव और धमकी देकर डराने की कोशिश करते थे. लंबे कद के जानसन अक्सर अपनी ऊंचाई (6 फीट 4 इंच) और विशाल शरीर का इस्तेमाल करते हुए दूसरों को डराते थे.
पीयरसन ने इसे विवाद नहीं बनाया
ये घटना बताती है कि जॉनसन सत्ता के नशे में कितने आक्रामक और असभ्य हो सकते थे. हालांकि पीयरसन ने इसे सार्वजनिक रूप से कभी विवाद नहीं बनाया, जिससे यह मामला बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा. यह अमेरिकी इतिहास की उन घटनाओं में एक है जहां एक राष्ट्रपति ने खुलेआम अपनी नाराजगी दिखाने में शिष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दीं!.
जॉनसन मंत्रियों और स्टाफ से अभद्रता से बोलते थे
जॉनसन अपने कर्मचारियों और मंत्रियों के साथ अभद्र भाषा बोलते थे. अक्सर “Goddamn,” “Bullshit,” और “Son of a Bitch” जैसी गालियों का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने अपने स्टाफ से टॉयलेट में बैठकर भी बात करने की आदत बना रखी थी, जो बेहद असभ्य और असम्मानजनक माना जाता था.
अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों का खराब व्यवहार
अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भी अलग-अलग संदर्भों में अन्य राष्ट्रप्रमुखों के साथ अपमानजनक, असंवेदनशील, या धमकी भरा व्यवहार किया.
1. रिचर्ड निक्सन और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (1971)
– निक्सन ने इंदिरा गांधी के प्रति अवमाननापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया. पाकिस्तान पर हमला नहीं करने के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की. उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर के साथ बातचीत में गांधी के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी रिकॉर्ड किया गया.
निक्सन ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी को “Witch” (डायन)” और “Old Bitch” (बूढ़ी कुतिया) कहा. भारत को “गंदा देश” और “भिखारियों का देश” कहा. यह बातें उनकी गुप्त व्हाइट हाउस रिकॉर्डिंग्स (जो 2005 में सार्वजनिक हुईं) से सामने आईं.
2. जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल (2006)
एक बार बुश ने जी8 सम्मेलन के दौरान मर्केल के कंधों पर अचानक हाथ रख दिया, जिससे वह असहज हो गईं. यह हरकत उस समय कई लोगों को अजीब और गलत लगी.
3. बराक ओबामा और रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (2012)
ओबामा ने मेदवेदेव से ऑफ-द-रिकॉर्ड बातचीत में कहा था कि “वह पुतिन के साथ अधिक लचीलापन दिखा सकते हैं” यदि वह फिर से चुने जाते हैं. यह बयान बाद में विवाद का कारण बना.
4. जॉन एफ. कैनेडी और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव (1961)
विएना शिखर सम्मेलन के दौरान कैनेडी और ख्रुश्चेव के बीच तीखी बातचीत हुई. दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं वाली स्थिति आ गई. कैनेडी ने बाद में माना कि यह बैठक उनके लिए बहुत कठिन रही.
कैनेडी ने व्हाइट हाउस में एक सेक्स स्कैंडल को छिपाने के लिए गालियों और धमकियों का इस्तेमाल किया था. उनके बारे में कहा जाता है कि वे महिला कर्मचारियों से बेहद अभद्र भाषा में बात करते थे.
5. थियोडोर रूजवेल्ट (1901-1909)
रूजवेल्ट की विदेश नीति का मूल मंत्र था कि “धीरे से बोलो, लेकिन हाथ में डंडा रखो.” वह अपने भाषणों में गुस्सैल और हिंसात्मक भाषा का इस्तेमाल करते थे.
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