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ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत? क्या कहता है वेटलिफ्टिंग का नियम

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Weightlifter died viral video: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें यष्टिका आचार्य वेटलिफ्टिंग करती नजर आ रही है. लेकिन वह जैसे ही वजन उठाती है उनका गर्दन टूट जाता है.

ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत?
नई दिल्ली. 25 साल पहले करनम मलेश्वरी ने भारत को सिडनी ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. भारत की ओर से इतने बड़े मंच पर वेटलिफ्टिंग में गोल्ड दिलाने वाली वह पहली महिला थी. उनसे प्रेरित होकर कई युवा वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने की सोचते हैं. ऐसा ही कुछ बीकानेर की यष्टिका आचार्य ने सोचा होगा. लेकिन उन्हें क्या पता था कि करियर के शुरुआत में ही उनकी मौत हो जाएगी.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें यष्टिका आचार्य वेटलिफ्टिंग करती नजर आ रही है. लेकिन वह जैसे ही वजन उठाती है उनका गर्दन टूट जाता है और उनकी मौत हो जाती है. वीडियो काफी दिल दहला देने वाला था. तो आखिर यष्टिका आचार्य से कहां गलती हो गई. आइए जानते हैं वेटलिफ्टिंग कैसे करना चाहिए और इसके क्या नियम है?
ओलंपिक डॉट कॉम की वेबसाउट के अनुसार, “क्लीन एंड जर्क में, वेटलिफ्टर को सबसे पहले बारबेल को उठाकर अपनी छाती (क्लीन) तक लानी होती है. फिर उन्हें एक सीधी कोहनी के साथ अपने सिर से ऊपर उठाने के लिए अपनी बाहों और पैरों को थामना होता है. अगर आपका शरीर इस दौरान बैलेंस नहीं होता है तो इससे शरीर की मांशपेशियों में खिंचाव बढ़ सकता है जिससे मौत हो सकती है.
ज्यादा वजन उठाने से मौत क्यों हो जाती है?
अगर कोई रेसलर अधिक वजन उठाता है तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे शरीर मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. इसके अलावा दिल की नसों में क्रैक आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो शरीर की नसें फट जाती है और वजन उठाने वाले इंसान की सेंकेंड्स में ही मौत हो जाती है.
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 20, 2025, 08:22 IST
ज्यादा वजन उठाने से यष्टिका की कैसे हो गई मौत? क्या कहता है वेटलिफ्टिंग नियम
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मध्य प्रदेश की बेटियों का कमाल, नेशनल गेम्स में जीता ब्रॉन्ज मेडल, मंत्री ने दी बधाई

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विदिशा की दो बेटियों ने 38वें नेशनल गेम्स उत्तराखंड में जीते मध्यप्रदेश के लिय ब्रॉन्ज मेडल जीते. विदिशा से डोली मालवीय और लक्ष्या शर्मा ने जीता कांस्य मेडल अपने नाम किए.

मध्य प्रदेश की बेटियों का कमाल.
नई दिल्ली. विदिशा की दो बेटियों ने 38वें नेशनल गेम्स उत्तराखंड में जीते मध्यप्रदेश के लिय ब्रॉन्ज मेडल जीते. 9 वे दिन ताइक्वांडो खेल में मध्य प्रदेश की मेडल तालिका में दो कांस्य मेडल जुड़े. मंत्री विश्वास सारंग ने सोशल मीडिया के माध्यम से मेडल विजेताओं को बधाई दी. विदिशा से डोली मालवीय और लक्ष्या शर्मा ने जीता कांस्य मेडल अपने नाम किए.
28 जनवरी से उत्तराखंड में चल रहे 38वें नेशनल गेम्स में 9वें दिन हल्द्वानी में ताइक्वांडो प्रतियोगिता प्रारंभ हुई. जिसमें विदिशा की लक्ष्या शर्मा 57 किलो ग्राम भार वर्ग में और डोली मालवीय 46 किलोग्राम भार वर्ग में मध्य प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य मेडल जीत कर मध्य प्रदेश की मेडल तालिका में बढ़ोतरी की.
दोनों ही बालिकाओं ने विदिशा से ताइक्वांडो खेल की शुरुआत की और अभी मध्य प्रदेश ताइक्वांडो अकादमी भोपाल में अभ्यास कर रही हैं. उनकी उपलब्धि पर मध्य प्रदेश खेल मंत्री विश्वास सारंग ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दी.
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 07, 2025, 10:21 IST
मध्य प्रदेश की बेटियों का कमाल, नेशनल गेम्स में जीता ब्रॉन्ज मेडल
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बलिया की पलक गुप्ता: 14 साल की कराटे चैंपियन, 25 से अधिक मेडल विजेता

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बलिया की 14 वर्षीय पलक गुप्ता ने कराटे में 25 से अधिक मेडल जीते हैं. भाई से प्रेरित होकर कराटे शुरू किया और दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी में सर्वश्रेष्ठ फाइटर बनीं. माता-पिता और कोच का भी रहा योगदान.

कमाल की है ये बलिया कराटा खिलाड़ी पलक गुप्ता…
हाइलाइट्स
- बलिया की पलक गुप्ता ने कराटे में 25 से अधिक मेडल जीते.
- भाई से प्रेरित होकर पलक ने कराटे में कदम रखा.
- पलक ने दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी में सर्वश्रेष्ठ फाइटर टाइटल जीते.
बलिया: जब दिल में कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो उम्र भी कोई मायने नहीं रखती. इसी की एक मिसाल है बलिया की रहने वाली 14 साल की एक बेटी जिसने अपने हुनर से इतिहास रचने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया है. हम बात कर रहें हैं बलिया जिले के चंद्रपुरा गांव की रहने वाली पलक की जिन्होंने कराटे के क्षेत्र में न केवल जिले में बल्कि, राज्य में भी अपनी अलग पहचान बनाकर 25 से अधिक मेडल अपने नाम किए हैं. पलक गुप्ता ने बताया की अपने भाई से प्रेरित होकर उन्होंने कराटे की दुनिया में अपना कदम रखा. कहा इसके अलावा आज के दौर में खुद को सुरक्षित रखने के लिए भी उन्होंने कराटे पर फोकस किया. उन्होंने कहा की सभी को कराटे सीखने चाहिए, क्योंकि इसके कई लाभ है.
उपलब्धियों की भंडार बन चुकी हैं बलिया की पलक
पलक ने भाई से प्रेरित होकर कराटे की दुनिया में अपना कदम रखा और अब अपनी मेहनत से इस फील्ड में उन्होंने अपने भाई को भी पछाड़ दिया है. पलक ने अब तक दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी में 2 बार सर्वश्रेष्ठ फाइटर में जीत हासिल की इसके अलावा उन्होंने 3 बार बलिया का बेस्ट फाइटर टाइटल भी अपने नाम किया है. इसके अलावा एसजीएफआई कांस्य पदक विजेता, सीआईएससीई राष्ट्रीय में 2 बार स्वर्ण पदक विजेता के साथ ही राज्य स्वर्ण पदक विजेता जैसे कई टाइटल अपने नाम कर जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक अपना परचम लहराया है.
ऐसे करती है ट्रेनिंग
पलक सुबह मॉर्निंग में वर्कआउट करने के बाद गांव से कराटे क्लब में आकर ट्रेनिंग करती थी. पलक ने कहा की उनकी इस सफलता में माता-पिता के साथ ही उनके कोच सुमित पाठक का भी बहुत बड़ा योगदान है.
Ballia,Uttar Pradesh
February 07, 2025, 11:33 IST
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हसीन खान: यूपी हैंडबॉल टीम के हीरो, ऋषिकेश में जीता ब्राउन मेडल

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उत्तर प्रदेश के बस्ती में रहने वाले हसीन खान ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में आयोजित ऑल इंडिया 38वें नेशनल ओलंपिक हैंडबॉल खेल में यूपी टीम को ब्राउन मेडल दिलाया. उनका अगला लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतन…और पढ़ें

नेशनल गेम्स में चमके बस्ती के हसीन ख़ान.
हाइलाइट्स
- हसीन खान ने यूपी को दिलाया ब्राउन मेडल.
- हसीन का अगला लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल.
- हसीन का ऋषिकेश में शानदार प्रदर्शन.
बस्ती: यूपी की हैंडबॉल टीम ने इस बार कुछ खास किया, और इस खास मौके के हीरो बने बस्ती के हसीन खान. जब खेल का मैदान सजा, तो हसीन ने अपनी दमदार परफॉर्मेंस से सबका ध्यान खींच लिया और अपने बेहतरीन हुनर, तेज़ी और शानदार रणनीति की बदौलत उन्होंने यूपी टीम को ब्राउन मेडल तक पहुंचाया.
हम बात कर रहे हैं रुधौली तहसील के सिसवारी खुर्द गांव के रहने वाले हैंडबॉल खिलाड़ी हसीन खान की जिन्होंने हाल ही में उत्तराखंड के ऋषिकेश में आयोजित ऑल इंडिया 38वें नेशनल ओलंपिक हैंडबॉल खेल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से यूपी टीम को ब्राउन मेडल दिलाया.
हसीन खान का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
हसीन खान बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के स्कूल से ही हुई थी. वह बचपन से ही खेलकूद में रुचि रखते थे और अपने गांव के बच्चों के लिए एक प्रेरणा बनना चाहते थे. बताया कि उन्होंने बचपन में ही यह ठान लिया था कि वह किसी बड़े मंच पर देश का नाम रोशन करेंगे और आज वह अपने इसी सपने को साकार कर रहे हैं.
हैंडबॉल की शुरुआत से सफलता तक का सफर
हसीन खान ने अपने खेल की शुरुआत बस्ती जिले के अमर शहीद सत्यवान सिंह स्पोर्ट्स स्टेडियम से की. उन्होंने स्टेट और नेशनल लेवल की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक जीते. वहीं, हाल ही में ऋषिकेश में आयोजित ऑल इंडिया 38वें नेशनल ओलंपिक हैंडबॉल खेल में उत्तर प्रदेश को ब्राउन मेडल दिलाने में उनका अहम योगदान रहा.
हसीन के सफर की शुरुआत
हसीन ने बताया कि उनका यह सफर 2013 में भारतीय सेना खेल कोटे से भर्ती होने के बाद और तेज हुआ, उन्होंने लगातार अपनी फिटनेस और प्रैक्टिस को प्राथमिकता दी और हर प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया. उनका लक्ष्य केवल प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन करना है.
हसीन खान का अगला लक्ष्य क्या है?
हसीन ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है. कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि वह अपनी मेहनत और समर्पण से यह मुकाम जरूर हासिल करेंगे.
Basti,Uttar Pradesh
February 07, 2025, 17:47 IST
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