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जस्टिन ट्रूडो तो बड़े एक्टर निकले…भारत के खिलाफ उगला जहर, अब पद गया तो लगे रोने, कहा- आने वाला वक्त मुश्किल- canada prime minister justin trudeau publicly cry propagate false agenda against india trump tariff war

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Justin Trudeau Cry: भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और विरोध कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को काफी भारी पड़ा है. उन्हें आखिरकार प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा है. अपने विदाई भाषण में पीएम ट्रूडो कैमरे के सामने…और पढ़ें

कनाडा का प्रधानमंत्री छोड़ने के बाद जस्टिन ट्रूडो सार्वजनिक तौर पर रोने लगे. (फोटो: AP)
हाइलाइट्स
- विदाई भाषण में जस्टिस ट्रूडो हुए भावुक
- कहा- कनाडा की जनता को पहले रखा
- भारत के खिलाफ मोल ली थी दुश्मनी
ओटावा. भारत का विरोध कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को काफी भारी पड़ा. ट्रूडो का अपनी ही पार्टी में प्रचंड विरोध होने लगा. आखिरकार उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का ऐलान करना पड़ा. अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी उनका छत्तीस का आंकड़ा है. कुल मिलाकर जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर काफी बुरे मोड़ तक ले आए. अब अपने विदाई भाषण में वह कैमरे के सामने रो पड़े. उन्होंने कहा कि वह हमेशा कनाडा फर्स्ट के सिद्धांत पर काम किया और देश को आगे रखा और कभी उसे झुकने नहीं दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों को लेकर भी उन्होंने देशवासियों और राजनीतिक पार्टियों को आगाह किया. उन्होंने कहा कि आगे आने वाला समय काफी मुश्किल होने वाला है.
जस्टिन ट्रूडो तकरीबन एक दशक तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे. वह अपने विदाई भाषण के दौरान भावुक हो गए और रोने लगे. ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में हर दिन कनाडा की जनता को पहले रखा है और भविष्य में भी वह उन्हें निराश नहीं करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच कनाडा को अब नया प्रधानमंत्री चुनना है. ट्रूडो ने अपने शासनकाल में कनाडा को दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है. एक तरफ अमेरिका का टैरिफ वॉर है तो दूसरी तरफ भारत जैसे उभरते बाजार से कनाडा के रिश्ते तल्ख हो गए हैं. तमाम हालात को देखते हुए कनाडा के नए लीडर के सामने कठिन चुनौतियां होंगी.
NEW: Canadian Prime Minister Justin Trudeau starts crying in front of reporters.
Pathetic.
“I’ve made sure that every single day in this office, I put Canadians first, that I have people’s backs.”
“And that’s why I’m here to tell you all that we got you. Even in the very last… pic.twitter.com/3v2pUrt4EN
— Collin Rugg (@CollinRugg) March 6, 2025
Internattional
यूक्रेन-रूस युद्ध: नाटो से अमेरिका के अलग होने पर जेलेंस्की की रणनीति संकट में

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यूक्रेन पर रूस के हमले की एक वजह वोलोदिमीर जेलेंस्की की नाटो में शामिल होने चाहत भी थी. वह लगातार ही इस सैन्य गठबंधन में होने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि अब डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुए विवाद के बाद एलन मस्क…और पढ़ें

ट्रंप से नोकझोंक के बाद अब मस्क का नाटो पर किया पोस्ट जेलेंस्की के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
हाइलाइट्स
- जेलेंस्की की NATO में शामिल होने की चाहत से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ.
- एलन मस्क ने NATO से अमेरिका के अलग होने का समर्थन किया.
- अमेरिका के हटने से NATO कमजोर होगा, रूस-चीन का प्रभाव बढ़ेगा.
यूक्रेन और रूस के बीच जंग को तीन साल से ज्यादा वक्त हो गया है. इस जंग की एक वजह तो वोलोदिमीर जेलेंस्की की एक चाहत थी… चाहत उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो (NATO) में शामिल होने की… जेलेंस्की चाहते थे कि यूक्रेन भी इन सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने, जबकि व्लादिमीर पुतिन बिल्कुल नहीं चाहते थे कि नाटो रूस के इतने करीब तक पहुंचे. पुतिन ने पहले तो जेलेंस्की को चेताया और नहीं मानने पर यूक्रेन पर धावा बोल दिया. 24 फरवरी 2022 को शुरू हुए इस युद्ध के खत्म होने की फिलहाल तो उम्मीद कम ही दिख रही है. वहीं दूसरी तरफ से जेलेंस्की ने जिस नाटो की चाहत में पुतिन से पंगा मोल ले लिया, अब उसी सैन्य संगठन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी एलन मस्क का बयान…
मस्क ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और नाटो से अमेरिका के अलग होने के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए कहा कि अमेरिका को इन संगठनों से बाहर निकल जाना चाहिए. इससे न केवल नाटो के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि यूक्रेन के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है, जो इस गठबंधन में शामिल होने की लगातार कोशिश कर रहा है.
एलन मस्क ने क्या कहा?
एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा ‘I agree’ यानी मैं सहमत हूं. यह प्रतिक्रिया सीनेटर माइक ली की तरफ से पेश किए गए एक विधेयक पर थी, जिसमें अमेरिका के यूएन और नाटो से पूरी तरह अलग होने का प्रस्ताव है.
क्या अमेरिका सच में NATO से हट सकता है?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार नाटो की फंडिंग को लेकर सवाल उठा चुके हैं. ट्रंप का कहना था कि नाटो में शामिल यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठाना चाहिए.
दरअसल अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा फंडिंग पार्टनर है. यह पूरा सैन्य गठबंधन एक तरह से अमेरिका की सैन्य शक्ति पर ही टिका है. ऐसे में अगर अमेरिका नाटो से हट जाता है, तो इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा.
यूक्रेन और जेलेंस्की के लिए यह क्यों बड़ा झटका?
रूस के खिलाफ जंग लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की सबसे बड़ी रणनीतिक प्राथमिकता नाटो की सदस्यता थी. उनका मानना था कि नाटो में शामिल होकर यूक्रेन को सैन्य सुरक्षा मिलेगी और रूस का प्रभाव कम होगा.
लेकिन अगर अमेरिका NATO से हटता है, तो नाटो की सैन्य ताकत कमजोर हो जाएगी. यूरोपीय देशों को खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी, जिससे वे यूक्रेन को उतनी मदद नहीं कर पाएंगे. रूस के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और सामरिक अवसर बनेगा.
रूस के लिए क्या मायने रखता है यह घटनाक्रम?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुरू से ही नाटो के विस्तार का विरोध करते आए हैं. उनका मानना है कि नाटो का पूर्वी यूरोप में बढ़ता प्रभाव रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है.
- अगर अमेरिका NATO छोड़ता है, तो इसका सीधा फायदा रूस को मिलेगा.
- NATO कमजोर होगा, जिससे रूस-चीन का प्रभाव बढ़ेगा.
- यूरोपीय देशों के पास यूक्रेन को मदद देने के लिए सीमित संसाधन होंगे.
क्या अमेरिका वाकई NATO से अलग होगा?
इस सवाल का जवाब भविष्य की राजनीति और अमेरिकी नीतियों पर निर्भर करेगा. हालांकि पहले डोनाल्ड ट्रंप और अब उनके खासमखान एलन मस्क इसके साफ संकेत दे रहे हैं.
एलन मस्क का यह बयान सिर्फ एक पोस्ट नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत है. अगर अमेरिका नाटो से अलग होता है, तो यह विश्व शक्ति संतुलन को पूरी तरह से बदल सकता है. ऐसे में रूस, चीन और यूरोप का भविष्य भी नए मोड़ पर जा सकता है.
New Delhi,Delhi
March 02, 2025, 16:58 IST
जिसकी चाह में जेलेंस्की ने रूस से लिया पंगा, अब उसी पर खतरा, मस्क की बात समझिए
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जीरो ग्रेविटी में जीरो पॉलिटिक्स! अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स के लिए मदद लेकर पहुंचा रूसी स्पेसक्राफ्ट

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Sunita Williams News: रूसी अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos का स्पेसक्राफ्ट शनिवार को खाना और अन्य सप्लाई लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचा. यह सप्लाई सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर समेत ISS पर मौजूद सभी एस्ट्रो…और पढ़ें

रूस का स्पेसक्राफ्ट Sunita Williams समेत फंसे NASA एस्ट्रोनॉट्स के लिए मदद लेकर पहुंचा.
हाइलाइट्स
- रूसी स्पेसक्राफ्ट ने ISS पर राशन पहुंचाया.
- सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर आठ महीने से ISS पर फंसे हैं.
- Crew 10 टीम 12 मार्च को ISS पर पहुंचेगी.
Science News: दुनिया की राजनीति अंतरिक्ष में नहीं चलती! जहां गुरुत्वाकर्षण शून्य होता है, वहां मानवता सबसे बड़ा धर्म बन जाती है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी ही एक जगह है. वहां कई महीनों से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के दो एस्ट्रोनॉट्स- सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर फंसे हुए हैं. उनके और ISS पर मौजूद अन्य एस्ट्रोनॉट्स के लिए राशन व अन्य सप्लाई भेजने का जिम्मा इस बार रूस का था. रूसी स्पेस एजेंसी Roscosmos का Progress 91 शनिवार को सफलतापूर्वक ISS पर डॉक हुआ. यह यान तीन टन खाना, ईंधन और अन्य जरूरी सामान लेकर पहुंचा. Roscosmos का Progress 91 स्पेसक्राफ्ट अगले छह महीने तक ISS पर डॉक रहेगा. इसके बाद इसमें कचरा भरकर पृथ्वी पर लौटने की योजना है.
आठ महीने से फंसे हैं सुनीता और बुच
NASA के एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर पिछले आठ महीने से ISS पर फंसे हुए हैं. वे 5 जून 2024 को Boeing के Starliner से अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण वापसी संभव नहीं हो सकी. हीलियम लीक और थ्रस्टर मालफंक्शन जैसी समस्याओं ने Starliner को अनसेफ बना दिया. अब, NASA ने कहा है कि दोनों एस्ट्रोनॉट्स की वापसी मार्च के अंत तक हो सकती है. लेकिन यह भी मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा.
Roscosmos Spacecraft Delivers Food & Supplies to Stranded Astronauts Sunita Williams & Butch Wilmore
Zero gravity. Zero geopolitics. The unmanned Progress 91 has successfully docked after blasting off from the Baikonur Cosmodrome.
Three tons of food, fuel and supplies… pic.twitter.com/7GqanieRn5
— RT_India (@RT_India_news) March 2, 2025
Internattional
रोजमेरी चिकन, क्रीम बूली… व्हाइट हाउस का वो लजीज लंच जो जेलेंस्की को नसीब नहीं हुआ

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इस बीच, यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक कमरे में इंतजार कर रहा था, जो विदेशी नेताओं के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है. हालांकि, स्थिति ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया. कोलिन्स ने अपनी पोस्ट में आगे बताया, “आमतौर पर वे दोपहर के भोजन के लिए फिर से मिलते हैं. लेकिन यूक्रेनियन व्हाइट हाउस में भोजन नहीं करेंगे. जैसे ही तैयार भोजन पास के एक गलियारे में ट्रॉलियों पर रखा हुआ था, यूक्रेनियन को वहां से जाने का निर्देश दिया गया.”
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