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खतरनाक जहर! गर्मी आते ही एक्टिव हुए ये 2 खतरनाक सांप, काटने पर तड़प-तड़प कर जाएगी जान, एक्सपर्ट से जानें लक्षण

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Snake News: गर्मियों का मौसम धिरे-धिरे शुरु हो रहा है. इसके साथ ही नींद में सोए 2 बेहद खतरनाक जाग गए हैं, जो गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं.

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आदिवासी

आदिवासी समाज सांपों से बचने के लिए खास पौधे लगाते हैं, जिनकी गंध से सांप घर के पास नहीं भटकते। घोड़बच और ईश्वर मूल जैसे पौधे सांपों को दूर रखने के साथ सर्पदंश में भी कारगर माने जाते हैं। जानिए ये अनोखे उपाय जो सांपों से बचाव में मददगार साबित होते हैं।

हाइलाइट्स

  • गर्मी में कोबरा और रसैल वाइपर सांप सक्रिय हो जाते हैं.
  • कोबरा का जहर न्यूरोटॉक्सिन होता है, जो तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है.
  • रसैल वाइपर का जहर हैमोटोएक्सिन होता है, जो रक्तकोशिकाओं को नष्ट करता है.

खरगोन. गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद अब सांप भी सक्रिय हो गए हैं. खरगोन सहित निमाड़ अंचल की बात करें, तो यहां गर्मी के दिनों में भारत के सबसे जहरीले सांपों की दो प्रजातियां \”कोबरा और रसैल वाइपर\” के काटने के सबसे ज्यादा केस सामने आते हैं. सर्प विशेषज्ञों की माने, तो चार महीने शीत निद्रा से जागने के बाद यह सांप अफिर से एक्टिव हो गए हैं और भोजन की तलाश में खेत खलियानों, रहवासी इलाकों या कई बार घरों के अंदर तक भी यह सांप घुस जाते हैं, जिसे खुद को बचाना एक चुनौती भरा काम होता है.

हालांकि, इस समय जहरीले सांपों के अलावा बिना जहर वाले सांपों की संख्या भी बहुतायत में प्रायः देखी जाती है और यह सांप न सिर्फ लोगों के संपर्क में आते हैं, बल्कि खतरा महसूस होने पर फुर्ती से अटैक भी करते हैं. आमतौर पर लोग इस तरह के सांपों के काटने पर भी घबरा जाते हैं और इसी घबराहट की वजह से वह दम तोड़ देते हैं. क्योंकि लोग यह पता नहीं लगा पाते हैं कि जिस सांप ने उन पर अटैक किया है वह जहरीला था या बिना जहर वाला.

गर्मी में किस प्रजाति के सांप देखे जाते हैं?
खरगोन के मंडलेश्वर के निवासी स्नेक एक्सपर्ट एवं स्नेक कैचर महादेव पटेल बताते हैं कि, गर्मी के इस सीजन में मार्च और अप्रैल यह दो महीने ऐसे हैं, जिनमें कोबरा और रसैल वाइपर की प्रजातियां सबसे ज्यादा एक्टिव होती है. यह दोनों ही सांप भारत के सबसे ज्यादा जहरीले सांपों में बिग फोर की सूची में आते हैं. यह इतने जहरीले होते हैं की समय रहते अगर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत निश्चित है. लेकिन, कुछ लक्षणों के आधार पर जहर का पता लगाना आसान हो जाता है.

कोबरा में कौन सा जहर होता है?
यह सांप दिखने में जितने सुंदर और आकर्षक होते हैं, उससे कहीं ज्यादा जहरीला इनका विष होता है. हालांकि, इन दोनों ही सांपों में अलग-अलग प्रकार का जहर पाया जाता है. न्यूरोटॉक्सिन और हिमोटोएक्सिन. इनके लक्षण भी अलग अलग होते है. कोबरा सांप काटने पर न्यूरोटॉक्सिन जहर छोड़ता है. इस जहर का प्रभाव इतना खतरनाक होता है कि, सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे शिकार की मांसपेशियों में पैरालिसिस आ जाता है.

रसैल वाइपर में कौन सा जहर होता है?
जबकि, रसैल वाइपर प्रजाति के सांप काटने पर हैमोटोएक्सिन जहर छोड़ते है. जो कोबरा के एकदम उलट है. इस जहर की वजह से शिकार के शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जो रक्तकोशिकाओं को नष्ट करने लगता है, ओर फिर मांसपेशियां गलने लग जाती है. लेकिन, समय पर इलाज मिल जाए तो इससे बचा जा सकता है.

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गर्मी आते ही एक्टिव हुए ये 2 खतरनाक सांप, काटने पर तड़प-तड़प कर जाएगी जान

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‘हाय कितना क्यूट है ये’, हुडी में लड़का गा रहा था रैप, महफिल लूट गए लाल जैकेट वाले के एक्सप्रेशन

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खूबसूरत वादियों में बैठे हुए एक पीले हुडी वाला बच्चा ‘तू है कहां’ गाने को एक सांस में गा रहा है. बच्चे के टैलेंट का वीडियो तो वायरल हो रहा है लेकिन इसमें महफिल लूटने का काम उसके बगल बैठा दोस्त कर रहा है.

'हाय कितना क्यूट है ये', हुडी में लड़का गा रहा था रैप, महफिल लूट गया दोस्त

बच्चों का क्यूट वीडियो हुआ वायरल. (Credit- Instagram/jp_negi_travelholic )

देश-दुनिया के कोने-कोने में टैलेंट बिखरा हुआ है. पहले जहां हम ज्यादातर लोगों को जान नहीं पाते थे, वहीं सोशल मीडिया के ज़माने में मिनटों में इंसान का टैलेंट पूरी दुनिया में छा जाता है. सिर्फ कुछ सेकंड का वीडियो वायरल हो जाता है और जिसे कोई नहीं जानता था, उसे हर कोई जान जाता है. इस वक्त एक ऐसा ही छोटे बच्चे का वीडियो वायरल हो रहा है.

खूबसूरत वादियों में बैठे हुए एक पीले हुडी वाला बच्चा ‘तू है कहां’ गाने को एक सांस में गा रहा है. बच्चे के टैलेंट का वीडियो तो वायरल हो रहा है लेकिन इसमें महफिल लूटने का काम उसके बगल बैठा दोस्त कर रहा है. हिमाचल प्रदेश के एक छोटे बच्चे का वीडियो चर्चा में है, जिसमें वह ज़ैन (ZAYN) के गाने ‘तू है कहां’ को गा रहा है.

महफिल लूट गया ‘दोस्त’
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छोटा सा बच्चा ‘Tu Hai Kahan’ गा रहा है. वहीं उसके साथ उसका दोस्त भी लाल रंग की जैकेट पहनकर बैठा हुआ है. लोगों को मासूम बच्चे का ये अंदाज इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे वीडियो का बेस्ट पार्ट बताया है. बच्चा अपने दोस्त को हाइप करने के लिए इतने ज़बरदस्त एक्सप्रेशन दे रहा है कि देखने वाले बिना उसे प्यार किए नहीं रह पाएंगे.

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जिम में ही कसरत करते हुए कर सकेंगे सालसा डांस, नहीं देनी होगी अलग से फीस, मशीन ने दिया आइडिया!

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gym salsa machine: एक अनोखे वीडियो में जिम में कसरत कर रहा शख्स सालसा डांस करता दिख रहा है. लोगों को इस तरह की मशीन खूब पसंद आई है. कोई इसे डांस करने के लिए हासिल करना चाहता है तो कोई कमर और पीठ दोनों की कसरत क…और पढ़ें

जिम में कसरत करते हुए कर सकेंगे सालसा डांस, कमर पीठ की भी होगी वर्जिश, मशीन ने

लोगों को यह मशीन कई कारणों से पसंद आ रही है. (तस्वीर: Instagram video grab)

क्या आप जिम में कसरत करने से बोर हो जाते हैं? या क्या आपको जिम और डांस में से किसी एक को चुनना पड़ रहा है? क्या आप चाहते हैं कि जिम में कसरत करते हुए डांस भी कर सकें? लेकिन उसके लिए आपको अलग से पैसे ना देने पड़ें?  सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो ने आपकी ऐसी समस्याओं का अनूठा हल निकाला है. इसमें एक ऐसी मशीन दिखाई गई है जिसमें जिम में कसरत करते समय ही आपकी डांस करने की हसरत पूरी हो सकती है. डांस भी ऐसा वैसा नहीं, मशीन आपको सालसा डांस कराएगी.

बिलकुल सालसा डांस!
जी हां जिम कि इस मशीन को ऐसा डिजाइन किया गया है जिसमें एक शख्स वैसे तो जिम में साइकिल मशीन की तरह पैर चला रहा है. लेकिन उसके शरीर की गतिविधि सालसा डांस के स्टेप्स की तरह दिखाई देती है. बैकग्राउंड म्यूजिक भी वीडियो में ऐसा तड़का लगा रहा है कि अगर गौर से ना देखा गया तो लगेगा कि कोई सालसा डांस ही कर रहा है.

कैसे काम करती है ये मशीन?
वीडियो में एक शख्स जिम में एक अनोखी मशीन पर पैर चला रहा है जिसके साथ उसके शरीर के मूवमेंट्स डांस की तरह लग रहे हैं. साइकिल मशीन में पैडल आम साइकिल के तरह आगे पीछे चलते हैं, लेकिन इस मशीन में पैडल की दिशा कुछ अलग है. इसमें आपको पैडल दायें से बायें घुमाने होंगे. बाकी मशीन का हिस्सा एक स्टेशनरी साइकिल की तरह है.

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OMG! ना ईंट-ना सीमेंट, भारत में खुली अनोखी फैक्ट्री, देख लोग रह गए दंग!

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गुड़गांव की Control Z फैक्ट्री, बांस और मिट्टी से बनी भारत की पहली फैक्ट्री है, जो पुराने फोन को नया बनाती है. फाउंडर युग भाटिया ने इसे सस्टेनेबिलिटी के तहत बनाया.

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बांस

बांस की लकड़ियों और मिट्टी से बनी फैक्ट्री

हाइलाइट्स

  • गुड़गांव में Control Z फैक्ट्री बांस और मिट्टी से बनी है.
  • यह फैक्ट्री मोबाइल रिपेयरिंग का काम करती है.
  • फैक्ट्री पर्यावरण के अनुकूल और सस्टेनेबल मटेरियल से बनी है.

दिल्ली: गुड़गांव में स्थित एक अनोखी फैक्ट्री Control Z इन दिनों काफी चर्चा में है. इस फैक्ट्री की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह बांस और मिट्टी से बनाया गया है. भारत की यह पहली ऐसी फैक्ट्री है, जिसमें किसी भी तरह की ईंट या कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया. खास बात यह है कि यह फैक्ट्री मोबाइल रिपेयरिंग का काम करती है, जहां पुराने फोन को नया बनाया जाता है.

कैसे आया यह अनोखा आइडिया?
Control Z के फाउंडर युग भाटिया ने बताया कि उनका काम सस्टेनेबिलिटी यानी पर्यावरण के अनुकूल समाधान पर आधारित है. वह पुराने फोन खरीदकर उन्हें रिपेयर कर नए जैसे फोन में बदलते हैं. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने फैसला किया कि उनकी फैक्ट्री भी सस्टेनेबल मटेरियल से बनाई जाए.
युग भाटिया ने कहा कि “हम जो काम कर रहे हैं, वह पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक कदम है. हम पुराने फोन को रिसाइकिल कर नया बना रहे हैं, तो क्यों न हमारी फैक्ट्री भी पूरी तरह इको-फ्रेंडली हो? इसी सोच के साथ हमने इस फैक्ट्री को बांस और मिट्टी से बनाने का फैसला किया.”

सबसे बड़ी चुनौती
युग भाटिया ने बताया कि, इस तरह की फैक्ट्री पहले कभी भारत में नहीं बनाई गई थी, इसलिए इसे बनाना एक बड़ी चुनौती थी. सबसे बड़ी दिक्कत मास्टर कारीगरों की कमी थी, क्योंकि इस तरह का निर्माण कार्य केवल पश्चिम बंगाल और असम के कुछ विशेषज्ञ ही कर सकते थे. उन्हें दिल्ली लाकर काम करवाना बेहद मुश्किल था.
इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले बांस की जरूरत थी, जो भारत में सिर्फ नॉर्थ-ईस्ट रीजन में मिलता है. इसे गुड़गांव तक लाना और संरचना तैयार करना भी एक चुनौतीपूर्ण काम था.

कैसा दिखता है यह अनोखा स्ट्रक्चर?
यह पूरी फैक्ट्री लकड़ी और मिट्टी से बनी है. इसकी दीवारें मिट्टी और बांस से बनाई गई हैं, जिससे गर्मी में ठंडक बनी रहती है और सर्दी में गर्माहट मिलती है. इस तरह का निर्माण प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का बेहतरीन उदाहरण है.

सस्टेनेबिलिटी की मिसाल
बांस और मिट्टी से बनी यह फैक्ट्री पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है. यह परियोजना साबित करती है कि यदि सही सोच और प्रयास किए जाएं तो निर्माण के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाए जा सकते हैं. युग भाटिया का यह कदम भारत में सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा देने में एक मिसाल साबित हो सकता है.

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