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कौन है बबलू राजानी? खंडवा के अनोखे समाजसेवी, सोशल मीडिया से करता है समस्याओं का हल

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Khandwa News: खंडवा के समाजसेवी बबलू राजानी ने सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग करते हुए शहरवासियों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाया. उनके प्रयासों से खंडवा में सड़कों का निर्माण हुआ और अन्य प्रशासनिक लापरवाहियों…और पढ़ें

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बबलू

बबलू राजानी अनोखे तरीके से प्रदर्शन करते है जिसे की जनता खुश होती है

हाइलाइट्स

  • बबलू राजानी सोशल मीडिया से खंडवा की समस्याएं सुलझाते हैं.
  • उनके प्रयासों से खंडवा में सड़कों का निर्माण हुआ.
  • राजानी के सोशल मीडिया पर 25-30 हजार फॉलोअर हैं.

खंडवा का अनोखा समाजसेवी. खंडवा में जब भी सामाजिक सेवा की बात आती है, तो एक नाम सबसे पहले जुबान पर आता है—बबलू राजानी. बबलू राजानी ने समाज सेवा का एक नया तरीका अपनाया है, जो न सिर्फ प्रभावी है, बल्कि तेजी से लोकप्रिय भी हो रहा है. सोशल मीडिया के माध्यम से जन समस्याओं को उठाना और प्रशासन तक पहुंचाना बबलू राजानी की खास पहचान बन गई है.

 

बबलू राजानी के सोशल मीडिया पर लगभग 25 से 30 हजार फॉलोअर हैं, और उनके लाइव सेशन को 15 से 20 हजार लोग नियमित रूप से देखते हैं. यह उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता को दर्शाता है.अगर किसी व्यक्ति को किसी विभाग से समस्या होती है या प्रशासनिक लापरवाही का सामना करना पड़ता है, तो बबलू राजानी तुरंत उस मुद्दे को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं और संबंधित अधिकारियों से समाधान की मांग करते हैं. उनके इस प्रयास के चलते कई मामलों में प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी है, जिससे लोगों को राहत मिली है.

 

बबलू राजानी ने बताया कि जब वे भोपाल गए थे, तो उन्होंने स्वच्छता अभियान के तहत हो रही भर्तियों का मुद्दा उठाया था. उनके प्रयासों के बाद ये भर्तियां चालू हो चुकी हैं. इसके अलावा, वे उन अधिकारियों के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं, जो लंबे समय से अपने पद पर जमे हुए हैं और काम में लापरवाही बरत रहे हैं. इसके लिए वे लगातार कागज़ात और सबूत इकट्ठा कर रहे हैं, ताकि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके.

 

खंडवा की कई कॉलोनियों में सड़कें खराब थीं या बिल्कुल नहीं थीं. बबलू राजानी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इन समस्याओं को प्रमुखता से उठाया. उनके प्रयासों से प्रशासन हरकत में आया और अब वहां नई सड़कों का निर्माण शुरू हो चुका है. यह उनकी मेहनत और जनता से जुड़े रहने का नतीजा है.

 

बबलू राजानी का मानना है कि सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है, जिसके ज़रिए जनता की आवाज को प्रशासन तक पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल किया जाए, तो जनहित से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाया जा सकता है. इंस्टाग्राम पर उनके 20,000 फॉलोअर इस बात का प्रमाण हैं कि लोग उनकी बातों पर भरोसा करते हैं और उनसे समाधान की उम्मीद रखते हैं.

 

बबलू राजानी की यह पहल न सिर्फ खंडवा, बल्कि अन्य शहरों के युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही है. उन्होंने यह साबित किया है कि अगर इरादे मजबूत हों और जनता का समर्थन हो, तो सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े से बड़े मुद्दों का समाधान संभव है. उनकी यह अनोखी समाज सेवा की शैली निश्चित रूप से खंडवा के विकास और जनता की भलाई के लिए एक मिसाल बन गई है.

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‘हाय कितना क्यूट है ये’, हुडी में लड़का गा रहा था रैप, महफिल लूट गए लाल जैकेट वाले के एक्सप्रेशन

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खूबसूरत वादियों में बैठे हुए एक पीले हुडी वाला बच्चा ‘तू है कहां’ गाने को एक सांस में गा रहा है. बच्चे के टैलेंट का वीडियो तो वायरल हो रहा है लेकिन इसमें महफिल लूटने का काम उसके बगल बैठा दोस्त कर रहा है.

'हाय कितना क्यूट है ये', हुडी में लड़का गा रहा था रैप, महफिल लूट गया दोस्त

बच्चों का क्यूट वीडियो हुआ वायरल. (Credit- Instagram/jp_negi_travelholic )

देश-दुनिया के कोने-कोने में टैलेंट बिखरा हुआ है. पहले जहां हम ज्यादातर लोगों को जान नहीं पाते थे, वहीं सोशल मीडिया के ज़माने में मिनटों में इंसान का टैलेंट पूरी दुनिया में छा जाता है. सिर्फ कुछ सेकंड का वीडियो वायरल हो जाता है और जिसे कोई नहीं जानता था, उसे हर कोई जान जाता है. इस वक्त एक ऐसा ही छोटे बच्चे का वीडियो वायरल हो रहा है.

खूबसूरत वादियों में बैठे हुए एक पीले हुडी वाला बच्चा ‘तू है कहां’ गाने को एक सांस में गा रहा है. बच्चे के टैलेंट का वीडियो तो वायरल हो रहा है लेकिन इसमें महफिल लूटने का काम उसके बगल बैठा दोस्त कर रहा है. हिमाचल प्रदेश के एक छोटे बच्चे का वीडियो चर्चा में है, जिसमें वह ज़ैन (ZAYN) के गाने ‘तू है कहां’ को गा रहा है.

महफिल लूट गया ‘दोस्त’
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छोटा सा बच्चा ‘Tu Hai Kahan’ गा रहा है. वहीं उसके साथ उसका दोस्त भी लाल रंग की जैकेट पहनकर बैठा हुआ है. लोगों को मासूम बच्चे का ये अंदाज इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे वीडियो का बेस्ट पार्ट बताया है. बच्चा अपने दोस्त को हाइप करने के लिए इतने ज़बरदस्त एक्सप्रेशन दे रहा है कि देखने वाले बिना उसे प्यार किए नहीं रह पाएंगे.

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जिम में ही कसरत करते हुए कर सकेंगे सालसा डांस, नहीं देनी होगी अलग से फीस, मशीन ने दिया आइडिया!

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gym salsa machine: एक अनोखे वीडियो में जिम में कसरत कर रहा शख्स सालसा डांस करता दिख रहा है. लोगों को इस तरह की मशीन खूब पसंद आई है. कोई इसे डांस करने के लिए हासिल करना चाहता है तो कोई कमर और पीठ दोनों की कसरत क…और पढ़ें

जिम में कसरत करते हुए कर सकेंगे सालसा डांस, कमर पीठ की भी होगी वर्जिश, मशीन ने

लोगों को यह मशीन कई कारणों से पसंद आ रही है. (तस्वीर: Instagram video grab)

क्या आप जिम में कसरत करने से बोर हो जाते हैं? या क्या आपको जिम और डांस में से किसी एक को चुनना पड़ रहा है? क्या आप चाहते हैं कि जिम में कसरत करते हुए डांस भी कर सकें? लेकिन उसके लिए आपको अलग से पैसे ना देने पड़ें?  सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो ने आपकी ऐसी समस्याओं का अनूठा हल निकाला है. इसमें एक ऐसी मशीन दिखाई गई है जिसमें जिम में कसरत करते समय ही आपकी डांस करने की हसरत पूरी हो सकती है. डांस भी ऐसा वैसा नहीं, मशीन आपको सालसा डांस कराएगी.

बिलकुल सालसा डांस!
जी हां जिम कि इस मशीन को ऐसा डिजाइन किया गया है जिसमें एक शख्स वैसे तो जिम में साइकिल मशीन की तरह पैर चला रहा है. लेकिन उसके शरीर की गतिविधि सालसा डांस के स्टेप्स की तरह दिखाई देती है. बैकग्राउंड म्यूजिक भी वीडियो में ऐसा तड़का लगा रहा है कि अगर गौर से ना देखा गया तो लगेगा कि कोई सालसा डांस ही कर रहा है.

कैसे काम करती है ये मशीन?
वीडियो में एक शख्स जिम में एक अनोखी मशीन पर पैर चला रहा है जिसके साथ उसके शरीर के मूवमेंट्स डांस की तरह लग रहे हैं. साइकिल मशीन में पैडल आम साइकिल के तरह आगे पीछे चलते हैं, लेकिन इस मशीन में पैडल की दिशा कुछ अलग है. इसमें आपको पैडल दायें से बायें घुमाने होंगे. बाकी मशीन का हिस्सा एक स्टेशनरी साइकिल की तरह है.

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OMG! ना ईंट-ना सीमेंट, भारत में खुली अनोखी फैक्ट्री, देख लोग रह गए दंग!

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गुड़गांव की Control Z फैक्ट्री, बांस और मिट्टी से बनी भारत की पहली फैक्ट्री है, जो पुराने फोन को नया बनाती है. फाउंडर युग भाटिया ने इसे सस्टेनेबिलिटी के तहत बनाया.

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बांस की लकड़ियों और मिट्टी से बनी फैक्ट्री

हाइलाइट्स

  • गुड़गांव में Control Z फैक्ट्री बांस और मिट्टी से बनी है.
  • यह फैक्ट्री मोबाइल रिपेयरिंग का काम करती है.
  • फैक्ट्री पर्यावरण के अनुकूल और सस्टेनेबल मटेरियल से बनी है.

दिल्ली: गुड़गांव में स्थित एक अनोखी फैक्ट्री Control Z इन दिनों काफी चर्चा में है. इस फैक्ट्री की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह बांस और मिट्टी से बनाया गया है. भारत की यह पहली ऐसी फैक्ट्री है, जिसमें किसी भी तरह की ईंट या कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया. खास बात यह है कि यह फैक्ट्री मोबाइल रिपेयरिंग का काम करती है, जहां पुराने फोन को नया बनाया जाता है.

कैसे आया यह अनोखा आइडिया?
Control Z के फाउंडर युग भाटिया ने बताया कि उनका काम सस्टेनेबिलिटी यानी पर्यावरण के अनुकूल समाधान पर आधारित है. वह पुराने फोन खरीदकर उन्हें रिपेयर कर नए जैसे फोन में बदलते हैं. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने फैसला किया कि उनकी फैक्ट्री भी सस्टेनेबल मटेरियल से बनाई जाए.
युग भाटिया ने कहा कि “हम जो काम कर रहे हैं, वह पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक कदम है. हम पुराने फोन को रिसाइकिल कर नया बना रहे हैं, तो क्यों न हमारी फैक्ट्री भी पूरी तरह इको-फ्रेंडली हो? इसी सोच के साथ हमने इस फैक्ट्री को बांस और मिट्टी से बनाने का फैसला किया.”

सबसे बड़ी चुनौती
युग भाटिया ने बताया कि, इस तरह की फैक्ट्री पहले कभी भारत में नहीं बनाई गई थी, इसलिए इसे बनाना एक बड़ी चुनौती थी. सबसे बड़ी दिक्कत मास्टर कारीगरों की कमी थी, क्योंकि इस तरह का निर्माण कार्य केवल पश्चिम बंगाल और असम के कुछ विशेषज्ञ ही कर सकते थे. उन्हें दिल्ली लाकर काम करवाना बेहद मुश्किल था.
इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले बांस की जरूरत थी, जो भारत में सिर्फ नॉर्थ-ईस्ट रीजन में मिलता है. इसे गुड़गांव तक लाना और संरचना तैयार करना भी एक चुनौतीपूर्ण काम था.

कैसा दिखता है यह अनोखा स्ट्रक्चर?
यह पूरी फैक्ट्री लकड़ी और मिट्टी से बनी है. इसकी दीवारें मिट्टी और बांस से बनाई गई हैं, जिससे गर्मी में ठंडक बनी रहती है और सर्दी में गर्माहट मिलती है. इस तरह का निर्माण प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का बेहतरीन उदाहरण है.

सस्टेनेबिलिटी की मिसाल
बांस और मिट्टी से बनी यह फैक्ट्री पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है. यह परियोजना साबित करती है कि यदि सही सोच और प्रयास किए जाएं तो निर्माण के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाए जा सकते हैं. युग भाटिया का यह कदम भारत में सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा देने में एक मिसाल साबित हो सकता है.

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