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इस स्कूल में हर बच्चे का है एक पौधा, बढ़ रही हरियाली की अनोखी परंपरा

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Tree Plantation by Students: छतरपुर जिले के लवकुशनगर के सरकारी स्कूल ने एक अनोखी पहल शुरू की, जहां हर बच्चे के नाम से एक पौधा लगाया जाता है. अब तक 100 से ज्यादा पेड़-पौधे तैयार हो चुके हैं, जिनमें औषधीय, फलदार …और पढ़ें

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शासकीय

शासकीय मॉडल स्कूल स्टॉफ 

हाइलाइट्स

  • हर छात्र के नाम पर एक पौधा लगाया जाता है.
  • स्कूल परिसर में 100 से ज्यादा पौधे हैं.
  • बच्चे खुद पौधों की देखभाल करते हैं.

एक बच्चा, एक पौधा” – यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि छतरपुर जिले के लवकुशनगर के शासकीय मॉडल स्कूल की खूबसूरत परंपरा बन चुकी है यहां हर छात्र के नाम पर एक पौधा लगाया जाता है और उसकी पूरी देखभाल उसी छात्र की जिम्मेदारी होती है इस पहल का असर ये है कि आज स्कूल परिसर 100 से ज्यादा हरे-भरे पौधों से महक रहा है

हर छात्र को दी गई एक पेड़ की जिम्मेदारी
स्कूल के शिक्षक रामदेव बताते हैं कि बच्चों में पर्यावरण प्रेम जागरूक करने के लिए यह पहल शुरू की गई हर पौधे का नाम उस छात्र के नाम पर दर्ज किया जाता है जिसने उसे लगाया हो साथ ही, छात्रों को पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी दी जाती है वे समय-समय पर पौधों में पानी देने, खरपतवार हटाने और कीड़ों से बचाने का काम करते हैं

औषधीय से लेकर फलदार और छायादार वृक्षों की भरमार
यहां हर्र, बहेड़ा और आंवला जैसे औषधीय पौधे लगाए गए हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं वहीं, संतरा, नींबू, आम, अमरूद और केले के पौधे भी बच्चों के नाम से पनप रहे हैं छायादार वृक्षों में अशोक, पीपल, बरगद, कटहल और नीम शामिल हैं, जो गर्मियों में ठंडी छांव देने के लिए तैयार हो रहे हैं

5 साल पहले हुई थी पहल, आज हरियाली की मिसाल बना स्कूल
स्कूल के प्राचार्य शिवकुमार सोनी बताते हैं कि 5 साल पहले पूर्व प्राचार्य केजी शुक्ला ने इस ‘हरि बगिया’ की नींव रखी थी यह पहल इतनी सफल रही कि आज पूरे स्कूल परिसर में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है

“हम चाहते हैं कि बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि प्रकृति से भी जुड़े रहें,” – प्राचार्य सोनी

बच्चे खुद संभालते हैं पौधों की देखभाल
इस स्कूल में पौधों की देखरेख के लिए 80 से अधिक बच्चों को जिम्मेदारी दी गई है वे हर 1-2 दिन के अंतराल पर पौधों की स्थिति की जांच करते हैं इसके लिए एक रजिस्टर तैयार किया गया है, जिसमें यह दर्ज किया जाता है कि किस छात्र का कौन सा पौधा है और उसकी स्थिति क्या है

नए पौधों को भी किया जा रहा शामिल
स्कूल प्रशासन अब इस पहल को और आगे बढ़ाना चाहता है चंदन, गुलमोहर और अन्य दुर्लभ पौधों को बाहर से मंगवाकर तैयार किया जा रहा है

यह पहल क्यों है खास?
बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता बढ़ रही है
स्कूल का वातावरण हरा-भरा और स्वच्छ हो रहा है
बच्चे प्रकृति से जुड़ रहे हैं और पेड़ों के महत्व को समझ रहे हैं
औषधीय और फलदार पौधों से स्कूल को लाभ मिल रहा है

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणादायक कदम
इस स्कूल की हरियाली देखकर अब अन्य स्कूल भी इसी तरह की पहल को अपनाने की योजना बना रहे हैं यह मॉडल न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना भी विकसित कर रहा है

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इस स्कूल में हर बच्चे का है एक पौधा, बढ़ रही हरियाली की अनोखी परंपरा

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घने जंगल में ढूंढना है सांप, वक्त है सिर्फ 7 सेकंड का, मुश्किल है चैलेंज क्या आप कर पाएंगे पूरा?

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आपको जंगल को ध्यान से देखना है और इसमें ढूंढ निकालना है एक सांप. याद रखना है कि इस काम को आपको 7 सेकंड में पूरा कर लेना है. तो आप ये चैलेंज लेना चाहेंगे?

घने जंगल में ढूंढना है सांप, वक्त है सिर्फ 7 सेकंड का, चैलेंज कर पाएंगे पूरा?

तस्वीर में कहां छिपा हुआ है सांप?

कई बार कुछ तस्वीरें ऐसी खिंच जाती हैं कि उसमें होता कुछ है और दिखाई कुछ और देता है. इस तरह की पिक्चर्स की खासियत यही होती है कि आप सही चीज़ तक पहुंच नहीं पाते. इस वक्त भी एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें लोग सांप ढूंढने में परेशान हैं. उन्हें कहीं भी सांप दिखाई नहीं दिया है.

आपने कई ऑप्टिकल एल्यूज़न सॉल्व किए होंगे, जिसमें एक चीज़ ढूंढने के लिए अच्छा-खासा वक्त लगाना पड़ता है. इस वक्त Brightside की ओर से एक ऐसी ही तस्वीर शेयर की गई है, जिसमें चैलेंज दिया गया है तस्वीर में कहीं पर छिपकर बैठे सांप को ढूंढने का. वैसे सांप सामने ही है, लेकिन लोग इसे ढूंढ ही नहीं पा रहे हैं.

तस्वीर में कहां छिपा हुआ है सांप?
वायरल हो रही तस्वीर में आपको एक जंगल की तस्वीर दिखाई दे रही है. आप इस जंगल को ध्यान से देखिए और इसमें आपको ढूंढ निकालना है एक सांप. याद रखना है कि इस काम को आपको 7 सेकंड में पूरा कर लेना है, तो इसे ज़रा ध्यान से पूरा करिए. जंगल के बैकग्राउंड में सांप बिल्कुल मिल सा गया है, ऐसे में आप इसे यूं ही तो नहीं ढूंढ पाएंगे.

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क्या आप ढूंढ पाए सांप को?
वैसे तो हमें उम्मीद है कि आपको अब तक तो सांप दिख गया होगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाया है, तो हिंट ये है कि आप ज़रा तस्वीर में बायीं ओर अपनी नज़रें टिकाइए.

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यहां छिपा हुआ है सांप.

अगर अब भी आप इसे ढूंढ नहीं पाए हैं, तो जवाब तस्वीर में देख लीजिए.

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UP की इस लकड़ी ने 23 सालों से नहीं खाया अन्न, फिर भी है पूरी तरह फिट, डॉक्टर भी हैरान

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Aligarh News: अलीगढ़ की 23 वर्षीय कृष्ण शर्मा ने जन्म से कभी अन्न नहीं खाया और केवल फल और जूस पर जीवित हैं. उनकी यह अनोखी जीवनशैली चिकित्सा और विज्ञान के लिए रहस्य बनी हुई है. कृष्ण शर्मा ने अलीगढ़ के विवेकानंद…और पढ़ें

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यूपी

यूपी की इस लड़की ने 23 साल से नहीं खाया अन्न, फिर भी पूरी तरह है फिट

हाइलाइट्स

  • कृष्ण शर्मा ने 23 सालों से अन्न नहीं खाया.
  • कृष्ण केवल फल और जूस पर जीवित हैं.
  • कृष्ण आईएएस की तैयारी कर रही हैं.

वसीम अहमद /अलीगढ़. कहा जाता है कि अगर जन्म से कोई अलौकिक शक्ति के साथ पैदा होता है, तो उसे भगवान का अवतार माना जाता है. कुछ ऐसा ही जीवन अलीगढ़ की एक लड़की जी रही है.  यहां अलीगढ़ के सरसौल इलाके में रहने वाली 23 साल की कृष्ण शर्मा ने अपने अनोखे आहार और जीवनशैली से सबको हैरत में डाल दिया है. उनका दावा है कि जन्म से लेकर अब तक उन्होंने कभी अन्न ग्रहण नहीं किया, फिर भी वह पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय है. उनकी यह जीवनशैली चिकित्सा और विज्ञान की दुनिया के लिए एक रहस्य बनी हुई है.

कृष्ण शर्मा की ये असाधारण कहानी न केवल उनके परिवार और पड़ोसियों के लिए चौंकाने वाली है, बल्कि चिकित्सा विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को भी सोचने पर मजबूर कर रही है. जहां आम इंसान के लिए अन्न ऊर्जा और पोषण का मुख्य स्रोत माना जाता है, वहीं कृष्ण की जीवनशैली इस धारणा को चुनौती देती है. कृष्ण शर्मा ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही अन्न नहीं खाया. वह केवल फल और जूस पर जीवन यापन करती हैं. उनका कहना है कि अगर वह अन्न से बना कुछ भी खाती हैं, तो उनकी तबीयत बिगड़ जाती है. एक बार उनके पिता ने उन्हें रोटी खिलाने की कोशिश की थी, जिससे उनकी तबीयत इतनी खराब हो गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

कृष्ण का मानना है कि उनके इस असाधारण आहार के पीछे भगवान का आशीर्वाद है. वह भगवान में गहरी आस्था रखती हैं और मां वैष्णो देवी की भक्त हैं. उन्होंने कहा, मुझे कभी अन्न खाने की भूख नहीं लगती और ना ही मैंने कभी अन्न खाया है. मुझे कभी कोई कमजोरी या बीमारी महसूस नहीं होती. कृष्ण शर्मा ने अलीगढ़ के विवेकानंद कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की है और अब वह आईएएस की तैयारी कर रही हैं. उनका सपना है कि वह एक दिन कलेक्टर बने. उनके परिवार में छह बहन-भाई हैं और वह दूसरे नंबर पर हैं. उनके पिता धीरेन्द्र शर्मा ट्रांसपोर्ट का छोटा सा बिजनेस करते हैं, जबकि उनकी मां रेखा शर्मा एक हाउसवाइफ हैं.

इस अनोखी स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, अलीगढ़ के डॉक्टर विकास मल्होत्रा ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति अपने आहार में केवल फल, मेवा, जूस और नींबू पानी का इस्तेमाल करता है, तो वह बिना अन्न खाए भी जीवित रह सकता है. हालांकि, कृष्ण की स्थिति दुर्लभ और अनोखी है, जो चिकित्सा के क्षेत्र में एक अध्ययन का विषय हो सकती है.

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गरीब महिला की पढ़ी गई वसीयत, अंदर जो लिखा था, सुनकर दंग हुए गांववाले!

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महिला का घर बुरी हालत में था और बगीचे की भी साफ-सफाई नहीं होती थी, ऐसे में लोग उसे गरीब समझते थे. मौत के बाद जब उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो लोगों को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ. वे आपस में खुसुर-फुसुर करने लगे कि आख…और पढ़ें

गरीब बुढ़िया की मौत के बाद पढ़ी गई वसीयत, गांववाले हुए दंग, 'ये कैसे हो गया?'

महिला की वसीयत सुनकर दंग रह गए लोग.

कहा जाता है कि किसी को भी देखकर उसकी हस्ती की थाह नहीं लगाई जा सकती है. हम किसी शख्स के बारे में उतना ही जानते हैं, जितना दो-चार मुलाकातों में उसे समझ पाते हैं. इसके अलावा वो कैसा है और उसके पास क्या है, इस बात की खबर हमें नहीं होती है. ऐसे में जब कुछ ऐसा हो जाए, जो हमने बिल्कुल न सोचा हो, तो चौंकना लाज़मी है.

जिस आदमी के पास संपत्ति ज्यादा होती है, वो अपनी वसीयत अक्सर पहले ही बना लेते हैं और इसे उनकी मौत के बाद ही खोलकर पढ़ा जाता है. हालांकि आज हम बात एक गरीब महिला की वसीयत की करेंगे. महिला का घर बुरी हालत में था और बगीचे की भी साफ-सफाई नहीं होती थी. मौत के बाद जब उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो लोगों को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ. वे आपस में खुसुर-फुसुर करने लगे कि आखिर ये हो कैसे सकता है.

गरीब बुढ़िया की वसीयत में था क्या?
हिल्दा लेवी नाम की एक महिला केंट के व्हिसिलटेबल में रहती थी. वो 1970 के बने हुए एक सेमी डिटैच्ड घर में रहती थी, जिसकी मौत 98 साल की उम्र में हो गई. जब उसकी वसीयत पढ़ी गई, तो उसमें कुल 1.4 मिलियन पाउंड यानि लगभग 16 करोड़ रुपये का ब्यौरा था. इसमें से साढ़े 5 करोड़ रुपये उसके दोस्तों और कैंटरबरी अस्पताल को दिए गए थे. इसके अलावा करीब 3 करोड़ रुपये लंदन के Whitstable Healthcare and Moorfields Eye Hospital में उसके दोस्तों के नाम किए गए थे. चैरिटी में दिए गए पैसों के बारे में सुनकर लोग दंग रह गए क्योंकि महिला का घर काफी बुरी हालत में था, जिसे देखकर बिल्कुल नहीं लगता था कि वो करोड़ों की मालकिन है.

आखिर कहां से आया इतना पैसा?
जब हिल्दा लेवी के बारे में पता किया गया, तो जानकारी सामने आई कि वो जर्मनी से इंग्लैंड एक रिफ्यूजी के तौर पर 1930 के दशक में आई थी. उसके परिवार की मौत होलोकॉस्ट में हो चुकी थी. वो अनाथ थी, जिसे इंग्लैंड में एलन जेफरी नाम की महिला ने एडॉप्ट किया था. वो डॉक्टर फ्रीडरिक और मिसेज़ इर्मा लेवी की बेटी थी. उसने इंग्लैंड में अपना पूरा जीवन जिया. बात रही उसके पैसों की, तो पता चला कि ये उसके एक अंकल की प्रॉपर्टी में मिला हिस्सा था, जो अमेरिका में जाकर बस गए थे. उन्होंने अपनी 300 करोड़ से भी ज्यादा संपत्ति को भाई-बहनों के परिवारों और दूर के रिश्तेदारों में बांट दिया था. हिल्दा को भी वही प्रॉपर्टी मिली थी.

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